प्रधानमंत्री कार्यालय
कोविड-19 की स्थिति पर सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में प्रधानमंत्री के वक्तव्य का मूल पाठ
Posted On:
08 APR 2021 11:00PM by PIB Delhi
आप सभी ने वर्तमान परिस्थिति की गंभीरता का आंकलन करते हुए कई महत्वपूर्ण बिन्दु सामने रखे हैं, और कई जरूरी सुझाव भी दिए और बहुत स्वाभाविक था कि जहां पर मत्यु दर ज्यादा है, जहां पर कोरोना का spread तेज हो रहा है, उन राज्यों के साथ विशेष रूप से चर्चा की गई है। लेकिन बाकी राज्यों के पास भी काफी अच्छे सुझाव हो सकते हैं। तो मैं आग्रह करूंगा ऐसे कोई पॉजिटिव सुझाव जो जरूरी हैं आपको लगता है, वो मेरे तक पहुंचाइए ताकि कोई-कोई रणनीति बनाने में वो कारगर हों।
अभी यहाँ जो भारत सरकार की तरफ से, स्वास्थ्य सचिव की तरफ से प्रेजेंटेशन रखा गया, उससे भी स्पष्ट है कि एक बार फिर चुनौतीपूर्ण स्थिति बन रही है। कुछ राज्यों में स्थिति ज्यादा चिंताजनक है। ऐसे में गवर्नेंस सिस्टम में सुधार ये बहुत आवश्यक है। ये मैं समझ सकता हूं कि सालभर की इस लड़ाई के कारण व्यवस्था में भी थकान आ सकती है, ढीलापन भी आ सकता है। लेकिन ये दो-तीन सप्ताह अगर और हम टाइट करें और अधिक गवर्नेंस को मजबूत करें, इस पर हमें बल देना चाहिए।
साथियों,
आज की समीक्षा में कुछ बातें हमारे सामने स्पष्ट हैं और उन पर हमें विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
पहला- देश first wave के समय की पीक को क्रॉस कर चुका है, और इस बार ये ग्रोथ रेट पहले से भी ज्यादा तेज है।
दूसरा- महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, पंजाब, मध्यप्रदेश और गुजरात समेत कई राज्य first wave की peak को भी क्रॉस कर चुके हैं। कुछ और राज्य भी इस ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। मैं समझता हूं कि हम सबके लिए ये चिंता का विषय है, serious concern है। और
तीसरा- इस बार लोग पहले की अपेक्षा बहुत अधिक casual हो गए हैं। अधिकतर राज्यों में प्रशासन भी सुस्त नजर आ रहा है। ऐसे में कोरोना के cases की इस अचानक बढ़ोतरी ने मुश्किलें ज्यादा पैदा की हैं। कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए फिर से युद्ध स्तर पर काम करना आवश्यक है।
साथियों,
इन तमाम चुनौतियों के बावजूद, हमारे पास पहले की अपेक्षा बेहतर अनुभव है, पहले की अपेक्षा अच्छे संसाधन हैं, और अब एक वैक्सीन भी हमारे पास है। जनभागीदारी के साथ-साथ हमारे परिश्रमी डॉक्टर्स और हेल्थ वर्कर्स, हेल्थ-केयर स्टाफ ने स्थिति को संभालने में बहुत मदद की है और आज भी कर रहे हैं। आप सभी से अपने पहले के अनुभवों का प्रभावी ढंग से उपयोग अपेक्षित है।
अब आप कल्पना कीजिए कि गत वर्ष इन दिनों में हमारे हाल क्या थे। हमारे पास testing lab नहीं थे। Even मास्क कहां से मिलेंगे भी चिंता का विषय था, पीपीई किट नहीं थे। और उस समय हमारे लिए बचने का एकमात्र साधन बचा था लॉकडाउन, ताकि हम व्यवस्थाओं को एकदम से जितना तेजी से बढ़ा सकें और वो हमारी strategy काम आई। हम व्यवस्थाओं को बना सके, संसाधन खड़े कर पाए, हमारी अपनी capability बढ़ाई। दुनिया से जहां से प्राप्त कर सकते थे, कर पाए और लॉकडाउन के समय का हमने उपयोग किया।
लेकिन आज जो स्थिति है, आज जब हमारे पास सब संसाधन हैं तो हमारा बल और ये हमारी गवर्नेंस की कसौटी है, हमारा बल Micro Contentment Zone पर होना चाहिए। छोटे-छोटे Contentment Zone पर सबसे ज्यादा होना चाहिए। जहां पर रात्रि कर्फ्यू का प्रयोग हो रहा है वहां मेरा आग्रह है कि उसके लिए शब्द–प्रयोग हमेशा करें- कोरोना कर्फ्यू...ताकि कोरोना के प्रति एक सजगता बनी रहे।
कुछ लोग ये intellectual debate करते हैं कि क्या कोरोना रात को ही आता है। हकीकत में दुनिया ने भी ये रात्रि कर्फ्यू के प्रयोग को स्वीकार किया है, क्योंकि हर व्यक्ति को कर्फ्यू समय होता है तो याद आता है कि हां मैं कोरोना काल में जी रहा हूं और बाकी जीवन व्यवस्थाओं का कम से कम प्रभाव होता है।
हां, अच्छा होगा कि हम कोरोना-कर्फ्यू रात को 9 बजे शुरू करें या रात को 10 बजे शुरू करें और सुबह पांच-छह बजे तक चलाएं ताकि बाकी व्यवस्थाओं को प्रभाव ज्यादा न हो। और इसलिए उसको कोरोना-कर्फ्यू के नाम से ही प्रचलित करें और कोरोना-कर्फ्यू एक प्रकार से लोगों को educate करने के लिए काम आ रहा है, awareness के लिए काम आ रहा है। तो हमने इसकी तरफ ध्यान देने की...लेकिन मैंने पहले कहा, अब हमारे पास व्यवस्था इतनी हो चुकी है, Micro Contentment Zone, उसी पर बल दीजिए, आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। हां उसमें जरा सरकार को थोड़ी मेहनत ज्यादा पड़ती है, गवर्नेंस को टाइट रखना पड़ता है, हर चीज को minutely observe करना पड़ता है। लेकिन ये मेहनत रंग लाएगी ये मुझ पर विश्वास कीजिए।
दूसरी बात है, हमने पिछली बार कोविड का आंकड़ा दस लाख एक्टिव cases से सवा लाख तक नीचे लाकर दिखाया है। ये जिस रणनीति पर चलते हुए संभव हुआ, वो आज भी उतनी ही सटीक है। और वजह देखिए, उस समय सफलता हमीं लोगों ने पाई थी। तब संसाधन भी कम थे। आज तो संसाधन ज्यादा हैं और अनुभव भी ज्यादा है। और इसलिए हम इस peak को बहुत तेजी से नीचे जा सकते हैं, peak को ऊपर जाते रोक भी सकते हैं।
और अनुभव कहता है कि 'Test, Track, Treat', Covid appropriate behaviour और Covid Management इन्हीं चीजों पर हमें बल देना है। और आप देखिए, अब एक विषय ऐसा आया है- मैं आप सभी मुख्यमंत्रियों से आग्रह करता हूं कि आप अपने राज्य की मशीनरी के द्वारा थोड़ा अगर analysis करें, सर्वे करें तो एक सवाल का जवाब हमें मिल सकता है क्या? मैं इसको सवाल के रूप में कह रहा हूं। होता क्या है कि इन दिनों कोरोना में...ये थोड़ा वेरिफिकेशन का विषय है लेकिन आप भी उसको राज्य में करा सकते हैं...पहले कोरोना के समय क्या होता था, हल्के-फुल्के symptoms से भी लोग डर जाते थे, वो तुरंत एक्शन लेते थे। दूसरा इन दिनों बहुत पेशेंट asymptomatic हैं, और उसके कारण उनको लगता है ये तो ऐसे ही थोड़ा जुकाम हो गया, ऐसे हो गया।
कभी-कभी तो वो भी नजर नहीं आता, और उसके कारण परिवार में पहले की तरह ही जिंदगी जीते हैं। और परिणामस्वरूप पूरा परिवार लपेट जाता है। और फिर intensity बढ़ती है तब हमारे ध्यान आता है। जो आज परिवार के परिवार जो इसमें लपेट में आ रहे हैं उसका मूल कारण है शुरूआत asymptomatic जो होती है और केयरलेस हो जाते हैं। उसका उपाय क्या है- उसका उपाय है proactive testing. हम जितना ज्यादा testing करेंगे तो asymptomatic जो पेशेंट होगा वो भी ध्यान में आ जाएगा तो परिवार में home quarantine वगैरह ढंग से कर लेगा। वो परिवार के साथ जैसे नॉर्मल जिंदगी जीता है वो नहीं जिएगा। और इसलिए जो पूरा परिवार आज लपेट में आ जाता है उसको हम बचा सकते हैं।
और इसलिए हम अभी चर्चा जितनी वैक्सीन की करते हैं उससे ज्यादा चर्चा हमें testing की करने की जरूरत है, बल testing पर देने की जरूरत है। और हमने सामने से testing के लिए जाना है। उसको तकलीफ हो और फिर testing करने के लिए आएं, फिर उसको positive-negative मिल जाए और वो मैं समझता हूं हमारे लिए थोड़ा बदलना पड़ेगा।
हमारे पास वायरस को contain करने के लिए एक अहम तरीका है कि हम human host को contain करें। मैंने पहले भी कहा था ये कोरोना एक ऐसी चीज है कि जब तक आप उसको ले करके नहीं आओगे वो घर में नहीं आता है। और इसलिए human source जो है हरेक को हमें जागृत करना पड़ेगा उसमें नियमों का पालन करना होगा, ये बहुत आवश्यक है, और निश्चित तौर पर इसमें Testing और Tracking की बहुत बड़ी भूमिका है। हम Testing को लाइट न लें।
Testing को हमें हर राज्य में इतना बढ़ाना होगा कि positivity rate कैसे भी करके 5 प्रतिशत से नीचे लाकर दिखाना है। और आपको याद होगा शुरू में जब कोरोना की खबरें आने लगीं तो हमारे यहां competition होने लगे- वो राज्य तो निक्कमा है वहां बहुत बढ़ गया, फलाना राज्य बहुत अच्छा कर रहा है। राज्यों की आलोचना करना बड़ा फैशन हो गया था। तो पहली मीटिंग में मैंने आप सबसे कहा था कि संख्या बढ़ने से आप जरा भी चिंता मत कीजिए। उसके कारण आपका performance बुरा है इस टेंशन में मत रहिए, आप Testing पर बल दीजिए...और वो बात मैं आज भी कह रहा हूं- संख्या ज्यादा है इसलिए आप गलत कर रहे हैं...ये सोचने की जरूरत नहीं है। आप Testing ज्यादा करते हैं उसके कारण पॉजिटिव केस नजर आते हैं- लेकिन बाहर निकलने का रास्ता वो ही है। और जो आलोचना करने वाले हैं, थोड़े दिन आलोचना सुननी पड़ेगी।
लेकिन रास्ता तो Testing का ही है। Testing के कारण आंकड़ा बढ़ा हुआ आता है, आने दीजिए। उसके कारण कोई राज्य अच्छा है, कोई राज्य बुरा है, ऐसा मूल्यांकन का तरीका ठीक नहीं है। और इसलिए मेरा आपसे आग्रह है कि इस pressure से बाहर निकल जाइए, Testing को बल दीजिए। भले पॉजिटिव केस ज्यादा आते हैं आने दीजिए। देखिए, उसी का तो हम उपाय कर पाएंगे।
और हमारा target 70 प्रतिशत RT-PCR tests करने का है। कुछ जगह से मेरे पास खबर आई है, मैंने Verify नहीं किया है कि कुछ लोग जो RT-PCR test कर रहे हैं, उसमें जो सेंपल लेते हैं उसमें बहुत lethargic है। ऐसे मुंह के आगे से ही सेंपल ले लेते हैं। ऐसा ही बहुत गहरे जा करके सेंपल लिए बिना real result मिलता ही नहीं है। अगर आपने ऊपर-ऊपर से ले लिया, मुंह में थोड़ा सा डाल करके, तो जो रिजल्ट आएगा वो तो नेगेटिव ही आने वाला है। इसलिए जब तक सुई को अंदर डाल करके सेंपल नहीं लेते हैं…जिन राज्यों में ये हो रहा है, इसको रोकने के लिए कोशिश कीजिए। भले ही पॉजिटिव केस बढ़ें, चिंता मत कीजिए। लेकिन पॉजिटिव केस होगा तो treatment होगा। लेकिन वो नही होगा तो घर में फैलाता रहेगा। पूरे परिवार को, पूरे मोहल्ले को, पूरे tenement को, सबको लपेट में लेता रहेगा।
हमने पिछली meeting में भी इस पर चर्चा की थी कि RT-PCR टेस्ट बढ़ाने की जरूरत है। और फिर मैं कहता हूं कि proper sampling और proper ही होना चाहिए। आपने देखा होगा कुछ लैब सबके सबको नेगेटिव दे रहे हैं, कुछ लैब सबको पॉजिटिव रहे हैं, तो ये तो कोई अच्छा चित्र नहीं है। तो कहीं कुछ कमी है और ये गवर्नेंस के माध्यम से हमको चैक करना होगा। कुछ राज्यों को इसके लिए infrastructure बढ़ाने की जरूरत होगी, लेकिन इसे जितनी तेजी से करेंगे उतना ही मददगार होगा।
लैब्स में shifts बढ़ाने की जरूरत लगती है तो मैं समझता हूं इसे भी किया जाना चाहिए। साथ ही, जैसे मैंने प्रारंभ में कहा, Containment zones में testing पर भी हमें बहुत बल......जिस Containment zone को तय करें उसमें एक भी व्यक्ति testing के बिना रहना नहीं चाहिए। आप देखिए, आपको परिणाम फटाफट मिलना शुरू हो जाएगा।
साथियों,
जहां तक Tracking का प्रश्न है, प्रशासनिक स्तर पर हर infection के हर contact को track करना, test करना और contain करना, इसमें भी बहुत तेजी की जरूरत है। 72 घंटों में कम से कम 30 contact tracing से हमारा target कम नहीं होना चाहिए। एक व्यक्ति की खबर आई तो उससे 30 संबंधित लोगों जो भी मिले हैं उसको हमें करना ही पड़ेगा। Containment zones की भी सीमाएं स्पष्ट होनी चाहिए... वे vague नहीं होना चाहिए। पूरे मोहल्ले के मोहल्ले, इलाके के इलाके, ऐसा मत करो। अगर दो फ्लैट हैं एक इमारत में छह मंजिला है तो फिर उतनों को ही करो। बगल का टॉवर है उसको बाद में देखो। Otherwise क्या होगा कि हम सबके सब...सरल मार्ग यही है कि मेहनत कम पड़ती है ये कर दो। उस दिशा में मत जाइए।
आप सब इस दिशा में सक्रिय हैं, बस हमारी सतर्कता में कोई कमी नहीं आनी चाहिए, यही मेरा आग्रह रहेगा। हमें ये सुनिश्चित करना है कि Covid Fatigue के चलते जमीन तक जाते जाते प्रयासों में सुस्ती किसी भी प्रकार से नहीं आने देनी है। कई राज्यों ने contact tracing को periodically cross check करने के लिए भी teams बनाकर काम किया है। इसके अच्छे नतीजे मिले हैं।
हम सबका ये भी अनुभव है कि जहां containment zones में health ministry की SOPs का …और मैं मानता हूं ये SOPs बड़े अनुभव से तैयार हुई है और समय-समय पर उसको अपडेट किया गया है...उस SOPs का प्रभावी पालन हो रहा है, वहाँ बहुत अच्छी सफलता मिल रही है। इसलिए मेरा ये सुझाव जरूर होगा कि इस ओर विशेष ध्यान दिया जाए।
साथियों,
हमने चर्चा के दौरान अभी mortality rate पर चिंता जताई। ये कम से कम रहे, इन पर भी हमें बहुत जोर देना होगा। और उसका मूल कारण यही है कि वो routine life जीता है, मामूली बीमारी ऐसा मान लेता है, पूरे परिवार में फैला देता है। और फिर एक स्थिति बिगड़ने के बाद अस्पताल तक आता है, फिर testing होता है और तब चीजें हमारे हाथ से निकल जाती हैं। हमारे पास हर हॉस्पिटल से death analysis की जानकारी होनी चाहिए। किस स्टेज में बीमारी का पता चला, कब एडमिशन हुआ, मरीज को कौन-कौन सी बीमारियाँ थीं, मृत्यु के पीछे अन्य क्या क्या factors रहे, ये data जितना comprehensive होगा, हमें उतने ही जीवन बचाने में बहुत आसानी होगी।
साथियों,
ये आपकी भी जानकारी में है कि AIIMS दिल्ली हर मंगलवार और शुक्रवार को इस विषय पर वेबिनार आयोजित करते हैं और देशभर के डॉक्टर्स उनसे जुड़ते हैं, ये लगातार होते रहना चाहिए। सभी राज्यों के अस्पताल इनसे जुड़ते रहें, जो National Clinical Management protocols चल रहे हैं, उनकी जानकारी सबको रहे, ये भी जरूरी है। और ये लगातार communication की व्यवस्था है। जो medical faculty के लोग हैं, उनको उन्हीं की भाषा में उन्हीं के लोग समझाएं, इसका प्रबंध है, इसका लाभ लेना चाहिए। इसी तरह, ambulances, ventilators और oxygen availability की भी लगातार समीक्षा आवश्यक है। अभी तक जब पिछली बार हम peak में थे, आज भी देश में उतना ऑक्सीजन का उपयोग नहीं हो रहा है। और इसलिए एक बार analyses कर लें हम चीजों का, report को जरा verify कर लें हम।
साथियों,
एक दिन में हम 40 लाख वैक्सीनेशन के आंकड़े को भी पार कर चुके हैं। वैक्सीनेशन पर कई महत्वपूर्ण बिन्दु इस चर्चा में हमारे सामने आये हैं। देखिए, वैक्सीनेशन में भी आपके अधिकारियों को लगाइए। दुनियाभर के समृद्ध से समृद्ध देश जिसके पास सब सुविधाएं उपलब्ध है, उन्होंने भी वैक्सीनेशन के लिए जो criteria तय किए हैं, भारत उनसे अलग नहीं है। आप जरा स्टडी तो कीजिए, आप पढ़े-लिखे लोग, आपके पास है...जरा देखिए तो सही।
और नए वैक्सीन्स के development के लिए जितना भी कोशिश हो रही है, maximum vaccination manufacturing capacity है, उसके लिए भी काम हो रहा है। और वैक्सीन के development से लेकर stock और wastage जैसे जरूरी बिन्दुओं पर भी चर्चा हुई है। ये बात सही है, आपको मालूम है कि भई इतनी वैक्सीन बन पाती है। अभी ऐसा तो नहीं है कि इतनी बड़ी-बड़ी फैक्टरियां कोई रातों-रात लग जाती हैं। जो हमारे पास available है उसको हमें prioritize करना पड़ेगा। किसी एक राज्य में सारा माल रख करके हमें परिणाम मिल जाएगा ये सोच ठीक नहीं है। हमें पूरे देश का ख्याल करके ही उसको management करना पड़ेगा। Covid Management का एक बहुत बड़ा पार्ट, वैक्सीन wastage रोकना भी है।
साथियों,
वैक्सीनेशन को लेकर राज्य सरकारों की सलाह, सुझाव और सहमति से ही देशव्यापी रणनीति बनी है। मेरा आप सभी से आग्रह होगा कि हाइ फोकस डिस्ट्रिक्ट्स जो हैं, उनमें 45 साल के ऊपर शत-प्रतिशत वैक्सीनेशन के लिए लगातार प्रयास कीजिए। एक बार एक तो achieve करके देखिए। मैं एक सुझाव देता हूं। क्योंकि ये कभी-कभी वातावरण बदलने के लिए चीजें बहुत काम आती है। 11 अप्रैल, जिस दिन ज्योतिबा फुले जी की जन्मजयंति है और 14 अप्रैल, बाबा साहेब की जन्म जयंति है। क्या हम 11 अप्रैल से 14 अप्रैल पूरे अपने राज्य में ‘टीका उत्सव’ मना सकते हैं, एक पूरा वातावरण create कर सकते हैं ‘टीका उत्सव’ का?
एक विशेष अभियान चलाकर हम ज्यादा से ज्यादा eligible लोगों को vaccinate करें, जीरो wastage तय करें हम। ये चार दिन जो हैं ‘टीका उत्सव’ में जीरो wastage होगा वो भी हमारी vaccination capacity को बढ़ा देगा। हमारी vaccination capacity का optimum utilization ये हम लोग करें। और इसके लिए हमें यदि वैक्सीनेशन केंद्रों की संख्या बढ़ानी हो तो उसको भी बढ़ाएं। पर एक बार देखें कि हम 11 से 14 अप्रैल, किस प्रकार से चीजों को mobilize कर सकते हैं, एक achievement का satisfaction मिलेगा...वातावरण बदलने में बहुत काम आएगा। और भारत सरकार को भी मैंने कहा हुआ है कि जितनी मात्रा में हम वैक्सीनेशन पहुंचा सकते हैं, पहुंचाने का प्रयास करें। हमारा प्रयास यही होना चाहिए कि इस ‘टीका उत्सव’ में हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीनेट करें और वो भी eligible वर्ग को।
मैं देश के युवाओं से भी आग्रह करूंगा कि आप अपने आसपास के भी 45 साल के ऊपर के जो लोग हैं, उनको वैक्सीन लगवाने में मदद करें। मेरी नौजवानों से विशेष अपील है...आप healthy हैं, सामर्थ्यवान हैं, आप बहुत कुछ कर सकते हैं। लेकिन अगर मेरा देश का नौजवान कोरोना के जो SOPs हैं, जो प्रोटोकॉल हैं...distance maintain करने वाली बात है, मास्क पहनने वाली बात है, अगर मेरा देश का नौजवान इसको लीड करेगा तो कोरोना की कोई ताकत नहीं है कि वो मेरे नौजवान तक पहुंच जाए।
हम पहले इस precaution को नौजवानों पर बल दें। नौजवानों को जितना हम वैक्सीन के लिए मजबूर करना चाहते हैं उससे ज्यादा उसको प्रोटोकॉल के लिए प्रेरित करें। अगर हमारा नौजवान इसके लिए बीड़ा उठा लेगा...खुद भी प्रोटोकॉल का पालन करेगा औरों से भी करवाएगा तो आप देखिए वही स्थिति जैसे हम एक बार peak पर जा करके नीचे आए थे...दोबारा हम आ सकते हैं। इस विश्वास के साथ हम आगे चल सकते हैं।
सरकार ने एक डिजिटल व्यवस्था बनाई है जिससे लोगों को वैक्सीनेशन में मदद मिल रही है और बहुत अच्छा अनुभव सब लोग लिखते भी हैं कि भई मुझे बहुत अच्छा अनुभव रहा। लेकिन इस डिजिटल व्यवस्था से जुड़ने में जिसे भी परेशानी आ रही है, जैसे गरीब परिवार हैं उनके लिए टेक्नोलॉजी की समझ नहीं है...मैं नौजवानों से कहूंगा, ऐसे परिवारों को मदद करने के लिए आप आगे आइए। हमारे NCC हों, हमारे NSS हों, ये हमारे राज्य की जो सरकार की व्यवस्थाएं हैं, उनको हम काम में लगाएं ताकि लोगों को थोड़ी मदद मिले। हमें इसकी चिंता करनी चाहिए।
शहरों में एक बहुत बड़ा वर्ग है जो गरीब है, बुजुर्ग है, झुग्गी-झोंपड़ी में रह रहा है, उन तक ये बातें पहुंचाएं। उनको हम वैक्सीनेशन के लिए ले जाएं। ये हमारे वॉलियंटर्स को, सिविल सोसाइटी को, हमारे नौजवानों को हमारी सरकारें mobilize करें। और उन्हें प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन लगवाना अगर हमारा प्रयास रहेगा तो हमें एक पुण्य के काम का संतोष मिलेगा और हमें उनकी चिंता जरूर करनी चाहिए। वैक्सीनेशन के साथ साथ हमें ये भी ध्यान रखना है कि वैक्सीन लगवाने के बाद भी लापरवाही न बढ़े। सबसे बड़ा संकट ये हो गया है कि भई अब मुझे कुछ होगा ही नहीं। डे वन से मैं कह रहा हूं दवाई भी और कड़ाई भी।
हमें लोगों को ये बार-बार बताना होगा कि वैक्सीन लगने के बाद भी मास्क और अन्य जो प्रोटोकॉल हैं उसका पालन और अनिवार्य है। Individual level पर लोगों में मास्क और सावधानी को लेकर जो लापरवाही आई है, उसके लिए फिर से जागरूकता जरूरी है। जागरूकता के इस अभियान में हमें एक बार फिर समाज के प्रभावी व्यक्तियों, सामाजिक संगठनों, सेलेब्रिटीज, ओपिनियन मेकर्स को अपने साथ जोड़ना होगा। और इसके लिए मेरा आग्रह है कि गवर्नर नाम की जो अपने यहां institute है उसका भी भरपूर उपयोग किया जाए।
क्या गवर्नर साहब के नेतृत्व में मुख्यमंत्री जी के मार्गदर्शन में All Party Meeting राज्य तो सबसे पहले कर लें। राज्य All Party Meeting करें और All Party Meeting करके actionable point तय करें। फिर मेरा आग्रह है कि गवर्नर साहब और मुख्यमंत्री मिल करके जितने भी elected लोग हैं उनका virtual webinar करें। पहले Urban bodies का करें, फिर Rural bodies का करें। जितने लोग चुन करके आए हैं उनसे करें। और उनके सामने सभी आपके Assembly में जो जीत करके लोग आए हैं, उसके जो Floor Leader हैं, सब संबोधन करें तो एक पॉजिटिव मैसेज अपने-आप शुरू हो जाएगा कि भई इसमें राजनीति नहीं करनी है...सबने मिल करके करना है। तो मैं समझता हूं एक तो ये प्रयास करना चाहिए।
दूसरा गवर्नर साहब के नेतृत्व में...क्योंकि मुख्यमंत्री के पास बहुत काम रहते हैं लेकिन गवर्नर साहब के नेतृत्व में एकाध Summit बड़ा, Webinar भी किया जाए और जो शहर हो वहां पर लोकल हो तो सभी धार्मिक नेताओं को बुला करके Summit हो जाए और बाकी लोगों को Virtual जोड़ा जाए। जो सिविल सोसाइटी के लोग हैं, एकाध Summit उनका कर लिया जाए। जो सेलिब्रेटिज हैं, लेखक हैं, कलाकार हैं, खिलाड़ी हैं, उनका एक बार कर लिया जाए।
मैं समझता हूं कि ये गवर्नर के माध्यम से इस प्रकार के लगातार भिन्न-भिन्न समाजों के लोगों को जोड़ने का एक movement चलाया जाए और यही बात कि भई आप इन प्रोटोकॉल का follow कीजिए, testing पर बल दीजिए। हमारा क्या हुआ है, हम एकदम testing भूल करके वैक्सीन पर चले गए। वैक्सीन जैसे-जैसे product होगी, जैसे-जैसे पहुंचेगी...पहुंचेगी। हमने लड़ाई जीती थी बिना वैक्सीन के। वैक्सीन आएगी कि नहीं आएगी...वो भी भरोसा नहीं था...तब हम लड़ाई जीते हैं। तो आज हमें इस प्रकार से भयभीत होने की कोई जरूरत नहीं है। लोगों को भयभीत होने नहीं देना है।
अगर हम जिस तरीके से लड़ाई को लड़े थे, उसी तरह से लड़ाई को जीत सकते हैं और जैसा मैंने कहा- पूरे परिवार लपेट में आ रहे हैं...उसका मूल कारण जो मुझे नजर आता है...फिर भी आप लोग उसको verify कीजिए...मैं क्लेम नहीं कर रहा हूं किसी से इसका। मैं सिर्फ आपका ध्यान आकर्षित कर रहा हूं कि asymptomatic कारणों से शुरू में परिवार में ये फैल जाता है फिर अचानक परिवार में जो पहले से बीमार व्यक्ति है या जो कुछ कठिनाई वाला है...वो एकदम से नए संकट में आ जाता है, फिर पूरा परिवार संकट में आ जाता है।
और इसलिए मेरा आग्रह है pro-actively हमने testing पर बल देना होगा। हमारे पास व्यवस्थाएं हैं। हिन्दुस्तान के हर जिले में लैब बन चुके हैं। एक लैब से शुरू किया था हमने, आज हर जिले में लैब पहुंच गए हैं और हम इस चीज को बल न दें तो कैसे होगा?
इसलिए मेरा आग्रह है...जहां तक राजनीति करने न करने का सवाल है...मैं तो डे वन से देख रहा हूं...भांति-भांति के बयानों को झेल रहा हूं, लेकिन मैं कभी मुंह खोलता नहीं हूं। क्योंकि मैं मानता हूं कि हिन्दुस्तान के लोगों की सेवा करना पवित्र हमारी जिम्मेदारी है...हमें ईश्वर ने इस समय ये कठिन परिस्थिति में सेवा करने का जिम्मा दिया है...हमने इसको निभाना है। जो राजनीति करना चाहते हैं वो कर ही रहे हैं...उनके लिए मुझे कुछ कहना नहीं है। लेकिन हम सभी मुख्यमंत्री अपने राज्य के सभी दलों को बुला करके, सभी प्रकार के लोगों को साथ रख करके…अपने राज्य में स्थिति को बदलने के लिए आगे आएंगे...मुझे पक्का विश्वास है इस संकट को भी हम देखते ही देखते पार करके निकल जाएंगे।
फिर एक बार मेरा यही मंत्र है 'दवाई भी-कड़ाई भी'। इस विषय में कोई compromise मत कीजिए जी...मैंने पिछली बार भी कहा था कि आपको जुकाम की दवा ले ली और बाहर बारिश आ रही है...आप कहें मैं छाते का उपयोग नहीं करूंगा...ये नहीं चल सकता है। आपको अगर जुकाम हुआ है...दवाई ली है...ठीक हुए हैं...तो भी अगर बारिश आ रही है तो आपको छाता रखना ही पड़ेगा...रेनकोट पहनना ही पड़ेगा। वैसे ही ये कोरोना एक ऐसी बीमारी है जैसे हर प्रोटोकॉल में follow करते हैं...इसको भी करना पड़ेगा।
और मैं ये कहूंगा कि जैसे हमने पिछली बार कोरोना को नियंत्रित किया था, वैसे ही हम इस बार भी कर लेंगे। मेरा पक्का विश्वास है और मेरा आप पर भरोसा है, आप अगर initiative लेंगे, चिंता करेंगे और फोकस testing पर कीजिए। वैक्सीनेशन की व्यवस्था एक लंबे कालखंड के लिए है जो निरंतर चलानी होगी...वो हम चलाते रहेंगे...आज बल हम इस पर दें और जो ‘टीका उत्सव’ एक breakthrough करने के लिए तय किया है, उस ‘टीका उत्सव’ पर हम एक नई सफलता प्राप्त करें। एक नया विश्वास पैदा करने के लिए एक छोटा सा अवसर काम आ सकता है।
मैं फिर एक बार आपके सुझावों की प्रतीक्षा करूंगा।
बहुत बहुत धन्यवाद!
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DS/AKJ/NS
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