रक्षा मंत्रालय

डीआरडीओ ने नौसैनिक पोतों को मिसाइल हमलों से बचाने के लिए आधुनिकतम चैफ़ प्रौद्योगिकी का विकास किया

Posted On: 05 APR 2021 12:39PM by PIB Delhi

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने नौसैनिक पोतों को शत्रु के मिसाइल हमलें से बचाने के लिए आधुनिकतम चैफ़डफभ प्रौद्योगिकी का विकास किया है। डीआरडीओ की प्रयोगशाला, रक्षा प्रयोगशाला जोधपुर (डीएलजे) ने इस अतिमहत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी के तीन प्रकारों का स्वदेश में विकास किया है। ये हैं कम दूरी की मारक क्षमता वाला चैफ़ रॉकेट (एसआरसीआर), मध्यम रेंज चैफ़ रॉकेट (एमआरसीआर) और लम्बी दूरी की मारक क्षमता वाला चैफ़ रॉकेट (एलआरसीआर)। इन प्रकारों का विकास भारतीय नौसेना की गुणात्मक जरूरतों को पूरा करने के लिए किया गया है। रक्षा प्रयोगशाला जोधपुर द्वारा आधुनिकतम चैफ़ प्रौद्योगिकी का सफल विकास आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक अन्य कदम है।

हाल में भारतीय नौसेना ने अरब सागर में भारतीय नौसैनिक पोतों से इन तीनों प्रकार के रॉकेटों का प्रायौगिक परीक्षण किया और इनके प्रदर्शन को संतोषजनक पाया।

चैफ़ एक अप्रतिरोधी विस्तार योग्य इलेक्ट्रॉनिक जवाबी प्रौद्योगिकी है जो विश्वभर में नौसैनिक पोतों को शत्रु के रडार और रेडियो फ्रीक्वेंसी मिसाइल साधकों से संरक्षण देती है। यह प्रौद्योगिकी इसलिए महत्वपूर्ण है कि इसमें नौसैनिक पोतों को शत्रु के मिसाइल हमले से बचाने के लिए बहुत कम मात्रा में चैफ़ सामग्री को प्रलोभन के तौर पर हवा में छोड़ा जाता है।

डीआरडीओ ने भविष्य में शत्रु से होने वाले खतरों से बचाव से हथियार निर्माण में विशेषज्ञता प्राप्त कर ली है। यह प्रौद्योगिकी बड़ी मात्रा में उत्पादन के लिए उद्योगों को सौंप दी गई है।

रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि के लिए डीआरडीओ, भारतीय नौसेना और उद्योगों को बधाई दी।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉक्टर जी. सतीश रेड्डी ने भारतीय नौसैनिक पोतों की सुरक्षा के लिए अति महत्वपूर्ण इस प्रौद्योगिकी के स्वदेश में विकास से जुड़े समूहों के प्रयासों की प्रशंसा की। 

नौसेना के वाइस चीफ ऑफ स्टाफ वाइस एडमिरल जी. अशोक कुमार ने बहुत कम समय में स्वदेशी तौर पर रणनीति के हिसाब से बेहद महत्वपूर्ण इस प्रौद्योगिकी के विकास के लिए और इसके बड़े पैमाने पर उत्पादन की स्वीकृति देने के लिए डीआरडीओ की प्रशंसा की।

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