रक्षा मंत्रालय

डीआरडीओ ने मेट्रो रेल नेटवर्क में उन्नत बायोडायजेस्टर एमके-II प्रौद्योगिकी के कार्यान्वयन के लिए महाराष्ट्र मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए

Posted On: 05 JAN 2021 5:43PM by PIB Delhi

भारत सरकार के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की प्रमुख अनुसंधान एजेंसी एवं भारत सरकार तथा महाराष्ट्र सरकार की संयुक्त उद्यम कंपनी महाराष्ट्र मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन साथ मिलकर अपनी सुविधाओं में डीआरडीओ की पर्यावरण-हितैषी बायोडाइजेस्टर युनिट्स (एक ग़ैर-सीवर स्वच्छता प्रौद्योगिकी) का संस्थापन कर जल संरक्षण तथा पर्यावरण की रक्षा के लिए कार्य कर रहे हैं । महा-मेट्रो और डीआरडीओ के बीच दिनांक 5 जनवरी, 2021 को एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर करार किया गया था जिसके माध्यम से डीआरडीओ मेट्रो रेल नेटवर्क में मानव अपशिष्ट के उपचार के लिए अपनी उन्नत बायोडायजेस्टर एमके-II प्रौद्योगिकी के कार्यान्वयन के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करेगा।

डीआरडीओ मुख्यालय नई दिल्ली के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक और महानिदेशक- जीवन विज्ञान डॉ एके सिंह और महाराष्ट्र मेट्रो रेल कारपोरेशन लिमिटेड (एमएमआरसीएल) के प्रबंध निदेशक डॉ बृजेश दीक्षित ने अपने अपने संगठनों की ओर से एमओयू का आदान-प्रदान किया । एमओयू पर ग्वालियर के डीआरडीई के निदेशक डॉ डीके दुबे और महाराष्ट्र-मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड, पुणे के निदेशक श्री अतुल गाडगिल ने हस्ताक्षर कि ।

डीआरडीओ का बायोडायजेस्टर एक स्वदेशी, हरित और लागत प्रभावी तकनीक है, जिसमें डीआरडीओ-लाइसेंसधारियों (टीओटी धारकों) के सबसे बड़ी संख्या में होने का एक दुर्लभ गौरव है।

भारतीय रेलवे ने अपने यात्री कोचों के बेड़े में पहले ही लगभग 2.40 लाख बायोडायजेस्टर लगाए हैं । अब महाराष्ट्र मेट्रो के लिए, जल एवं जगह को बचाने के लिए इस प्रौद्योगिकी को नया रूप दिया गया है और इसमें और सुधार किया गया है। 

डल झील में हाउसबोट से उत्पन्न मानव अपशिष्ट का उपचार करने के लिए उपयुक्त इस एमके-II बायोडायजेस्टर के एक बढ़िया संस्करण को डीआरडीओ द्वारा जम्मू एवं कश्मीर प्रशासन को सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया गया । जम्मू कश्मीर प्रशासन के झील एवं जलमार्ग विकास प्राधिकरण (एलडब्ल्यूडीए) ने डल झील के आसपास सिविल आवासों के लिए एमके-2 बायोडाइजेस्टर की 100 इकाइयों को खरीदने की प्रक्रिया शुरू की है ताकि जल प्रदूषण को कम किया जा सके । श्रीनगर में बायोडायजेस्टर एमके-2 के क्रियान्वयन की निगरानी डीएमआरसी के पूर्व एमडी डॉ ई श्रीधरन की अध्यक्षता में जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय द्वारा गठित विशेषज्ञों की एक समिति द्वारा की जा रही है । पूरी तरह से लागू होने पर इस हरित तकनीक से डल झील के प्रदूषण में काफी कमी आएगी।

इस तकनीक में जैव-क्षरण दक्षता, डिजाइन संशोधन और सैकंडरी ट्रीटमेंट मॉड्यूल में सुधार के माध्यम से अपग्रेड किया गया है । नए रिएक्टर को जैविक प्रतिक्रिया समय में वृद्धि के साथ अधिक पथ लंबाई प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे प्रणाली की जैव-क्षरण दक्षता में वृद्धि होती है । यह तकनीक मुख्य रूप से लेह-लद्दाख और सियाचिन ग्लेशियर समेत ऊंचाई वाले हिमालयी क्षेत्रों में सशस्त्र बलों के लिए विकसित की गई थी ।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के सचिव डॉ जी सतीश रेड्डी ने दोनों टीमों को सफल कार्यान्वयन के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं और कहा कि प्रौद्योगिकियों को उन्नत होने के लिए डेटा और फीडबैक की उपलब्धता की आवश्यकता होती है ।

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एमजी /एएम/ एबी



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