जनजातीय कार्य मंत्रालय

श्री अर्जुन मुंडा ई-गवर्नेंस के लिए आदिवासी कार्य मंत्रालय को प्रदत्त स्कॉच चैलेंजर पुरस्कार वर्चुअली ग्रहण करेंगे

Posted On: 15 JAN 2021 3:49PM by PIB Delhi

श्री अर्जुन मुंडा, केंद्रीय मंत्री जनजातीय कार्य कल जनजातीय कार्य मंत्रालय को उसकी आईटी-आधारित पहलों और अन्य परिवर्तनकारी पहलों, जिससे प्रदर्शन में परिणाम-आधारित सुधार हुआ है, के लिए मिला स्कॉच चैलेंजर पुरस्कार वर्चुअली ग्रहण करेंगे। आदिवासी कार्यों के मंत्रालय के सचिव श्री दीपक खांडेकर उपस्थित रहेंगे।

जनजातीय कार्य मंत्रालय (एमओटीए) ने हाल ही में कई परिवर्तनकारी पहलों की शुरुआत की है। इसने सभी प्रक्रियाओं को डिजिटल कर दिया है जिससे कार्यालय कागज रहित हो गए हैं, निगरानी आंकड़ों पर आधारित है, राज्यों के साथ संचार ऑनलाइन रिपोर्ट प्रणाली के जरिए है और यह एनालिटिक्स आधारित है और एक प्रदर्शन डैशबोर्ड वास्तविक समय के आधार पर अपडेट किया जाता है। इन सभी में सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जनजातीय संबंधित आंकड़ों से पारदर्शिता आई है: प्रदर्शन डैशबोर्ड, प्रयास-पीएमओ डैशबोर्ड, नीति आयोग और डीबीटी मिशन।

 

श्री अर्जुन मुंडा ने कहा, “नीति निर्माण और कार्य के लिए हमारे दृष्टिकोण में एक बड़ा बदलाव आया है। हम साक्ष्य आधारित नीति बनाना चाहते हैं जो यथार्थवादी हो और आदिवासियों की समस्याओं को जमीनी स्तर पर दूर करे। इसके अलावा, परिवर्तनकारी बदलावों के लिए, हम डिजिटल मार्ग को अपना रहे हैं जो पारदर्शिता और कार्य पूरा करने की गति सुनिश्चित करता है

जनजातीय कार्यों के मंत्रालय ने छात्रवृत्ति जारी करने की पूरी प्रक्रिया को डिजिटल बना दिया है। लाभार्थियों की जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध है और 19 राज्य/यूटी वेब सेवाओं का इस्तेमाल कर 12 राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल (एनएसपी) पर आंकड़े भेज रहे हैं। सभी 5 छात्रवृत्ति योजनाओं को डीबीटी मिशन आदेश के अनुसार डिजिटल किया गया है। 13 योजनाएं मंत्रालय के डैशबोर्ड पर हैं, 6 पहल प्रयास पीएमओ डैशबोर्ड पर हैं। जिससे छात्रवृत्ति जारी करने की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो गई हैं और 64 लाख लाभार्थी डीबीटी के माध्यम से सीधे अपने खातों में छात्रवृत्ति प्राप्त करने में सक्षम हो गए हैं। पीएम डैशबोर्ड, एमओटीए और डीबीटी डैशबोर्ड पर आंकड़ों की उपलब्धता से पारदर्शिता भी है।

हिम-स्तूप लद्दाख क्षेत्र में पानी की समस्या को हल करने के लिए एक अनूठी परियोजना है जो जलवायु परिवर्तन के कारण किल्लत का सामना करता है। यह पानी को सर्दियों में बर्फ के रूप में संग्रहित करने का एक तरीका है जिसका उपयोग वसंत की बुवाई के मौसम में किया जा सकता है। स्तूप जैसी दिखने वाली संरचना का निर्माण स्थानीय रूप से पाई जाने वाली सामग्री से होता है जिसमें जल भंडारण की बड़ी क्षमता होती है। ऐसे 26 हिम-स्तूप 2019-20 में स्थापित किए गए थे, जो लगभग 6 करोड़ लीटर पानी जमा करते हैं। 35 से अधिक गाँव इससे पहले ही लाभान्वित हो चुके हैं। समुदाय इस परियोजना का स्वामित्व रखता है और इसका विस्तार कर 25 अन्य स्तूपों को शामिल करने जा रहा है।

इसके अलावा, भारत में जनजातीय आबादी के स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति को प्रस्तुत करने वाला स्वास्थ्य पोर्टल अपने में एक संपूर्ण समाधान है। यह साक्ष्य-आधारित नीति बनाने की सुविधा प्रदान कर रहा है।

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एमजी/एएम/एसएस/एनके


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