पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने सार्वजनिक परामर्श के उद्देश्य से फ्लोटिंग स्ट्रक्चर्स के तकनीकी विनिर्देशों के लिए मसौदा दिशा-निर्देश जारी किए


मंत्रालय भारतीय तटरेखा पर अलग-अलग तरह के इस्तेमाल के लिए फ्लोटिंग जेटी (फ्लोटिंग डॉक) को बढ़ावा देना चाहता है

Posted On: 07 DEC 2020 2:34PM by PIB Delhi

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने भारतीय तटरेखा पर विश्व स्तर के फ्लोटिंग बुनियादी ढांचे को स्थापित करने के उद्देश्य से फ्लोटिंग स्ट्रक्चर्स के तकनीकी विनिर्देशों के लिए मसौदा दिशा-निर्देशों को संकलित किया है और इसे सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया है।

अपने अंतर्निहित लाभों के कारण फ्लोटिंग स्ट्रक्चर्स एक आकर्षक समाधान हैं और पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय इसे बढ़ावा दे रहा है। पारंपरिक क्वे और फिक्स्ड कंक्रीट स्ट्रक्चर्स की तुलना में फ्लोटिंग जेटी के लाभ इस प्रकार हैं:

  • यह कम लागत वाला समाधान है और पारंपरिक संरचनाओं की कीमत से काफी सस्ता है।
  • पारंपरिक जेटी की तुलना में फ्लोटिंग स्ट्रक्चर्स काफी तेजी से स्थापित किए जा सकते हैं। आमतौर पर, पारंपरिक संरचनाओं की स्थापना में 24 महीने का समय लगता है, इसकी तुलना में फ्लोटिंग स्ट्रक्चर्स 6-8 महीनों में बनाए जा सकते हैं।
  • पर्यावरणय पर इसका न्यूनतम प्रभाव पड़ता है।
  • मॉड्यूलर निर्माण तकनीकों के कारण इसका विस्तार करना आसानी से संभव है।
  • बंदरगाह के नवीनीकरण की स्थिति में इसे आसानी से दूसरी जगहों पर ले जाया जा सकता है।
  • यह जेटी और नौकाओं के बीच निरंतर फ्री बोर्ड प्रदान करता है।

फ्लोटिंग जेटी विशेष रूप से उन जगहों पर लगाना काफी आसान है जहां ज्वारीय सीमा ज्यादा है, जहां निचली ज्वारीय अवधि में पारंपरिक क्वे (जहाजी घाट) से समस्याएं आती हैं। ऐसी जगहों पर फ्लोटिंग जेटी निरंतर फ्री बोर्ड प्रदान करते हैं, जहाज के भंडारों की लदाई को आसान करते हैं और इनसे मछुआरों द्वारा पकड़ी गयी मछलियों को नाव से सीधा उतारने में आसानी होती है। इसके परिणामस्वरूप लंबे समय में मछुआरों की सुरक्षा के साथ-साथ उत्पादकता में वृद्धि होती है।

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय मार्गदर्शन सिद्धांतों का पालन करके हाल ही में कुछ पायलट परियोजनाओं को सफलतापूर्वक लागू किया है। इनमें गोवा में यात्री फ्लोटिंग जेटी, साबरमती नदी और सरदार सरोवर बांध (सीप्लेन सेवाओं के लिए)पर वाटर-एयरोड्रोमकी स्थापना शामिल हैं जिनका सकारात्मक परिणाम मिल रहा है। पूरी तटरेखा पर तटीय समुदाय के समग्र विकास और उत्थान के लिए मंत्रालय की इस तरह की 80 से अधिक परियोजनाएं योजना के स्तर हैं।

मंत्रालय द्वारा अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप एक मापदंड और मानक विनिर्देश विकसित किए जा रहे हैं ताकि विभिन्न हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद अस्थायी संरचनाओं के तकनीकी विनिर्देशों का संकलन किया जा सके। इसके लिए, मंत्रालय ने आईआईटी-चेन्नई को फ्लोटिंग जेटी, वाटर-एयरोड्रोम, फ्लोटिंग मरीना, फिश लैंडिंग सुविधा आदि जैसे टिकाऊ फ्लोटिंग स्ट्रक्चर्स के तकनीकी विनिर्देशों पर काम करने की जिम्मेदारी सौंपी है ताकि सटीक और कड़े तकनीकी विनिर्देश स्थापित किए जा सकें।

जनता से प्रतिक्रिया और सुझाव मांगने के लिए प्रस्तावित विनिर्देश/तकनीकी जरूरतों की अनुसूची (एसओटीआर) के साथ मसौदा दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। मसौदा दिशा निर्देश देखने के लिए इस लिंक पर जाएंhttp://shipmin.gov.in/sites/default/files/proforma_guidelines.pdf for which suggestions can be e-mailed to sagar.mala[at]nic[dot]in by 11.12.2020.

यह शासन में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की सरकार की प्राथमिकता रही है। मसौदा दिशा निर्देश जारी करना और जन प्रतिक्रिया हासिल करना उसी दिशा में उठाया गया एक प्रगतिशील कदम है, जिससे लंबे समय में तटीय समुदाय के उत्थान में लाभ मिलेगा और यह एक मील का पत्थर साबित होगा।

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