कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय

कौशल भारत ने 6 राज्यों के चिन्हित 116 जिलों में गरीब कल्याण रोज़गार अभियान के तहत 3 लाख प्रवासी कामगारों के प्रशिक्षण की शुरुआत की

Posted On: 12 NOV 2020 5:32PM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) 2016-2020 के केंद्र प्रायोजित और केंद्र प्रबंधित (सीएससीएम) घटक के तहत मांग संचालित कौशल का संचालन किया जा रहा है।

● 200 से अधिक प्रशिक्षण भागीदार 6 राज्यों के 116 जिलों में प्रशिक्षण दे रहे हैं

माननीय प्रधानमंत्री के ग़रीब कल्याण रोज़गार अभियान (जीकेआरए) द्वारा निर्देशित, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) ने उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, ओडिशा, मध्य प्रदेश और झारखंड के चिन्हित 116 ज़िलों में 3 लाख प्रवासी श्रमिकों का कौशल प्रशिक्षण शुरू किया है। इसका लक्ष्य प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) 2016-2020 के केंद्र प्रायोजित और केंद्र प्रबंधित (सीएससीएम) घटक के तहत कोविड युग के बाद श्रमिकों और ग्रामीण आबादी का मांग संचालित कौशल और अभिविन्यास प्रदान करना है। संबंधित जिला कलेक्टरों/जिला मजिस्ट्रेटों/उपायुक्तों के सहयोग से, एमएसडीई 125 दिनों के भीतर कौशल प्रशिक्षण के लिए इन जिलों में कार्यक्रम शुरू कर रहा है। पहचान किए गए जिलों के कुछ हिस्सों में प्रशिक्षण पहले से ही शुरू हो चुका है और धीरे-धीरे कुछ महीनो में अन्य भागों में भी इसका विस्तार होगा।

कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय-एमएसडीई के तत्वावधान में राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी), पीएमकेवीवाई 2016-20 या राज्य योजनाओं के तहत कार्यरत मौजूदा प्रशिक्षण प्रदाताओं और परियोजना कार्यान्वयन एजेंसियों के माध्यम से प्रशिक्षण कार्यक्रम का निष्पादन कर रहा है। 1.5 लाख प्रवासी कामगारों को लघु अवधि के प्रशिक्षण (एसटीटी) कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित किया जा रहा है, और अन्य 1.5 लाख प्रवासी श्रमिकों को पूर्व शिक्षा की मान्यता (आरपीएल) योजना के तहत प्रशिक्षित किये जाने की योजना है। इन जिलों में स्थानीय नौकरियों के लिए एकत्रीकरण और साथ ही प्रशिक्षण के प्रयोजन के लिए प्रवासी कामगारों को जुटाने का कार्य जिला प्रशासन द्वारा किया जाता है। कौशल मंत्रालय स्थानीय उद्योग की मांग के अनुसार विभिन्न नौकरियों के लिए कौशल प्रशिक्षण आयोजित करने के अपने प्रयासों को निर्देशित कर रहा है, जैसा कि जिला प्रशासन द्वारा अनुशंसित है। 

ग्रामीण विकास के लिए कौशल और उद्यमिता को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा, “कौशल विकास के माध्यम से ग्रामीण विकास, कौशल भारत मिशन का एक मूल तत्व है क्योंकि कुल कार्यबल का 70प्रतिशत ग्रामीण भारत से आता है। उद्योग की बदलती जरूरतों के साथ ग्रामीण कार्यबल तैयार करने की दृष्टि को कुशल पारिस्थितिकी तंत्र में विभिन्न भागीदारों के बीच सहज तालमेल की आवश्यकता होती है। हमें कार्यबल विस्थापन के बाद के प्रभावों को बेअसर करने के लिए क्षेत्रीय स्तरों पर उद्योग-प्रासंगिक नौकरियों के निर्माण के दबाव की आवश्यकता पर खुद को एक-दूसरे का पूरक बनाने की आवश्यकता है। हम प्रवासी कुशल श्रमिकों के लिए स्थायी आजीविका के अवसर उपलब्ध कराने के लिए स्थानीय मांग-संचालित कौशल विकास कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिनकी सामूहिक ताकत हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।

इन चिन्हित जिलों में कौशल भारत पोर्टल पर प्रशिक्षण प्रदाताओं की मान्यता और संबद्धता और बाद में प्रणाली-आधारित लक्ष्यों की स्वीकृति मिलने के बाद कौशल प्रशिक्षण और अभिविन्यास कार्यक्रम शुरू हो गया है। इन 6 राज्यों में जो भूमिकाएं मांग में हैं उनमें सहायक इलेक्ट्रीशियन, सेल्फ एम्प्लॉयड टेलर, रिटेल सेल्स एसोसिएट, कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव (कॉल सेंटर), सिलाई मशीन ऑपरेटर और जनरल ड्यूटी असिस्टेंट आदि शामिल हैं। जैसा कि जीकेआरए लघु अवधि प्रशिक्षण (एसटीटी) का एक हिस्सा है, इसलिये एसटीटी-सीएससीएम-पीएमकेवीवाई 2016-20 के अनुसार पात्र उम्मीदवारों को सभी लाभ प्राप्त होंगे। दिशा-निर्देशों के अनुसार, योग्य उम्मीदवार की सहायता के लिये आने-जाने का खर्च, खाने-पीने और ठहरने का खर्च, पोस्ट प्लेसमेंट सपोर्ट, सहायक और अन्य सहायता के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) योजना के तहत सहायता प्राप्त कर रहे हैं।

लघु अवधि प्रशिक्षण (एसटीटी) का उद्देश्य कौशल भारत की प्रमुख पीएमकेवीवाई योजना के तहत विभिन्न क्षेत्रों और नौकरी की भूमिकाओं के लिए या तो स्कूल/कॉलेज छोड़ने वाले या बेरोजगार युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना है। प्रशिक्षण कार्यक्रम की अवधि भिन्न नौकरी की भूमिकाओं के अनुसार 150 से 300 घंटों के बीच होती है। पूर्व-शिक्षा की मान्यता (आरपीएल) औपचारिक समायोजन के बाहर सीखने के मूल्य को पहचानती है और किसी व्यक्ति के कौशल के लिए सरकारी प्रमाणपत्र प्रदान करती है। उम्मीदवारों को डिजिटल और वित्तीय साक्षरता प्रदान की जाती है और तीन साल के लिए दुर्घटना बीमा मुफ्त में दिया जाता है। आरपीएल कार्यक्रम में भाग लेने के लिए उम्मीदवार से कोई शुल्क नहीं लिया जाता है और सफलतापूर्वक प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को 500 रुपये प्राप्त होते हैं।

कौशल मंत्रालय ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) 2016-2020 के तहत अब तक 92 लाख से अधिक उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया है।

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