इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय

अक्टूबर को एक महीने की अवधि पूरा करने वाला यह ई-चालान एक असाधारण पहल है


शुभांरभ के पहले महीने में ही 27,400 कर-दाताओं द्वारा एनआईसी पोर्टल पर 495 लाख से अधिक ई-चालान बनाए गए हैं

अक्टूबर, 2020 महीने के दौरान 641 लाख ई-वे चालानबनाए गए, ई-वे चालानप्रणाली के दो वर्ष छह महीने के दौरान किसी भी एक महीने में यह सबसे अधिक है

Posted On: 02 NOV 2020 1:33PM by PIB Delhi

31 अक्टूबर को एक महीने की अवधि पूरा करने वाला यह ई-चालान एक असाधारण पहल है, जिसके जरिए व्यवसायों के एक-दूसरे के साथ जुड़ने के तरीके में क्रांति लाई जा रही है। एनआईसी के अनुसार, शुरूआत के पहले महीने में ही, 27,400 कर-दाताओं द्वारा एनआईसी पोर्टल पर 495 लाख से अधिक ई-चालान बनाए गए थे। जीएसटी प्रणाली में एक बड़ा बदलाव लाने वाले इसई-चालान प्रणाली को 1 अक्टूबर, 2020 को किसी भी वित्तीय वर्ष में 500 करोड़ रुपये से अधिक के कुल कारोबार करने वाले व्यवसायों के लिए शुरू किया गया था।

यह व्यवसाय करने में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को आगे करने में भारत के लिए एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि होगा। चालान पंजीकरण पोर्टल द्वारा अंकित किया गए आंकड़े जीएसटी कॉमन पोर्टल (gst.gov.in) में कर-दाता के जीएसटीआर1 रिटर्न में मूल रूप से दिखाई देगा, जिससे इस प्रकार अनुपालन बोझ कम किया जा सकेगा।

1 अक्टूबर, 2020 को 8.4 लाख ई-चालान के साथ शुरू, इसका उपयोग धीरे-धीरे तेज हो रहा है और 31 अक्टूबर, 2020 तक एक ही दिन में 35 लाख से अधिक ई-चालान तक पहुंच गया है। अक्टूबर, 2020 महीने के दौरान 641 लाख ई-वे चालानहोने के कारण, (ई-वे चालान प्रणाली की यात्रा के दो वर्ष छह महीने के दौरान एक महीने में सबसे अधिक), इस प्रणाली की मजबूती स्थापित होती है। कर-दाताओं से इस प्रणाली के बारे में अच्छी प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई हैंऔर आईआरएन का सृजन बहुत सुगमहै।

वर्तमान में, एनआईसी प्रणाली में आईआरएन के सृजन के तीनतरीके हैं।पहला, एनआईसी प्रणाली के साथ कर-दाता की ईआरपी प्रणाली का प्रत्यक्ष एपीआई इंटरफ़ेस है। दूसरा, एनआईसी प्रणाली के साथ जीएसपी के माध्यम से कर-दाता की ईआरपी प्रणाली का एपीआई इंटरफेस है। तीसरा, चालान थोक में अपलोडिंग और आईआरएन उत्पन्न करने के लिए ऑफलाइन टूल का उपयोग कर रहा है। लगभग 15 प्रतिशत कर-दाता आईआरएन उत्पत्ति के लिए ऑफलाइन टूल का उपयोग कर रहे हैं और 85प्रतिशत एपीआई के माध्यम से इसे एकीकृत कर रहे हैं।

सरकार आने वाले दिनों में कर-दाताओं द्वारा आईआरएन की उत्पत्ति के लिए कुल कारोबार में 100 करोड़ रुपये तक की कटौती करने की योजना बना रही है। एनआईसी ने पहले से ही इन कर-दाताओं के लिए एपीआई और ऑफलाइन उपकरण आधारित परीक्षण साइटों को सक्षम बनाया हुआ है और इन कर-दाताओं से ई-चालान की उत्पत्ति को संभालने के लिए आवश्यक आधारभूत ढाँचे के साथ तैयार किया है।

छोटे करदाताओं की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, जिन्हें एक दिन में 5-10 बी-2-बी चालान तैयार करने की आवश्यकता होती है, एनआईसी एक ऑफलाइन एक्सेल पर आधारित आईआरएन तैयार कर रहा है और आईआरएन प्रिंटिंग टूल भी विकसित कर रहा है, जो उन्हें चालान विवरण दर्ज करने की अनुमति देगा, फाइल को तैयार कर एनआईसी आईआरएन पोर्टल पर अपलोड करेगा, आईआरएन को क्यूआर कोड के साथ डाउनलोड करेगा और क्यूआर कोड के साथ ई-चालान प्रिंट भी करेगा।

वर्तमान में, एपीआई इंटरफेस का उपयोग करने वाली आईआरएन की पीढ़ी को 500 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार करने वाले, जीएसपी को और चुने हुए ईआरपी कोही इसकी अनुमति प्रदान की गई है।अब, ई-वे चालान एपीआई इंटरफेस का उपयोग करने वाले कर-दाताओं के लिए प्रत्यक्ष पहुंच को बढ़ाया जाएगा। आम तौर पर, बड़े व्यवसायी अपने आपूर्तिकर्ताओं और ग्राहकों को चालान की उत्पत्ति के लिए अपनी ईआरपी/एसएपी प्रणाली का उपयोग करने में सक्षम करेंगे। इसलिए, उनके आपूर्तिकर्ताओं और ग्राहकों को अपने एकीकरण चैनलों का उपयोग करने में सक्षम बनाने के लिए उन्हें विशेष सुविधा देने का निर्णय लिया गया है।

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एमजी/एएम/पीकेपी



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