आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय
पीएमएवाई-शहरी के तहत एफएआर, रियायती परियोजना वित्त, ट्रंक बुनियादी ढांचा सुविधाएं जैसे प्रोत्साहन/लाभ शहरी प्रवासियों/ गरीबों के लिए एआरएचसी योजना का एक हिस्सा हैं: श्री हरदीप सिंह पुरी
अंगीकार- परिवर्तन प्रबंधन के लिए अभियान पर एआरएचसी वेबसाइट और राष्ट्रीय रिपोर्ट लॉन्च की गई
सरकारी धन से बने मौजूदा खाली घरों कोउपयोग करके एआरएचसी लागू किया जाएगा।सार्वजनिक और निजी संस्थाओं द्वारा अपनी उपलब्ध खाली भूमि पर एआरएचसी का निर्माण संचालन और रखरखाव किया जा सकेगा
Posted On:
14 OCT 2020 5:25PM by PIB Delhi
आवास एवं शहरी मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि एफएआर,रियायती परियोजना वित्त, ट्रंक बुनियादी ढांचे जैसी नि:शुल्क सुविधाओं जैसे अनेक प्रोत्साहन और लाभ प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी के तहत शहरी प्रवासियों और गरीबों के लिए अफोर्डेबलरेंटल हाउसिंग कॉम्प्लेक्स (एआरएचसी) की योजना का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि यह पहल औद्योगिक और निर्माण कामगार बाजार, ट्रेड एसोसिएशन, शैक्षिक/ स्वास्थ्य संस्थानों, आतिथ्य क्षेत्र, दीर्घकालिक पर्यटकोंऔर छात्रों के साथ काम करने वाले शहरीप्रवासियों और गरीबों के विभिन्न समूहों को गरिमामयी और सस्ती रहने की जगह उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई है। श्री पुरी अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग कॉम्प्लेक्स पोर्टल के शुभारंभ पर एक वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने दिशा-निर्देश और गाइडबुक भी जारी की। आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय में सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा ने इस आयोजन केकार्यक्रम की कार्यवाही की अध्यक्षता की जिसके दौरान एआरएचसी अभिव्यक्ति की रुचि भी प्रकाशित हुई थी। इससे पहलेएक एआरएचसीनॉलेज पैक जिसमें राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों के साथ हस्ताक्षर किए जाने वाला अनुबंध ज्ञापन (एमओए) अंग्रेजी में परिचालन दिशा-निर्देश, राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों/यूएलबी (मॉडल 1 के तहत) द्वारा कंसेशनियर के चयन के लिए प्रस्ताव का मॉडल अनुरोध (आरपीएफ),मॉडल -2 के तहत संस्थाओं की छंटनी के लिए अभिव्यक्ति की रुचि का ड्राफ्ट एवं अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों (एफएक्यू) का एक एआरएचसी नॉलेज पैक शामिल था जिसे 31 जुलाई, 2020 को लॉन्च किया गया था।
कोविड-19 महामारी के कारण देश में श्रमिकों /शहरी गरीबों की बड़े पैमाने पर घर वापसी हुई। इससे आवास की समस्या का मुद्दा सबसे आगे आ गया। प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के आह्वान के अनुरूप केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 8 जुलाई, 2020 को शहरी प्रवासियों और गरीबों को सरल जीवन उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के तहत एक उप-योजना के रूप में अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग कॉम्प्लेक्स (एआरएचसी) को मंजूरी दी।
संबंधित केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों, राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों और अन्य निजी/ सार्वजनिक हितधारकों के साथ परामर्श के बाद एआरएचसीयोजना तैयार की गई है। एआरएचसीको लागू करने में सभी हितधारकों को सहायता प्रदान करने के लिए एकेपी (नॉलेज पैक) तैयार किया गया है। इस योजना के सफल कार्यान्वयन में निरंतर सहयोग मिलने से न केवल शहरी प्रवासियों/गरीबों को लाभ मिलेगा, बल्कि किराये के आवास बाजार में उद्यमिता और निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा और अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा। यह सभी के लिए अच्छा मॉडल है और इससे निजी संस्थाओं कीदिलचस्पी मजबूत होगी।
एआरएचसी को दो मॉडलों के माध्यम से कार्यान्वित किया जाएगा :
मॉडल-1 : सरकार द्वारा वित्तपोषित खाली पड़े घरों को इस्तेमाल करते हुए उन्हें सार्वजनिक निजी साझीदारी के माध्यम से या सरकारी एजेंसियों के द्वारा 25 साल की अवधि के लिए एआरएचसी में तब्दील किया जाएगा। इस योजना से सभी राज्यों/ संघ शासित प्रदेशों को विभिन्न केन्द्रीय/ राज्य सरकार की योजनाओं के अंतर्गत बनाए गए खाली पड़े घरों को एआरएचसी में परिवर्तित करने का अवसर मिलेगा। अनुकूलन और चयनित लाभार्थी (कंसेशनायर) को देने के लिए सभी राज्यों के साथ एक मॉडल आरएफपी को साझा कर दिया गया है।
मॉडल-2 : सरकारी/ निजी इकाइयों द्वारा अपने स्वामित्व वाली खाली जमीन पर 25 साल की अवधि के लिए एआरएचसी के निर्माण, परिचालन और रखरखाव किया जाएगा। विभिन्न उद्योगों, व्यापार संगठनों, विनिर्माण कंपनियों, शैक्षणिक/ स्वास्थ्य संस्थानों, विकास प्राधिकरणों, आवासीय बोर्डों, केन्द्रीय/ राज्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) और अन्य ऐसी इकाइयों की बड़ी मात्रा में अनुपयोगी पड़ी जमीन उपलब्ध है। उचित नीतिगत समर्थन उपलब्ध कराकर, उपयुक्त प्रावधान करके और प्रोत्साहन देने में सक्षम बनाकर, इन उपलब्ध भूखंडों को प्रवासियों/ गरीबों के लिए किफायती आवासीय इकाइयां विकसित की जा सकती हैं। इसके अलावा, एमओएचयूएअपनी खाली पड़ी जमीन पर एआरएचसी के निर्माण, परिचालन और रखरखाव के लिए यूएलबी द्वारा इकाइयों के चयन के लिए रुचि पत्र (ईओआई) जारी किया जाएगा।
इकाइयों के लिए इसे व्यवसाय का आकर्षक और व्यवहार्य अवसर बनाने के लिए केन्द्र सरकार किफायती आवास कोष (एएचएफ) और प्राथमिक क्षेत्र उधारी (पीएसएल) के अंतर्गत रियायती परियोजना वित्त, आयकर तथा जीएसटी में छूट और एआरएचसी में नवाचार प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहन के लिए प्रौद्योगिकी नवाचार अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अलावा, राज्य/ संघ शासित क्षेत्र बदलाव में स्वीकृति, बिना लागत के 50 प्रतिशत अतिरिक्त एफएआर/ एफएसआई, 30 दिन के भीतर सिंगल विंडो स्वीकृति, ट्रंक इन्फ्रास्ट्रक्चर सुविधा और आवासीय संपत्ति के बराबर निगम शुल्क की सुविधा उपलब्ध कराएंगे।
इस अवसर पर, श्री हरदीप एस. पुरी द्वारा ‘अंगीकार- 3सी श्रेणी- कम्युनिटी इंगेजमेंट, कन्वर्जेंस और कम्युनिकेशन के माध्यम से पीएमएवाई (यू) लाभार्थियों के लिए प्रबंधन में बदलाव का अभियान’ पर एक राष्ट्रीय रिपोर्ट पेश की। यह रिपोर्ट इस अभियान के अंतर्गत विभिन्न गतिविधियों का एक पुनः संग्रहण है। एक लघु फिल्म ‘अंगीकार 2019... एक संस्मरण’ भी जारी की गई, जिसमें अभियान के अभी तक के सफर को समाहित किया गया है। माननीय प्रधानमंत्री ने पीएमएवाई (यू) के अंतर्गत सभी बुनियादी सुविधाओं के साथ 2022 तक ‘हाउसिंग फॉर ऑल’ (सभी को घर) उपलब्ध कराने की परिकल्पना की थी और लाभार्थियों के एक पक्के घर में पहुंचने से आने वाले बदलाव के चलते सामने आने वाली समस्याओं के समाधान की जरूरत पर जोर दिया था। इस विजन के क्रम में 29 अगस्त, 2019 को विजन अंगीकार- अभियान पेश किया गया था।
अंगीकार के उद्देश्य और लक्ष्य स्वच्छता, स्वास्थ्य एवं सफाई पर गांधीवादी दर्शन के लोकाचार का पालन करते हैं। ये सुविधाएं लाभार्थियों को नए वातावरण का अभ्यस्त और उन्हें आत्मनिर्भर बनाती हैं। इसके अलावा, सामाजिक व्यवहार में बदलाव को प्रोत्साहन देने के लिए अभियान के माध्यम से शहरी मिशनों और अन्य केन्द्रीय योजनाओं को एक साथ मिलाया गया है। राज्यों/ संघ शासित क्षेत्र शहरी मिशनों और अन्य केन्द्रीय मंत्रालयों की योजनाओं के संमिलन के माध्यम से लाभार्थियों को विभिन्न सेवाएं उपलब्ध कराने में सक्षम हो गए हैं। 20 लाख से ज्यादा परिवारों ने विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाया है और एकजुट होकर स्वास्थ्य, स्वच्छता, सफाई, कचरा प्रबंधन, पर्यावरण जल और और ऊर्जा संरक्षण जैसी सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाओं को अपनाया है। पीएमएवाई (यू) के 4,427 शहरों में काम कर रहे सिटी लेवल टेक्निकल सेल (सीएलसीटी) के 2,200 विशेषज्ञों द्वारा लगभग 18,500 अंगीकार रिसोर्सेस पर्सन्स को प्रशिक्षित किया गया है। अभियान से बदलाव के प्रबंधन की क्षमता विकसित हुई है और कोविड-19 महामारी के चलते पैदा चुनौतियों का समाधान भी हुआ है।
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