प्रधानमंत्री कार्यालय

राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर प्रधानमंत्री का सम्बोधन और ग्राम सरपंचों से बातचीत का मूलपाठ

Posted On: 24 APR 2020 6:00PM by PIB Delhi

नमस्कार !!

 

आप सभी साथियों को पंचायती राज दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। कोरोना वैश्विक महामारी ने वाकई हम सभी के काम करने के तरीके को बहुत बदल दिया है। पहले हम लोग किसी कार्यक्रम में आमने-सामने मिलते थे, अब वही कार्यक्रम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हो रहा है।

 

इस वक्त देशभर के लाखों सरपंच और पंचायत सदस्य टेक्नॉलॉजी के माध्यम से जुड़े हुए हैं। आप सभी का बहुत-बहुत अभिनंदन !! आज अनेक पंचायतों को अच्छे कार्यों के लिए पुरस्कार भी मिले हैं। पुरस्कार विजेता सभी पंचायतों को, जनप्रतिनिधियों को भी बहुत-बहुत बधाई।

 

साथियों, पंचायती राज दिवस, गांव तक सुराज पहुंचाने के हमारे संकल्प को दोहराने का भी मौका होता है। और कोरोना संकट के इस दौर में इस संकल्प की प्रासंगिकता तो और बढ़ गई है। ये सही है कि कोरोना महामारी ने, हमारे लिए कई मुसीबतें पैदा की हैं।

 

लेकिन इससे भी बड़ी बात ये है कि इस महामारी ने हमें एक नई शिक्षा भी दी है, एक नया संदेश भी दिया है। आज इस कार्यक्रम के माध्यम से मैं देश के प्रत्येक नागरिक, चाहे वो गांव में हो या शहर में, उस तक ये संदेश पहुंचाना चाहता हूं।

 

साथियों, कोरोना संकट ने अपना सबसे बड़ा संदेश, अपना सबसे बड़ा सबक हमें दिया है कि हमें आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा।

 

गांव, अपने स्तर पर, अपनी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए आत्मनिर्भर बने, जिला अपने स्तर पर, राज्य अपने स्तर पर, और इसी तरह पूरा देश कैसे आत्मनिर्भर बने, अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हमें बाहर का मुंह नहीं देखना पड़े, अब ये बहुत आवश्यक हो गया है।

 

भारत में ये विचार सदियों से रहा है लेकिन आज बदली हुई परिस्थितियों ने, हमें फिर ये याद दिलाया है कि आत्मनिर्भर बनो। हमारे देश की ग्राम पंचायतों की इसमें बहुत बड़ी भूमिका है।

 

मजबूत पंचायतें, आत्मनिर्भर गांव का भी आधार हैं। और इसलिए पंचायत की व्यवस्था जितनी मजबूत होगी, उतना ही लोकतंत्र भी मजबूत होगा और उतना ही विकास का लाभ, आखिरी छोर पर खड़े व्यक्ति तक पहुंचेगा।

 

साथियों, इसी सोच के साथ सरकार ने पंचायती राज से जुड़ी व्यवस्थाओं को, इंफ्रास्ट्रक्चर को, आधुनिक बनाने के लिए निरंतर काम किया है। वरना 5-6 साल पहले एक दौर वो भी था जब देश की सौ से भी कम पंचायतें ब्रॉडबैंड से जुड़ी थीं। अब सवा लाख से ज्यादा पंचायतों तक ब्रॉडबैंड पहुंच चुका है।

 

इतना ही नहीं, गांवों में कॉमन सर्विस सेंटरों की संख्या भी तीन लाख को पार कर रही है।

 

सरकार ने भारत में ही मोबाइल बनाने का जो अभियान चलाया हुआ है, उसी का नतीजा है कि आज गांव-गांव तक कम कीमत वाले स्मार्ट फोन पहुंच चुके हैं। ये जो आज इतने बड़े पैमाने पर वीडियो कॉन्फ्रेंस हो रही है, इसमें इन सभी बहुत बड़ा योगदान है।

 

साथियों, गांव के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए, शहरों और गांवों में दूरी को कम करने के लिए, आज सरकार द्वारा दो बड़े प्रोजेक्ट और शुरु किए गए हैं। अभी जो वीडियो फिल्म चली है, आपने उसमें भी देखा है- एक है, e-ग्राम स्वराज पोर्टल और उसके App की लॉन्चिंग और दूसरा है स्वामित्व योजना की शुरुआत।

 

e-ग्राम स्वराज यानि Simplified Work Based Accounting Application for Panchayati Raj, ये एक प्रकार से ग्राम पंचायतों के संपूर्ण डिजिटलीकरण की तरफ एक बड़ा कदम है।

 

ये भविष्य में, ग्राम पंचायत के अलग-अलग कामों का लेखाजोखा रखने वाला सिंगल प्लेटफॉर्म बनेगा।अब अलग-अलग एप्लीकेशंस में अलग-अलग काम करने की ज़रूरत आपको नहीं पड़ेगी।

 

जैसा अभी बताया गया, इस पोर्टल पर, इस app पर, पंचायत के विकास कार्य की डिटेल से लेकर उसके लिए तय फंड और उसके खर्च से जुड़ी तमाम जानकारियां रहेंगी। इसके जरिए अब कोई भी व्यक्ति अपनी ग्राम पंचायत में हो रहे कामकाज की जानकारी रख पाएगा।

इससे ग्रामपंचायतों में पारदर्शिता-ट्रांसपेरेंसी भी बढ़ेगी, रिकॉर्ड रखने का काम भी ज्यादा सरल होगा और प्रोजेक्टस की प्लानिंग से लेकर कंप्लीशन की प्रक्रिया भी तेज़ होगी। आप कल्पना कर सकते हैं, e-ग्राम स्वराज के माध्यम से आप सभी को कितनी बड़ी शक्ति मिलने जा रही है।

 

साथियों, गांवों में प्रॉपर्टी को लेकर जो स्थिति रहती है, वो आप सभी भली-भांति जानते हैं। स्वामित्व योजना इसी को ठीक करने का एक प्रयास है। इस योजना के तहत देश के सभी गांवों में आवासों की ड्रोन से मैपिंग की जाएगी। इसके बाद गांव के लोगों को प्रॉपर्टी का एक मालिकाना प्रमाण पत्र यानि Title Deed दिया जाएगा।

 

स्वामित्व योजना से गांव के लोगों को एक नहीं अनेक लाभ होंगे। पहला तो यही कि प्रॉपर्टी को लेकर जो भ्रम की स्थिति रहती है वो दूर हो जाएगी। दूसरा इससे गांव में विकास योजनाओं की बेहतर प्लानिंग में और ज्यादा मदद मिलेगी। इसका एक और बड़ा लाभ ये होगा कि इससे शहरों की ही तरह गांवों में भी बैंकों से लोन मिलने का रास्ता और आसान हो जाएगा।

 

साथियों,

अभी उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड इन छह राज्यों में ये योजना प्रायोगिक तौर पर, एक बड़े एक्सपेरिमेंट के तौर पर, शुरु की जा रही है। इससे जो अनुभव मिलेंगें, जहां कमियों को ठीक करना होगा, जहां सुधार करना होगा, वो सब सुधार करने के बाद इस योजना को पूरे देश में लागू किया जाएगा।

 

साथियों, कभी-कभी मुझे लगता है कि जीवन की सच्ची शिक्षा की कसौटी, उसकी परीक्षा, संकट के समय ही होती है। Protective Environment में, बहुत देखरेख भरे माहौल में सच्ची शिक्षा का पता नहीं चलता, सच्चे सामर्थ्य का भी पता नहीं चलता। इस कोरोना संकट ने दिखा दिया है कि देश के गांवों में रहने वाले लोग, भले ही उन्होंने बड़ी और नामी यूनिवर्सिटी में शिक्षा न ली हो लेकिन इस दौरान उन्होंने अपने संस्कारों-अपनी परंपराओं की शिक्षा के दर्शन कराए हैं।

 

गांवों से जो अपडेट आ रहा है, वो बड़े-बड़े विद्वानों के लिए भी प्रेरणा देने वाला है। मेरे साथियों, ये काम आपने किया है, गांव के प्रत्येक व्यक्ति ने किया है, मेरे आदिवासी भाई-बहनों, खेत-खलिहान में काम करने वालों, फसल कटाई और बुवाई में जुटे साथियों, देश को प्रेरणा देने वाला ये काम आपने किया है।

 

आप सभी ने दुनिया को मंत्र दिया है- ‘दो गज दूरी’ का, या कहें दो गज देह की दूरी’ का। इस मंत्र के पालन पर गांवों में बहुत ध्यान दिया जा रहा है। दो गज दूरी’ यानि सोशल distancing बनाकर रखने से आप कोरोना वायरस को भी खुद से दूर रख रहे हैं, किसी संभावित संक्रमण से खुद को बचा रहे हैं। ये आपके ही प्रयास है कि आज दुनिया में चर्चा हो रही है कि कोरोना को भारत ने किस तरह जवाब दिया है।

 

साथियों, इतना बड़ा संकट आया, इतनी बड़ी वैश्विक महामारी आई, लेकिन इन 2-3 महीनों में हमने ये भी देखा है भारत का नागरिक, सीमित संसाधनों के बीच, अनेक कठिनाइयों के सामने झुकने के बजाय, उनसे टकरा रहा है, लोहा ले रहा है। ये सही है कि रुकावटें आ रही हैं, परेशानी हो रही है, लेकिन संकल्प का सामर्थ्य दिखाते हुए, नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ते हुए, नए-नए तरीके खोजते हुए, देश को बचाने का और देश को आगे बढ़ाने का काम भी निरंतर जारी है।

 

साथियों, इन परिस्थितियों में गांवों में जो हो रहा है, उसकी मैं अलग-अलग स्रोतों से निरंतर जानकारी ले रहा हूं। आज मैं आप में से कुछ साथियों से, कोरोना के दौरान हुए अनुभवों और आपके सुझावों के बारे में जानना चाहता हूं। तो आइए, चर्चा का ये सिलसिला शुरु करें। मुझे बताया गया है कि पहले जम्मू-कश्मीर चलना है।

 

मोहम्मद इकबाल, जम्मू कश्मीर के बारामुला से जुड़ रहे हैं। ये ब्लॉक पंचायत नारवाव के चेयरमैन हैं। इकबाल जी नमस्कार !!

इकबाल जी, आपके ब्लॉक में कोरोना के विरुद्ध लड़ाई कैसी चल रही है? आप लोग दो गज दूरी’ और साफ-सफाई के लिए और क्या कुछ कर रहे हैं?

 

 

इकबाल – नमस्‍कार सर, मैं जम्‍मू-कश्‍मीर से बारामूला ब्‍लॉक नारवाओ  से आपको बहुत हार्दिक दिल से अभिनंदन करता हूं। और आज इस अवसर पर, जो हमारा पंचायत दिवस है, इसकी मुबारकबाद देता हूं, सर। सर, हमारा इस वक्‍त हमारा जो नारवाओं में जो हम कोरोना वायरस से लड़ रहे हैं, जो आपने ऊपर से आदेश दिया है, directions दी हैं लॉकडाउन की, उसकी  implementation ground पर 100 पर्सेंट हो रही है। उसके लिए हमने तैयारियां पहले से कर रखी थीं जब आपने पहला एक दिन का लॉकडाउन किया था। तो उस दिन हमने ब्‍लॉक लेवल पर जो हमारे मेडिकल अफसर हैं, हमारा आर्इसीडीएस है, और पंचायत से एक हमने एक ऑर्डर निकाल दिया BDC’s ऑफिस से, तो हमने एक मीटिंग की और उस मीटिंग में हमने तीनों departments को, Asha workers, ICDS Workers और पंचायत PRI’s members हैं, उनको ट्रेनिग दिला दी। उनको हमने, जो हमारा कोरोना  को लेकरहमारे जो preventive measures के लिए inform किया।उसके बाद हमने उनको घर-घर अपने ब्‍लॉक में भेजा।

और मैं आपको एक हकीकत बता रहा हूं कि हमारे ब्‍लाक में कोई ऐसा घर नहीं होगा  जिसमें हमारी टीम, जिसमें हमारे पीआरआई, जिसमें हमारे मेडिकल और ICDS के workers  नहीं  गए, और हरेक घर को हर एक individual को aware किया कि कोरोना वायरस से कैसे बचा जा सकता है। हमारे ब्‍लॉक में आज तक सिर्फ एक पॉजिटिव केस आया लेकिन उसमें भी सबसे बड़ा reason ये है कि हमारी वहां पर पंचायत establish नहीं हुई है। Reason ये था कि हमारे वहां पर पंचाचत मेम्‍बर्स नहीं थे और वो केस हम trace out नहीं कर पाए।

लेकिन जितने भी बाकी गांव हैं, जितने बाकी blocks  हैं, district administration की मदद से, health department की मदद से हमने हरेक घर को, हरेक इंसान को travel history जिसकी थी, उसको identify किया, उनको क्‍वारंटाइन किया, उनको होम क्‍वारंटाइन किया और PRI’s को वहां पर ड्यूटी लगा दी। 24x7 hours  वहां पर ड्यूटी लगाई ताकि उनका जो होम क्‍वारंटाइन है वो successful हो जाये। हमारे ऊपर से जो हमारे district administration की directions category के लिए थी कि आपको चाहे किसी हद तक सख्‍ती करनी पड़े लेकिन कवारंटाइन जो लॉकडाउन है, इसको ग्राउंड पर successful करना है। हमारे पंचायत राज  यूथ एसोसिएशन के जितने भी members हैं, हमारी district administration की direction उन्‍होंने दी थी कि आपको ये actually जो really जो लॉकडाउन successful करना है वो PRI’s को करना है। तो उन्‍होंने roster बनाकर, वॉलिंयटर्स के साथ रोड पर रहकर लॉकडाउन को successful किया। दो संदेश दिए लोगों को, दो नारे दिए- Respect  all, suspect  all पहला नारा था. दूसरा हमारा नारा ये था कि सर, Stay Home Stay Safe.  और वो जब इन दो नारों पर चले, आजहमारे ब्‍लॉक में 99 पर्सेंट सिचुएशन अंडर कंट्रोल है, सर।

इकबाल – थैक्‍यू सर।

प्रधानमंत्री जी- आपने बातें बताईं, उससे लगता है कि आप खुद फील्‍ड में डटे रहते हो। खुद गांव-गांव जाते हो, उसी का नतीजा है कि आप इतनी बड़ी आसानी से चीज को समझ पाए हो ओर आपने human resources development हो, नियमों का पालन हो, बहुत बढ़िया ढंग से किया है। मुझे विश्‍वास है कि दो गज की दूरी- इस मंत्र को आप गांव-गांव, घर-घर और पूरे जम्‍मू-कश्‍मीर को भी आपसे सीखना चाहिए। मैं आपको बधाई देता हूं, बहुत उत्‍तम काम किया है और आपके ब्‍लॉक के सभी नागरिकों को भी मेरी तरफ से मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। और रमजान का महीना है, तो आपने जो मेहनत की है, उसके कारण रमजान का उत्‍सव भी, त्‍योहार बहुत अच्‍छे ढंग से नागरिक मना पाएंगे। तो आपने सचमुच में बहुत बड़ी सेवा की है।

आइए जम्‍मू-कश्‍मीर के बाद हम सीधे साउथ चलते हैं, कर्नाटक चलते हैं। कर्नाटक के चिक्‍काबालापुर से हमारे साथ श्री नवीन कुमार जी जुड़ रहे हैं।

नवीन कुमार – देश के प्रधान सेवक आपको ग्राम पंचायत की ओर से नमस्‍कार।

प्रधानमंत्री जी- क्‍या आजकल मुझे गांव के प्रधान से भी बात करने का सौभाग्‍य मिलता है? और दुनिया के बड़े-बड़े देश के बड़े-बड़ेप्रधान से भी बात करने का मौका मिल जाता है

नवीन कुमार – थैंक्‍यू सर। हमारी ग्राम पंचायत में कोई कोरोना पीड़ित व्‍यक्ति नहीं है और 14 लोगों को हमने होम क्‍वारंटाइन में रखा हुआ है। इनको पंचायत के द्वारा ही पानी, दूध, सब्‍जी, राशन आदि की व्‍यवस्‍था घर पर ही कर रहे हैं। आशा workers, स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के अधिकारियों और ग्राम पंचायत के सारे सदस्‍यों और स्टाफ का एक टास्‍क फोर्स रचा गया है। हर हफ्ते दो-चार बैठक बुलाकर कोरोना कैसे रोकें और इसके लिए क्‍या-क्‍या कोशिश कर सकते हैं, इसके बारे में चर्चा चलती है। IEC, सोशल डिस्‍टेंसिंग और सेनिटेशन के काम अच्‍छे से चल रहे हैं।

ये चार योजनाएं- जो प्रधानमंत्री गरीब कल्‍याण योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्‍मान योजना, उज्‍ज्‍वलI योजना और  पेंशन योजना के तहत पांच हजार से ज्‍यादा लाभार्थियों को लाभ हुआ है।

यहां के युवकों को प्रेरित करके ग्राम पुलिस रची हुई है। पंचायत की सीमा में चेकपोस्‍ट लगाकर इस ये सब ग्राम पुलिस काम कर रहे हैं। इससे लोगों का अनावश्‍यक संचार करना रोक डाला हुआ है। इससे कोरोना को एक राज्‍य से दूसरे राज्‍य तक पहुंचने नहीं दे रहे हैं। व्‍यक्तिक और सामुदायिक स्‍वच्‍छता के बारे में हर जगह में अच्‍छे से IEC हुई है और cleanliness भी हुई है।

लॉकडाउन की वजह से जो महाराष्‍ट्र से आए हुए 170 से अधिक कार्मिक थे, उन्‍हें हम एक पाठशाला में रखे हुए हैं। इन सभी को भोजन, पानी और medicines वगैरह की व्‍यवस्‍था की गई है और उन्‍हें भी कोई न कोई काम में हम उलझाए रखे हैं।

फल और सब्जियों के लिए एक बाजार की व्‍यवस्‍था की गई है। इससे किसानों को कोई आर्थिक लॉस नहीं हो रहा है। उनकी आर्थिक  स्थिति और मनोबल को बढ़ाया गया है। घर-घर में जिन-जिन को कोई भी मेडिसन की requirement है, उन्‍हें घर पर ही हम डॉक्‍टर से लाकर दे रहे हैं।

महात्‍मा गांधी राष्‍ट्रीय उद्योग योजना  के तहत पंचायत के श्रमिकों और किसानों वैयक्तिक कामगारी और जल संरक्षण की कार्यकारिणी में हम भाग लेने का अवसर कर रहे हैं। इससे ग्राम पंचायत में भी लोगों का मनोबल बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्री जी- नवीन जी आपके गांव की जनसंख्‍या कितनी है?

नवीन जी- 8,500 सर।

प्रधानमंत्री जी- यानी बड़ा गांव है। आप कितने साल से सरपंच हैं?

नवीन जी – First time, Sir.

प्रधानमंत्री जी – फर्स्‍ट टाइम बने हैं? लेकिन आप बहुत काम कर रहे हैं और बड़े systematically कर रहे हैं, प्‍लानिंग से कर रहे हैं। गांव वाले आपकी बात मानते हैं?

नवीन जी – यस सर।

प्रधानमंत्री जी – मानते हैं। चलिए, मेरी तरफ से आपको और आपके गांव को इतना उत्‍तम काम करने के लिए और सारी योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने के लिए, आर्थिक प्रगति भी इतने बढ़िया ढंग से चलाने के लिए मैं सचमुच में आपके नेतृत्‍व को, आपके इस प्रकार के vision को, और गांव की ताकत कैसी होती है, इसका दर्शन कराने के लिए मैं आप सबको बधाई देता हूं।

आइए हम बिहार चलते हैं।

बिहार के जहानाबाद जिले से ग्राम पंचायत घरनिया के प्रधान श्री अजय सिंह यादव हमारे साथ जुड़ रहे हैं। अजय जी नमस्‍कार।

अजय जी – नमस्‍कार, सर जी। मैं अजय सिंह यादव, मुखिया, पंचायत घरनिया, बिहार की ओर से हार्दिक अभिनंदन एवं वंदन करता हूं, सर।

प्रधानमंत्री जी- नमस्‍कार जी। लॉकडाउन का सर 22 तारीख का बंदी हुआ, उसके बाद सर चार दिन से लगातार अपने स्‍वयं से मार्किंग कर ग्राम पंचायत क्षेत्र में प्रचार किया, सर कि लॉकडाउन का पालन करना है और सामाजिक दूरी बनाना है कम से कम छह फीट की दूरी पर

प्रधानमंत्री जी – अजय जी लोगों को समझाइए, दो गज की दूरी।

अजय जी – दो गज की दूरी, सर?

प्रधानमंत्री जी – हां

अजय जी – गांव में सर ब्‍लीचिंग पाउडर छिड़कना है। घर-घर जाकर  आशा कार्यकर्ता, वार्ड पंच, सरपंच साहब प्रत्‍येक घर में साबुन दिया सर, शरीर और हाथ धोने के लिए सिखलाया सर, एक घंटा-आधा घंटा पहले से हाथ धोइए और जागरूक रहिए। होम क्‍वारंटाइन में 18 लोगों को रखा सर। उसको  भी पंचायत अपनी तरफ से सुविधाएं दे रही है सर। सर 30 बेड का एक होम क्‍वारंटाइन सेंटर बनाया। उसमें भी खाने पीने का,ANM की ड्यूटी लगाए हैं, चौकीदार का ड्यूटी लगाए हैं सर। एक ग्राम रक्षा दल हमने तैयार किया है सर 45 लोगों का। उसको भी सभी गांवों में सर, गांव की शुरूआत में बांस लगाकर बेरियर लगाए हैं सर ताकि गांव के व्‍यक्ति बाहर नहीं जाएं। जिसको जरूरी काम है वो ही बाहर जाए, जैसे एमरजेंसी काम के लिए या दवा लाने के लिए। और सर स्‍वास्‍थ्‍य विभाग और मेडिकल की ओर से गांव में आते हैं हफ्ते में दो बार सर। पंचायत सरकार के पास सर, उसमें भी हम लोग सहयोग के जनप्रतिनिधि सर, हमेशा सर तीन दिन पर मीटिंग करते हैं। पांच से दस मुखिया, सरपंच, ग्राम पंचायत और पंचायतकर्मी।

प्रधानमंत्री जी – अच्‍छा अजय जी, आपकी पंचायत से भी अनेक प्रवासी साथी दूसरे शहरों से घर लौटे होंगे, जो नहीं आ पाए वो भी आना चाहते होंगे।

अजय जी- जी, आना चाहते हैं सर, पर हम ऐसे रोक दिए हैं कि जहां हैं वहीं रहिए, लॉकडाउन पूरा खुलेगा तब आना है भाई। क्‍योंकि 14 दिन हम स्‍कूल में रखते हैं। वो कहते हैं कि नहीं मुखिया जी हम रहेंगे अभी बाहर, जब खुलेगा तब आएंगे। 14 दिन नहीं रहेंगे।

प्रधानमंत्री जी- यानी आपकी बात मानते हैं सब लोग?

अजय जी – हां, मानते हैं, सर।

प्रधानमंत्री जी- चलिए, आप सब सुरक्षित रहें और जो लोग शहरों में हैं वो भी सुरक्षित रहें, उनके मन शांत रहें। आप जरूर उनसे फोन पर बातें करते रहिए। ताकि शहर में थोड़ा उनको तकलीफ जरा मन को ज्‍यादा होती है। घर याद आता है, मां-बाप याद आते हैं, जो स्‍वाभाविक भी है। लेकिन ऐसे समय गांव से अगर लोग उनसे बात कर लेते हैं तो उनका मन थोड़ा हल्‍का हो जाता है। और आज जो काम कर रहे हैं, इसके लिए मैं बधाई देता हूं।

आइए हम उत्‍तर प्रदेश, बस्‍ती चलते हैं। बस्‍ती ग्राम पंचायत नक्‍तीदेही की प्रधान बहन वर्षा सिंह हमारे साथ जुड़ रही हैं। वर्षा जी नमस्‍ते। 

वर्षा जी – नमस्‍ते सर। मैं अपने ग्राम पंचायत वासियों की तरफ से आपको नमस्‍ते करती हूं। और पंचायती राज दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं। 

प्रधानमंत्री जी – बस्‍ती में लॉकडाउन का पालन ठीक से हो रहा है?

वर्षा जी –सर, मेरे गांव में पूरी तरह लॉकडाउन का पालन हो रहा है और मैं आशा बहन, आंगनवाड़ी बहन और ANMs के माध्‍यम से लोगों को घर-घर जाकर जागरूक करवा रही हूं कि लॉकडाउन का पालन करें, सोशल डिस्‍टेंसिंग का पालन करें और घर में रहें।

प्रधानमंत्री जी – आप कितने समय से प्रधान हैं?

वर्षा जी – सर, मैं फर्स्‍ट टाइम प्रधान नहीं बनी हूं। इससे पहले भी मैं प्रधान के रूप में  किया था।

प्रधानमंत्री जी – जब केंद्र सरकार की योजनाएं जो बनाई हैं पीएम गरीब कल्‍याण योजना बगैरह, पीएम किसान सम्‍मान निधि, ये सब पहुंच गई हैं तो वहां कैसे कर रहे हैंआप लोग।

वर्षा जी – सर, हमारे यहां उज्‍ज्‍वला योजना के अंतर्गत जो 25 लाभार्थी हैं, किसान सम्‍मान निधि में 155 लाभार्थी हैं और जो रजिस्‍ट्रेशन की गई है उसके अंतर्गत 10 लोग हैं और जन-धन योजना के तहत 50 लोग हैं, जिनको लाभ दिया गया है।

प्रधानमंत्री जी – लोगों का अनुभव कैसा है, संतोष है उन सबको?

वर्षा जी – सर, बहुत ही संतुष्‍ट हैं लोग। आपके लॉकडाउन का, निर्देशों का बहुत अच्‍छीतरह से पालन कर रहे हैं और लोग अपने-आपको बहुत सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन लोगों की सोच है कि हम घर में ही सुरक्षित हैं क्‍योंकि ये कोरोना वायरस एक ऐसी बीमारी है जिसका कोई सटीक इलाज नहीं है। बस इसमें यही इलाज है कि हम घर में रहें, सुरक्षित रहें, सामाजिक दूरी- दो गज की दूरी पर रहें। घर में ही सोशल डिस्‍टेंसिंग का पालन करे।

प्रधानमंत्री जी – देखिए, कोरोना वायरस बड़ा‍ विचित्र वायरस है लेकिन उसकी एक विशेषता भी है। वो अपने-आप किसी के घर नहीं जाता है, अपने-आप कहीं नहीं जाता है। अगर आप उसको बुलाने जाएंगे, अगर आप उसको लेने जाएंगे, वो फिर आपके साथ घर में घुस जाएगा। फिर वो घर में किसी को छोड़ता नहीं है। और इसलिए दो गज की दूरी ये मंत्र गूंजते रहना चाहिए। दो गज की दूरी की दूरी रख करके ही बात करेंगे, दो गज की दूरी की दूरी रख करके ही खड़े रहेंगे, दो गज की दूरी की दूरी हमेशा बनाए रखेंगे। जैसे छाता ओढ़ते हैं ना, अगर मैंने एक छाता ओढ़ा और सामने वाले ने छाता ओढ़ा है तो दो गज की दूरी अपने-आप हो जाती है। तो ये बनाए रखेंगे तो मैं समझता हूं ये संकट की घड़ी में मुझे अच्‍छा लगा कि...।

अच्‍छा आपके यहां गांव के लोगों को, क्‍योंकि पहले तो ऐसा कहते थे कि भई दिल्‍ली एक रुपया निकलता है तो 15 पैसा ही पहुंचता है। आजकल एक रुपया निकलता है तो 100 के 100 पैसे उसके बैंक के खाते मे जमा हो जाते हैं। तो गांव वालों को कैसा लगता है जब पूरे पैसे मिल रहे हैं तो?

वर्षा जी –गांव वाले बहुत संतुष्‍ट हैं, सर।

प्रधानमंत्री जी – क्‍या बोलते हैं?

वर्षा जी – बोलते हैं, जबसे ये सरकार आई है तब से सारे लाभ सबको पूरी तरह से, अच्‍छी तरह से मिल पा रहे हैं।

प्रधानमंत्री जी – चलिए, वर्षा जी, आप बहुत अच्‍छा काम कर रहीं हैं। हां, बताइए कुछ कह रही थीं आप।

वर्षा जी – सर, गांव में ये चर्चा हो रही है कि इस संकट की घड़ी में कोरोना जैसी जो वैश्विक बीमारी है, आप जैसे प्रधानमंत्री नहीं होते तो देश का क्‍या होता। सर, जिस क्षेत्र में भी जाते हैं हर जगह यही चर्चा हो रही है, हम लोग अपने बीच में यही चर्चा करते हैं।

प्रधानमंत्री जी – बस वर्षा जी दो गज की दूरी, हम सबको बचाएगी दो गज की दूरी। खैर मुझे अच्‍छा लगा, गांव वालों को संतोष है। क्‍योंकि सरकार और जनता के बीच जब विश्‍वास होता है तो कितने ही बड़े संकटों को हम पार कर लेते हैं। और इस बार जो हम लड़ाई जीत रहे हैं, उसका कुल कारण विश्‍वास है। सबसे बड़ी ताकत विश्‍वास है। खुद पर भी विश्‍वास है, व्‍यवस्‍थाओं पर भी विश्‍वास है और विकल्‍प है कि हमें संकट से निकलना है।

आइए, पंजाब की ओर चलते हैं। पंजाब, पठानकोट की ग्राम पंचायत हाड़ा की सरपंच बहन पल्‍लवी ठाकुर हमारे साथ मौजूद हैं। पल्‍लवी जी नमस्‍कार।

पल्‍लवी जी – नमस्‍कार, सर। आपको मेरी तरफ से और मेरी पूरी पंचायत की तरफ से हार्दिक अभिनंदन। मैं सरपंच ग्राम पंचायत हाड़ा से, जो कि एक बैकवर्ड एरिया है और एक बॉर्डर का एरिया है, तो सर, जैसे कि अभी कोरोना वायरस चल रहा है तो इसके चलते हुए हमारे गांव में हमारे गांववासी और हमारे गाव के युवाओं का जो सबसे बड़ा सहयोग है। जोकि आपके द्वारा दिए गए संदेश का पालन कर रहे हैं- घर पर रहिए। तो सर, इसके लिए हमने गांव में बहुत अच्‍छे  इंतजाम किए हुए हैं। अपने गांव के दोनों प्रवेश द्वारों पर नाके लगाए हुए हैं, जिसमें मैं खुद भी जाती हूं और मेरे गांव के जितने भी पंच हैं और जो उनके साथ हमारे युवा हैं, वो सब वहां पर पहरा दे रहे हैं ताकि न कोई गांव से बाहर जा सके बिना काम से और न ही कोई गांव के अंदर आ सके। और इसके बाद जो हमने घर-घर जाकर लोगों को इसके बारे में थोड़ी जानकारी भी दी है। वैसे तो सर, जो 22 को लॉकडाउन र्स्‍टाट हुआ था, हमारे जो पंजाब गर्वनमेंट की तरफ से उसी दिन जो 31 तक जो लॉकडाउन एनाउंस कर दिया गया था, काफी लोग हैं जो उसी टाइम इस चीज की पालना कर रहे थे कि लॉकडाउन है तो अपने-अपने घर पर रहिए। और हमारे द्वारा, पूरी पंचायत के द्वारा जो लोगों को समझाया गया है- अपने घर पर रहिए और अपने-अपने घर में भी अगर आप बैठते हैं, दूरी बनाकर बैठिए, टाइम टू टाइम अपने हा‍थ धोइए और हाथ-मुंह-आंखें जो हैं इनको बार-बार आप छुएं ना।

तो सर, जैसे कि अभी हमारे पंजाब में भी फसलों की कटान का सीजन चल रहा है तो सबसे ज्‍यादा हमें आवश्‍यकता इस चीज की देखनी है, जैसे कि अभी कटान चल रही है तो पंजाब सरकार की तरफ से जो कुछ विशेष नियम पालन उनको मतलब बताया गया है लोगों को कि आपको ये नियम जो हैं इनकी पालना करनी है। जैसे कि कटान के समय आपको दो-दो मीटर की दूरी पर बैठना है। अगर आप जब कटान करते हैं और बार-बार हाथ धोने हैं, उसमें। उसमें भी सर, उसके कुछ और भी विशेष और भी प्रबंध किए गए हैं। जैसे कि फसलें आती हैं, उनको मंडी में कैसे ले जाना है। सर, ये सारे प्रबंध जो हैं जैसे चार और पांच गांव के मिलाकर एक मंडी बनाई गई है जहां पर क्‍या होगा, जो कि किसान हैं वो पहले होलोग्राम पर्ची लेंगे उसके बाद ही वो मंडी में जा सकते हैं। अगर होलोग्राम पर्ची उनके पास होगी तभी वो मंडी में जाएंगे और उनको ये भी हमने बताया है कि आपको जो है ट्रैक्टर पर जो है सिर्फ 50 क्विंटल कनक जो एक बार मंडी में आप ले जा सकते हैं। और ट्रैक्‍टर पर सिर्फ एक ड्राइवर और उनके साथ एक सहयोगी होगा। वो भी आपस में जो है सामाजिक दूरी का विशेष ध्‍यान रखें।

प्रधानमंत्री जी- पल्‍लवी जी, आपने इतना बढ़िया ढंग से बता दिया। मैं सबसे ज्‍यादा तो आपका अभिनंदन करता हूं कि आपने इतने बढ़िया तरीके से इस सारे संकट के समय अपने गांव को संभाला है और गांव वाले आपकी बात मानते हैं। आपकी बात सही है- किसान का स्‍वस्‍थ रहना बहुत जरूरी है। क्‍योंकि वो हमारा अन्‍नदाता है और नि:स्‍वार्थ भावना से पूरे देश का पेट पालता है। ये किसान और पशुपालक साथी ही हैं जिन्‍होंने पूरे लॉकडाउन के कारण देश को जरूरी अनाज की, दूध, फल, इसकी कमी नहीं होने दी है। मैं इनके इस हौसले की भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं। हां- तारीफ के साथ ही मेरी आप सभी से एक प्रार्थना भी है कि पंजाब हो, हरियाणा हो, देश का किसान और पल्‍लवी जी मुझे लगता है कि पठानकोट हो, गुरदासपुर हो, जैसे डेक्‍स के खिलाफ मैंने देखा है कि प्रधान गोडो गुरदासपुर की बहनें जब मैं वहां संगठन का काम करता था तो मेरा कई गांव की माताओं-बहनों से संपर्क रहता था। वो हमेशा मुझे कहती कि हमारे नौजवानों को ड्रग्‍स वगैरह से बचाइए। बहुत चिंता करती थीं। जैसे वो एक काम है, वैसे हमारी इस धरती माता को बचाना हमारे किसानों के उज्‍ज्‍वल भविष्‍य के लिए, हमारे देश के ना‍गरिकों के उत्‍तम स्‍वास्‍थ्‍य के लिए, हमारी आने वाली पीढ़ियां कमजोर पैदा न हो इसलिए भी हमें गांव-गांव किसानों को समझाना होगा कि यूरिया का उपयोग कम करें। यूरिया के कारण बहुत बड़े संकट आ रहे हैं। यूरिया से हमारी मिट्टी, हमारे जलउस पर बहुत विपरीत असर होता है।

 

 

 

 

 

 

और इसलिए पल्‍लवी जी, आप जैसे प्रधान गांव वालों को समझाएं कि भई अब गांव में पहले अगर 10 थैली आता था यूरिया तो अब पांच थैली आएगा, पहले 100 थैली आता था तो अब 50 थैली आएगा, हम आधा कर देंगे। आप देखिए, पैसा भी बचेगा और ये हमारी धरती माता भी बचेगी।

तो मैं चाहूंगा कि जब पंजाब के किसानों से बात हो रही है और पल्‍लवी जैसे प्रधान से बात हो रही है तो मुझे पक्‍का विश्‍वास है कि आप वो काम करोगी और मेरी ओर से आपको बहुत बधाई, बहुत शुभकामनाएं।

आइए हम महाराष्‍ट्र में चलते हैं। मेदन करवाड़ी ग्राम पंचायत की प्रधान बहन प्रियंका हमारे साथ हैं। प्रियंका जी नमस्‍कार।

प्रियंका जी – नमस्‍कार सर।

प्रधानमंत्री जी –बताइए प्रियंका जी,  हमने कोरोना का जबसे आपने लॉकडाउन किया, उसके बाद से 26 तारीख से sodium hypochlorite से पूरा गांव सेनेटाइज किया। उसके बाद हमने सेनेटाइजर टनल, दो जगह पर जहां पर ज्‍यादा आवाजाही लोगों की रहती है, वहां पर सेनेटाइजर्स  सैनिक बैठाया। उसके बाद हमने जो सेनेटाइजर हर कोई महिला और हर कोई घर में नहीं जा सकता तो इसीलिए हमने हर घर में साबुन का डिस्‍ट्रीब्‍यूशन किया। उसके बाद जब हमारे गांव के अंदर जो स्किल इंडिया महिलाओं ने प्रशिक्षण लिया था सिलाई का, उन महिलाओं को हमने मास्‍क बनाने का काम दिया। जो SHG है उनको हमने इस प्रकार के मास्‍क बनाने का काम दिया जो उन्‍होंने 5 हजार मास्‍क इस टाइप के बनाए हैं। इसका डिस्‍ट्रीब्‍यूशन हम पूरे गांव में कर रहे हैं। इसके साथ ही हमारा एरिया आता है जो semi urban एरिया है या फिर ज्‍यादा ही industries के पास है, तो हमने walk को लोग आते हैं, इसके लिए हमने एक टाइम निर्धारित किया है, उसके बीच में हम स्‍ट्रीट लाइट बंद रखीं तो उसका हमें बहुत फायदा हुआ और सोशल डिस्‍टेंसिंग रखने के लिए एक असरकारक उपाय साबित हुआ।

इसके साथ ही हमने जो दुकान है उसके सामने एक सर्कल की मार्किंग की जिससे हम सोशल डिस्‍टेंसिंग रखने में कामयाब हुए। इसके साथ ही जो किराना की दुकानें और सब्‍जी की दुकानें थीं, उसके लिए हमने alternate days बिक्री का चालू किया कि तीन दिन राशन की दुकान खुली रहेंगी और तीन दिन सब्‍जी की दुकान खुली रहेंगी। जिसके कारण लोगों की आवाजाही सीमित करने में बहुत ज्‍यादा मदद हुई।

इसके साथ ही जो हाउसिंग सोसायटीज थीं और जो किसान थे, उनके बीच कोऑर्डिनेशन करके एक पीएमसी के द्वारा हमने वॉलयंटियर लगाकर वो सब्‍जी और अनाज वहां की हाउसिंग सोसायटीज में पहुंचाने का काम किया, उसकी बिक्री की। इससे किसानों का बहुत फायदा हुआ। इसके साथ ही हमने महिला सुरक्षा के लिए और महिला के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हमारे गांव में सात हजार sanitary नैपकिन का आशा वर्कर्स के throughsanitaryनैपकिन पूरे गांव में बांटे। हरेक महिला को, हरेक युवती को हमने नैपकिन दिए। इसके साथ ही हमने होम क्‍वारंटाइन की फैसिलिटी भी र्स्‍टाट की कि अगर कुछ हमारे यहां पर संदिग्‍ध पाए जाते हैं तो होम क्‍वारंटाइन के लिए सुविधा हम ले सकते हैं। उसके लिए हमने होम क्‍वारंटाइन की सुविधा हमने आरंभ की। इससे हमें बहुत फायदा हुआ

दूसरी बार हमने फिर से गांव को सेनेटाइज किया, अभी जब लॉकडाउन बढ़ा था उसके साथ ही हमने फिर से सारा सेनेटाइज किया। तो इन सब उपायों से, सोशल डिस्‍टेंसिंग रखने से हमें बहुत ज्‍यादा फायदा हुआ है।

प्रधानमंत्री जी – प्रियंका जी, अब तो गाव वाले थक गए होंगे? लोगों को गुससा आता होगा, ये मोदीजी कैसे हैं, इतने दिनों से बंद करके रखा है।

प्रियंका जी – उन्‍हें घर में रहने की आदत नहीं है इसलिए गांव वाले थक गए हैं, लेकिन उनको पता है कि हमारे देश के प्रधानमंत्री जो कर रहे हैं, वो हमारे ही स्‍वास्‍थ्‍य के लिए कर रहे हैं, हमारे देश के लिए कर रहे हैं, तो लोग समझते हैं।

प्रधानमंत्री जी – आपके गांव की जनसंख्‍या कितनी है, प्रियंका जी?

प्रियंका –50,000

प्रधानमत्री जी – मैं समझता हूं कि काम को, Farm  Produce और  का काम जिसको भारत सरकार काफी मदद कर रही है। ये जितना बल मिलेगा, आपके गांव के किसानों को बहुत बड़ी ताकत मिलेगी।

उसी प्रकार से ई-नाम। ई-नाम भी टेक्‍नोलॉजी के माध्‍यम से देश के हर कोने में हमारे किसान को अच्‍छा मार्केट मिल सकता है। और किसान को अब भरोसा होने लगा है। और आप जैसे पढ़े-लिखे प्रधान हैं तो मैं पक्‍का मानता हूं कि आधुनिक व्‍यवस्‍थाओं को आप अपने गांव में ला सकते हैं।

उसी प्रकार से गर्वंमेंट ई-मार्केट प्‍लेस, GeM- मैं चाहता हूं कि GeM  पोर्टल पर आपके गांव में जो महिला बचत गठ है, और छोटे-छोटे उद्यमी हैं- जो चीजें बनाते हैं, उन्‍हें वो सीधे भारत सरकार को बेच सकते हैं कोई टेंडर-वेंडर का चक्‍कर नहीं है। कोई कमीशन नहीं है, कुछ नहीं है, सीधा वो GeMपोर्टल पर करें। तो आप जैसे पढ़े-लिखे प्रधान हैं तो एक अच्‍छी टोली बना करके टेक्‍नोलॉजी के माध्‍यम से आपके गांव की बहनों को, वो जो उत्‍पादन करते हैं, उनको मार्केट मिले, तो सारी सुविधाएं उपलब्‍ध हैं।

हां कुछ कह रही थीं प्रियंका जी आप?

प्रधानमंत्री जी – सर, ई-नाम जो नेशनल लेवल मार्केट है, और किसानों के लिए हमने जो यहां पर पंचायत के ऑपरेटर हैं, उनके साथ कॉर्डिनेशन के द्वारा हम उस पर भी काम कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री जी – चलिए, मेरी तरफ से आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं

प्रियंका - नहीं सर, आपके लिए कुहना चाहूंगी।

प्रधानमंत्री जी – जी बताइए।

प्रियंका – जिस तरह आप पूरे देश, पूरी दुनिया को राह दिखा रहे हैं, कि कोरोना के संकट का कैसे सामना किया जाए, तो मैं कुछ पंक्तियां आपके लिए कहना चाहूंगी‍।

प्रधानमत्री – जरूर बताइए।

प्रियंका –

कोशिश जारी है और हिम्‍मत बरकरार है,

सिर है इस दुनिया पर छाने का फितूर।

मुझे किसी पर भरोसा नहीं, मुझे मेहनत पर भरोसा है,

एक न एक दिन ये हालात बदलेंगे जरूर।

प्रधानमंत्री जी – वाह, चलिए आपके शब्‍दों में भी विश्‍वास है, वो देश की भावना का प्रतिबिम्‍ब है, मेरी तरफ से बहुत शुभकामनाएं।

आइए हम पूरब की तरफ चलते हैं, आसाम की तरफ चलते हैं। आसाम के कचार जिले कि‍  ग्राम पंचायत छोटा-दूधपाटिल, यहां के प्रधान श्रीमान रंजीत सरकार जी हमारे साथ हैं। रंजीत जी नमस्‍कार।

रंजीत जी – नमस्‍कार सर। सर, सबसे पहले मैं लॉकडाउन घोषित करने के आपके असम राज्‍य से सब साथ मैं अपना पक्ष रखता हूं1

प्रधानमंत्री जी  - चलिए बहुत हो गया, आसाम के लोग नाराज हो गए होंगे। क्‍योंकि मैंने उनका बिहू इतना बड़ा आनंद उत्‍सव और मोदीजी ने लॉकडाउन कर दिया। इस बार तो कोरोना के कारण बिहू भी लोग सीमित स्तर ही मना पाए। कोरोना के खिलाफ देश की इस लड़ाई में असम के लोगों का ये संयम बहुत प्रशंसनीय है। असम में तो मैं देख रहा हूं कि हमारे गांव की बहनें, गमछे से मास्क बनाने में जुटी हुई हैं। जो स्वास्थ्य कर्मी चेक करने के लिए आ रहे हैं, उनको मदद देने के लिए आपकी पंचायत क्या काम कर रही है?

 

रंजीत सरकार – लॉकडाउन, आप जो काम किया है सर, वो अच्‍छा काम किया है। देश की रक्षा करने के लिए काम किया है सर।पीएम सर, हमारी पंचायत की ये कोशिश है कि अपने गांव को कोरोना से बिल्कुल सुरक्षित रखा जाए। बाहर से आने वालों पर नजर रखी जा रही है। यहां आशा कार्यकर्ता और दूसरे मेडिकल से जुड़े लोग सर्वे पर आते हैं। मेडिकल के इन साथियों को घर-घर तक पहुंचाने में और ज़रूरी जानकारी जुटाने में हमारी पंचायत की टीम से पूरी मदद की जा रही है। आपने डॉक्टरों और दूसरे हेल्थ वर्कर्स की सुरक्षा के लिए जो नया कानून बनाया है, उसके लिए पूरी पंचायत की तरफ से मैं आपको आभार व्यक्त करना चाहता हूं। इसकी बहुत ज्यादा ज़रूरत थी। हमारी पंचायत उन लोगों की भी मदद कर रही है जिनके पास इस समय काम नहीं है। केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से जो भी मदद दी जा रही है, उसको तेज़ी से लोगों तक पहुंचाया जा रहा है।

 

​प्रधानमंत्री जी: रंजीत जी, आपने बहुत उत्‍तम तरीके से बात बताई। मैं आपको बधाई देता हूं और सभी आसामवासियों को भी मेरी तरफ से बधाई। बहुत-बहुत धन्‍यवाद आपका।

ये बहुत अच्छी बात है रंजीत जी।

आपको और आपकी टीम को अभी बहुत काम करना है। जहां तक आपने हेल्थ वर्कर की प्रोटेक्शन को लेकर नए कानून की बात की तो, मैं चाहूंगा कि इस कानून के उपयोग की ज़रूरत ही ना पड़े।

हमें अपने कोरोना योद्धाओं को काम करने देना है, उनको सम्मान देना है, क्योंकि वो अपने लिए नहीं हमारे लिए मैदान में हैं।

साथियों,आपके साथ ये जो सार्थक बातचीत से न सिर्फ मुझे, लेकिन देश के जो भी  नागरिक आज आपको सुन रहे हैं, सभी देशवासियों को संतोष हुआ होगा। उनके अंदर एक नया विश्‍वास पैदा हुआ होगा कि दूर-सुदूर गांव में हमारे लेागों ने कैसे देश को संभाला हुआ है। देश के उज्‍ज्‍लव भविष्‍य के लिए कैसे बढ़िया काम कर रहे हैं। और शायद समय ज्‍यादा होता और मैं सबको सुन पातात्र कितना आनंद आता, कितनी नई-नई चीजें मिलतीं। लेकिन मैं जब लाखों की तादाद में पंच-सरपंच मेरे सामने हैं, इस टेक्‍नोलॉजी के माध्‍यम से जुड़े हैं। भले ही मैं आप सबको सुन नहीं पाया हूं, लेकिन जिन कुछ प्रधानों ने अपने अनुभव बताए, उसमें एक प्रकार से आपकी भावनाएं प्रकट हुई हैं। लेकिन उसके बावजूद भी आपने कोई ऐसे विशेष प्रयास किए हों, प्रयोग किए हों, अपने गांव को बचाया हो; अगर मुझे लिख करके भेजेंगे तो मुझे बहुत अच्‍छा लगेगा।

आप सभी इस मुश्किल परिस्थिति में भी गांवों में जीवन को सुरक्षित और आसान बनाने में नेतृत्‍व कर रहे हैं, जिम्‍मेदारी निभा रहे हैं। हम सबने सुना है, बचपन से सुनते आए हैं।  महात्मा गांधी एक बात बार-बार करते थे, महात्‍मा गांधी  कहा करते थे कि – ‘’मेरे स्वराज की कल्पना का आधार ग्राम स्वराज ही है

इसलिए, ग्राम पचायतें हमारे लोकतंत्र की एकजुट शक्ति का केंद्र हैं। हमारी लोकतान्त्रिक एकजुटता का यही सबसे बड़ा ताकतवर केंद्र हैं। और हमारे यहाँ तो शास्‍त्रों में कहा गया है- ''संघमूलम् महाबलम् अर्थात् बड़ी से बड़ी शक्ति का केंद्र, संगठन या एकजुटता में ही होता है।

और इसलिए आज की परिस्थिति में देश को आगे ले जाने की शुरुआत, देश को आत्मनिर्भर बनाने की शुरुआत, गाँव की सामूहिक शक्ति से ही होगी, आप सबकी एकजुटता से ही संभव होगी।

इन प्रयासों के बीच हमें ये याद रखना है कि किसी एक की भी लापरवाही पूरे गांव को खतरे में डाल सकती है। इसलिए ढील की ज़रा भी गुंजाइश नहीं है।

गाँव में sanitization अभियान हो, शहरों से आने वाले लोगों के लिए इतने कम समय में quarantine centersबनाने का काम हो, हर एक व्यक्ति के खान-पान और जरूरतों की चिंता हो, या फिर आम लोगों को जागरूक करने का काम हो; ये काम हमें निरंतर बिना रुके, बिना थके करना है।

और जैसे इकबाल जी ने अभी बताया, जम्‍मू-कश्‍मीर के अपने साथी ने respect भी करो suspect भी करो। मैं समझता हूं, गांव में बुजुर्ग, दिव्यांग या फिर बीमार लोगों की सबसे पहली पहुंच, उसको कुछ भी कठिनाई होगी तो पहले आपके पास आएगा, इसलिए पहला समाधान भी गांव के पंच और गांव के प्रधान के पास ही होना चाहिए।

हमें ये ध्यान रखना है कि शारीरिक दूरी, दो गज की दूरी,ये मंत्र भूलना नहीं है।  गांव-गांव, घर-घर- गली-गली दो गज की दूरी- ये शारीरिक दूरी, साथ-साथ मुंह को फेसकवर, जरूरी नहीं हैं कि बड़े  महंगे वो हों, ऐसा गमछा भी चल जाता है, लेकिन ये लगातार होना चाहिए, या मास्क से ढंकना, हाथों की बार-बार साफ-सफाई की बात हो, आने वाले दिनों में भी हमारे लिए इस बीमारी से बचने का यही बड़ा रास्‍ता है, यही एक दवाई।

हमें बचाव और स्वच्छता पर ज्यादा बल इसलिए भी देना है क्योंकि गर्मी और बरसात के मौसम में अनेक प्रकार की बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। और हमारे बारिश के दिन आने की शुरूआत होने वाली है। इस बार कोरोना बीमारी ने इस खतरे के लिए और अधिक चिंता का कारण बना दिया है। इसलिए हमें बहुत सतर्क रहते हुए अपने गांव को बचाना है।

साथियों, हमारा अतीत का अनुभव बताता है कि बीमारियों और उनके इलाज के बारे में गलत जानकारियों की वजह से हमें बीमारियों को रोकने में काफी दिक्‍कत आती है, काफी समय चला जाता है। इस बार हमें ऐसा नहीं होने देना है। हमें हर प्रकार की गलतफहमी से लोगों को बाहर निकालना है।

हर परिवार तक सही जानकारी- चाहे वो बचाव को लेकर हो या फिर इसके इलाज के लिए, ये जानकारी पहुंचनी ही चाहिए। इसके लिए आप छोटी-छोटी टोलियां बनाकर, और मैंने सुना, कई सरपंचों ने कहा, उन्‍होंने गांव में  छोटी-छोटी टोलियां बना दीं अलग-अलग, काम के लिए लोगों को संगठित कर दिया है, टोलिया बनाकर  जागरूकता के अभियान को तेज़ कर सकते हैं। आशा हैं, ANMहैं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ हमारे यहां सेल्फ हेल्प ग्रुप हैं, उसकी बहनें हैं, युवा मंडल है,पूर्व सैनिक हैं, दूसरे संगठनों से भी कई लोग आए हैं, धार्मिक, सामाजिक, सांस्‍कृतिक, ये संगठन भी हैं।  हर किसी की मदद लेनी चाहिए। हर किसी को जोड़ना चाहिए।

साथियों, मैं सोशल मीडिया पर देख रहा था, खान-पान को लेकर भी कुछ लोग तरह-तरह की बातें करते हैं। इससे भी तमाम अफवाहें उड़ती हैं, जिससे हमें सतर्क रहना है। हम जो भी खाएं वो खूब धोकर और खूब पकाकर खाएं, इस बात को हमें गांव-गांव में बताना है। और हां, गांव में कई अच्छी परंपराएं भी होती हैं, जिनको हमें और प्रोत्साहित करना है।

जैसे, हमारे यहां आयुर्वेदिक काढ़ा पीने की परंपरा है, अनेक प्रकार के मसालों का उपयोग हम करते हैं। इसके साथ-साथ अगर हम नियमित रूप से योग-प्राणायाम करेंगे, तो निश्चित रूप से हमें लाभ ही होगा। ये किसी बीमारी का इलाज नहीं हैं, लेकिन ये हमारे शरीर को बीमारी से लड़ने के लिए ताकत देता हे, सक्षम बना देता है। आयुष मंत्रालय की तरफ से इससे जुड़ी कुछ गाइडलाइंस भी जारी की गई हैं। और मैं चाहूंगा सारे प्रधान आयुष मंत्रालय की वेबसाइट पर जाएं, उसमें सारी चीजें हैं। अपने गांव में उसका उपयोग करें।

एक और बात जिस पर आप सभी को बहुत ध्यान देना है, वो है आरोग्य सेतु मोबाइल App. मैंने अभी एक टीवी के अंदर एक किसी कलाकार का देखा था, उसने इस आरोग्य सेतु मोबाइल App को बॉडीगार्ड कहा है। ये मोबाइल Appकोरोना से लड़ाई के लिए बहुत उपयोगी है।

ये App आपके मोबाइल में रहेगा तो आपको पता चल जाएगा कि आपके गांव में, सामने वाला किसी ऐसे इलाके से तो नहीं आया जो कोरोना प्रभावित रहा हो। आपकी खुद की सुरक्षा के लिए, आपके गांव की सुरक्षा के लिए, आपके आसपास वालों की सुरक्षा के लिए आप अगर इस आरोग्‍य सेतु App अपने मोबाइल में डाउनलोड करें, पूरे गांव के पास करवाएं, लंबे अर्से तक आपके बॉडीगार्ड का काम करेगा।

मैं देश के सभी पंचायत प्रतिनिधियों से निवेदन करुंगा कि आप सभी अपने गांव के प्रत्येक सदस्य के मोबाइल फोन में आरोग्य सेतु App को डाउनलोड करवाएं। ये एक प्रकार से हमारी सुरक्षा का सेतु है।

साथियों, देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले भाइयों और बहनों का स्वास्थ्य, हमारी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में से एक रहा है।आपकी एक एक आवश्यकता को समझते हुए सरकार लगातार काम कर रही है।

पहले टीकाकरण को लेकर इतनी दिक्कतें होती थीं। हमारी सरकार ने न सिर्फ टीकों की संख्या बढ़ाई, बल्कि दूर-दराज वाले क्षेत्रों में भी टीकाकरण अभियान को लेकर गए। पहले गर्भवती महिलाओं और नवजात बच्चों में कुपोषण की बहुत ज्यादा समस्याएं थीं। हमने पीएम मातृ वंदना योजना के माध्यम से, सीधे महिलाओं के बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर करने शुरू किए ताकि कुपोषण के खिलाफ लड़ने में उसको मदद मिल जाए।

पहले शौचालयों की क्या स्थिति थी, ये भी आपको पता है। शौचालय न होने से कितनी बीमारियां फैलती थीं, ये भी आपको पता है। हम बहुत गंभीरता से प्रयास कर रहे हैं कि गांव के गरीब से गरीब को उत्तम स्वास्थ्य सेवा मिले, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। आयुष्मान भारत योजना भी गांव के गरीबों के लिए बहुत बड़ी राहत बनकर उभरी है।इसके तहत अब तक करीब-करीब एक करोड़ गरीब मरीज़ों को अस्पताल में मुफ्त इलाज मिल चुका है।

इस योजना ने ग्रामीण इलाकों में जहां अस्पतालों की कमी है, वहां अस्पतालों के निर्माण में भी मदद की है। सरकार द्वारा भी देशभर के गांवों में लगभग डेढ़ लाख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बनाने का काम तेज़ी से चल रहा है।इन सेंटर्स में अनेक गंभीर बीमारियों के टेस्ट की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।

पहले से किए जा रहे इन प्रयासों ने, हमारे गावों को कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अहम भूमिका निभाने के लिए तैयार किया है। मुझे विश्वास है कि आप सभी अपनी सामूहिक कोशिशों से, अपनी एकजुटता से, अपनी संकल्पशक्ति से कोरोना को जरूर परास्त करेंगे।

 

इसी विश्वास के साथ एक बार फिर आप सभी साथियों को पंचायत राज की इस महत्‍वपूर्ण पंचायती राज दिवस की शुभकामनाएं देता हूं। आपके, आपके परिवारजनों के, आपके गांव के नागरिकों के बेहतर स्वास्थ्य की कामना करता हूं। और फिर से एक बार आपने समय निकाला, आपकी अपनी बहुत सारी बातें मुझे बताई, बहुत सारी नई जानकारियां मिलीं, आपके आतमविश्‍वास को मैंने अनुभव किया।

मैंफिर एक बार आप सबका बहुत-बहुत धन्‍यवाद करता हूं।

नमस्‍कार!!!

 

VRRK/ VJ


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