जनजातीय कार्य मंत्रालय
ट्राइफेड ने यूनिसेफ और डब्ल्यूएचओ के सहयोग से स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के लिए वेबिनार के माध्यम से डिजिटल अभियान शुरू किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जनजाति- संग्राहक अपने काम को सुरक्षित रूप से कर सकें
इस अभियान के माध्यम से 50 लाख जनजाति- संग्राहकों तक पहुंचने का प्रस्ताव है
Posted On:
09 APR 2020 8:05PM by PIB Delhi
ट्राइफेड ने आज वेबिनार के माध्यम से अपने प्रशिक्षकों और स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को वर्चुअल प्रशिक्षण के माध्यम से कोविड-19 के बारे में और इसके मुख्य निवारक उपायों पर बुनियादी अनुस्थापन (नीति) पर काम शुरू किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जनजाति- संग्राहक सुरक्षित रूप से काम कर सकें। इसका उद्देश्य सभी 27 राज्यों में फैले 18,000 से अधिक प्रतिभागियों और सभी जनजातीय क्षेत्रों तक पहुंचना है। जनजाति- संग्राहकों को सुरक्षित रूप से कार्य करना सुनिश्चित करने के लिए, ट्राइफेड ने यूनिसेफ और डब्ल्यूएचओ के साथ मिलकर इस काम में शामिल स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के लिए डिजिटल अभियान को बढ़ावा देने हेतु डिजिटल संचार की योजना का विकास किया है, साथ ही इसके माध्यम से सासामाजिक दूरी के महत्व पर भी प्रकाश डाला है।
प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए, ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक (एमडी) श्री प्रवीर कृष्णा ने कहा कि कोविड -19 महामारी के दौरान जनजातीय लोगों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है और हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि आदिवासी जमा होकर उपज की खरीद के कार्य को सुरक्षित तरीके से कर सकें। इस डिजिटल अभियान का उद्देश्य 50 लाख से अधिक आदिवासियों को सुरक्षा प्रदान करना है। यह कई क्षेत्रों में लघु वन उपज (एमएफपी) / गैर-बीम वन उपज (एनटीएफपी) के संग्रह और उपज का समय है। जनजाति- संग्राहकों और उनकी अर्थव्यवस्था को सुरक्षा प्रदान करने और उनकी आजीविका सुनिश्चित करने के लिए कुछ सक्रिय उपायों को शुरू करने की आवश्यकता है।
यूनिसेफ स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) केंद्रों को डिजिटल मल्टीमीडिया के माध्यम जैसे वेबिनार के जरिए आभासी प्रशिक्षण (कोविड-19 पर मूल अभिविन्यास, प्रमुख निवारक उपाय), सोशल मीडिया अभियान (सामाजिक दूरी और घरेलू क्वारंटीन) और वन रेडियो जैसे कार्यक्रमों के जरिए आवश्यक सहायता प्रदान कर रहा है। इसके अलावा, ट्राइफेड ने आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के साथ मिलकर हैशटैग #iStandWithHumanity पहल के जरिए भी पहुंच बना रहा है, जिससे जरिए जनजातीय समुदाय के लोगों को आवश्यक भोजन और राशन उपलब्ध कराया जा सके।
27 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश में कुल 1205 वन धन विकास केंद्र (वीडीवीके) स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें 18,075 वन धन स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) शामिल हैं।इस योजना से करीब 3.6 लाख जनजातीय (आदिवासी) लोग लाभान्वित होंगे। इसे शुरू करते हुए, इनमें से 15,000 को डिजिटल प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से वन धन सामाजिक दूरी जागरूकता सह आजीविका केंद्र के रूप में बढ़ावा दिया जाएगा।ये स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) एसएचजी इस समुदाय के बीच सामाजिक दूरी और पालन किए जाने वाले उपायों के बारे में जानकारी देकर जागरूकता भी पैदा करेंगे।कोविड-19 के दौरान एनटीएफपी से संबंधित ‘क्या करें और क्या न करें’ की एडवाइजरी को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए, साथ ही व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने के लिए लोगों को जागरूक करना, लेन-देन की प्रक्रिया में कैशलेस को अपनाना जैसे मुख्य उपाय एक-दूसरे के बीच साझा किया जाएंगे।
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एएम/पीकेपी–
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