रेल मंत्रालय

भारतीय रेलवे अपने 20000 कोचों को परिवर्तित करने को तैयार, इनमें आइसोलेशन संबंधी जरूरते पूरी करने के लिए 3.2 लाख संभावित बिस्‍तरों का हो सकेगा प्रबंध 


कोविड-19 के मरीजों हेतु तैयार किए जा रहे आइसोलेशन कोच सभी आवश्‍यक सुविधाओं से लैस होंगे

शुरुआत में 80000 बिस्‍तरों तक के प्रबंध के लिए तैयार किए जा रहे हैं 5000 कोच

कोचों में बदलाव लाने का कार्य अलग –अलग जोन्‍स में जारी

Posted On: 31 MAR 2020 2:59PM by PIB Delhi

कोविड-19 की तैयारियों के तहत देश में तैयार की जा रही क्वॉरन्टीन सुविधाओं में वृद्धि करने के लिए भारतीय रेलवे ने 20,000 कोचों को क्‍वां‍टीन/आइसोलेशन कोचों में परिवर्तित करने की तैयारी करने का फैसला किया है। इस संबंध में सशस्‍त्र बल चिकित्‍सा सेवाओं, रेलेवे के विभिन्‍न ज़ोनों के चिकित्‍सा विभागों और आयुष्‍मान भारत, स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय, भारत सरकार के साथ परामर्श किया गया है। रेलवे के पांच ज़ोन पहले ही क्‍वां‍टीन/आइसोलेशन कोचों के लिए प्रोटोटाइप्‍स तैयार कर चुके हैं।

यह परिवर्तित 20000कोच आइसोलेशन संबंधी जरूरतों की पूर्ति करने के लिए 3.2 लाख संभावित बिस्‍तरों का प्रबंध कर सकेंगे। शुरुआत में 5000 कोचों को क्‍वां‍टीन/आइसोलेशन कोचों  में परिवर्तित करने का काम पहले ही शुरु किया जा चुका है। इन 5000 कोचों में 80000 बिस्‍तरों की व्‍यवस्‍था करने की क्षमता होगी। एक कोच में आइसोलेशन के लिए 16 बिस्‍तर लगाए जाने की संभावना है।

केवल नॉन-एसी आईसीएफ स्‍लीपन कोचों को ही क्‍वां‍टीन/आइसोलेशन कोचों  में परिवर्तित किए जाने के कार्य में उपयोग किए जाने की योजना है। भारतीय शैली के एक शौचालय को बाथरूम में परिवर्तित किया जाएगा। इसमें बाल्‍टी, मग और सोप डिस्‍पेंसर रखा जाएगा। इसके वाशबेसिन में लिफ्ट टाइप हैंडल वाले नल उपलब्‍ध कराए जाएंगे। इसी तरह के नल उचित ऊंचाई पर लगाए जाएंगे, ताकि इनसे बाल्‍टी में पानी भरा जा सके। 

बाथरूम के निकट प्रथम कैबिन के गलियारे में दो अस्‍पताल/प्‍लास्टिक पर्दे आड़े लगाए जाएंगे ताकि पूरे आठ बर्थ वाले केबिनों का प्रवेश और निकास देखा जा सके। इस कैबिन का उपयोग स्‍टोर/पैरामेडिक्‍स एरिया के तौर पर किया जाएगा। चिकित्‍सा विभाग द्वारा दो ऑक्‍सीजन सिलिंडर उपलब्‍ध कराए जाएंगे जिनके लिए इस कैबिन की साइड बर्थ वाली जगह पर उचित क्लैम्पिंग का इंतजाम किया जाएगा।

प्रत्‍येक कैबिन के बीच वाले दोनों बर्थ हटाए जाएंगे। चिकित्‍सा उपकरणों को लगाने के लिए अतिरिक्‍त बोटल होल्‍डर्स उपलब्‍ध कराए जाएंगे।ये प्रत्‍येक कैबिन में प्रत्‍येक बर्थ के लिए दो होंगे। प्रति कैबिन 2 अतिरिक्‍त 3 पैग कोट हुक्‍सउपलब्‍ध कराए जाएंगे। मच्‍छरों से बचाव के लिए खिड़कियों पर मच्‍छरदानियां लगाई जाएंगी और वेंटिलेशन का भी उपयुक्‍त प्रबंध किया जाएगा। प्रत्‍येक कैबिन में लाल, नीले और पीले रंग के 3 कूड़ेदान उपलब्‍ध कराए जाएंगे जिनके ढक्‍कन को पैर से खोला जा सकेगा और उन पर कूड़े वाली थैलियां लगी होंगी।

कोचों के इन्‍सुलेशन के लिए कोच की छत और कोच की खिड़कियों के ऊपर और नीचे दोनों तरफ बांस/खस की चटाइयां फिक्‍स/चिपकाई जा सकती हैं, ताकिकोच के भीतर ऊष्‍मा के प्रभाव को रोका जा सके।  लैपटॉप और मोबाइल की चार्जिंग के लिए सभी प्‍वाइंट काम करने की अवस्‍था में होंगे। यह भी आवश्‍यक तौर पर सुनिश्चित किया जाएगा कि जब भी कोचों की मांग की जाएगी सुविधाओं संबंधी सभी फिटिंग्‍स अपनी जगह यथावत होंगी। 

शुरुआती 5000 कोचों के लिए, इन कोचों को परिवर्तित करने के लिए उनका ज़ोन के आधार पर आवंटन निम्‍नलिखित है : 

 

क्र. सं.

ज़ोन

परिवर्तित किए जाने वाले कोचों की संख्‍या

क्र. सं.

ज़ोन

परिवर्तित किए जाने वाले कोचों की संख्‍या

1.

सी आर

482

9.

एनडब्‍ल्‍यूआर

266

2.

ईआर

338

10.

एसआर

473

3.

ईसीआर

208

11.

एससीआर

486

4.

ईसीओआर

261

12.

एसईआर

329

5.

एनआर

370

13.

एसईसीआर

111

6.

एनसीआर

290

14.

एसडब्‍ल्‍यूआर

312

7.

एनईआर

216

15.

डब्‍ल्‍यूआर

410

8.

एनएफआर

315

16.

डब्‍ल्‍यूसीआर

133

 

इन क्‍वां‍टीन/आइसोलेशन कोचों/ट्रेनों के परिचालन और उपयोग के लिए महानिदेशक, रेलवे स्‍वास्‍थ्‍य सेवा विस्‍तृत एसओपी जारी करेंगे। ज़ोनल रेलवे को तत्‍काल उपरोक्‍त परिवर्तन करने की योजना बनाने और इन रैकों के तैयार होने की तिथि की सूचना रेलवे बोर्ड को देने की सलाह दी गई है

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एएम/आरके



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