iffi banner

स्वतंत्र सिनेमा में महिलाओं ने मांगी समानता, दृश्यता और रचनात्मक स्वतंत्रता


पैनल ने संवेदना को महिलाओं की फिल्ममेकिंग का निर्धारक तत्व माना

महिलाओं ने साझेदारी बढ़ाने का मांग की जो महिला निर्माताओं के लिए सहायक वातावरण पेश करेगा

#इफ्फीवुड, 23 नवंबर 2025

स्वतंत्र सिनेमा के माध्यम से एक वैश्विक भारत: एक महिला पैनलशीर्षक वाली पैनल चर्चा में चार प्रभावशाली हस्तियाँ एक साथ आईंअभिनेत्री-फिल्मकार रजनी बसुमतारी, छायाकार फ़ौज़िया फ़ातिमा, अभिनेत्री-फिल्मकार रैचेल ग्रिफ़िथ्स, और अभिनेत्री मीनाक्षी जयन। इस बातचीत में यह पता लगाया गया कि कैसे महिलाओं की रचनात्मक और व्यक्तिगत यात्राएँ स्वतंत्र सिनेमा के भविष्य को आकार दे रही हैं।

यह चर्चा महिलाओं की फिल्म निर्माण कला के एक परिभाषित तत्व के रूप में संवेदना पर विचारों के साथ शुरू हुई। फ़ौज़िया ने बताया कि कैसे एक विचार की शुरुआत से लेकर अंतिम फ्रेम तक, संपूर्ण रचनात्मक प्रक्रिया संवेदना पर आधारित होती है, जो फिल्म निर्माताओं को स्थानीय कथाओं को वैश्विक स्तर पर गूंजने वाली कहानियों में बदलने में सक्षम बनाती है। रजनी ने आगे कहा कि महिलाएँ अक्सर जीवन के छोटे से छोटे विवरणों पर ध्यान देती हैं, और ये ही सूक्ष्म अवलोकन उनकी फिल्मों को उन कहानियों को आवाज़ देने की अनुमति देते हैं जो शायद अन्यथा अनकही रह जातीं।

जब बातचीत प्रतिनिधित्व पर छिड़ी तो पैनल ने इस बात पर विचार किया कि क्या महिलाएँ आज उद्योग में खुद को अधिक दिखते हुए महसूस करती हैं। रैचेल ने साझा किया कि उनके अपने उद्योग में महिला छायाकार और निर्माताओं की संख्या बढ़ रही है। फ़ौज़िया ने इंडियन विमेन सिनेमैटोग्राफ़र्स कलेक्टिव के विकास का उल्लेख किया, जो 2017 में कुछ सदस्यों के साथ शुरू हुआ था और अब कनिष्ठ से लेकर वरिष्ठ तक, लगभग दो सौ तक बढ़ गया है। उन्होंने समझाया कि यह कलेक्टिव किस तरह मार्गदर्शन और सहयोग को बढ़ावा देता है, जो महिलाओं को उद्योग में लंबे समय से अपेक्षित सहायक वातावरण प्रदान करता है। उन्होंने आईएफएफआई में महिला छायाकारों की उपस्थिति का भी जश्न मनाया, जिसमें उन्होंने 'विमुक्तिमें शेली शर्मा की कला और 'शेप ऑफ मोमोमें अर्चना घांग्रेकर की कला की प्रशंसा की।

रजनी ने याद किया कि कैसे दो साल पहले, उन्हें अपने एक प्रोजेक्ट के लिए इसी कलेक्टिव  की एक सिनेमेटोग्राफर  के पास भेजा गया था, जिसने इस तरह के नेटवर्कों के प्रभाव की पुष्टि की। मीनाक्षी ने केरल राज्य सरकार द्वारा समर्थित पहल को रेखांकित किया, जो महिलाओं द्वारा बनाई गई फिल्मों को वित्त पोषित करती है। उन्होंने साझा किया कि उनकी फिल्म 'विक्टोरिया' इसी अवसर से विकसित हुई। फ़ौज़िया, जिन्होंने महिलाओं के नेतृत्व वाली फिल्मों का समर्थन करने वाली इस केरल राज्य सरकार की पहल के पहले चयन पैनल में काम किया था, ने पुरुषों द्वारा महिलाओं के नाम पर प्रोजेक्ट जमा करने के बारे में चिंताएँ व्यक्त कीं, जो निरंतर सतर्कता की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

 

इसके बाद पैनलिस्ट फिल्म निर्माण को व्यक्तिगत जीवन के साथ संतुलित करने की चुनौतियों पर आगे बढ़े। रैचेल ने तीन बच्चों की परवरिश करते हुए उद्योग में काम करने के बारे में खुलकर बात की, और महिलाओं का समर्थन करने के लिए बारी-बारी से काम करने वाले सप्ताह  जैसे मॉडलों का सुझाव दिया। फ़ौज़िया ने मातृत्व के बाद अपनी कला में लौटने की कठिनाई साझा की और इस बात के लिए आभार व्यक्त किया कि उनका करियर जारी रह सका, खासकर विजय सेतुपति अभिनीत उनकी आगामी व्यावसायिक फिल्म 'ट्रेन' के साथ।

कलाकारों द्वारा सेट पर नैरेटिव्स को किस प्रकार आकार दिया जाता है, इस सवाल पर मीनाक्षी ने टिप्पणी की कि नए कलाकारों में अक्सर अपने सहयोगियों को चुनने की स्वतंत्रता की कमी होती है, लेकिन जैसे-जैसे उनका करियर बढ़ रहा है, उन्हें उम्मीद है कि वह और अधिक महिला फिल्म निर्माताओं के साथ काम करेंगी। रजनी ने गौर किया कि ओटीटी  प्लेटफॉर्म ने महिलाओं के लिए उपलब्ध भूमिकाओं के प्रकार का विस्तार किया है, जिससे उन्हें अधिक गहराई और उपस्थिति मिली है। फ़ौज़िया ने आगे कहा कि अब अधिक महिला अभिनेत्रियां निर्माण  के क्षेत्र में भी कदम रख रही हैं, जिससे रचनात्मक निर्णय लेने वालों का दायरा बढ़ रहा है। मीनाक्षी ने भविष्य में फिल्में बनाने की अपनी इच्छा के बारे में बात की, जबकि रैचेल ने हॉलीवुड में महिला निर्माताओं की लंबी उपस्थिति और उन चुनौतियों पर विचार किया जिनसे वे लगातार जूझ रही हैं। रैचेल ने वेतन समानता पर भी बात की, और कहा कि सार्थक बदलाव के लिए पुरुषों को इस असंतुलन को स्वीकार करने और महिलाओं के लिए निष्पक्षता सुनिश्चित करने वाले प्रयासों का समर्थन करने की आवश्यकता है।

जब चर्चा लेखन और प्रक्रिया की ओर मुड़ी, तो रजनी ने अपनी कहानियों को स्थानीय वास्तविकताओं और अपने क्षेत्र द्वारा अनुभव किए गए पीढ़ीगत दर्द में स्थापित करने की बात की। उनकी सबसे हालिया फिल्म में लैंगिक न्याय का पता लगाने के लिए पूरी तरह से महिला कलाकारों को शामिल किया गया है। मीनाक्षी ने कहा कि उनकी फिल्म ‘विक्टोरिया’ पूरी तरह से महिला कलाकारों के साथ बनाई गई थी, एक ऐसा चुनाव जिसने अक्सर सवाल खड़े किए, सिर्फ इसलिए क्योंकि इसने सामान्य ढाँचे को बदल दिया था।

जैसे ही पैनल फिल्मों को बनाने और उन्हें बनाए रखने की वास्तविकताओं की ओर मुड़ा, रैचेल ने टिप्पणी की कि फिल्म निर्माताओं को ऐसी कहानियाँ बनानी चाहिए जो अपने दर्शकों को पा सकें, इस बात पर भरोसा करते हुए कि सही कथा उन लोगों तक पहुँचेगी जिनके लिए वह बनी है। रजनी ने आगे कहा कि उनकी फिल्में छोटे बजट में बनी हैं और उन्हें महिला निर्माताओं का समर्थन मिला है, और उन्होंने सुनिश्चित किया कि उन्हें कभी नुकसान न हो।

जब सत्र अपने समापन के करीब पहुँचा, तो पैनलिस्टों से पूछा गया कि उनके अनुसार कौन सी फिल्में हैं जो सभी को देखनी चाहिए। रैचेल ने लड़कियों के उत्सव के लिए 'दंगल' का नाम लिया; फ़ौज़िया ने 'द पावर ऑफ़ द डॉगको चुना; रजनी ने 'आर्टिकल 15' और 'आई इन द स्काईकी सिफारिश की; और मीनाक्षी ने चिंता के चित्रण के लिए 'शिवा बेबीको चुना, और एक चंचल मुस्कान के साथ जोड़ा कि वह अपनी खुद की फिल्म 'विक्टोरिया' की भी सिफारिश करेंगी।

यह सत्र गर्मजोशी और संभावना के पलों के साथ समाप्त हुआ। मीनाक्षी ने ऑस्ट्रेलियाई फिल्म उद्योग की उसके प्रगतिशील परिदृश्य के लिए प्रशंसा की और एडिलेड फिल्म फेस्टिवल में देखी गई एक फिल्म को याद किया जिसमें वह अभिनय करना चाहती थीं। रैचेल ने सौहार्दपूर्ण जवाब दिया, यह सुझाव देते हुए कि चारों महिलाएँ एक दिन सहयोग कर सकती हैं, जो उस दोपहर की भावना को दर्शाता है: महिलाएँ एक साथ नए भविष्य की कल्पना कर रही हैं, और स्वतंत्र सिनेमा उन भविष्य की शुरुआत के लिए जगह प्रदान कर रहा है।

आईएफएफआई के बारे में

1952 में शुरु हुआ, भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) दक्षिण एशिया के सबसे पुराने और सबसे बड़े सिनेमा उत्सव के रूप में प्रतिष्ठित है। राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी), सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार और एंटरटेनमेंट सोसाइटी ऑफ गोवा (ईएसजी), गोवा राज्य सरकार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित यह महोत्सव एक वैश्विक सिनेमाई शक्ति के रूप में विकसित हुआ है - जहाँ पुनर्स्थापित क्लासिक्स और नए प्रयोगों का संगम होता है और दिग्गज कलाकार पहली बार यहां आने वाले लोगों के साथ विचार साझा करते हैं। आईएफएफआई को वास्तव में प्रसिद्ध बनाने वाला इसका आकर्षण है जहां अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं, सांस्कृतिक प्रदर्शन, मास्टरक्लास, श्रद्धांजलि और उच्च-ऊर्जा वेव्स फिल्म बाजार, जहां विचार और सहयोग उड़ान भरते हैं। 20 से 28 नवंबर तक गोवा की तटीय पृष्ठभूमि में आयोजित, 56वां संस्करण भाषाओं, शैलियों, नवाचारों और आवाजों के एक चकाचौंध भरे इंद्रधनुष का वादा करता है जो विश्व मंच पर भारत की रचनात्मक प्रतिभा का एक व्यापक उत्सव है।

अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें:

IFFI Website: https://www.iffigoa.org/

PIB’s IFFI Microsite: hhttps://www.pib.gov.in/iffi/56/

PIB IFFIWood Broadcast Channel: https://whatsapp.com/channel/0029VaEiBaML2AU6gnzWOm3F

X Post Link: https://x.com/PIB_Panaji/status/1991438887512850647?s=20

X Handles: @IFFIGoa, @PIB_India, @PIB_Panaji

******

पीके/केसी/एसके/डीके


Great films resonate through passionate voices. Share your love for cinema with #IFFI2025, #AnythingForFilms and #FilmsKeLiyeKuchBhi. Tag us @pib_goa on Instagram, and we'll help spread your passion! For journalists, bloggers, and vloggers wanting to connect with filmmakers for interviews/interactions, reach out to us at iffi.mediadesk@pib.gov.in with the subject line: Take One with PIB.


रिलीज़ आईडी: 2193353   |   Visitor Counter: 14

इस विज्ञप्ति को इन भाषाओं में पढ़ें: English , Urdu , Konkani , Marathi , Gujarati , Odia , Kannada