वित्‍त मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

बैंकिंग कानून (संशोधन) अधिनियम, 2025 के प्रमुख प्रावधान 1 अगस्त 2025 से प्रभावी होंगे


बैंकिंग कानून (संशोधन) अधिनियम, 2025 का उद्देश्य बैंक प्रशासन को बेहतर करना, जमाकर्ताओं की सुरक्षा करना, पीएसबी ऑडिट में सुधार करना और सहकारी बैंकों को संवैधानिक मानदंडों के अनुरूप बनाना है

प्रविष्टि तिथि: 30 JUL 2025 7:56PM by PIB Delhi

बैंकिंग कानून (संशोधन) अधिनियम, 2025 को 15 अप्रैल 2025 को अधिसूचित किया गया था, जिसमें पांच कानूनों - भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934, बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949, भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम, 1955 और बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम, 1970 और 1980 - को मिलाकर कुल 19 संशोधन शामिल हैं।

बैंकिंग कानून (संशोधन) अधिनियम, 2025 का उद्देश्य बैंकिंग क्षेत्र में शासन मानकों में सुधार, जमाकर्ताओं और निवेशकों के लिए बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करना, पब्लिक सेक्टर बैंकों में लेखा परीक्षा की गुणवत्ता में सुधार और सहकारी बैंकों में निदेशकों (अध्यक्ष और पूर्णकालिक निदेशकों के अलावा) का कार्यकाल बढ़ाना है।

केंद्र सरकार ने 1 अगस्त 2025 को बैंकिंग कानून (संशोधन) अधिनियम, 2025 (2025 का 16) की धारा 3, 4, 5, 15, 16, 17, 18, 19 और 20 के प्रावधान लागू होने की तारीख के तौर पर अधिसूचित किया है, जैसा कि राजपत्र अधिसूचना एस.. 3494 () दिनांक 29 जुलाई 2025 के माध्यम से अधिसूचित किया गया है।

  1. उपर्युक्त प्रावधानों का उद्देश्य ‘उचित ब्याज' की सीमा को ₹5 लाख से बढ़ाकर ₹2 करोड़ करना है, जो 1968 से अपरिवर्तित सीमा को संशोधित करता है।
  2. इसके अतिरिक्त, ये प्रावधान सहकारी बैंकों में निदेशक के कार्यकाल को 97वें संविधान संशोधन के अनुरूप बनाते हैं और अधिकतम कार्यकाल को 8 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष (अध्यक्ष और पूर्णकालिक निदेशक को छोड़कर) कर देते हैं।
  3. पब्लिक सेक्टर बैंकों (पीएसबी) को अब दावा न किए गए शेयरों, ब्याज और बॉन्ड मोचन राशि को निवेशक शिक्षा एवं संरक्षण कोष (आईईपीएफ) में स्थानांतरित करने की अनुमति होगी, जिससे वे कंपनी अधिनियम के तहत कंपनियों द्वारा अपनाई जाने वाली प्रथाओं के अनुरूप हो जाएंगे। ये संशोधन पब्लिक सेक्टर बैंकों को वैधानिक लेखा परीक्षकों को पारिश्रमिक प्रदान करने, उच्च-गुणवत्ता वाले लेखा परीक्षा पेशेवरों की नियुक्ति को सुगम बनाने और लेखा परीक्षा मानकों को बेहतर बनाने का अधिकार भी प्रदान करते हैं।

इन प्रावधानों का कार्यान्वयन भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के कानूनी, विनियामक और शासन ढांचे को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

***

पीके/एके/केसी/एमएम


(रिलीज़ आईडी: 2150521) आगंतुक पटल : 257
इस विज्ञप्ति को इन भाषाओं में पढ़ें: Malayalam , English , Urdu , Punjabi , Gujarati , Telugu