पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय
संसद ने मानसून सत्र के पहले दिन 'बिल्स ऑफ लैडिंग, 2025' विधेयक पारित किया, यह विधेयक 169 वर्ष पुराने औपनिवेशिक काल के नौवहन कानून को प्रतिस्थापित करता है
केंद्रीय मंत्री पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने 'बिल्स ऑफ लैडिंग, 2025' विधेयक को राज्यसभा में पेश किया, जिससे ऐतिहासिक नौवहन सुधार विधेयक पारित हुआ
लोकसभा ने मार्च, 2025 में 'बिल्स ऑफ लैडिंग, 2025' को पहले ही स्वीकृति दे दी थी, जिससे राष्ट्रपति की स्वीकृति का मार्ग प्रशस्त हुआ
"बिल्स ऑफ लैडिंग, 2025" विधेयक हमारे संवैधानिक मूल्यों को दर्शाता है और पुराने औपनिवेशिक कानूनों को आधुनिक, सुलभ ढाँचे से बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है": श्री सर्बानंद सोनोवाल
Posted On:
21 JUL 2025 6:47PM by PIB Delhi
संसद के मानसून सत्र के पहले दिन, राज्यसभा ने 'बिल्स ऑफ लैडिंग, 2025' विधेयक पारित कर दिया, जिससे इस विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त हो गया। केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री (एमओपीएएसडब्ल्यू) श्री सर्बानंद सोनोवाल द्वारा आज राज्य सभा में प्रस्तुत किया गया यह विधेयक भारत के समुद्री क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी पल है।
इस विधेयक को लोकसभा द्वारा पहले ही पारित किया जा चुका था। अब यह विधेयक कानून बनने के लिए राष्ट्रपति के पास उनकी स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा। अधिनियमित होने के बाद, यह भारत में समुद्री नौवहन दस्तावेज़ीकरण के लिए 169 वर्ष पुराने औपनिवेशिक काल के भारतीय लैडिंग अधिनियम, 1856 की जगह एक आधुनिक, सरलीकृत और वैश्विक रूप से संरेखित कानूनी ढाँचा प्रदान करेगा।
सदन में विधेयक पेश करते हुए केंद्रीय मंत्री पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, "जैसा कि हम यहां एकत्र हुए हैं, हमें अपने दूरदर्शी और गतिशील माननीय प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी जी की याद आ रही है, जिन्होंने हमारे राष्ट्र के लिए एक गहन दृष्टिकोण व्यक्त किया है: वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित देश, या विकसित भारत में बदलना। यह दृष्टिकोण केवल आकांक्षात्मक नहीं है; यह कार्रवाई का आह्वान है, जो हमें अपने प्रयासों और आकांक्षाओं को एक नए और समृद्ध भारत के वादे के साथ एकीकृत करने का आग्रह करता है। माननीय प्रधानमंत्री के शब्दों में, 'भारत को अपनी प्रणालियों में सुधार और अपने भविष्य को बदलने के लिए गति और पैमाने के साथ कार्य करना चाहिए।"
नया कानून पुरानी शब्दावली के स्थान पर स्पष्ट और व्यापार अनुकूल भाषा का प्रयोग करता है, जिससे वाहकों, पोत-वाहकों और वैध धारकों के अधिकारों और दायित्वों को सुव्यवस्थित किया जाता है; मुकद्दमेबाजी के जोखिम को कम करने के लिए पोत परिवहन दस्तावेजों में अस्पष्टता को कम किया जाता है, साथ ही अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के साथ तालमेल बिठाकर वैश्विक व्यापार में भारत की स्थिति को मजबूत किया जाता है।
विधेयक के बारे में श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, "आज, जब हम भारतीय संविधान को अपनाए जाने के 76वें वर्ष पर विचार कर रहे हैं, यह औपनिवेशिक और संविधान-पूर्व विरासतों के अवशेषों को त्यागने का सही समय है जो हमारी प्रगति में बाधा डालते हैं। 'स्वर्णिम भारत' को एक ऐसे क़ानून की आवश्यकता है जो समकालीन हो, हमारे अपने लोगों द्वारा तैयार किया गया हो और आधुनिक युग की चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम हो।"
यह विधेयक पुराने कानून का नाम बदलकर भारत के औपनिवेशिक अतीत से एक निर्णायक कदम का प्रतीक है। यह कानूनी भाषा को सरल बनाता है, जटिल प्रावधानों का पुनर्गठन करता है और एक सक्षम खंड प्रस्तुत करता है जो केंद्र सरकार को प्रभावी कार्यान्वयन के लिए निर्देश जारी करने का अधिकार देता है। एक मानक निरसन और छुटकारे वाले खंड को शामिल करके, यह कानून पुराने अधिनियम के अंतर्गत पिछले कार्यों की निरंतरता और कानूनी वैधता सुनिश्चित करता है। इन सुधारों का उद्देश्य स्पष्टता बढ़ाना, समझ को आसान बनाना और भारत में व्यापार करने में सुगमता (ईओडीबी) को सक्षम करने वाले समकालीन व्यापार और कानूनी मानकों के अनुरूप सुचारू प्रवर्तन को सक्षम बनाना है।
श्री सर्बानंद सोनोवाल ने सदन के सदस्यों से विधेयक पारित करने का आह्वान करते हुए कहा, "'बिल्स ऑफ लैडिंग, 2025' विधेयक हमारे संवैधानिक मूल्यों को दर्शाता है और पुराने औपनिवेशिक कानूनों को एक आधुनिक, सुलभ ढाँचे से बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जैसे-जैसे हमारा समुद्री क्षेत्र तेज़ी से विस्तार कर रहा है, यह सुधार व्यापार को आसान बनाएगा, विवादों को कम करेगा और भारत की वैश्विक व्यापारिक स्थिति को मज़बूत करेगा। जैसा कि कहावत है - 'जो लहरों पर राज करता है, वह दुनिया पर राज करता है' - अब समय आ गया है कि भारत आगे बढ़कर नेतृत्व करे।"
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