प्रधानमंत्री कार्यालय
प्रधानमंत्री का त्रिनिदाद और टोबैगो की संसद की संयुक्त सभा को संबोधन
Posted On:
04 JUL 2025 10:40PM by PIB Delhi
महामहिम प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिसेसर जी,
सीनेट के माननीय अध्यक्ष श्री वेड मार्क,
माननीय अध्यक्ष श्री जगदेव सिंह,
माननीय मंत्रीगण,
संसद के सम्मानित सदस्य,
नमस्कार!
सुप्रभात!
एक गौरवशाली लोकतंत्र और मित्र राष्ट्र के निर्वाचित प्रतिनिधियों, मैं आप सभी के समक्ष खड़े होकर बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूँ।
मैं भारत के 1.4 बिलियन लोगों की ओर से शुभकामनाएँ लेकर आया हूँ। मैं घाना के लोगों की ओर से भी हार्दिक शुभकामनाएँ लेकर आया हूँ, जिस देश की मैंने यहाँ आने से ठीक पहले यात्रा की थी।
मैं आभारी हूँ कि मैं इस प्रतिष्ठित रेड हाउस में आपसे बात करने वाला पहला भारतीय प्रधानमंत्री हूँ। यह ऐतिहासिक इमारत, स्वतंत्रता और सम्मान के लिए त्रिनिदाद और टोबैगो के लोगों के संघर्ष और बलिदान का साक्षी रहा है। पिछले छह दशकों में, यह मजबूती से खड़ा रहा है, क्योंकि आपने एक न्यायसंगत, समावेशी और समृद्ध लोकतंत्र का निर्माण किया है।
मित्रों,
इस महान राष्ट्र के लोगों ने दो उल्लेखनीय महिला राजनेताओं को चुना है - राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री। वे गर्व से खुद को भारतीय प्रवासियों की बेटियाँ कहती हैं। उन्हें अपनी भारतीय विरासत पर गर्व है। भारत में, हम उनके नेतृत्व, धैर्य और दृढ़ संकल्प की प्रशंसा करते हैं। वे हमारे देशों के बीच आपसी संबंधों की जीवंत प्रतीक हैं, जो साझा जड़ों और साझा सपनों पर निर्मित हुए हैं।
सम्मानित सदस्यगण,
हमारे दोनों राष्ट्र, औपनिवेशिक शासन की छाया से उठकर अपनी गाथाएँ लिखने के लिए उभरकर सामने आये - साहस हमारी स्याही थी और लोकतंत्र हमारी लेखनी थी।
आज, हमारे दोनों राष्ट्र आधुनिक दुनिया में गौरवशाली लोकतंत्र और शक्ति के स्तंभ के रूप में मौजूद हैं। कुछ महीने पहले, आपने चुनावों में भाग लेकर लोकतंत्र का उत्सव मनाया। मैं इस देश के लोगों को उनकी बुद्धिमत्ता और दूरदर्शिता - शांति, स्थिरता और समृद्धि - के लिए बधाई देता हूँ। मैं इस प्रतिष्ठित सदन के नवनिर्वाचित सदस्यों को भी बधाई देता हूँ।
मैं प्रधानमंत्री कमला जी को एक बार फिर सरकार बनाने के लिए विशेष तौर पर बधाई देता हूँ। मैं उनकी निरंतर सफलता की कामना करता हूं, क्योंकि वे इस महान राष्ट्र को सतत विकास और समृद्धि की ओर ले जा रही हैं।
मित्रों,
जब मैं अध्यक्ष की कुर्सी पर अंकित सुनहरे शब्दों को देखता हूँ:
"भारत के लोगों की ओर से त्रिनिदाद और टोबैगो के लोगों के लिए",
मुझे गहरी भावना की अनुभूति होती है। वह कुर्सी सिर्फ फर्नीचर का एक टुकड़ा नहीं है, बल्कि हमारे दोनों देशों के बीच मित्रता और विश्वास का शक्तिशाली प्रतीक है। ये शब्द उस बंधन को व्यक्त करते हैं, जो एक लोकतंत्र दूसरे लोकतंत्र के लिए महसूस करता है।
आप सभी जानते हैं…
भारतीयों के लिए लोकतंत्र, सिर्फ एक राजनीतिक मॉडल भर नहीं है।
हमारे लिए, ये जीवन जीने का तरीका है…
हमारी हज़ारों वर्षों की महान विरासत है।
इस संसद में भी कई साथी ऐसे हैं...जिनके पूर्वज बिहार से हैं...
वो बिहार, जो महाजनपदों, यानि प्राचीन गणतंत्रों की भूमि है।
भारत में लोकतंत्र सिर्फ एक राजनीतिक व्यवस्था नहीं है। हमारे लिए यह जीवन जीने का तरीका है।' आपकी संसद में कुछ ऐसे सदस्य भी हैं, जिनके पूर्वज भारत के बिहार राज्य से थे, जो वैशाली जैसे केन्द्रों के लिए प्रसिद्ध है।
दोस्तों,
हमारे दोनों देशों के बीच संबंधों में एक स्वाभाविक गर्मजोशी है। मुझे अवश्य कहना चाहिए कि भारतीय वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम के सबसे जोशीले प्रशंसकों में से हैं! हम पूरे दिल से उनका उत्साहवर्धन करते हैं, सिवाय इसके कि जब वे भारत के खिलाफ खेल रहे हों।
हमारे दोनों देशों के बीच संबंध सदियों पुराने बंधनों की नींव पर बने हैं। 180 साल पहले, भारतीय एक लंबी और कठिन यात्रा के बाद पहली बार इस भूमि पर पहुंचे थे। समुद्र के पार, भारतीय धुनें कैरेबियाई लय के साथ खूबसूरती से घुलमिल गई थीं।
यहां भोजपुरी ने क्रियोल के साथ सामंजस्य स्थापित किया।
दाल पूरी, डबल्स के साथ मिल गयी!
और, तबला ने स्टील पैन का साथ दिया!
आज, भारतीय मूल के लोग लाल, काले और सफेद झंडे के गौरवशाली वाहक हैं!
राजनीति से लेकर कविता तक, क्रिकेट से लेकर वाणिज्य तक, कैलिप्सो से लेकर चटनी तक, वे हर क्षेत्र में योगदान देते हैं। वे उस जीवंत विविधता के अभिन्न अंग हैं, जिसका आप सभी सम्मान करते हैं। साथ मिलकर, आपने एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण किया है, जो अपने आदर्श वाक्य, "हम साथ मिलकर आकांक्षा करते हैं, हम इसे साथ मिलकर हासिल करते हैं" पर आगे बढ़ता है।
मित्रों,
आज महामहिम राष्ट्रपति महोदया ने मुझे इस देश के सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया। मैंने इसे 1.4 बिलियन भारतीयों की ओर से विनम्रतापूर्वक स्वीकार किया।
अब, मैं अपार कृतज्ञता के साथ इसे हमारे दोनों देशों के बीच स्थायी मित्रता और पैतृक संबंधों को समर्पित करता हूँ।
मित्रों,
मुझे इस सदन में इतनी सारी महिला सदस्यों को देखकर बहुत खुशी हो रही है। महिलाओं के प्रति सम्मान भारतीय संस्कृति में गहराई से निहित है। हमारे महत्वपूर्ण पवित्र ग्रंथों में से एक, स्कंद-पुराण में कहा गया है:
दशपुत्र समा कन्या दशपुत्रान् प्रवर्धयन् |
यत् फलं लभते मर्त्यः तत् लभ्यं कन्या एकया ||
इसका अर्थ है, एक बेटी 10 बेटों के बराबर खुशी लाती है। हम आधुनिक भारत के निर्माण के लिए महिलाओं के हाथ मजबूत कर रहे हैं।
अंतरिक्ष से लेकर खेल तक, स्टार्टअप से लेकर विज्ञान तक, शिक्षा से लेकर उद्यम तक, विमानन से लेकर सशस्त्र बलों तक, वे विभिन्न क्षेत्रों में भारत को एक नए भविष्य की ओर ले जाने का नेतृत्व कर रही हैं। आपकी तरह, हमारे पास एक महिला है, जो साधारण जीवन से ऊपर उठकर हमारी राष्ट्रपति बनीं।
दो साल पहले भारतीय संसद ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया था। हमने संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण सुनिश्चित करने का निर्णय लिया। इससे यह सुनिश्चित होता है कि आने वाली पीढ़ियों में अधिक से अधिक महिलाएं देश की नियति और दिशा तय करेंगी।
भारत में जमीनी स्तर पर भी महिलाएँ अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। लगभग 15 लाख निर्वाचित महिलाएँ स्थानीय शासन संस्थाओं को शक्ति प्रदान करती हैं। हम महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के युग में हैं। यह भी उन महत्वपूर्ण विषयों में से एक था, जिसे हमने जी20 की अध्यक्षता के दौरान आगे बढ़ाया।
हम भारत में महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास का एक नया मॉडल विकसित कर रहे हैं। अपनी जी20 अध्यक्षता के दौरान भी इस मॉडल की सफलता को हमने पूरी दुनिया के सामने रखा था।
सम्मानित सदस्यगण,
आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है। उद्यम का हर क्षेत्र, हर भौगोलिक क्षेत्र और हर समाज इस विकास गाथा का हिस्सा है।
भारत का विकास समावेशी और जन-केंद्रित है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की एक हाल की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की सामाजिक सुरक्षा और कल्याण छत्रछाया में 950 मिलियन लोग शामिल हैं। यह लगभग 1 बिलियन लोग हैं, जो दुनिया के अधिकांश देशों की आबादी की तुलना में अधिक है!
ऐसी समावेशी वृद्धि के लिए हमारा दृष्टिकोण हमारे देश तक ही सीमित नहीं है। हम अपने विकास को दूसरों के प्रति जिम्मेदारी के रूप में भी देखते हैं। और, हमारी प्राथमिकता हमेशा ‘वैश्विक दक्षिण’ रहेगी।
इसी भावना के साथ, हम त्रिनिदाद और टोबैगो के साथ अपने संबंधों को प्रगाढ़ कर रहे हैं। हमारा व्यापार बढ़ता रहेगा। हम अपने व्यवसायों को इस देश में और अधिक निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। हमारी विकास साझेदारी का विस्तार होगा। प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और कौशल विकास मानव विकास को अपने केंद्र में रखेंगे। स्वास्थ्य हमारी साझेदारी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है और रहेगा।
कई भारतीय डॉक्टर और स्वास्थ्य सेवा कर्मी यहाँ विशिष्टता के साथ सेवा कर रहे हैं। हमें खुशी है कि आपने भारतीय चिकित्सा मानकों को मान्यता देने का फैसला किया है। इससे सभी को उच्च गुणवत्ता वाली, सस्ती दवाइयाँ मिल सकेंगी।
हम यूपीआई डिजिटल भुगतान प्रणाली को अपनाने के आपके निर्णय का भी स्वागत करते हैं। यह एक बड़ा कदम है। यूपीआई ने भारत में डिजिटल भुगतान में क्रांति ला दी है।
इस प्लेटफ़ॉर्म की मदद से, भारत दुनिया में वास्तविक समय पर सबसे ज़्यादा डिजिटल भुगतान करने वाला देश बन गया है। आज भारत में आम बेचने वालों के पास भी क्यूआर कोड हैं। यदि आप उन्हें नकद में भुगतान करने की कोशिश करेंगे, तो वे आपसे यूपीआई का इस्तेमाल करने के लिए कहेंगे, क्योंकि उनके पास फुटकर पैसे नहीं हैं!
हम अन्य डिजिटल नवाचारों पर भी सहयोग करने के इच्छुक हैं। जैसे-जैसे भारत वैश्विक दक्षिण में विकास और वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए एआई उपकरण विकसित करेगा, त्रिनिदाद और टोबैगो हमारे लिए एक प्राथमिकता वाला देश होगा।
हम कृषि, बागवानी और खाद्य प्रसंस्करण में अपनी विशेषज्ञता साझा करेंगे। भारत की मशीनरी आपके कृषि उद्योग को सहायता प्रदान करेगी। और, क्योंकि विकास सम्मान के बारे में है, इसलिए हम यहाँ दिव्यांग नागरिकों के लिए एक कृत्रिम अंग प्रत्यारोपण शिविर का आयोजन करेंगे।
हमारे लिए, आपके साथ हमारे सहयोग की कोई सीमा नहीं है। हम हमेशा आपकी आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं से निर्देश प्राप्त करेंगे।
मित्रों,
हमारे देशों के बीच तालमेल बहुत आशाजनक है। कैरीबियाई क्षेत्र के एक प्रमुख देश और लैटिन अमेरिका के लिए एक सेतु के रूप में, त्रिनिदाद और टोबैगो में बहुत संभावनाएं हैं। मुझे यकीन है कि हमारे संबंध हमें व्यापक क्षेत्र के साथ एक मजबूत संबंध बनाने में मदद करेंगे।
दूसरे भारत-कैरिकॉम शिखर सम्मेलन की गति पर आगे बढ़ते हुए, हम उन पहलों पर सहयोग करने के लिए उत्सुक हैं, जो व्यापार और निवेश को बढ़ाते हों, अवसंरचना और गतिशीलता का निर्माण करते हों, सामुदायिक विकास परियोजनाओं को लागू करते हों और सबसे बढ़कर, बड़े पैमाने पर क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण और कौशल विकास का समर्थन करते हों।
मित्रों,
मैं हमारी साझेदारी को एक बड़े वैश्विक परिदृश्य में भी देखता हूं। दुनिया में बदलाव का पैमाना और गति अभूतपूर्व है। राजनीति और सत्ता की प्रकृति में मौलिक बदलाव हो रहे हैं। मुक्त व्यापार दबाव में है। वैश्विक विभाजन, विवाद और असमानताएं बढ़ रही हैं।
दुनिया जलवायु परिवर्तन, खाद्य, स्वास्थ्य और ऊर्जा सुरक्षा की चुनौतियों का सामना कर रही है। आतंकवाद एक गंभीर खतरा बना हुआ है। अतीत के औपनिवेशिक शासन भले ही खत्म हो गए हों, लेकिन उनकी छाया नए रूपों में अभी भी है।
अंतरिक्ष और साइबर सुरक्षा में नई चुनौतियां हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) नए अवसरों के साथ-साथ नये जोखिम भी पैदा कर रही है। पुरानी संस्थाएं शांति और प्रगति प्रदान करने के लिए संघर्ष कर रही हैं।
साथ ही, वैश्विक दक्षिण उभर रहा है। वे एक नई और निष्पक्ष विश्व व्यवस्था देखना चाहते हैं। जब संयुक्त राष्ट्र 75 साल का हुआ, तो विकासशील दुनिया में बड़ी उम्मीद जगी थी। एक उम्मीद थी कि लंबे समय से लंबित सुधार साकार होंगे, उनकी आवाज आखिरकार सुनी जाएगी। लेकिन वह उम्मीद निराशा में बदल गई है। विकासशील दुनिया की आवाज हाशिये पर है। भारत ने हमेशा इस अंतर को पाटने की कोशिश की है।
भारत के लिए, महासागर (एमएएचएएसएजीएआर) - क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक और समग्र उन्नति, वैश्विक दक्षिण के लिए मार्गदर्शक विज़न है। जब भी हमें अवसर मिला, हमने वैश्विक दक्षिण को आवाज़ दी है।
अपनी जी-20 अध्यक्षता के दौरान, हमने वैश्विक दक्षिण की चिंताओं को वैश्विक निर्णय लेने के केंद्र में लाया। महामारी के दौरान, अपने 1.4 बिलियन लोगों की देखभाल करते हुए, भारत ने 150 से अधिक देशों को टीके और दवाइयाँ प्रदान कीं। आपदा के समय, हमने सहायता, राहत और एकजुटता के साथ तेज़ी से जवाबी प्रतिक्रिया दी है। हमारी विकास साझेदारी मांग-संचालित, सम्मानजनक और बिना किसी शर्त के है।
सम्मानित सदस्यगण,
अब समय आ गया है कि हम साथ मिलकर काम करें, ताकि वैश्विक दक्षिण को सही जगह पर उसका उचित स्थान मिले। जलवायु न्याय सुनिश्चित करने के लिए, ताकि बोझ उन लोगों पर न पड़े, जिन्होंने जलवायु संकट में सबसे कम योगदान दिया है। हम इस प्रयास में त्रिनिदाद और टोबैगो को एक महत्वपूर्ण भागीदार मानते हैं।
मित्रों,
हमारे दोनों देश आकार और भूगोल में भिन्न हो सकते हैं, लेकिन हम अपने मूल्यों में गहराई से जुड़े हुए हैं। हम गरिमामयी लोकतंत्र हैं। हम संवाद, संप्रभुता, बहुपक्षवाद और मानवीय सम्मान में विश्वास करते हैं। संघर्ष के इस समय में, हमें इन मूल्यों के प्रति सच्ची भावना बनाए रखनी चाहिए।
आतंकवाद मानवता का दुश्मन है। इसी रेड हाउस ने खुद आतंक की विभीषिका और निर्दोष लोगों को जान गवांते देखा है। हमें आतंकवाद को किसी भी तरह की शरण या स्थान न देने के लिए एकजुट होना चाहिए। आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई में हमारे साथ खड़े होने के लिए, हम इस देश के लोगों और सरकार को धन्यवाद देते हैं।
मित्रों,
हमारे पूर्वजों ने संघर्ष किया, बलिदान दिया और भविष्य की पीढ़ियों के लिए बेहतर जीवन के सपने देखे। भारत तथा त्रिनिदाद और टोबैगो दोनों ने उस भविष्य की यात्रा पर एक लंबा सफर तय किया है, जिसके बारे में हमने अपने लोगों से वादा किया था। लेकिन हमें अभी भी बहुत कुछ करना है – स्वयं भी और साथ मिलकर भी।
संसद के सदस्यों के रूप में, आप सभी की उस भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका है। अयोध्या से अरिमा तक, गंगा के घाटों से पारिया की खाड़ी तक, हमारे संबंध और भी प्रगाढ़ हों और हमारे सपने और भी ऊंचे हों।
इस विचार के साथ, मैं आपको एक बार फिर से इस सम्मान के लिए धन्यवाद देता हूं। जैसा कि आप यहां शालीनता और गर्व के साथ कहते हैं - "उचित सम्मान।"
धन्यवाद। बहुत-बहुत धन्यवाद।
***
एमजी/केसी/जेके
(Release ID: 2142404)
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