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एबीपी नेटवर्क इंडिया@2047 समिट में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

Posted On: 06 MAY 2025 10:56PM by PIB Delhi

नमस्कार,

आज सुबह से ही भारत मंडपम का ये मंच एक जीवंत प्लेटफार्म बना हुआ है। अभी मेरा, आपकी टीम से मिलने का मुझे मौका मिला कुछ मिनट के लिए। ये समिट बहुत विविधता से भरी रही है। अनेक महानुभावों ने इस समिट में रंग भरे हैं। मुझे विश्वास है आप सभी का भी अनुभव बहुत ही अच्छा रहा होगा। इस समिट में बहुत बड़ी संख्या में युवाओं और महिलाओं की उपस्थिति, ये अपने आप में शायद इसका युनिकनेस बन गया है। खासतौर पर हमारी ड्रोन दीदीयों ने, लखपति दीदीयों ने जो अपने अनुभव साझा किए, जब मैं इन सब Anchors से मिला अभी,  मैं देख रहा था, इतने उमंग से वो अपना अनुभव बता रही थी,  उनके एक-एक dialogue उनको याद थे। यानी अपने आप में ये बड़ा प्रेरित करने वाला अवसर रहा है।

साथियों,

ये उस बदलते भारत का प्रतिबिंब है, जो हर क्षेत्र में अपनी आवाज बुलंद कर रहा है। इस बदलते भारत का सबसे बड़ा सपना है– 2047 तक विकसित भारत। देश के पास सामर्थ्य है, देश के पास संसाधन है  और देश के पास इच्छाशक्ति भी है। स्वामी विवेकानंद जी कहते थे- उठो, जागो और तब तक नहीं रुको, जब तक अपना लक्ष्य प्राप्त ना कर लो। आज वही भावना मैं हर देशवासी में देख रहा हूं। विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में ऐसे मंथन, ऐसी चर्चाएं और उसमें भी युवाओं की भागीदारी, इसकी बहुत बड़ी भूमिका है। आपने इतनी शानदार समिट का आयोजन किया और इसके लिए मैं मेरे मित्र अतिदेब सरकार जी को,  मेरे पुराने साथी रजनीश को और एबीपी नेटवर्क की पूरी टीम को बहुत बधाई देता हूं।

साथियों, 

आज भारत के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। कुछ देर पहले, मेरे यहां आने से पूर्व ही मेरी ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जी से बात हुई है और मुझे ये बताते हुए खुशी है, कि India-UK Free Trade Agreement अब फाइनल हो चुका है। विश्व की दो बड़ी और ओपन market इकनॉमीज़ के बीच आपसी व्यापार और आर्थिक सहयोग का ये समझौता, दोनों देशों के विकास में नया अध्याय जोड़ेगा। ये हमारे युवाओं के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी है। इससे भारत में economic activity को boost मिलेगा और Indian businesses और MSMEs के लिए नई opportunities के रास्ते खुलेंगे। आपको पता है कुछ ही समय पूर्व हमने UAE, Australia, Mauritius, इनके साथ भी trade agreements साइन किए हैं। यानी भारत आज सिर्फ reforms ही नहीं कर रहा, बल्कि दुनिया के साथ actively engage करके अपने आपको एक vibrant trade और कॉमर्स hub बना रहा है।

साथियों,

बड़े निर्णय लेने के लिए, अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए, जरूरी है कि देश का हित सर्वोपरि रखा जाए, देश के सामर्थ्य पर भरोसा किया जाए। लेकिन दुर्भाग्य से हमारे देश में दशकों तक एक विपरीत धारा बही। और देश ने इसका बहुत नुकसान उठाया। एक दौर था, जब कोई भी बड़ा फैसला लेने से पहले, कोई बड़ा कदम उठाने से पहले ये सोचा जाता था, कि दुनिया क्या सोचेगी, वोट मिलेगा या नहीं मिलेगा, कुर्सी बचेगी कि नहीं बचेगी, कहीं वोटबैंक छिटकेगा तो नहीं। भांति-भांति के स्वार्थों के कारण, बड़े फैसले, बड़े रिफॉर्म टलते ही जा रहे थे। 

साथियों,

कोई भी देश ऐसे आगे नहीं बढ़ सकता है। देश तो तब आगे बढ़ता है, जब फैसलों की एकमात्र कसौटी हो- Nation First, राष्ट्र प्रथम। बीते एक दशक में भारत इसी नीति को लेकर चला है। और आज हम इसके परिणाम भी देख रहे हैं।

साथियों,

पिछले 10-11 साल में हमारी सरकार ने एक के बाद एक ऐसे निर्णय लिए हैं, जो दशकों से लटके, अटके और भटके हुए थे, जो राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में डिब्बों में बंद हो गए थे। अब जैसे एक उदाहरण, हमारे बैंकिंग सेक्टर का है- बैंकिंग सेक्टर जो इकॉनॉमी की रीढ़ होता है। पहले ऐसी कोई समिट नहीं होती थी, जो बैंकों के घाटे पर बात किए बिना पूरी हो होती थी। और वाकई 2014 से पहले हमारे देश में बैंक पूरी तरह बर्बाद होने के कगार पर थे। अब आज क्या स्थिति है? आज भारत का बैंकिंग सेक्टर दुनिया के सबसे मजबूत सिस्टम्स में से एक है। हमारे बैंक रिकॉर्ड प्रॉफिट में हैं और डिपॉजिटर्स को इसका फायदा मिल रहा है। ये इसलिए हुआ, क्योंकि हमारी सरकार ने बैंकिंग सेक्टर में लगातार Reforms किए, देशहित में छोटे बैंकों का मर्जर किया, उनका सामर्थ्य बढ़ाया। आपको एयर इंडिया की पुरानी हालत भी याद होगी। एयर इंडिया डूब रही थी,  हर वर्ष देश के हज़ारों करोड़ रुपए डूब रहे थे, लेकिन फिर भी पहले की सरकार फैसला लेने से डरती रही। हमने फैसला लिया और देश को लगातार हो रहे नुकसान से बचाया क्यों? क्योंकि हमारे लिए देशहित सर्वोपरि है।

साथियों,

हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री ने माना था, कि अगर सरकार एक रुपया गरीब को भेजती है, तो उसमें से 85 पैसा लुट जाता है। सरकारें बदलती रहीं, साल बीतते रहे, लेकिन गरीब के हक का पूरा पैसा उसे मिले, इस दिशा में ठोस काम नहीं हुआ। गरीब का पूरा पैसा गरीब को मिले, एक रुपया दिल्ली से निकले, तो सौ के सौ पैसे उसके पास पहुंचने चाहिए। इसके लिए हमने डायरेक्ट बेनिफिट transfer की व्यवस्था की। और इससे सरकारी स्कीम्स में लीकेज रुकी, लाभार्थियों तक सीधे बेनिफिट पहुंचा, सरकार की फाइलों में 10 करोड़ ऐसे फर्जी लाभार्थी थे,  ये जरा समझना, 10 करोड़ ऐसे फर्जी लाभार्थी थे,   जिनका कभी जन्म भी नहीं हुआ था। और उन्हें पूरे ठाठ से सारी सुविधाएं मिल रही थीं। 10 करोड़, पहले वाले यही सिस्टम बनाकर गए थे। हमारी सरकार ने इन 10 करोड़ फर्जी नामों को सिस्टम से हटाया और DBT के माध्यम से सीधा पूरा का पूरा पैसा गरीबों के बैंक खातों में भेजा। इससे साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए से ज्यादा, साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए से ज्यादा गलत हाथों में जाने से बचा है। मतलब ये आपका पैसा बचाया है। पैसा आपका बचा, गाली मोदी ने खाई।

साथियों,

आप वन रैंक वन पेंशन का मामला ही देखिए, ये अनेक दशकों से लटका हुआ था। पहले ये तर्क देकर इसको ठुकराया जाता था, कि इससे सरकारी खजाने पर बोझ पड़ेगा। हमारी सरकार ने देश की रक्षा के लिए जीवन खपाने वालों के हित को सर्वोपरि रखा। आज OROP से लाखों-लाख सैनिक परिवारों का फायदा हो रहा है। अब तक हमारी सरकार OROP के सवा लाख करोड़ रुपए से ज्यादा पूर्व फौजियों को दे चुकी है।

साथियों, 

देश में गरीब परिवारों को भी आरक्षण मिले, इसको लेकर भी दशकों तक सिर्फ बातें हुई। इसको लागू करने का निर्णय हमारी सरकार ने किया। लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को तैंत्तीस प्रतिशत आरक्षण के मामले में क्या-क्या होता रहा, ये भी देश ने पूरी तरह देखा है। इसके पीछे भी कुछ लोगों का स्वार्थ था। लेकिन राष्ट्रहित में ये ज़रूरी था। इसलिए हमारी सरकार ने लोकसभा-विधानसभा में वीमेन रिजर्वेशन का कानून बनाकर, नारीशक्ति को और सशक्त किया। 

साथियों,

अतीत में कितने ही ऐसे विषय रहे जिन पर चर्चा करने के लिए ही कोई तैयार नहीं था। डर था कि कहीं वोट बैंक नाराज हो जाए तो। अब जैसे ट्रिपल तलाक का मामला है। इससे अनगिनत मुस्लिम बहनों का जीवन बर्बाद हुआ। लेकिन सत्ता में बैठे लोगों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था। महिलाओं के हित में, मुस्लिम परिवारों के हित में, हमारी सरकार ने ट्रिपल तलाक के विरुद्ध कानून बनाया। वक्फ कानून में ज़रूरी सुधार की ज़रूरत भी अनेक दशकों से महसूस की जा रही थी। लेकिन वोटबैंक को खुश करने के लिए इस नेक काम को भी बदनाम करके रखा गया था। अब जाकर, वक्फ कानून में वो संशोधन किए गए हैं, जो सही मायने में मुस्लिम माताओं-बहनों, गरीब मुसलमान-पसमांदा मुसलमानों के काम आएगा।

साथियों,

एक और बहुत बड़ा काम हुआ है, जिसकी चर्चा उतनी नहीं होती। ये काम नदियों को जोड़ने से जुड़ा है। अभी पानी के संबंध में अतिदेब जी ने पूछा, क्या करेंगे? दशकों तक हमारी नदियों के पानी को तनाव का, झगड़े का विषय बनाकर रखा गया। लेकिन हमारी सरकार ने, राज्य सरकारों के साथ मिलकर, नदियों को जोड़ने का महाअभियान शुरु किया है। केन बेतवा लिंक परियोजना, पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना, इनसे लाखों किसानों को फायदा होगा। वैसे आजकल तो मीडिया में पानी को लेकर काफी चर्चा चल रही है। आप बहुत जल्दी समझ जाते हैं। पहले भारत के हक का पानी भी बाहर जा रहा था, अब भारत का पानी, भारत के हक में बहेगा, भारत के हक में रुकेगा और भारत के ही काम आएगा।

साथियों,

अक्सर लोग इस बात को दोहराते हैं कि इतने दशकों बाद, संसद की नई इमारत का निर्माण हुआ, लेकिन एक बात पर चर्चा नहीं होती, कि दशकों के इंतजार के बाद, हमारी सरकार ने ही यहां दिल्ली में डॉक्टर बाबा साहब अंबेडकर नेशनल मेमोरियल भी बनाया। अटल जी की जब सरकार थी, उस समय इसकी बात शुरू हुई थी, लेकिन इसके निर्माण का काम भी एक दशक तक लटका रहा। हमारी सरकार ने इसको तो पूरा किया ही, देश और दुनिया में बाबा साहेब से जुड़े प्रमुख स्थलों को पंचतीर्थ के रूप में विकसित किया है।

साथियों, 

2014 में हमारी सरकार ऐसी परिस्थिति में बनी थी, जब सरकारों पर देशवासियों का विश्वास लगभग टूट चुका था। कुछ लोग तो ये सवाल उठाने लगे थे, कि क्या हमारे देश में लोकतंत्र और विकास साथ-साथ चल सकते हैं? लेकिन आज, जब कोई भारत को देखता है, तो गर्व से कह सकता है–  "डेमोक्रेसी कैन डिलीवर" यानी डेमॉक्रेसी रिजल्ट्स दे सकती है। पिछले एक दशक में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं, इससे पूरी दुनिया को ये संदेश मिला है, डेमोक्रेसी कैन डिलीवर। जिन करोड़ों छोटे उद्यमियों को मुद्रा योजना से लोन मिला, उन्हें आज महसूस होता है कि, डेमोक्रेसी कैन डिलीवर। हमारे देश में दर्जनों जिलों को पिछ़ड़े होने का ठप्पा लगाकर अपने हाल पर छोड़ दिया गया था। आज जब वही जिले एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्स बनकर विकास के पैरामीटर्स में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, तो स्पष्ट होता है- डेमोक्रेसी कैन डिलीवर। यहां बहुत कम लोगों को पता होगा, हमारे देश में ट्राइबल्स में भी ऐसी अति पिछड़ी ट्राइबल जातियां थीं, जिन तक विकास का लाभ नहीं पहुंच पाया था। आज जब पीएम जनमन योजना से इन जातियों तक सरकारी सुविधा पहुंची है, तो उन्हें भी भरोसा हुआ है, डेमोक्रेसी कैन डिलीवर! देश का विकास, देश के संसाधन, आखिरी व्यक्ति तक बिना किसी भेदभाव पहुंचें, लोकतंत्र का असली अर्थ, असली उद्देश्य यही है औऱ हमारी सरकार यही कर रही है।

साथियों, 

आज एक ऐसे भारत का निर्माण हो रहा है, जिसके विकास की गति तेज हो और वो भारत सोच से, संकल्प से और संवेदना से भी समृद्ध हो। हमने Human Centric Globalisation का वो रास्ता चुना है, जहां ग्रोथ सिर्फ बाज़ार से तय नहीं होगी। लोगों को गरिमा का जीवन मिले, उनके सपने पूरे हों, हमारे लिए ये विकास का बड़ा पैमाना है। हम GDP-Centric अप्रोच के बजाय GEP-Centric Progress की तरफ बढ़ रहे हैं। और जब मैं GEP कहता हूं, तो इसका अर्थ है- Gross Empowerment of People. मतलब सबका सशक्तिकरण। जब गरीब को पक्का घर मिलता है, तो वो सशक्त होता है, उसका स्वाभिमान बढ़ता है। जब गरीब के घर में शौचालय बनता है, तो उसे खुले में शौच के अपमान और पीड़ा से मुक्ति मिलती है। जब आयुष्मान भारत योजना से गरीब को 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिलता है, तो उसके जीवन की बहुत बड़ी चिंता कम होती है। ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जो संवेदनशील विकास के रास्ते को मजबूत कर रहे हैं, देश की जनता को Empower कर रहे हैं।

साथियों, 

अभी कुछ दिनों पहले, सिविल सर्विस डे के दौरान मैंने नागरिक देवो भव: इस मंत्र की बात कही थी। ये हमारी सरकार का मूल विचार है। हम जनता में जनार्दन देखने वाले लोग हैं। पहले, सरकार में माई-बाप कल्चर हावी था, अब जनता की सेवा भावना ही, उसी को लेकर काम होता है। सरकार खुद, नागरिक तक सेवा पहुंचाने की पहल करती है। यहां बहुत से नौजवान साथी हैं। आजकल तो आप हर फॉर्म ऑनलाइन भरते हैं। एक समय था, जब अपने ही डॉक्यूमेंट्स को अटेस्ट कराने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते थे। अब आप वही सारे काम सेल्फ अटेस्ट करके भी कर सकते हैं।

साथियों,

ऐसी ही पुरानी व्यवस्था सीनियर सिटिजन्स के लिए थी। बुजुर्ग लोगों को हर साल, खुद के जीवित होने का प्रमाण देने के लिए अपने पुराने ऑफिस में जाना पड़ता था और जाकर कहना पड़ता था, मैं जिंदा हूं या फिर बैंक में जाकर बताना पड़ता था कि मैं जीवित हूं, मुझे पैसे मिलने चाहिए। हमने इसका समाधान निकाला। अब सीनियर सिटिजन्स कहीं से भी, डिजिटली अपना जीवन प्रमाण पत्र दे सकते हैं। बिजली कनेक्शन लेना हो, पानी का नल लगवाना हो, बिल जमा करना हो, गैस बुक करानी हो और यहां तक कि गैस सिलेंडर की डिलिवरी लेनी हो, उसके लिए भी बार-बार कहना पड़ता था।

कई लोग छुट्टी लेकर ये सारा काम, नौकरी में एक दिन छुट्टी रखनी पड़ती है इन कामों के लिए। अब देश में व्यवस्था बदली है, ऐसे ढेर सारे काम अब ऑनलाइन हो जाते हैं। हम लगातार ये कोशिश कर रहे हैं, कि हर वो इंटरफेस, जहां लोगों को सरकार से कोई इंटरैक्शन करना हो, जैसे पासपोर्ट का काम हो, टैक्स रीफंड का काम हो, ऐसे हर काम Simple, Fast और Efficient हों। यही नागरिक देवो भव: उस मंत्र का उद्देश्य है। और इसी भाव पर चलते हुए हम 2047 के विकसित भारत की नींव को मजबूत कर रहे हैं।

साथियों, 

भारत आज, अपनी परंपरा और प्रगति को एक साथ लेकर चल रहा है। विकास भी, विरासत भी, ये हमारा मंत्र है। ट्रेडिशन और टेक्नॉलॉजी कैसे एक साथ थ्राइव करती है, ये हम भारत में देख रहे हैं। आज हम डिजिटल ट्रांजेक्शन में दुनिया में टॉप के देशों में हैं। और साथ ही, हम योग और आयुर्वेद के ट्रेडिशन को भी पूरी दुनिया में ले जा रहे हैं। आज दुनिया, भारत में निवेश करने के लिए उत्सुक है, बीते एक दशक में, रिकॉर्ड FDI भारत में आया है। और साथ ही चोरी की गई कलाकृतियां और दूसरा सामान भी रिकॉर्ड संख्या में भारत आ रहा है। आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा फोन निर्माता है। और साथ ही, हम मिलेट्स जैसे सुपरफूड के उत्पादन में भी सबसे आगे हैं। सूर्य मंदिर वाले भारत ने सोलर एनर्जी की production में भी 100 गीगावाट्स की कपैसिटी हासिल कर ली है। 

साथियों,

प्रगति के लिए यह जरूरी नहीं है कि हम अपनी संस्कृति या अपनी जड़ों को छोड़ दें। जितनी गहराई से हम अपनी जड़ों से जुड़ेंगे, आधुनिकता के साथ हमारा जुड़ाव भी उतना ही मजबूत होगा। हम हजारों वर्षों की अपनी विरासत को आने वाले हजारों वर्षों के लिए भारत की ताकत बना रहे हैं।

साथियों,

2047 तक विकसित भारत की इस यात्रा में हर कदम का अपना महत्व है। और कई बार कुछ लोगों को इस बात का अंदाजा भी नहीं होता, कि सरकार जो निर्णय आज ले रही है, उसका multiplier effect कितना बड़ा होगा, कितना दूरगामी होगा। मैं आपको एक ही सेक्टर का मीडिया और कंटेंट क्रियेशन का उदाहरण दूंगा। आप याद कीजिए, 10 साल पहले जब मैं डिजिटल इंडिया की बात करता था, तब कई लोग बहुत सारी आशंकाएं व्यक्त करते थे। लेकिन आज डिजिटल इंडिया हमारे जीवन का एक सहज हिस्सा हो चुका है। सस्ते डाटा और सस्ते मेड इन इंडिया स्मार्टफोन्स ने एक नई क्रांति को जन्म दिया है। डिजिटल इंडिया से कैसे ईज ऑफ लिविंग बढ़ी है, यह हम सब देख रहे हैं। लेकिन डिजिटल इंडिया ने कैसे कंटेंट और क्रिएटिविटी का एक नया संसार बना दिया है, इसकी चर्चा कम होती है। 

आज गांव में अच्छा खाना बनाने वाली एक महिला मिलियन सब्सक्राइबर क्लब में है। किसी आदिवासी क्षेत्र का युवा अपनी लोक कला से दुनिया भर के दर्शकों को जोड़ रहा है। कोई स्कूल में पढ़ने वाला नौजवान है, जो टेक्नोलॉजी को शानदार तरीके से बता रहा है, समझा रहा है। अभी मुंबई में पहली waves समिट हुई है। इसमें दुनिया भर के मीडिया, एंटरटेनमेंट और क्रिएटिव इंडस्ट्री से जुड़े हुए लोग शामिल हुए। मुझे भी इसका हिस्सा बनने का मौका मिला था। मुझे कोई बता रहा था, कि अकेले YouTube ने ही बीते तीन साल में भारत के कंटेंट क्रिएटर्स को 21000 करोड़ रुपये का पेमेंट किया है। Twenty One Thousand Rupees. यानी आज हमारा फोन सिर्फ कम्युनिकेशन का ही नहीं, क्रिएटिविटी का, कमाई का भी बहुत बड़ा टूल बन गया है। 

साथियों,

2047 के विकसित भारत के लक्ष्य के साथ एक और अभियान की पार्टनरशिप है और वो अभियान है- आत्मनिर्भर भारत। आत्मनिर्भरता, हमारे Economic DNA का हिस्सा रही है। फिर भी हमें ये बताया जाता था, कि भारत कोई Maker नहीं, सिर्फ एक Market है। लेकिन अब भारत पर लगाया गया ये टैग हट रहा है। आज भारत दुनिया का एक बड़ा डिफेंस मैन्युफेक्चरर और एक्सपोर्टर बन रहा है। भारत के डिफेंस प्रोडक्ट्स, 100 से ज्यादा देशों में एक्सपोर्ट हो रहे हैं। हमारे डिफेंस एक्सपोर्ट की फिगर भी लगातार बढ़ रही है। देश के पास आईएनएस विक्रांत, आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरी जैसी अनेक स्वदेशी युद्धपोत हैं। इन्हें भारत ने अपने सामर्थ्य से बनाया है। आज भारत अनेक ऐसे सेक्टर्स में भी शानदार काम कर रहा है, जो पहले हमारी ताकत नहीं रहे। जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर है। बीते वर्षों में भारत एक बड़ा इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्टर बनकर उभरा है। आज हमारे लोकल प्रॉडक्ट्स, ग्लोबल हो रहे हैं। हाल में ही एक्सपोर्ट्स से जुड़े आंकड़े आए हैं। भारत का एक्सपोर्ट बीते वर्ष, करीब 825 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। 825 बिलियन डॉलर,  यानी सिर्फ एक दशक में भारत ने अपना एक्सपोर्ट करीब-करीब दोगुना किया है। इसे और गति देने के लिए, नई ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए, इस साल के बजट में हमने मिशन मैन्यूफैक्चरिंग का भी ऐलान किया है। मैन्यूफैक्चरिंग की ये ताकत भारत के लोगों की पहचान creators, innovators और disruptors के रूप में आज दुनिया में उसकी पसंद बना रही है।

साथियों,

ये दशक, आने वाली सदियों के लिए भारत की दिशा तय करने वाला है। ये देश का नया भाग्य लिखने का कालखंड है। ये स्पिरिट मैं देश के हर नागरिक में देख रहा हूं, देश के हर संस्थान, हर सेक्टर में देख रहा हूं। इस समिट के दौरान भी यहां जो चर्चा हुई है, उसमें भी हमने यही महसूस किया है। मैं एक बार फिर ABP नेटवर्क को इस समिट के लिए बहुत– बहुत बधाई देता हूं। और मुझे भी क्योंकि अब देर रात होने वाली है, फिर भी आप इतनी बड़ी तादाद में यहां मौजूद हैं, यह भी अपने आप में उज्ज्वल भविष्य की निशानी है। और मैं खास तौर पर कहना चाहूंगा, आपने ये जो प्रयोग किया है और मैं आपका गेस्ट लिस्ट देख रहा था। सारे नौजवान प्रयोगशील लोग हैं। इनके पास नए विचार हैं, नया साहस है। देश ने जिसने भी सुना होगा उनको उनका आत्मविश्वास पैदा हुआ होगा। अच्छा हमारे देश में यह ताकत पड़ी है। तो आपने एक बहुत बड़ा काम किया है, अच्छा काम किया है और इसके लिए आप अभिनंदन के अधिकारी हैं। बहुत-बहुत धन्यवाद। 

नमस्कार। 

 

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MJPS/ST/DK


(Release ID: 2127366)