सूचना और प्रसारण मंत्रालय
“पुरानी यादों से परे: बेहतरीन पुराने सिनेमा से जुड़े व्यवसायिक पहलू” – वेव्स 2025 में रोचक चर्चाएँ
शुरूआती दौर का सिनेमा मनोरंजन से कहीं बढ़कर हैं - वे हमारी सामूहिक सांस्कृतिक पहचान और विरासत का प्रतिबिंब हैं: प्रकाश मगदुम
पुनर्स्थापना के लिए धन, समय और कुशल संसाधनों का निवेश ज़रुरी है: शहज़ाद सिप्पी
नए कंटेट की बहुतायत के बावजूद, उद्योग जगत को अपने पुराने सिनेमा को संरक्षित करने के लिए काम करना चाहिए: कमल ज्ञानचंदानी
Posted On:
03 MAY 2025 6:18PM
|
Location:
PIB Delhi
वेव्स 2025 में “बियॉन्ड नॉस्टेल्जिया: द बिज़नेस ऑफ़ रिस्टोर्ड क्लासिक्स” शीर्षक से एक पैनल चर्चा के दौरान सिनेमा के तमाम पहलुओं पर दिलचस्प चर्चाओं का दौर चला। फिल्म व्यापार के मशहूर विश्लेषक तरण आदर्श द्वारा संचालित इस सत्र में उद्योग जगत के दिग्गजों ने मौजूदा दर्शकों के लिए पुराने सिनेमा के बेशकीमती उदाहरणों को पुनर्स्थापित करने के महत्व, चुनौतियों और भविष्य पर विचार-विमर्श किया।

चर्चा की शुरुआत फिल्म प्रदर्शनी और वितरण क्षेत्र की प्रमुख हस्ती कमल ज्ञानचंदानी से हुई, जिन्होंने क्लासिक फिल्मों को डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर उपलब्ध कराने की तत्काल ज़रुरत पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा, "हमारी बहुत सी फ़िल्में लोगों की यादों से मिट जाती हैं, क्योंकि वे आसानी से उपलब्ध नहीं होती हैं। दर्शक लगातार हमें बताते हैं कि वे क्लासिक फ़िल्मों को फिर से देखना चाहते हैं"। उन्होंने कहा कि नए कंटेट की बाढ़ सी आने के बावजूद, उद्योग जगत को अपने पुराने सिनेमा को भी संरक्षित करने के लिए काम करना चाहिए।
प्रतिष्ठित सिनेमा की विरासत का प्रतिनिधित्व करने वाले शहज़ाद सिप्पी ने फ़िल्म निर्माण के विकास और पहले के दशकों की, कहानी कहने के अनूठे तरीकों पर बात की। उन्होंने कहा, "उस समय फ़िल्म निर्माण एक अलग कला थी और आज के दर्शक उस युग का अनुभव करने के लिए उत्सुक हैं। लेकिन पुराने दौर के सिनेमा को वापस स्थापित करने के लिए पैसे, समय और कुशल संसाधनों के निवेश की ज़रुरत है।"

फिल्म निर्माता और अभिनेता जैकी भगनानी ने कहा कि आज के दौर में दर्शकों की पसंद को लेकर पहले से अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता। उन्होंने कहा, "लोगों का समय कीमती है - वे गुणवत्तापूर्ण कंटेट देखना चाहते हैं। जो चीज लोगों को पसंद आती है, वह अक्सर व्यक्ति की अपनी पसंद, मौके या मूड से जुड़ी होती है। लेकिन वक्त चाहे जो भी हो, हम हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करते हैं।"

नीति और विरासत के पहलुओं को लेकर, पीआईबी और सीबीसी, अहमदाबाद के अतिरिक्त महानिदेशक प्रकाश मगदुम ने भारत की सिनेमाई विरासत को संरक्षित करने के लिए सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डाला। "भारतीयों के ज़ेहन में पुरानी यादें बहुत अंदर तक बसी होती हैं। एक तरफ जहाँ पुरानी पीढ़ी अपने दौर के जादू को फिर से जीना चाहती है, वहीं युवा पीढ़ी उन क्लासिक्स का अनुभव करने के लिए उत्सुक है, जिनके बारे में उन्होंने बहुत सुना है। पुराने सिनेमा को पुर्नस्थापित करना एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें कई हितधारक शामिल होते हैं, लेकिन आज के दौर में अत्याधुनिक तकनीक के साथ, हम सही दृष्टिकोण के साथ अपने मकसद में कामयाब होने में सक्षम हैं, "उन्होंने कहा।
उन्होंने महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय फिल्म विरासत मिशन के बारे में भी विस्तार से बताया, जो भारत सरकार द्वारा संचालित एक अनूठी पहल है, जिसका मकसद सिनेमाई खजाने को संरक्षित करना और उसे डिजिटली रुप देकर पुनर्स्थापित करना है। श्री मगदुम ने कहा, “क्लासिक फिल्में मनोरंजन से कहीं बढ़कर हैं - वे हमारी सामूहिक सांस्कृतिक पहचान और विरासत का प्रतिबिंब हैं। चुनौती बहुत बड़ी है, खासकर तापमान और नमी जैसे कारकों के कारण फिल्म रील्स पर असर होता है और डिजिटल डेटा संरक्षण की जटिलताएँ बढ़ती जा रही हैं। लेकिन इसके बावजूद, इस जिम्मेदारी को तत्परता और समर्पण के साथ पूरा किया जाना चाहिए”।
कुल मिलाकर इस पैनल ने एक बार फिर इस बात को दोहराया कि सिनेमा के पुनर्स्थापित क्लासिक्स केवल अतीत के अवशेष नहीं हैं, बल्कि हमारी संस्कृति, भावना और विरासत के जीवंत वाहक हैं। जैसे-जैसे पुराने सिनेमा की बहाली का उद्योग आगे बढ़ेगा, साफ है कि तकनीक, जुनून और सही नीतियों का ये तालमेल यह तय कर पाएगा कि भारत की सिनेमाई विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहे।
आधिकारिक ताज़ा जानकारी के लिए हमें फॉलो करें:
एक्स पर:
https://x.com/WAVESummitIndia
https://x.com/MIB_India
https://x.com/PIB_India
https://x.com/PIBmumbai
इंस्टाग्राम पर:
https://www.instagram.com/wavesummitindia
https://www.instagram.com/mib_india
https://www.instagram.com/pibindia
***
एमजी/आरपीएम/केसी/एनसी/डीए
Release ID:
(Release ID: 2126619)
| Visitor Counter:
144