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चार धाम और हेमकुंड साहिब यात्रा 2025: त्वरित और सुरक्षित पंजीकरण के लिए आधार-आधारित eKYC की शुरुआत की गई


7.5 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने आधार प्रमाणीकरण के माध्यम से चारधाम और हेमकुंड साहिब यात्रा 2025 के लिए पंजीकरण किया

उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड (यूटीडीबी) ने चार धाम यात्रा के लिए आधार-आधारित पंजीकरण शुरू किया जो बेहतर भीड़ प्रबंधन सुनिश्चित करेगा

Posted On: 26 MAR 2025 4:22PM by PIB Delhi

उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड (यूटीडीबी) ने भारत की सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ यात्राओं में से एक चारधाम और हेमकुंड साहिब यात्रा के लिए आधार प्रमाणीकरण और eKYC की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य पंजीकरण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना, समय बचाना और श्रद्धालुओं के अनुभव को बेहतर बनाना है।

आधार-आधारित ऑनलाइन पंजीकरण से प्रशासन को तीर्थयात्रियों की आवाजाही की निगरानी करने, मंदिरों में भीड़भाड़ को रोकने के लिए बेहतर तैयारी करने और विशेष रूप से ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मौसम संबंधी सूचनाओं के प्रवाह में सुधार करने में मदद मिलेगी।

परंपरा और तकनीक का संतुलन

चारधाम और हेमकुंड साहिब यात्रा 2025 के लिए पंजीकरण 20 मार्च 2025 से शुरू हुआ था, और अब तक 7.5 लाख से अधिक श्रद्धालु आधार-आधारित ऑनलाइन पंजीकरण सुविधा का लाभ उठा चुके हैं।

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) राज्यों की अभिनव पहलों को समर्थन देकर नागरिकों के जीवन को आसान बनाने में मदद कर रहा है। इस पहल के तहत पंजीकरण पोर्टल (https://registrationandtouristcare.uk.gov.in) और "टूरिस्ट केयर उत्तराखंड" मोबाइल ऐप का उपयोग किया जा रहा है।

यह कदम डुप्लीकेट पंजीकरण को रोकने में मदद करेगा, जिससे अधिक श्रद्धालुओं को यात्रा करने का अवसर मिलेगा। आधार-आधारित डिजिटल सत्यापन से पंजीकरण प्रक्रिया तेज़ होगी और कागजी कार्यवाही कम होगी। वहीं, नामित केंद्रों पर ऑफलाइन पंजीकरण की सुविधा भी जारी रहेगी।

यह कदम डुप्लीकेट पंजीकरण को रोकने में मदद करेगा, जिससे अधिक श्रद्धालुओं को यात्रा करने का अवसर मिलेगा। आधार-आधारित डिजिटल सत्यापन से पंजीकरण प्रक्रिया तेज़ होगी और कागजी कार्यवाही कम होगी। वहीं, नामित केंद्रों पर ऑफलाइन पंजीकरण की सुविधा भी जारी रहेगी।

आधार से जुड़े पंजीकरण से आवास, परिवहन, भोजन और चिकित्सा सहायता की बेहतर योजना और प्रबंधन करने में भी मदद मिलेगी। यह संसाधनों की बर्बादी और कमी को रोकने में सहायक होगा। साथ ही, आपातकालीन स्थितियों में भी यह प्रणाली प्रशासन और तीर्थयात्रियों के बीच समन्वय को बेहतर बनाएगी।

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 एमजी /आरपीएम/केसी/ केजे 


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