राष्ट्रपति सचिवालय
राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया
Posted On:
28 FEB 2025 12:35PM by PIB Delhi
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज गांधीनगर में राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाग लिया।
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इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश में न्याय आधारित सामाजिक व्यवस्था को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। विरासत और विकास को मिलाकर हम न्याय आधारित विकसित भारत का निर्माण कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में गृह मंत्रालय ने फोरेंसिक विज्ञान की भूमिका को मजबूत करने और इस क्षेत्र में सुविधाएं और क्षमता विकसित करने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए हैं।
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राष्ट्रपति ने कहा कि कोई भी न्याय प्रणाली तभी मजबूत मानी जाती है जब वह सही मायने में समावेशी हो। उन्होंने छात्रों से कहा कि उनका लक्ष्य समाज के सभी वर्गों, विशेषरूप से कमजोर और वंचित वर्गों को फोरेंसिक साक्ष्य के आधार पर निष्पक्ष और त्वरित न्याय प्रदान करना होना चाहिए। उन्होंने छात्रों से देश के सुशासन में योगदान देने का आग्रह किया।
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राष्ट्रपति ने कहा कि तीन नए आपराधिक कानूनों में अपराध जांच और साक्ष्य से जुड़े बदलाव किए गए हैं। जिन मामलों में सजा की अवधि सात वर्ष या उससे अधिक है, उनमें अब फोरेंसिक विशेषज्ञ का घटनास्थल पर जाकर जांच करना अनिवार्य कर दिया गया है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में सभी राज्यों में समयबद्ध तरीके से फोरेंसिक सुविधाओं के विकास का प्रावधान किया गया है। कई कानूनों में समयबद्ध फोरेंसिक जांच को अनिवार्य बनाया गया है। राष्ट्रपति ने कहा कि इन बदलावों से फोरेंसिक विशेषज्ञों की मांग बढ़ेगी।
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राष्ट्रपति ने कहा कि प्रौद्योगिकी में तेजी से हो रहे बदलावों, विशेषकर डिजिटल प्रौद्योगिकी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में, के कारण फोरेंसिक विज्ञान विशेषज्ञों की क्षमताएं बढ़ रही हैं, लेकिन साथ ही, अपराधी भी नए तरीके खोज रहे हैं। हमारी पुलिसिंग, अभियोजन और आपराधिक न्याय वितरण प्रणाली से जुड़े लोग अपराधियों से अधिक बुद्धिमान, अधिक तत्पर और सतर्क होकर ही अपराध को नियंत्रित करने और न्याय को सुलभ बनाने में सफल हो सकते हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के योगदान से एक मजबूत फोरेंसिक प्रणाली विकसित होगी, सजा की संभावना बढ़ेगी और अपराधी अपराध करने से डरेंगे।
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