सूचना और प्रसारण मंत्रालय
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आईएफएफआई गोवा में रणबीर कपूर के विशेष सत्र के साथ राज कपूर की शताब्दी मनाई गई


"राज कपूर की फिल्में सिर्फ मनोरंजन के लिए ही नहीं थीं; वे ऐसी अर्थपूर्ण कहानियां थीं जो दर्शकों के दिल को छू जाती थीं": रणबीर कपूर

'मेरा नाम जोकर' जैसी असफलताओं के बावजूद, मेरे दादाजी दर्शकों से जुड़े रहे और साहसिक जोखिम उठाए": रणबीर

कलाकारों के रूप में, हमें अपने मंच का उपयोग जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक मुद्दों का समाधान निकालने और अपने काम के माध्यम से जागरूकता फैलाने के लिए करना चाहिए: रणबीर

राज कपूर एक दूरदर्शी थे; पीढ़ियों और संस्कृतियों के दर्शकों के साथ जुड़ने की उनकी क्षमता अद्वितीय है: राहुल रवैल, सुप्रसिद्ध फिल्म निर्माता

प्रख्यात अभिनेता और निर्देशक राज कपूर के शताब्दी समारोह के एक अंग के रूप में, 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) ने एक विशेष सत्र में दिग्गज अभिनेता को श्रद्धांजलि दी। इस सत्र में मशहूर अभिनेता राज कपूर के पोते रणबीर कपूर और अनुभवी फिल्म निर्माता राहुल रवैल ने भी भाग लिया। यह सत्र भारतीय सिनेमा में राज कपूर के महान योगदान, उनके स्थायी प्रभाव और उनके कार्यों की स्थायी विरासत को समर्पित रहा।

रणबीर कपूर ने अपने दादाजी के विशिष्ट प्रभाव पर चर्चा करते हुए कहा कि राज कपूर की फिल्में समय और सीमाओं से परे हैं। उन्होंने कहा कि कैसे उनके दादा की फिल्में जैसे कि आवारा , मेरा नाम जोकर और श्री 420 , एक सार्वभौमिक अपील थी, जो रूस से लेकर भारत तक दुनिया भर के दर्शकों के साथ गहराई से जुड़ती हैं।

राज कपूर की फिल्मों की प्रासंगिकता पर चर्चा करते हुए रणबीर सिंह ने बताया कि कैसे आवारा की थीम जातिवाद के मुद्दे का हल तलाशती है, जबकि श्री 420 लालच और महत्वाकांक्षा पर आधारित है। बाद में प्रेम रोग और राम तेरी गंगा मैली जैसी फिल्मों को महिलाओं के मुद्दों और सामाजिक चुनौतियों के साथ नैतिक फिल्मांकन के लिए सराहा गया, जो राज कपूर के अपने समय से आगे के फिल्म निर्माता के रूप में उनके दृष्टिकोण को रेखांकित करता है।

रणबीर ने राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी), भारतीय राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार (एनएफएआई) और फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन के सहयोग से राज कपूर की फिल्मों को सहेजने के लिए जारी प्रयासों पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि राज कपूर की दस फिल्मों को पहले ही सहेजा जा चुका है, इन्हें दिसंबर 2024 में पूरे भारत में रिलीज़ करने की योजना है। उन्होंने भारतीय सिनेमा में उनके योगदान को मान्यता देते हुए राज कपूर की सिनेमाई प्रतिभा को संरक्षित करने और उसका महोत्सव मनाने के महत्व पर जोर दिया।

इस सत्र में फिल्म निर्माण, अभिनय और सामाजिक मुद्दों को संबोधित करने में सिनेमा की उभरती भूमिका पर भी चर्चा हुई। रणबीर ने बताया कि कैसे पिता बनने के बाद पर्यावरण और सामाजिक बदलाव के बारे में उनकी जागरूकता बढ़ी है, उन्होंने कलाकारों से ज्ञान फैलाने और वैश्विक मुद्दों का समर्थन करने के लिए अपने मंच का उपयोग करने का आग्रह किया। उन्होंने अभिनय में व्यक्तित्व के महत्व का उल्लेख करते हुए महत्वाकांक्षी अभिनेताओं को दुनिया भर के महान कलाकारों से प्रेरणा लेते हुए अपनी अनूठी शैली खोजने के लिए प्रोत्साहित किया।

कार्यक्रम का समापन करते हुए, रणबीर कपूर ने श्रद्धांजलि आयोजन के लिए आईएफएफआई के प्रति आभार व्यक्त किया और दर्शकों से राज कपूर के कालातीत कार्यों को फिर से देखने और संजोने का आह्वान किया। राहुल रवैल ने रणबीर के दृष्टिकोण का समर्थन करते हुए फिल्म उद्योग के साथ-साथ बड़े पैमाने पर समाज पर राज कपूर के स्थायी प्रभाव की भी बात की।

इस सत्र में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव संजय जाजू, भारतीय फिल्म निर्माता एवं आईएफएफआई महोत्सव के निदेशक शेखर कपूर, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के संयुक्त सचिव एवं एनएफडीसी के प्रबंध निदेशक पृथुल कुमार तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की संयुक्त सचिव (फिल्म) वृंदा देसाई भी उपस्थित रहीं।

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