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अभिनय हमेशा फिल्म की सफलता में योगदान देने के संबंध में होता है; ऐसा नहीं होता है कि मुझे फिल्म से क्या मिलता है: नित्या मेनन


दर्शकों और अनुभवों के प्रति लचीलापन तथा खुलापन एक अभिनेता के लिए महत्वपूर्ण होता है: नित्या मेनन

भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव- इफ्फी के 55वें संस्करण में नित्या मेनन के साथ संवाद सत्र

राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित अभिनेत्री नित्या मेनन ने भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव- इफ्फी के 55वें संस्करण में अभिनय कला के बारे में अपनी गहन अंतर्दृष्टि साझा की। नित्या गोवा के पणजी में आयोजित इफ्फी की कला अकादमी में ‘चरित्र एवं अभिनेता: सूक्ष्मता की शक्ति’ विषय पर एक संवाद सत्र को संबोधित कर रही थीं।

थिरुचित्राम्बलम और ओके कनमनी जैसी फिल्मों में अपने शानदार अभिनय के लिए जानी जाने वाली तथा राष्ट्रीय पुरस्कार की विजेता नित्या मेनन ने सूक्ष्मता की शक्ति, भावनात्मक प्रामाणिकता के महत्व जटिलता एवं वास्तविक दुनिया के चरित्रों को प्रदर्शित करने में आने वाली चुनौतियों के बारे में चर्चा की।

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सहज ज्ञान और फिल्म चयन: प्रक्रिया पर भरोसा

नित्या ने फिल्मों के चयन की अपनी प्रक्रिया और अतीत में "हल्के" किरदार निभाने के लिए आलोचना का सामना करने जैसे मुद्दों को सामने रखते हुए चर्चा शुरुआत की। औपचारिक अभिनय पद्धति का पालन करने के बावजूद, उनकी तैयारी में दुनिया का अवलोकन करना, दृश्यों की कल्पना करना और सहज रूप से पात्रों से जुड़ना शामिल रहा है। उनके लिए अभिनय भावनात्मक जुड़ाव के बारे में है, जरूरी नहीं कि यह व्यक्तिगत अनुभव के बारे में हो। नित्या ने उदाहरण देते हुए कहा कि एक मां का किरदार निभाने के लिए सजीव अनुभव की बजाय सहानुभूति और भावनात्मक गुणांक (ईक्यू) की आवश्यकता होती है।

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नित्या मेनन ने कहा कि कठोरता और आत्मविश्वास की कमी एक अभिनेता के प्रदर्शन में बाधा डालते हैं। उन्होंने कहा कि लचीलापन और साथ में लोगों तथा अनुभवों के प्रति खुलापन होना बहुत जरूरी है। इसके अलावा आत्मविश्वास का होना भी बड़ा आवश्यक है। नित्या ने शांत वातावरण के महत्व पर भी जोर दिया, ताकि अभिनेता या अभिनेत्री को व्यस्त कार्यक्रम के दबाव के बिना अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में मदद मिल सके। वह अपने हृदय-केंद्रित दृष्टिकोण और भावनात्मक खुलेपन को विभिन्न संस्कृतियों एवं क्षेत्रों के दर्शकों के साथ गहराई से जुड़ने की अपनी क्षमता का श्रेय देती हैं, जिससे उनका प्रदर्शन सार्वभौमिक रूप से प्रासंगिक बन जाता है।

नित्या मेनन ने इस तथ्य का भी उल्लेख किया कि एक अभिनेता की आंतरिक भावनाओं या चरित्र का उसके द्वारा निभाए जाने वाले पात्रों पर अधिक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि पहले मेरे लिए दुःख व्यक्त करना या रोना आसान था, क्योंकि मेरा मानना ​​है कि मेरे अंदर बहुत पीड़ा थी। नित्या मेनन ने कहा कि कुछ भावनात्मक दृश्य होते थे, जो मुझे शांत कर देते थे और शॉट या दृश्य खत्म होने के बाद मैं बहुत राहत महसूस करती थी। उन्होंने कहा कि आज जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूं तो मुझे रोना मुश्किल लगता है। हो सकता है कि मैं जैसे-जैसे बड़ी हो रही हूं, वैसे-वैसे एक खुशमिजाज इंसान बन रही हूं। नित्या ने यह भी कहा कि भावनात्मक प्रामाणिकता सबसे अधिक मायने रखती है। उन्होंने कहा कि यह उनकी भावनाओं की ईमानदारी है, जो उनके काम को प्रेरित करती है, न कि किसी भूमिका के आसपास की बाहरी परिस्थितियां असर डालती हैं।

नित्या मेनन ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में फिल्म उद्योग जगत में अभिनेत्रियों के प्रति अधिक स्वीकार्यता बढ़ी है और सिनेमा में महिलाओं के लिए अधिक अवसर हुए हैं एवं सम्मान भी बढ़ा है। अपने संवाद के अंत में नित्या ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी फिल्म का उद्देश्य दर्शकों की चेतना को जागृत करना है। नित्या ने कहा कि यदि कोई फिल्म भावनात्मक या बौद्धिक रूप से जुड़ने में विफल रहती है, तो वह अपना महत्व ही खो बैठती है।

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एमजी/केसी/एनके

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