प्रधानमंत्री कार्यालय
संयुक्त वक्तव्य: 7वां भारत-जर्मनी अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी)
नवाचार, गतिशीलता और स्थायित्व के साथ, मिलकर विकास करना
Posted On:
25 OCT 2024 8:25PM by PIB Delhi
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ़ेडरल चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने 25 अक्टूबर 2024 को नई दिल्ली में भारत-जर्मनी अंतर-सरकारी परामर्श (7वां आईजीसी) के सातवें दौर की सह-अध्यक्षता की। प्रतिनिधिमंडल में भारत की ओर से रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री, वाणिज्य और उद्योग मंत्री, श्रम और रोजगार मंत्री, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री (एमओएस) और कौशल विकास मंत्री (एमओएस) तथा जर्मनी की ओर से आर्थिक मामले और जलवायु कार्रवाई मंत्री, विदेश मंत्री, श्रम और सामाजिक मामलों के मंत्री और शिक्षा और अनुसंधान मंत्री शामिल थे। इसके साथ ही प्रतिनिधिमंडल में जर्मन पक्ष से वित्त, पर्यावरण, प्रकृति संरक्षण, परमाणु सुरक्षा और उपभोक्ता संरक्षण तथा आर्थिक सहयोग और विकास के संसदीय राज्य सचिव और दोनों पक्षों के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे।
2. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चांसलर के रूप में अपनी तीसरी भारत यात्रा पर चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ का गर्मजोशी से स्वागत किया। दोनों राजनेताओं ने सरकार, उद्योग, नागरिक समाज और शिक्षा जगत में द्विपक्षीय जुड़ाव में नई गति की सराहना की, जिसने भारत और जर्मनी के बीच रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने और प्रगाढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
3. दोनों राजनेताओं ने जर्मनी, भारत और पूरे भारत-प्रशांत क्षेत्र के बीच आर्थिक संबंधों और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने में 7वें आईजीसी के साथ-साथ नई दिल्ली में होने वाले एशिया-प्रशांत जर्मन व्यापार सम्मेलन (एपीके) के महत्व पर जोर दिया। भारत में 2024 के सम्मेलन को आयोजित करने का निर्णय भारत-प्रशांत क्षेत्र और वैश्विक स्तर पर भारत के राजनीतिक महत्त्व को रेखांकित करता है।
4. "नवाचार, गतिशीलता और स्थायित्व के साथ, आपस में मिलकर विकास करना" के आदर्श वाक्य के तहत, 7वीं आईजीसी ने प्रौद्योगिकी और नवाचार, श्रम और प्रतिभा, प्रवास और गतिशीलता, जलवायु कार्रवाई, हरित और सतत विकास के साथ-साथ आर्थिक, रक्षा और रणनीतिक सहयोग पर विशेष जोर दिया। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि उपर्युक्त क्षेत्र हमारी बहुआयामी साझेदारी के प्रमुख संचालक होंगे, जिनका व्यापार, निवेश, रक्षा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, नवाचार, स्थायित्व, नवीकरणीय ऊर्जा, उभरती हुई प्रौद्योगिकियों, विकास सहयोग, संस्कृति, शिक्षा, सतत गतिशीलता, सतत संसाधन प्रबंधन, जैव विविधता, जलवायु सुदृढ़ता और लोगों के आपसी संबंधों तक विस्तार हुआ है।
5. वर्ष 2024, वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी विकास में सहयोग पर अंतर-सरकारी समझौते पर हुए हस्ताक्षर की 50वीं वर्षगांठ भी है, जिसने विज्ञान और प्रौद्योगिकी, अनुसंधान और नवाचार में भारत-जर्मनी सहयोग की रूपरेखा को संस्थागत रूप दिया। इस संदर्भ में, 7वें आईजीसी ने भारत और जर्मनी के बीच घनिष्ठ संबंधों को नवीनीकृत करने और सहयोग के प्रमुख स्तंभ के रूप में प्रौद्योगिकी और नवाचार की उन्नति को प्राथमिकता देने का अवसर प्रदान किया।
6. 6ठे आईजीसी के दौरान, दोनों सरकारों ने हरित और सतत विकास भागीदारी (जीएसडीपी) की घोषणा की थी, जो इस क्षेत्र में द्विपक्षीय प्रारूपों और संयुक्त पहलों के लिए एक व्यापक व्यवस्था के रूप में कार्य करती है। इसके बाद, दोनों पक्षों ने दिसंबर 2022 में प्रवासन और गतिशीलता भागीदारी समझौते (एमएमपीए) पर हस्ताक्षर किए और फरवरी 2023 में "नवाचार और प्रौद्योगिकी में सहयोग बढ़ाने के लिए भारत-जर्मनी विजन" का शुभारंभ किया। 6ठे आईजीसी के परिणामों और उसके बाद दोनों पक्षों द्वारा किए गए विभिन्न समझौतों को याद करते हुए, दोनों सरकारों ने "भारत-जर्मनी नवाचार और प्रौद्योगिकी भागीदारी रोडमैप" का शुभारंभ किया और "भारत-जर्मनी हरित हाइड्रोजन रोडमैप" पेश किया, जिसका उद्देश्य हरित हाइड्रोजन के बाजार में तेजी लाना है। शांति, सुरक्षा और स्थिरता के लिए एक साथ आगे बढ़ना।
7. दोनों राजनेताओं ने भविष्य के समझौते का उल्लेख किया तथा लोकतंत्र, स्वतंत्रता, अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों व सिद्धांतों के अनुरूप नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था सहित साझा मूल्यों और सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। दोनों सरकारों ने समकालीन वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने, वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों का समाधान करने तथा विश्व भर में शांति और स्थिरता को बनाए रखने और उसका समर्थन करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सदस्यता की स्थायी और अस्थायी दोनों श्रेणियों के विस्तार सहित बहुपक्षीय प्रणाली को मजबूत करने और सुधारने की अपनी प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया। दोनों नेताओं ने एक निश्चित समय सीमा के भीतर आईजीएन में पाठ-आधारित वार्ता का आह्वान किया।
8. भारत और जर्मनी इस बात पर सहमत हुए कि क्षेत्रीय और वैश्विक संकटों का प्रभावी ढंग से समाधान करने में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की कठिनाइयाँ सुधार की तत्काल आवश्यकता की याद दिलाती हैं। "ग्रुप ऑफ़ फोर (जी4)" के सदस्यों के रूप में, भारत और जर्मनी ने एक ऐसी सुरक्षा परिषद के लिए अपना आह्वान दोहराया, जो कुशल, प्रभावी, पारदर्शी और 21वीं सदी की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने वाली हो।
9. राजनेताओं ने यूक्रेन में चल रहे युद्ध पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की, जिसमें इसके भयानक और दुखद मानवीय परिणाम शामिल हैं। उन्होंने संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने सहित संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों तथा अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुरूप एक व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति की आवश्यकता को दोहराया। उन्होंने विशेष रूप से विकासशील और कम विकसित देशों के संदर्भ में, वैश्विक खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा के संबंध में यूक्रेन में युद्ध के नकारात्मक प्रभावों का भी उल्लेख किया। इस युद्ध के संदर्भ में, उन्होंने यह विचार साझा किया कि परमाणु हथियारों का उपयोग, या उपयोग की धमकी, अस्वीकार्य है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय कानून को बनाए रखने के महत्व को रेखांकित किया, और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुरूप दोहराया कि सभी देशों को किसी भी देश की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता या राजनीतिक स्वतंत्रता के खिलाफ बल के प्रयोग या धमकी से बचना चाहिए।
10. राजनेताओं ने मध्य पूर्व में शांति और स्थिरता प्राप्त करने में अपनी साझा रुचि व्यक्त की। उन्होंने 7 अक्टूबर, 2023 को हमास के आतंकी हमलों की स्पष्ट रूप से निंदा की और गाजा में बड़े पैमाने पर नागरिकों के मारे जाने और मानवीय संकट पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने हमास द्वारा बंधक बनाए गए सभी लोगों की तत्काल रिहाई और तत्काल युद्ध विराम के साथ-साथ पूरे गाजा में मानवीय सहायता की पहुंच और निरंतर वितरण में तत्काल सुधार का आह्वान किया। नेताओं ने संघर्ष को बढ़ने और क्षेत्र में फैलने से रोकने की आवश्यकता को रेखांकित किया। इस संबंध में, उन्होंने सभी क्षेत्रीय शक्तियों से जिम्मेदारी और संयम से काम लेने का आह्वान किया। दोनों पक्षों ने नागरिकों के जीवन की रक्षा करने और नागरिकों को सुरक्षित, समय पर और निरंतर मानवीय राहत की सुविधा प्रदान करने की तत्काल आवश्यकता पर भी जोर दिया और इस संबंध में सभी पक्षों से अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करने का आग्रह किया। नेता लेबनान में तेजी से बिगड़ती स्थिति के बारे में भी बहुत चिंतित थे, उन्होंने शत्रुता को तत्काल समाप्त करने का आह्वान किया और इस बात पर सहमत हुए कि गाजा और लेबनान में संघर्ष का समाधान केवल कूटनीतिक तरीकों से ही हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव 1701 ब्लू लाइन के आस-पास कूटनीतिक समाधान की दिशा में आगे के मार्ग की रूपरेखा का वर्णन करता है। नेताओं ने बातचीत के माध्यम से दो-राज्य समाधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की, जिससे एक संप्रभु, व्यावहारिक और स्वतंत्र फिलिस्तीन राज्य की स्थापना हो सके, जो इजरायल की वैध सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, इजरायल के साथ सम्मान और शांति के साथ सुरक्षित और पारस्परिक रूप से मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर रह सके।
11. राजनेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के रूप में, भारत और यूरोपीय संघ का बहु-ध्रुवीय दुनिया में सुरक्षा, समृद्धि और सतत विकास सुनिश्चित करने में साझा हित है। उन्होंने भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक साझेदारी को सशक्त करने के महत्व पर जोर दिया, जिससे न केवल दोनों पक्षों को लाभ होगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर दूरगामी सकारात्मक प्रभाव भी पड़ेगा। नेताओं ने भारत-यूरोपीय संघ व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद के लिए अपना मजबूत समर्थन भी व्यक्त किया, जो व्यापार, विश्वसनीय प्रौद्योगिकियों और सुरक्षा के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में घनिष्ठ जुड़ाव की दिशा में एक अभिनव मंच के रूप में काम करेगा। वे भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे, जिसमें भारत, जर्मनी और यूरोपीय संघ सदस्य हैं और यूरोपीय संघ पहल ग्लोबल गेटवे सहित प्रमुख संपर्क पहलों को आगे बढ़ाने के लिए द्विपक्षीय और यूरोपीय संघ के स्तर पर प्रयासों का समन्वय करने पर सहमत हुए।
12. दोनों नेताओं ने यूरोपीय संघ और भारत के बीच व्यापक मुक्त व्यापार समझौते, निवेश संरक्षण समझौते और भौगोलिक संकेतों पर एक समझौते के महत्व को रेखांकित किया, साथ ही वार्ता के शीघ्र समापन का आह्वान किया।
13. दोनों नेताओं ने आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद की सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में स्पष्ट रूप से निंदा की, जिसमें आतंकवादियों के छद्मों का उपयोग और सीमा पार आतंकवाद शामिल है। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय शांति और स्थिरता के लिए एक गंभीर खतरा बना हुआ है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) 1267 प्रतिबंध समिति द्वारा प्रतिबंधित समूहों सहित सभी आतंकवादी समूहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई का आह्वान किया। दोनों पक्षों ने सभी देशों से आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों और बुनियादी ढांचे को खत्म करने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार आतंकवादी नेटवर्क और वित्तपोषण को बाधित करने की दिशा में काम करना जारी रखने का भी आह्वान किया।
14. दोनों नेताओं ने आतंकवादी उद्देश्यों के लिए नई और उभरती प्रौद्योगिकियों के उपयोग से उभरते खतरों पर चिंता व्यक्त की, जैसे कि मानव रहित विमान प्रणाली, आतंकवादियों और आतंकवादी संस्थाओं द्वारा वर्चुअल परिसंपत्तियों का उपयोग और कट्टरपंथ के प्रचार के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों का दुरुपयोग। इस संबंध में उन्होंने 2022 में भारत में यूएनसीटीसी बैठकों के आयोजन के दौरान आतंकवाद के उद्देश्यों के लिए नई और उभरती प्रौद्योगिकियों के उपयोग का मुकाबला करने पर दिल्ली घोषणा को अपनाने का स्वागत किया।
15. आतंकवाद का मुकाबला करने और इस संबंध में वैश्विक सहयोग व्यवस्था को मजबूत करने की साझा प्रतिबद्धता को स्वीकार करते हुए, दोनों नेताओं ने एफएटीएफ सहित सभी देशों द्वारा धन शोधन विरोधी अंतरराष्ट्रीय मानकों को बनाए रखने और आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने के महत्व पर जोर दिया। दोनों पक्षों ने आतंकवादी कृत्यों के अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने का आह्वान किया। दोनों पक्षों ने खुफिया जानकारी के वास्तविक समय के आदान-प्रदान और आतंकवाद विरोधी प्रयासों के समन्वय हेतु चैनलों को मजबूत करने के लिए आतंकवाद विरोधी संयुक्त कार्य समूह के नियमित परामर्श आयोजित करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। दोनों पक्षों ने आतंकवादी समूहों और व्यक्तियों के खिलाफ प्रतिबंधों और पदनामों, कट्टरपंथ का मुकाबला करने और आतंकवादियों द्वारा इंटरनेट के उपयोग और आतंकवादियों की सीमा पार आवाजाही के बारे में सूचनाओं के निरंतर आदान-प्रदान के लिए भी प्रतिबद्धता जताई।
16. आतंकवाद से संबंधित अपराध सहित अपराधियों को रोकने, दबाने, जांच करने और उन पर मुकदमा चलाने के लिए निकट सहयोग सुनिश्चित करने के उद्देश्य से भारत और जर्मनी ने आपराधिक मामलों में पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (एमएलएटी) को अंतिम रूप दिया। दोनों नेताओं ने सहमति व्यक्त की कि भारत-जर्मनी एमएलएटी दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो सूचना और साक्ष्य साझा करने, पारस्परिक क्षमता निर्माण करने और दोनों देशों के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने में सक्षम बनाएगा।
17. सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने में साझा हित वाले रणनीतिक साझेदारों के रूप में, दोनों पक्षों ने वर्गीकृत सूचनाओं के आदान-प्रदान और पारस्परिक संरक्षण पर समझौते को अंतिम रूप दिया, जिससे भारतीय और जर्मन संस्थाओं के बीच सहयोग और सहभागिता के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार हुआ और इस बारे में मार्गदर्शन प्राप्त हुआ कि वर्गीकृत सूचनाओं को कैसे संभाला, संरक्षित और प्रेषित किया जाना चाहिए।
18. दुनिया भर के प्रमुख क्षेत्रों में विदेश नीति के दृष्टिकोण को बेहतर ढंग से समझने के उद्देश्य से, दोनों सरकारों ने संबंधित विदेश मंत्रालयों के बीच पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका (डब्ल्यूएएनए) पर भारत-जर्मनी वार्ता शुरू करने का निर्णय लिया, जो अफ्रीका और पूर्वी एशिया पर लंबे समय से चली आ रही वार्ता व्यवस्थाओं के अतिरिक्त होगी। दोनों सरकारों ने नीति नियोजन, साइबर सुरक्षा, साइबर मुद्दे और संयुक्त राष्ट्र सहित आपसी चिंता के प्रमुख विषयगत मुद्दों पर नियमित परामर्श पर भी संतोष व्यक्त किया।
19. थिंक टैंक और विदेश एवं सुरक्षा नीति विशेषज्ञों सहित एक-दूसरे के दृष्टिकोणों की गहन समझ की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए, दोनों सरकारों ने भारतीय पक्ष की ओर से भारतीय विश्व मामलों की परिषद (आईसीडब्ल्यूए), विकासशील देशों के लिए अनुसंधान और सूचना प्रणाली (आरआईएस) और विदेश मंत्रालय तथा जर्मन पक्ष की ओर से जर्मन वैश्विक और क्षेत्रीय अध्ययन संस्थान (जीआईजीए), जर्मन अंतर्राष्ट्रीय और सुरक्षा मामलों के संस्थान (एसडब्लूपी) और जर्मन संघीय विदेश कार्यालय के बीच भारत-जर्मनी ट्रैक 1.5 संवाद की उपयोगिता को रेखांकित किया। इस संवाद प्रारूप की अगली बैठक नवंबर 2024 के लिए निर्धारित है। दोनों सरकारों ने पूर्वी एशिया पर ट्रैक 1.5 संवाद के शुभारंभ की भी सराहना की और इस बात पर सहमति व्यक्त की कि ये आदान-प्रदान दोनों पक्षों को अपनी पहुंच को बेहतर ढंग से संरेखित और समन्वित करने में मदद करते हैं। इस गति को बनाए रखने के उद्देश्य से, दोनों पक्ष जल्द से जल्द ट्रैक 1.5 संवाद के अगले संस्करण को आयोजित करने पर सहमत हुए।
20. दोनों पक्ष अंतरराष्ट्रीय कानून, संप्रभुता के लिए आपसी सम्मान और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान पर आधारित और प्रभावी क्षेत्रीय संस्थानों द्वारा समर्थित एक स्वतंत्र, खुले, समावेशी, शांतिपूर्ण और समृद्ध भारत-प्रशांत को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। दोनों पक्षों ने आसियान की एकता और केंद्रीयता के लिए अपने अटूट समर्थन की पुष्टि की। भारत सरकार ने भारत-प्रशांत महासागर पहल (आईपीओआई) के क्षमता निर्माण में जर्मनी के नेतृत्व और 2022 में अपने अंतर्राष्ट्रीय जलवायु पहल के तहत विचारों के लिए प्रतिस्पर्धी कॉल के माध्यम से 20 मिलियन यूरो तक की प्रतिबद्धता का स्वागत किया, ताकि जलवायु से संबंधित नुकसान और क्षति के खिलाफ प्रशांत द्वीप राज्यों को सुदृढ़ और मजबूत किया जा सके।
21. जर्मनी ने भारत को सफल जी20 अध्यक्षता के लिए बधाई दी, जिसने विकास एजेंडे को जी20 में केंद्र में ला दिया। दोनों नेताओं ने माना कि जर्मनी की जी20 अध्यक्षता के दौरान अफ्रीका के साथ समझौते (सीडब्ल्यूए) पर एक मंच शुरू करने से लेकर भारत की अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकी संघ को जी20 के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने तक, जी20 ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक लंबा सफर तय किया है कि वैश्विक दक्षिण की आवाज़ को तेज किया जाए। भारत और जर्मनी ने ब्राजील की जी20 अध्यक्षता द्वारा निर्धारित प्राथमिकताओं, विशेष रूप से वैश्विक शासन सुधार तथा रक्षा और रणनीतिक सहयोग को मजबूत करने के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया।
22. दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों को मजबूत करने के साझा लक्ष्य को मान्यता देते हुए, भारत सरकार ने सामान्य प्राधिकरण/सामान्य लाइसेंस (एजीजी) व्यवस्था जैसे अनुकूल नियामक निर्णयों के माध्यम से तेजी से निर्यात मंजूरी की सुविधा के लिए जर्मन संघीय सरकार के प्रयासों का स्वागत किया। दोनों पक्षों ने भारत को रणनीतिक निर्यात का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्धता जताई और दोनों देशों के रक्षा उद्योगों के बीच सह-विकास, सह-उत्पादन और संयुक्त अनुसंधान को प्रोत्साहित किया। दोनों सरकारों ने भारत और जर्मनी के बीच रक्षा औद्योगिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए 24 अक्टूबर को नई दिल्ली में आयोजित रक्षा गोलमेज सम्मेलन की सराहना की।
23. नियमित यात्राओं और सशस्त्र बलों के बीच बढ़ती बातचीत के अलावा, दोनों पक्ष अगले साल भारत में होने वाली अगली उच्च रक्षा समिति (एचडीसी) की बैठक के प्रति तत्पर हैं, जिसका उद्देश्य भारत और जर्मनी के बीच सामरिक साझेदारी के प्रमुख स्तंभ के रूप में रक्षा सहयोग को विकसित करना है। भारत और जर्मनी ने नई दिल्ली स्थित संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना केंद्र (सीयूएनपीके) और जर्मनी में इसके समकक्ष, हैमेलबर्ग स्थित बुंडेसवेहर संयुक्त राष्ट्र प्रशिक्षण केंद्र (जीएएफयूएनटीसी) के बीच शांति स्थापना संबंधी प्रशिक्षण में सहयोग को अंतिम रूप देने पर भी सहमति व्यक्त की और दोनों देश 2025 में बर्लिन में होने वाली शांति स्थापना मंत्रिस्तरीय बैठक के प्रति आशान्वित हैं।
24. दोनों पक्षों ने समृद्धि और सुरक्षा के साथ-साथ वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए भारत -प्रशांत क्षेत्र के महत्व पर जोर दिया। जर्मनी भारत -प्रशांत क्षेत्र के लिए संघीय सरकार के नीति दिशानिर्देशों के अनुरूप इस क्षेत्र के साथ अपने जुड़ाव को बढ़ाएगा। दोनों पक्षों ने भारत -प्रशांत क्षेत्र सहित सभी समुद्री क्षेत्रों में, अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार नौवहन की स्वतंत्रता और निर्बाध समुद्री मार्गों, जैसा संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) 1982 में परिलक्षित है, के महत्व पर भी प्रकाश डाला। इस संदर्भ में, दोनों सरकारों ने रक्षा और सुरक्षा संबंधों को और प्रगाढ़ करने तथा भारत-प्रशांत क्षेत्र सहित आपसी लॉजिस्टिक्स सहायता के प्रावधान के लिए आधार स्थापित करने के क्रम में भारत और जर्मनी के सशस्त्र बलों के बीच आपसी लॉजिस्टिक्स सहायता और आदान-प्रदान के संबंध में एक समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप देने के अपने संयुक्त इरादे की घोषणा की। भारत-प्रशांत में सहयोग को गहरा करने के उद्देश्य से, जर्मनी हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री यातायात की निगरानी करने के लिए गुरुग्राम में सूचना संलयन केंद्र - हिंद महासागर क्षेत्र (आईएफसी-आईओआर) में एक संपर्क अधिकारी को स्थायी रूप से तैनात करेगा, जिससे इस क्षेत्र में घनिष्ठ सहयोग को और बढ़ावा मिलेगा।
25. दोनों पक्षों ने सुरक्षा और रक्षा सहयोग के क्षेत्र में भारत -प्रशांत में जर्मनी की बढ़ती भागीदारी का स्वागत किया और अगस्त 2024 में अभ्यास तरंग शक्ति के दौरान भारतीय और जर्मन वायु सेनाओं के सफल सहयोग के साथ-साथ गोवा में बंदरगाह पर आगमन और जर्मन नौसेना फ्रिगेट "बैडेन-वुर्टेमबर्ग" के साथ-साथ लड़ाकू सहायता जहाज "फ्रैंकफर्ट एम मेन" और भारतीय नौसेना के बीच संयुक्त नौसैनिक अभ्यास की सराहना की। जर्मनी ने जुलाई 2024 में भारतीय नौसैनिक जहाज आईएनएस तबर के हैम्बर्ग में बंदरगाह पर आगमन का भी स्वागत किया।
26. दोनों सरकारें यूरोपीय संघ की व्यवस्थाओं के तहत और अन्य भागीदारों के साथ द्विपक्षीय रूप से अनुसंधान, सह-विकास और सह-उत्पादन गतिविधियों को बढ़ाकर सुरक्षा और रक्षा मुद्दों पर द्विपक्षीय आदान-प्रदान को तेज करने पर सहमत हुईं। इस संबंध में, दोनों पक्ष प्रौद्योगिकी सहयोग, विनिर्माण/सह-उत्पादन और रक्षा प्लेटफार्मों और उपकरणों के सह-विकास पर विशेष ध्यान देते हुए रक्षा क्षेत्र में उद्योग स्तर के सहयोग बढ़ाने का समर्थन करेंगे। जर्मनी ओसीसीएआर (संयुक्त आयुध सहयोग संगठन) के यूरोड्रोन कार्यक्रम में पर्यवेक्षक के दर्जे के लिए भारत के आवेदन का स्वागत करता है।
महत्वपूर्ण और उभरती हुई प्रौद्योगिकी, विज्ञान और नवाचार के लिए साझेदारी
27. दोनों नेताओं ने दोनों देशों के बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी में 50 वर्षों से चले आ रहे सफल सहयोग की सराहना की और ‘भारत-जर्मनी नवाचार और प्रौद्योगिकी भागीदारी रोडमैप’ शुरू करके इसे और आगे बढ़ाने के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की, जो दोनों देशों के सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों और अनुसंधान संस्थानों के लिए नवीकरणीय ऊर्जा, स्टार्ट-अप, सेमीकंडक्टर, एआई और क्वांटम प्रौद्योगिकियों, जलवायु जोखिम और संधारणीय संसाधन प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन के साथ-साथ कृषि इकोसिस्टम के क्षेत्र में हमारे सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए एक दिशानिर्देश के रूप में काम करेगा। दोनों नेताओं ने अंतरिक्ष और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों की भविष्य की समृद्धि, विकास और संभावित सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण और आशाजनक क्षेत्र के रूप में पहचान की।
28. दोनों नेताओं ने अनुसंधान एवं शिक्षा के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच बढ़ते आदान-प्रदान तथा जर्मनी में अध्ययनरत भारतीय छात्रों की बढ़ती संख्या पर संतोष व्यक्त किया। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय उद्योग-अकादमिक रणनीतिक अनुसंधान एवं विकास साझेदारी को बढ़ावा देने में भारत-जर्मन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र (आईजीएसटीसी) की प्रमुख भूमिका की भी सराहना की। दोनों नेताओं ने आईजीएसटीसी की हाल की पहलों तथा उन्नत सामग्रियों के क्षेत्र में 2+2 परियोजनाओं को समर्थन देने के लिए संयुक्त आशय घोषणा पर हस्ताक्षर का स्वागत किया। आईजीएसटीसी के महत्व को समझते हुए, दोनों नेताओं ने साझा मूल्यों पर आधारित तथा नवाचार उन्मुख प्रौद्योगिकी विकास एवं विनिर्माण द्वारा संचालित नई साझेदारी का विस्तार करने और उसे अंतिम रूप देने की इच्छा व्यक्त की।
29. दोनों नेताओं ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) तथा जर्मन रिसर्च फाउंडेशन (डीएफजी) द्वारा संयुक्त रूप से दोनों देशों के बीच प्रथम बुनियादी अनुसंधान संघ मॉडल अर्थात् अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान प्रशिक्षण समूह (आईआरटीजी) के शुभारंभ की सराहना की, जिसमें सुपरमॉलेक्यूलर मैट्रिसेस में फोटोल्यूमिनेसेंस पर आईआईएसईआर तिरुवनंतपुरम तथा वुर्जबर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के प्रथम समूह की भागीदारी थी। विज्ञान और नवाचार परिदृश्य को रेखांकित करते हुए, उन्होंने शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों के वैज्ञानिक नवाचार और इन्क्यूबेशन इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के संदर्भ में सामूहिक विशेषज्ञता और क्षमता का लाभ उठाने के लिए एक भारत-जर्मन नवाचार और इन्क्यूबेशन विनिमय कार्यक्रम शुरू करने की इच्छा व्यक्त की।
30. दोनों नेताओं ने जर्मनी में एंटी-प्रोटॉन और आयन अनुसंधान सुविधा (एफएआईआर) और ड्यूश इलेक्ट्रोनेन सिंक्रोट्रॉन (डीईएसवाई) में मेगा-विज्ञान सुविधाओं में भारत की भागीदारी के उदाहरण के रूप में उच्च स्तर की भागीदारी की सराहना करते हुए संतोष व्यक्त किया। उन्होंने एफएआईआर सुविधा के समय पर निष्पादन को सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय सहायता सहित अपनी प्रतिबद्धता को बढ़ाया। दोनों नेताओं ने डीईएसवाई में सिंक्रोट्रॉन विकिरण सुविधा पेट्रा-III और फ्री-इलेक्ट्रॉन लेजर सुविधा फ़्लैश में सहयोग की निरंतरता को भी मान्यता दी।
31. दोनों सरकारों ने उच्च शिक्षा में लगातार बढ़ती साझेदारी का स्वागत किया, जो दोहरी और संयुक्त डिग्री की सुविधा प्रदान करती है तथा विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच सहयोगी अनुसंधान और शैक्षणिक और संस्थागत आदान-प्रदान को गति देती है। दोनों पक्षों ने विशेष रूप से, "जल सुरक्षा और वैश्विक परिवर्तन" में पहले भारत-जर्मन संयुक्त मास्टर डिग्री कार्यक्रम के लिए अपनी प्रशंसा और पूर्ण समर्थन व्यक्त किया, जो डीएएडी द्वारा वित्तपोषित टीयू ड्रेसडेन, आरडब्ल्यूटीएच-आचेन और आईआईटी-मद्रास (आईआईटीएम) की एक संयुक्त पहल है, साथ ही शिक्षण, अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता में द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने के लिए टीयू ड्रेसडेन और आईआईटीएम की एक नई पहल "ट्रांसकैंपस" की स्थापना के लिए एक समझौते को अंतिम रूप देने के प्रति पूर्ण समर्थन व्यक्त किया। दोनों सरकारों ने आईआईटी खड़गपुर और डीएएडी के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने का भी स्वागत किया, जो भारत-जर्मन विश्वविद्यालय सहयोग परियोजनाओं के लिए संयुक्त वित्त पोषण को सक्षम करेगा। दोनों पक्षों ने भारतीय और जर्मन विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग को उजागर करते हुए एसपीएआरसी (शैक्षणिक और अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देने की योजना) के तहत "जर्मन इंडियन एकेडमिक नेटवर्क फॉर टुमॉरो" (जीआईएएनटी) के समर्पित आह्वान के लिए अपना मजबूत समर्थन व्यक्त किया।
32. भारत और जर्मनी के बीच डिजिटल और प्रौद्योगिकी साझेदारी को और मजबूत करने के उद्देश्य से, दोनों सरकारें डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) में अनुभव और विशेषज्ञता साझा करने पर सहमत हुईं, उदाहरण के लिए, ऐसे तरीकों की खोज करना, जिनके जरिये जर्मनी डीपीआई में भारत की विशेषज्ञता और भारतीय आईटी उद्योग की ताकत का लाभ उठाकर दोनों देशों में नवाचार और डिजिटल परिवर्तन को आगे बढ़ा सके। इंटरनेट शासन, तकनीकी विनियमन, अर्थव्यवस्था के डिजिटल परिवर्तन और उभरती डिजिटल प्रौद्योगिकियों जैसे डिजिटल विषयों पर आदान-प्रदान के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में, दोनों पक्षों ने भारत-जर्मन डिजिटल वार्ता (आईजीडीडी) द्वारा तैयार 2023-24 की कार्य योजना को अंतिम रूप देने का स्वागत किया।
33. दोनों पक्ष एआई शासन के लिए नवाचार-अनुकूल, संतुलित, समावेशी, मानव-केंद्रित और जोखिम-आधारित दृष्टिकोण की आवश्यकता को पहचानते हुए एस डी जी को आगे बढ़ाने के लिए एआई का लाभ उठाने का प्रयास करेंगे। इमेज डिटेक्शन और एआई जैसे डिजिटल समाधान किसानों की सहायता करके और कृषि उत्पादकता, जलवायु सहनीयता, कार्बन सिंक और स्थिरता को बढ़ाकर कृषि में क्रांति लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। दोनों देश डिजिटल कृषि के विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम चला रहे हैं और कृषि के आधुनिकीकरण के लिए जारी सहयोग, नवाचार और आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल कृषि, एआई और आईओटी में अपने सहयोग को तेज करने पर सहमत हुए हैं।
34. दोनों सरकारों ने महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों, नवाचार और कौशल विकास के क्षेत्र में सहयोग के रणनीतिक महत्व को रेखांकित किया। नवाचार और प्रौद्योगिकी भागीदारी रोडमैप में निर्धारित द्विपक्षीय सहयोग की प्राथमिकताओं की पुष्टि करते हुए, दोनों सरकारें नवाचार, कौशल विकास तथा महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों में सहयोग पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सहमत हुईं। प्रमुख प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में दोनों देशों के उद्योग और शिक्षाविदों के बीच; आपसी विश्वास और सम्मान पर आधारित एक खुली, समावेशी और सुरक्षित प्रौद्योगिकी संरचना सुनिश्चित करने और साझा मूल्यों और लोकतांत्रिक सिद्धांतों को प्रतिबिंबित करने के लिए साझा प्रतिबद्धता को मान्यता देते हुए घनिष्ठ संबंध बनाने को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके आधार पर, दोनों देश पहचाने गए क्षेत्रों में परिणाम उन्मुख और पारस्परिक रूप से लाभकारी प्रौद्योगिकी सहयोग प्राप्त करेंगे।
35. आपदा न्यूनीकरण, सुनामी चेतावनी, तटीय खतरे, पूर्व चेतावनी प्रणाली, आपदा जोखिम न्यूनीकरण और समुद्र विज्ञान, ध्रुवीय विज्ञान, जीव विज्ञान और जैव-भू-रसायन विज्ञान, भूभौतिकी और भूविज्ञान में अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए, दोनों सरकारों ने भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस) और हेल्महोल्ट्ज़-ज़ेंट्रम पोट्सडैम - ड्यूशेस जियोफ़ोर्सचुंग्सज़ेंट्रम एवं राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र (एनसीपीओआर) और अल्फ्रेड वेगेनर-इंस्टीट्यूट, हेल्महोल्ट्ज़-ज़ेंट्रम फर पोलर-अंड मीरेसफ़ोर्सचुंग (एडब्ल्यूआई) के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत किया।
36. दोनों सरकारों ने भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के अंतर्गत टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) के दोनों केंद्रों, नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज (एनसीबीएस) और इंटरनेशनल सेंटर फॉर थियोरेटिकल साइंसेज (आईसीटीएस) तथा जर्मनी के मैक्स-प्लैंक-गेसेलशाफ्ट (एमपीजी) के बीच जैविक, भौतिक और गणितीय विज्ञान में द्विपक्षीय समझौते का भी स्वागत किया। यह समझौता आईसीटीएस और एनसीबीएस के साथ विभिन्न मैक्स प्लैंक संस्थानों के बीच छात्रों और शोध कर्मचारियों सहित वैज्ञानिकों के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करेगा।
37. दोनों नेताओं ने ओसियनसैट-3 और रीसैट-1ए उपग्रहों से डेटा प्राप्त करने और प्रसंस्करण के लिए जर्मनी के न्यूस्ट्रेलिट्ज़ में अंतर्राष्ट्रीय ग्राउंड स्टेशन को उन्नत करने के लिए मेसर्स न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड और मेसर्स जीएएफ एजी के बीच सहयोग की सराहना की।
हरित और सतत भविष्य के लिए साझेदारी
38. दोनों पक्षों ने नेट जीरो उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए हरित, सतत, जलवायु सहनीय और समावेशी विकास की आवश्यकता को स्वीकार किया। दोनों सरकारों का लक्ष्य जलवायु कार्रवाई और सतत विकास में द्विपक्षीय, त्रिपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग को पर्याप्त रूप से बढ़ाना है। दोनों पक्षों ने भारत-जर्मन हरित और सतत विकास साझेदारी (जीएसडीपी) के तहत अब तक हासिल की गई प्रगति को स्वीकार किया। साझा प्रतिबद्धताओं द्वारा निर्देशित यह साझेदारी पेरिस समझौते और एसडीजी में उल्लिखित लक्ष्यों के कार्यान्वयन में तेजी लाने का प्रयास करती है। इस संदर्भ में, दोनों पक्षों ने आगामी यूएनएफसीसीसी सीओपी29 के महत्वाकांक्षी परिणाम, विशेष रूप से नया सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (एनसीक्यूजी) पर संयुक्त रूप से काम करने की आवश्यकता पर बल दिया। दोनों पक्ष राष्ट्रीय परिस्थितियों के आलोक में प्रथम वैश्विक समीक्षा सहित सीओपी28 के परिणामों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देंगे।
39. दोनों पक्षों ने जीएसडीपी उद्देश्यों पर मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान प्रगति की समीक्षा की सराहना की। जीएसडीपी के कार्यान्वयन में योगदान देने के लिए, दोनों पक्ष मौजूदा कार्य समूहों तथा अन्य द्विपक्षीय प्रारूपों और पहलों के भीतर नियमित संवाद के लिए प्रतिबद्ध हैं। मंत्रिस्तरीय तंत्र की अगली बैठक पेरिस समझौते के लक्ष्यों और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के क्रम में जीएसडीपी उद्देश्यों पर प्रगति की समीक्षा करने के लिए अगले भारत-जर्मनी अंतर-सरकारी परामर्श रूपरेखा के भीतर होगी। दोनों पक्षों ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सहयोग करने के अपने इरादे की पुष्टि की और इसलिए निकट भविष्य में भारत-जर्मन जलवायु कार्य समूह की बैठक आयोजित करने का इरादा व्यक्त किया।
40. जीएसडीपी के तहत, दोनों पक्षों ने अन्य बातों के साथ-साथ:
क. भारत-जर्मन हरित हाइड्रोजन रोडमैप का शुभारंभ किया। नेताओं ने सहमति व्यक्त की कि रोडमैप भारत की हरित हाइड्रोजन के उत्पादन, उपयोग और निर्यात की महत्वाकांक्षा का समर्थन करने में मदद करेगा, साथ ही दोनों देशों में ऊर्जा के एक स्थायी स्रोत के रूप में हरित हाइड्रोजन को तेजी से अपनाने में भी योगदान देगा।
ख. सार्वजनिक रूप से सुलभ ऑनलाइन टूल, जीएसडीपी डैशबोर्ड लॉन्च किया, जो जीएसडीपी के तहत जर्मनी और भारत के बीच गहन सहयोग को प्रदर्शित करता है। यह भारत-जर्मनी सहयोग द्वारा कवर किए गए प्रमुख नवाचारों और व्यापक अनुभव को दिखाता है। यह जीएसडीपी उद्देश्यों को प्राप्त करने की दिशा में संयुक्त प्रगति का जायजा लेने की सुविधा प्रदान करता है और वैश्विक चुनौतियों के लिए अभिनव समाधानों पर संबंधित हितधारकों को महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।
ग. भारत में सभी के लिए स्थायी शहरी गतिशीलता को बढ़ावा देने के लिए एक साझा दृष्टिकोण के अनुसार साझेदारी को नवीनीकृत करने और आगे बढ़ाने के लिए एक संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर किए, जिसमें समावेशी सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए हरित और स्थायी शहरीकरण के महत्व और 2019 में अपनी स्थापना के बाद से हरित शहरी आवागमन साझेदारी के मजबूत परिणामों को मान्यता दी गई है।
घ. अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) की उपलब्धियों और भविष्य के दृष्टिकोण की अत्यधिक सराहना की तथा आईएसए के भीतर हमारे सहयोग को बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।
च. रियो सम्मेलनों और एसडीजी के कार्यान्वयन के समर्थन में वनों की कटाई और क्षरण को रोकने तथा वन परिदृश्यों को बहाल करके इन रुझानों को पूर्व स्थिति में लाने के क्षेत्र में सहयोग की सराहना की।
41. नेताओं ने माना कि भारत-जर्मन ऊर्जा मंच (आईजीईएफ) ने अपनी विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से जर्मनी और भारत के बीच सामान्य द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को मजबूत करने, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और वैश्विक जलवायु परिवर्तन चुनौतियों का समाधान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
42. दोनों पक्षों ने सितंबर 2024 में गांधीनगर में आयोजित चौथे वैश्विक री-इन्वेस्ट नवीकरणीय ऊर्जा निवेशक सम्मेलन और एक्सपो की भूमिका को रेखांकित किया, जिसमें जर्मनी एक भागीदार देश के रूप में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के प्रमुख हितधारकों को एक साथ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दोनों सरकारों ने ‘भारत-जर्मनी वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा निवेश मंच’ को याद किया, जिसे री-इन्वेस्ट के दौरान नवीकरणीय ऊर्जा निवेश को तेज करने, व्यापार सहयोग को बढ़ावा देने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का विस्तार करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में लॉन्च किया गया था। यह मंच हरित वित्तपोषण, प्रौद्योगिकी और व्यावसायिक अवसरों पर आदान-प्रदान के माध्यम से भारत और दुनिया भर में नवीकरणीय ऊर्जा के विस्तार को गति देगा।
43. दोनों सरकारों ने जैव विविधता पर संयुक्त कार्य समूह के माध्यम से सहयोग को मजबूत करने की इच्छा व्यक्त की और स्वीकार किया कि सीबीडी सीओपी 16 वैश्विक जैव विविधता रूपरेखा के लक्ष्यों को लागू करने के वैश्विक प्रयास में एक महत्वपूर्ण क्षण है।
44. अपशिष्ट प्रबंधन और चक्रीय अर्थव्यवस्था पर संयुक्त कार्य समूह के विचार-विमर्श और परिणामों को याद करते हुए, जिसने दोनों देशों के बीच अनुभवों और प्रौद्योगिकियों के आदान-प्रदान को तीव्र करके अवसर पैदा किए हैं, दोनों पक्षों ने इन संरचनाओं के भीतर सहयोग को मजबूत करने की संभावना का पता लगाने पर सहमति व्यक्त की, उदाहरण के लिए, सौर अपशिष्ट पुनर्चक्रण पर भविष्य के काम पर ध्यान केंद्रित करना। उन्होंने अपशिष्ट, विशेष रूप से प्लास्टिक को समुद्री पर्यावरण में प्रवेश करने से रोकने के लिए महत्वाकांक्षी उद्देश्यों और नीतियों के प्रभावी और कुशल कार्यान्वयन पर भारत-जर्मनी पर्यावरण सहयोग की सराहना की। भारत और जर्मनी प्लास्टिक प्रदूषण पर कानूनी रूप से बाध्यकारी एक वैश्विक समझौता स्थापित करने की दिशा में निकट सहयोग करने पर सहमत हुए।
45. दोनों नेताओं ने त्रिकोणीय विकास सहयोग (टीडीसी) के तहत की गई प्रगति को स्वीकार किया, जो अफ्रीका, एशिया और अन्य क्षेत्रों में एसडीजी और जलवायु लक्ष्यों की उपलब्धि का समर्थन करने के लिए उनकी प्राथमिकताओं के अनुसार तीसरे देशों में स्थायी, व्यावहारिक और समावेशी परियोजनाओं की पेशकश करने के लिए आपसी ताकत और अनुभवों का उपयोग करता है। दोनों पक्षों ने कैमरून, घाना और मलावी में पायलट परियोजनाओं के उत्साहजनक परिणामों और बेनिन और पेरू के साथ जारी पहलों में हुई प्रगति का स्वागत किया। उपर्युक्त पहलों के सफल कार्यान्वयन को देखते हुए, दोनों सरकारों ने कैमरून (कृषि), मलावी (महिला उद्यमिता) और घाना (बागवानी) के साथ 2024 और उसके बाद पायलट परियोजनाओं को आगे बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की है। इसके अलावा, दोनों पक्षों ने मोटे अनाजों से संबंधित तीन पायलट परियोजनाओं की शुरुआत का स्वागत किया: दो इथियोपिया के साथ और एक मेडागास्कर के साथ। इसके अतिरिक्त, दोनों पक्षों ने भागीदारों तक पहुँचने, उनके संयुक्त पहलों का चयन करने और उन्हें पूर्ण पैमाने पर लागू करने के लिए संस्थागत व्यवस्था शुरू की है और इस उद्देश्य के लिए, दोनों सरकारों ने एक संयुक्त संचालन समिति और एक संयुक्त कार्यान्वयन समूह की स्थापना की है।
46. नेताओं ने पुष्टि की कि लैंगिक समानता का प्राथमिक महत्व है और महिलाओं और लड़कियों के सशक्तिकरण में निवेश करने से 2030 एजेंडा को लागू करने में कई गुना प्रभाव पड़ता है। उन्होंने इस संबंध में जर्मनी की नारीवादी विदेश और विकास नीतियों को ध्यान में रखते हुए महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास को प्रोत्साहित करने और वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के निर्णय लेने वालों के रूप में महिलाओं की पूर्ण, समान, प्रभावी और सार्थक भागीदारी को बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। दोनों पक्षों ने हरित एवं सतत विकास में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को बढ़ावा देने के लिए भारत-जर्मनी सहयोग को मजबूत करने की अपनी इच्छा की पुष्टि की।
47. इसके अलावा, दोनों पक्षों ने जीएसडीपी रूपरेखा के तहत वित्तीय और तकनीकी सहयोग के लिए मौजूदा पहलों और नई प्रतिबद्धताओं के संबंध में पहले से ही हासिल की गई उपलब्धियों का स्वागत किया, जो इस प्रकार है:
क.सितंबर 2024 में भारत सरकार और जर्मनी के संघीय गणराज्य सरकार के बीच विकास सहयोग पर वार्ता के दौरान सहमति के अनुसार 1 बिलियन यूरो से अधिक के जीएसडीपी के सभी मुख्य क्षेत्रों में नई प्रतिबद्धताएं, जो 2022 में जीएसडीपी की शुरुआत के बाद से लगभग 3.2 बिलियन यूरो की संचित प्रतिबद्धताओं में वृद्धि करती है;
ख.भारत-जर्मन नवीकरणीय ऊर्जा साझेदारी के तहत, सहयोग ने ऊर्जा स्रोतों में बदलाव को सुविधाजनक बनाने और एक विश्वसनीय, चौबीसों घंटे नवीकरणीय ऊर्जा आपूर्ति की आवश्यकता को पूरा करने के लिए अभिनव सौर ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन, अन्य नवीकरणीय ऊर्जा, ग्रिड एकीकरण, भंडारण और अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश पर ध्यान केंद्रित किया।
ग. "कृषि पारिस्थितिकी और प्राकृतिक संसाधनों का सतत प्रबंधन" सहयोग, भारत में कमज़ोर ग्रामीण आबादी और छोटे पैमाने के किसानों को आय, खाद्य सुरक्षा, जलवायु सहनीयता, मृदा स्वास्थ्य, जैव विविधता, वन पारिस्थितिकी तंत्र और जल सुरक्षा को बढ़ावा देकर लाभान्वित करता है।
घ. दोनों पक्षों ने सतत शहरी विकास पर अपने सफल सहयोग को जारी रखने के अपने इरादे को दोहराया।
व्यापार और आर्थिक सहयोग के माध्यम से सहनीयता का निर्माण करना
48. दोनों नेताओं ने हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार के मामले में लगातार उच्च प्रदर्शन की सराहना की तथा भारत और जर्मनी के हितधारकों को व्यापार और निवेश प्रवाह को और मजबूत करने के लिए प्रोत्साहित किया। नेताओं ने भारत और जर्मनी के बीच मजबूत दो-तरफ़ा निवेश और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने में ऐसे निवेशों के सकारात्मक प्रभावों का भी उल्लेख किया। इस संदर्भ में, नेताओं ने विश्वास व्यक्त किया कि जर्मनी के शीर्ष-स्तरीय व्यावसायिक अधिकारियों की भागीदारी के साथ जर्मन व्यवसाय का द्वि-वार्षिक प्रमुख मंच एपीके 2024, जर्मन व्यवसायों के लिए भारत में उपलब्ध अपार अवसरों को प्रदर्शित करने का एक महत्वपूर्ण मंच है।
49. दोनों पक्षों ने भारत में जर्मन व्यवसायों और जर्मनी में भारतीय व्यवसायों की दीर्घकालिक उपस्थिति को रेखांकित किया तथा दोनों देशों के बीच आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को प्रगाढ़ करने की दिशा में काम करने पर सहमति व्यक्त की। इस संदर्भ में, दोनों पक्षों ने भारत-जर्मनी सीईओ फोरम की बैठक के आयोजन का स्वागत किया, जो भारत और जर्मनी के व्यापार और उद्योग जगत के अग्रणी व्यक्तियों को शामिल करने के लिए एक उच्च स्तरीय मंच के रूप में कार्य करता है। उन्होंने व्यापार और निवेश से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए भारत-जर्मन फास्ट ट्रैक व्यवस्था की उपलब्धियों को भी रेखांकित किया तथा इसके संचालन को जारी रखने पर सहमति व्यक्त की।
50. आर्थिक विकास और रोजगार सृजन में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई)/मिटेलस्टैंड के महत्व को मान्यता देते हुए, दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय निवेश में वृद्धि और ‘मेक इन इंडिया मिटेलस्टैंड’ कार्यक्रम की सफलता को स्वीकार किया, जो भारत में निवेश और व्यापार करने के इच्छुक जर्मन मिटेलस्टैंड उद्यमों का समर्थन करता है। इसी तरह, दोनों सरकारों ने नवाचार को बढ़ावा देने में स्टार्ट-अप द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित किया और भारतीय बाजार को संबोधित करने में स्टार्ट-अप को सफलतापूर्वक सुविधा प्रदान करने के लिए जर्मन एक्सेलेरेटर (जीए) की सराहना की तथा भारत में अपनी उपस्थिति स्थापित करने की जीए की योजनाओं का स्वागत किया। दोनों पक्षों ने उल्लेख किया कि जर्मनी में बाजार तक पहुंच प्राप्त करने में भारतीय स्टार्ट-अप की सहायता के लिए एक संगत कार्यक्रम दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को और बढ़ा सकता है।
श्रम बाजार, गतिशीलता और लोगों के आपसी संबंधों को मजबूत करना
51. चूंकि कुशल प्रवास पर द्विपक्षीय सहयोग का कई क्षेत्रों में विस्तार हो रहा है, जिसमें संघीय और राज्य सरकारों के साथ-साथ निजी क्षेत्र के हितधारकों के बीच सहयोग शामिल है, इसलिए दोनों पक्षों ने प्रवासन और गतिशीलता भागीदारी समझौते (एमएमपीए) के प्रावधानों के पूर्ण कार्यान्वयन के लिए प्रतिबद्धता जताई। एमएमपीए में उल्लिखित प्रतिबद्धताओं के अनुरूप दोनों पक्ष निष्पक्ष और कानूनी श्रम प्रवास को बढ़ावा देने के लिए समर्पित हैं। यह दृष्टिकोण अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रवासी श्रमिकों के साथ सम्मान और आदर के साथ व्यवहार किया जाए, जिसमें निष्पक्ष भर्ती प्रथाएं, पारदर्शी वीजा प्रक्रियाएं और श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा शामिल है। इन सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित करके, दोनों देशों का उद्देश्य कुशल श्रमिकों की गतिशीलता को इस तरह से सुविधाजनक बनाना है, जिससे सभी पक्षों को लाभ हो, साथ ही श्रमिकों की शोषण से सुरक्षा हो और अंतरराष्ट्रीय श्रम मानकों का अनुपालन सुनिश्चित हो।
52. एमएमपीए पर आगे बढ़ते हुए, दोनों पक्षों ने संबंधित मंत्रालयों के बीच आपसी हित के क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग और आदान-प्रदान को बढ़ाने के लिए रोजगार और श्रम के क्षेत्र में एक संयुक्त उद्यम निवेश (जेडीआई) को निष्कर्ष के रूप में व्यक्त किया। जर्मन पक्ष ने बताया कि वह अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ वर्गीकरण पर व्यवहार्यता अध्ययन का समर्थन करेगा, जो 2023 में भारतीय जी20 अध्यक्षता द्वारा की गई जी20 प्रतिबद्धता है। दोनों नेता कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी), रोजगार महानिदेशालय (डीजीई) और जर्मन सामाजिक दुर्घटना बीमा (डीजीयूवी) के बीच व्यावसायिक रोगों, पुनर्वास और विकलांग श्रमिकों के व्यावसायिक प्रशिक्षण के क्षेत्र में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के प्रति उत्सुक हैं।
53. दोनों नेताओं ने उल्लेख किया कि जर्मनी में सभी ब्लू कार्ड धारकों में से 1/4 से अधिक भारतीय पेशेवर हैं और भारतीय छात्र अब जर्मनी में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के सबसे बड़े समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस संबंध में, उन्होंने जर्मनी में कौशल और प्रतिभा की आवश्यकताओं और भारत में युवा, शिक्षित और कुशल व्यक्तियों के विशाल भंडार के बीच मौजूद पूरकताओं की पहचान की, जो जर्मन श्रम बाजार के लिए एक परिसंपत्ति हो सकते हैं। संघीय रोजगार एजेंसी, राष्ट्रीय कौशल विकास परिषद, भारत (एनएसडीसी) तथा राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर अन्य समकक्ष सरकारी एजेंसियों के साथ मौजूदा आदान-प्रदान को मजबूत करेगी। दोनों पक्षों ने भारत से कुशल प्रवास को बढ़ावा देने के लिए जर्मन संघीय सरकार की नई राष्ट्रीय रणनीति के शुभारंभ का स्वागत किया।
54. दोनों नेताओं ने कौशल विकास और व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने पर भी संतोष व्यक्त किया, जो विशेष रूप से हरित कौशल के क्षेत्रों में, भारत में कुशल कार्यबल का एक समूह बनाने और महिलाओं की भागीदारी को मजबूत करने की दिशा में भारत और जर्मनी की शक्तियों का लाभ उठाएगा। दोनों पक्षों ने श्रम की अंतर्राष्ट्रीय गतिशीलता को सुविधाजनक बनाने के तत्वों को शामिल करने पर सहमति व्यक्त की।
55. दोनों पक्ष भारत में माध्यमिक विद्यालयों, विश्वविद्यालयों और व्यावसायिक शिक्षा केंद्रों सहित जर्मन भाषा के शिक्षण का विस्तार करने के लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने भारतीय और जर्मन राज्यों, संस्कृति केंद्रों और शैक्षणिक संस्थानों को भारत और जर्मनी में एक-दूसरे की भाषाओं के शिक्षण को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया, जिसमें भाषा शिक्षकों का प्रशिक्षण भी शामिल है। दोनों पक्षों ने जर्मन शिक्षकों के औपचारिक प्रशिक्षण और आगे की शिक्षा का एक प्रारूप विकसित करने के लिए डीएएडी और गोएथे संस्थान के संयुक्त प्रयासों का स्वागत किया, जिसके जरिये भारत में मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय प्रमाणपत्र प्राप्त होना संभव होगा।
56. दोनों पक्षों ने आर्थिक विकास के लिए उच्च कुशल पेशेवरों के योगदान की पुष्टि की, "जर्मनी के साथ व्यापार में भागीदारी" कार्यक्रम के तहत प्राप्त परिणामों पर संतोष व्यक्त किया और भारत के कॉर्पोरेट अधिकारियों और कनिष्ठ अधिकारियों के उन्नत प्रशिक्षण पर संयुक्त विकास सहयोग (जेडीआई) को नवीनीकृत किया।
57. प्रवासन और गतिशीलता भागीदारी समझौते (एमएमपीए) के साथ, दोनों पक्ष अनियमित प्रवासन का समाधान करने पर भी सहमत हुए। इस उद्देश्य के लिए, दोनों पक्षों ने एमएमपीए के लागू होने के बाद से वापसी के क्षेत्र में सहयोग स्थापित किया। दोनों पक्षों ने अब तक हासिल की गई प्रगति का स्वागत किया और उचित प्रक्रियात्मक व्यवस्था के माध्यम से सहयोग को और विकसित करने और सुव्यवस्थित करने के महत्व को रेखांकित किया।
58. नेताओं ने दोनों पक्षों और उनके संबंधित नागरिकों के बीच बढ़ते संबंधों का स्वागत किया। उन्होंने इन बढ़ते संबंधों से उत्पन्न होने वाले दूतावास संबंधी मुद्दों की व्यापक श्रृंखला और दूतावास संबंधी मुद्दों से जुड़े सभी मामलों पर बातचीत की आवश्यकता को स्वीकार किया। वे दोनों देशों में रहने वाले दूसरे पक्ष के नागरिकों को प्रभावित करने वाले विभिन्न दूतावास, वीजा और अन्य मुद्दों पर द्विपक्षीय वार्ता के लिए एक उचित प्रारूप की शीघ्र स्थापना की दिशा में काम करने पर सहमत हुए।
59. दोनों पक्षों ने सांस्कृतिक राजदूतों और नवाचार के उत्प्रेरक के रूप में तथा दोनों देशों के बीच लोगों के आपसी संबंधों को बढ़ावा देने के लिए अपने युवाओं की भूमिका को स्वीकार किया। इस संदर्भ में, दोनों नेताओं ने युवा सहयोग के महत्व पर जोर दिया और दोनों पक्षों के बीच युवा आदान-प्रदान और प्रतिनिधिमंडलों के लिए मंच स्थापित करने के प्रस्ताव का उल्लेख किया। दोनों पक्ष पारस्परिक आधार पर छात्र आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाने पर भी सहमत हुए।
60. दोनों पक्षों ने संस्कृति के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों पर संतोष व्यक्त किया और भारतीय और जर्मन राष्ट्रीय संग्रहालयों जैसे प्रशिया हेरिटेज फाउंडेशन और नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट, भारत के बीच संग्रहालय सहयोग पर समझौता ज्ञापन के दायरे को बढ़ाने की दिशा में प्रयासों का स्वागत किया।
61. जी-20 नई दिल्ली राजनेता घोषणापत्र (2023) के अनुरूप, दोनों नेताओं ने सांस्कृतिक वस्तुओं की वापसी और संरक्षण तथा राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और राज्य स्तर पर सांस्कृतिक संपत्ति की अवैध तस्करी के खिलाफ लड़ाई के संबंध में निकट सहयोग करने की मंशा को रेखांकित किया, ताकि देश और समुदाय को उनकी वापसी को प्रासंगिक बनाया जा सके और इस प्रयास में निरंतर संवाद और कार्रवाई का आह्वान किया।
62. दोनों सरकारों ने जर्मनी के विश्वविद्यालयों में भारतीय अकादमिक प्रकोष्ठों की स्थापना जैसी पहलों के माध्यम से संभव हुए सांस्कृतिक और शैक्षणिक आदान-प्रदान की भी सराहना की।
63. दोनों नेताओं ने 7वें आईजीसी में आयोजित विचार-विमर्श पर संतोष व्यक्त किया और भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी को और विस्तार देने तथा प्रगाढ़ करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। चांसलर स्कोल्ज़ ने प्रधानमंत्री मोदी को उनके गर्मजोशी भरे आतिथ्य के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि जर्मनी अगले आईजीसी की मेजबानी करने के प्रति उत्सुक है।
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एमजी/आरपीएम/केसी/जेके
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