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जीएसटी परिषद की 54वीं बैठक के दौरान सिफारिशें


जीएसटी परिषद ने दरों को तर्कसंगत बनाने पर मौजूदा जीओएम के साथ जीवन और स्वास्थ्य बीमा से संबंधित जीएसटी पर मंत्रियों के समूह (जीओएम) की सिफारिश की; इस पर अक्टूबर 2024 के अंत तक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है

जीएसटी परिषद ने क्षतिपूर्ति उपकर के भविष्य का अध्ययन करने के लिए एक जीओएम के गठन की भी सिफारिश की

जीएसटी परिषद ने सरकारी इकाई; या आयकर अधिनियम की धारा 35 के तहत अधिसूचित ऐसे अनुसंधान संगठन, विश्वविद्यालय, कॉलेज या अन्य संस्थानों द्वारा की जाने वाली अनुसंधान एवं विकास सेवाओं की आपूर्ति को छूट देने की सिफारिश की है जो सरकारी या निजी अनुदान का उपयोग करते हैं

जीएसटी परिषद ने कैंसर की दवाओं - ट्रैस्टुजुमैब डेरक्सटेकन, ओसिमर्टिनिब और डुरवालुमैब पर जीएसटी दर 12% से घटाकर 5% करने की सिफारिश की है

जीएसटी परिषद ने बी2सी ई-चालान के लिए एक पायलट शुरू करने की सिफारिश की है

Posted On: 09 SEP 2024 7:57PM by PIB Delhi

केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आज नई दिल्ली में 54वीं जीएसटी परिषद की बैठक संपन्न हुई।

बैठक में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी, गोवा और मेघालय के मुख्यमंत्री; अरुणाचल प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और तेलंगाना के उपमुख्यमंत्री; राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (विधानसभा वाले) के वित्त मंत्रियों और वित्त मंत्रालय और राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया।

जीएसटी परिषद ने अन्य बातों के साथ-साथ जीएसटी कर की दरों में बदलाव, लोगों को राहत प्रदान करने, व्यापार को सुविधाजनक बनाने के कदम उठाने और जीएसटी में अनुपालन को सुव्यवस्थित करने के उपायों से संबंधित निम्नलिखित सिफारिशें कीं।

. जीएसटी कर की दरों में बदलाव/ स्पष्टीकरण:

वस्तुओं

  1. नमकीन और एक्सट्रूडेड/विस्तारित स्वादिष्ट खाद्य उत्पाद

  • एचएस 1905 90 30 के अंतर्गत आने वाले एक्सट्रूडेड या विस्तारित उत्पादों, स्वादिष्ट या नमकीन (बिना तले या बिना पके स्नैक पेलेट्स को छोड़कर, चाहे उन्हें किसी भी नाम से पुकारा जाए, एक्सट्रूजन की प्रक्रिया के माध्यम से निर्मित) पर जीएसटी दर को 18% से घटाकर 12% किया जाएगा, जो नमकीन, भुजिया, मिक्सचर, चबेना (पूर्व-पैक और लेबल वाले) और उपभोग के लिए तैयार समान खाद्य पदार्थों के समान हैं, जिन्हें एचएस 2106 90 के तहत वर्गीकृत किया जा सकता है। एक्सट्रूजन की प्रक्रिया के माध्यम से निर्मित बिना तले या बिना पके स्नैक पेलेट्स, चाहे उन्हें किसी भी नाम से पुकारा जाए, पर 5% की जीएसटी दर जारी रहेगी।

  • यह भी स्पष्ट किया जाता है कि एचएस 1905 90 30 के अंतर्गत आने वाले एक्सट्रूडेड या विस्तारित उत्पादों, स्वादिष्ट या नमकीन (बिना तले या बिना पके स्नैक पेलेट्स को छोड़कर, चाहे किसी भी नाम से पुकारे जाएं, एक्सट्रूजन की प्रक्रिया के माध्यम से निर्मित) पर 12% की घटी हुई जीएसटी दर प्रत्याशित रूप से लागू होगी।

  1. कैंसर की दवाएं

  • ट्रैस्टुजुमैब डेरक्सटेकन, ओसिमर्टिनिब और डुरवालुमैब जैसी कैंसर की दवाओं पर जीएसटी की दर 12% से घटाकर 5% की जाएगी।

  1. धातु स्क्रैप

  • अपंजीकृत व्यक्ति द्वारा पंजीकृत व्यक्ति को धातु स्क्रैप की आपूर्ति पर रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (आरसीएम) शुरू किया जाएगा, बशर्ते कि आपूर्तिकर्ता को एक तय सीमा को पार होने की स्थिति में पंजीकरण कराना होगा और आरसीएम के तहत भुगतान करने के लिए उत्तरदायी प्राप्तकर्ता को कर का भुगतान करना होगा, भले ही आपूर्तिकर्ता सीमा के अंतर्गत बना हुआ हो।

  • बी टू बी आपूर्ति में पंजीकृत व्यक्ति द्वारा धातु स्क्रैप की आपूर्ति पर 2% का टीडीएस लागू होगा।

4. रेलवे के लिए रूफ माउंटेड पैकेज यूनिट (आरएमपीयू) एयर कंडीशनिंग मशीनें

  • स्पष्टता लाने के लिए कि रेलवे के लिए रूफ माउंटेड पैकेज यूनिट (आरएमपीयू) एयर कंडीशनिंग मशीनें एचएसएन 8415 के अंतर्गत वर्गीकृत की जाएंगी, जिन पर 28% की जीएसटी दर लागू होगी।

  1. कार और मोटर साइकिलों की सीटें

  • यह स्पष्ट किया जाता है कि कार सीटें 9401 के अंतर्गत वर्गीकृत हैं और उन पर 18% की जीएसटी दर लागू होती है।

  • 9401 के अंतर्गत वर्गीकृत कार सीटों पर जीएसटी की दर 18% से बढ़ाकर 28% की जाएगी। 28% की यह समान दर मोटर कारों की कार सीटों के लिए प्रत्याशित रूप से लागू होगी, ताकि मोटरसाइकिलों की सीटों के साथ समानता लाई जा सके, जिन पर पहले से ही 28% की जीएसटी दर लागू है।

सेवाएं

  1. जीवन एवं स्वास्थ्य बीमा

  • जीएसटी परिषद ने जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी से संबंधित मुद्दों पर समग्र रूप से विचार करने के लिए मंत्रियों के एक समूह (जीओएम) के गठन की सिफारिश की है। बिहार, यूपी, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, केरल, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, मेघालय, गोवा, तेलंगाना, तमिलनाडु, पंजाब और गुजरात जीओएम के सदस्य हैं। जीओएम को अक्टूबर 2024 के अंत तक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है।

  1. हेलीकॉप्टर द्वारा यात्रियों का परिवहन

  • सीट शेयर के आधार पर हेलीकॉप्टर द्वारा यात्रियों के परिवहन पर 5% की दर से जीएसटी अधिसूचित और पिछली अवधि के लिए जीएसटी को जैसा है, जहां हैके आधार पर नियमित किया जाता है। यह भी स्पष्ट किया जाता है कि हेलीकॉप्टर चार्टर पर 18% जीएसटी लागू रहेगा।

 

  1. उड़ान प्रशिक्षण पाठ्यक्रम

  • एक परिपत्र के माध्यम से स्पष्ट किया जाता है कि डीजीसीए द्वारा अनुमोदित उड़ान प्रशिक्षण संगठनों (एफटीओ) द्वारा संचालित अनुमोदित उड़ान प्रशिक्षण पाठ्यक्रम जीएसटी के शुल्क से मुक्त हैं।

 

  1. अनुसंधान एवं विकास सेवाओं की आपूर्ति

  • जीएसटी परिषद ने सरकारी इकाई; या अनुसंधान संगठन, विश्वविद्यालय, कॉलेज/ महाविद्यालय या अन्य संस्थान द्वारा अनुसंधान एवं विकास सेवाओं की आपूर्ति को छूट देने की सिफारिश की, जो आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 35 की उप-धारा (1) के खंड (ii) या (iii) के तहत सरकारी या निजी अनुदान का उपयोग करने के लिए अधिसूचित हैं।

  • पिछली मांगों को जैसा है जहां हैके आधार पर नियमित किया जाना चाहिए।

 

  1. अधिमान्य/ तरजीही स्थान प्रभार (पीएलसी)

  • यह स्पष्ट किया जाता है कि पूर्णता प्रमाण-पत्र जारी करने से पहले आवासीय/वाणिज्यिक/औद्योगिक परिसर की निर्माण सेवाओं के लिए प्रतिफल के साथ भुगतान किए गए स्थान प्रभार या अधिमान्य स्थान प्रभार (पीएलसी) समग्र आपूर्ति का भाग बनते हैं, जहां निर्माण सेवाओं की आपूर्ति मुख्य सेवा है और पीएलसी स्वाभाविक रूप से इसके साथ जुड़ी हुई है तथा मुख्य आपूर्ति अर्थात निर्माण सेवा के समान कर व्यवहार के लिए पात्र हैं।

 

  1. संबद्ध सेवाएं

  1. यह स्पष्ट किया जाता है कि सीबीएसई जैसे शैक्षिक बोर्डों द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली संबद्ध सेवाएं कर के योग्य हैं। हालांकि, राज्य/केंद्रीय शैक्षिक बोर्डों, शैक्षिक परिषदों और इसी तरह के अन्य निकायों द्वारा सरकारी स्कूलों को प्रदान की जाने वाली संबद्ध सेवाओं को प्रत्याशित रूप से छूट दी जाती है। 007.2017 से 17.06.2021 के बीच की पिछली अवधि के मुद्दे को 'जैसा है जहाँ है' के आधार पर नियमित किया जाना है।

  2. परिपत्र के माध्यम से यह स्पष्ट किया जाता है कि विश्वविद्यालयों द्वारा अपने घटक कॉलेजों को प्रदान की जाने वाली संबद्ध सेवाएं अधिसूचना संख्या 12/2017-सीटी (आर) दिनांक 28.06.2017 में शैक्षणिक संस्थानों को प्रदान की गई छूट के दायरे में शामिल नहीं हैं और विश्वविद्यालयों द्वारा प्रदान की जाने वाली संबद्ध सेवाओं पर 18% की दर से जीएसटी लागू है।

  1. शाखा कार्यालय द्वारा सेवा का आयात

  • किसी विदेशी एयरलाइंस कंपनी के प्रतिष्ठान द्वारा भारत के बाहर किसी संबंधित व्यक्ति या उसके किसी प्रतिष्ठान से सेवाओं के आयात को छूट देना, जब ऐसा बिना किसी प्रतिफल के किया गया हो। परिषद ने पिछली अवधि को जैसा है, जहां हैके आधार पर नियमित करने की भी सिफारिश की।

  1. वाणिज्यिक संपत्ति को किराए पर देना

  • राजस्व के नुकसान को रोकने के लिए अपंजीकृत व्यक्ति द्वारा वाणिज्यिक संपत्ति को पंजीकृत व्यक्ति को किराए पर देने को रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (आरसीएम) के अंतर्गत लाना।

  1. जीटीए द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली सहायक/मध्यवर्ती सेवाएं

  • स्पष्ट किया जाता है कि जब सड़क मार्ग से माल के परिवहन के दौरान जीटीए द्वारा सहायक/ मध्यवर्ती सेवाएं प्रदान की जाती हैं और जीटीए कंसाइनमेंट नोट भी जारी करता है, तो वह सेवा एक समग्र आपूर्ति होगी और लोडिंग/अनलोडिंग, पैकिंग/अनपैकिंग, ट्रांसशिपमेंट, अस्थायी वेयरहाउसिंग आदि जैसी सभी सहायक/मध्यवर्ती सेवाएं समग्र आपूर्ति का हिस्सा मानी जाएंगी। यदि ऐसी सेवाएं माल के परिवहन के दौरान प्रदान नहीं की जाती हैं और अलग से चालान किया जाता है, तो इन सेवाओं को माल के परिवहन की समग्र आपूर्ति नहीं माना जाएगा।

अन्य बदलाव

  1. 01 अक्टूबर, 2021 से पहले की अवधि के लिए जीएसटी देयता को जैसा है जहां हैके आधार पर नियमित किया जाता है, जहां फिल्म वितरक या उप-वितरक मुख्य रूप से फिल्मों को प्राप्त करने और वितरित करने के लिए कार्य करते हैं।

  2. बिजली कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिए आवेदन शुल्क, बिजली मीटर के लिए किराया शुल्क, मीटर/ट्रांसफार्मर/कैपेसिटर के लिए परीक्षण शुल्क, मीटर/सेवा लाइनों की शिफ्टिंग के लिए ग्राहकों से श्रम शुल्क, डुप्लीकेट बिलों के लिए शुल्क आदि सेवाओं की आपूर्ति को छूट देना, जो कि ट्रांसमिशन और वितरण उपयोगिताओं द्वारा अपने उपभोक्ताओं को बिजली की आपूर्ति के लिए आकस्मिक, सहायक या अभिन्न अंग हैं, जब उन्हें समग्र आपूर्ति के रूप में प्रदान किया जाता है। पिछली अवधि के लिए जीएसटी को जैसा है जहां हैके आधार पर नियमित किया जाएगा।

. व्यापार को सुविधाजनक बनाने के उपाय:

  1. सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 128ए के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के लिए सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 73 के तहत कर मांगों के संबंध में ब्याज या जुर्माना या दोनों से छूट के लिए प्रक्रिया और शर्तें:

जीएसटी परिषद ने सीजीएसटी अधिनियम की धारा 128ए के अनुसार, वित्त वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 से संबंधित सीजीएसटी अधिनियम की धारा 73 के तहत कर मांगों से संबंधित ब्याज या जुर्माना या दोनों की छूट का लाभ प्राप्त करने के लिए प्रक्रिया और शर्तों के लिए कुछ प्रपत्रों के साथ सीजीएसटी नियम, 2017 में नियम 164 को शामिल किए जाने की सिफारिश की है। परिषद ने सीजीएसटी अधिनियम की धारा 128ए की उपधारा (1) के तहत 31.03.2025 को उस तिथि के रूप में अधिसूचित करने की भी सिफारिश की, जिस दिन या उससे पहले पंजीकृत व्यक्तियों द्वारा सीजीएसटी अधिनियम की धारा 128ए के अनुसार उक्त लाभ प्राप्त करने के लिए कर का भुगतान किया जा सकता है। परिषद ने सीजीएसटी अधिनियम की धारा 128ए के अनुसार ब्याज या जुर्माना या दोनों की छूट का लाभ उठाने से संबंधित विभिन्न मुद्दों को स्पष्ट करने के लिए एक परिपत्र जारी करने की भी सिफारिश की। परिषद ने यह भी सिफारिश की कि वित्त (संख्या 2) अधिनियम, 2024 की धारा 146, जो सीजीएसटी अधिनियम, 2017 में धारा 128ए को सम्मिलित करने का प्रावधान करती है, को 01.11.2024 से अधिसूचित किया जा सकता है।

  1. सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 16 में नव सम्मिलित उप-धारा (5) और उप-धारा (6) के कार्यान्वयन के लिए तंत्र प्रदान करना:

जीएसटी परिषद ने सिफारिश की कि वित्त (संख्या 2) अधिनियम, 2024 की धारा 118 और 150, जो सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 16 में उप-धारा (5) और उप-धारा (6) को 01.07.2017 से पूर्वव्यापी रूप से सम्मिलित करने का प्रावधान करती है, को जल्द से जल्द अधिसूचित किया जा सकता है।

परिषद ने यह भी सिफारिश की कि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 148 के तहत आदेशों के सुधार के लिए एक विशेष प्रक्रिया अधिसूचित की जा सकती है, जिसका पालन कर के लिए पात्र ऐसे व्यक्तियों के वर्ग द्वारा किया जाना चाहिए, जिनके खिलाफ सीजीएसटी अधिनियम की धारा 73 या धारा 74 या धारा 107 या धारा 108 के तहत कोई आदेश जारी किया गया है, जिसमें सीजीएसटी अधिनियम की धारा 16 की उप-धारा (4) के प्रावधानों के उल्लंघन के कारण इनपुट टैक्स क्रेडिट का गलत लाभ उठाने की मांग की पुष्टि की गई है, लेकिन जहां ऐसा इनपुट टैक्स क्रेडिट अब सीजीएसटी अधिनियम की धारा 16 की उप-धारा (5) या उप-धारा (6) के प्रावधानों के अनुसार उपलब्ध है, और जहां उक्त आदेश के खिलाफ अपील दायर नहीं की गई है। परिषद ने सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 16 की उप-धारा (5) और उप-धारा (6) के उक्त प्रावधानों के कार्यान्वयन से संबंधित प्रक्रिया और विभिन्न मुद्दों को स्पष्ट करने के लिए एक परिपत्र जारी करने की भी सिफारिश की।

  1. सीजीएसटी नियम, 2017 के नियम 89 और नियम 96 में संशोधन और निर्यात पर आईजीएसटी रिफंड के संबंध में स्पष्टीकरण प्रदान करना, जहां सीजीएसटी नियम, 2017 के नियम 96(10) के तहत निर्दिष्ट रियायती/ छूट संबंधी अधिसूचनाओं का लाभ निम्नलिखित इनपुट (जानकारियों) पर लिया गया है:

जीएसटी परिषद ने यह स्पष्ट करने की सिफारिश की है कि जहां अधिसूचना संख्या 78/2017-सीमा शुल्क दिनांक 13.10.2017 या अधिसूचना संख्या 79/2017-सीमा शुल्क दिनांक 13.10.2017 के तहत लाभ प्राप्त करके एकीकृत कर और क्षतिपूर्ति उपकर के भुगतान के बिना शुरू में इनपुट आयात किए गए थे, लेकिन ऐसे आयातित इनपुट पर आईजीएसटी और क्षतिपूर्ति उपकर बाद में लागू ब्याज के साथ भुगतान किया जाता है, और उक्त इनपुट के आयात के संबंध में प्रवेश बिल (बिल ऑफ एंट्री) को इस आशय के क्षेत्राधिकार वाले सीमा शुल्क अधिकारियों के माध्यम से पुनर्मूल्यांकन कराया जाता है, तो निर्यात पर भुगतान किया गया आईजीएसटी, उक्त निर्यातक को वापस किया जाना सीजीएसटी नियमों के नियम 96 के उप-नियम (10) के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं माना जाएगा।

इसके अलावा, सीजीएसटी नियम, 2017 के नियम 96(10), नियम 89(4) और नियम 89(4बी) के तहत निर्यात पर रिफंड के संबंध में लगाए गए प्रतिबंधों के कारण निर्यातकों के सामने आ रही कठिनाई पर विचार करते हुए, ऐसे मामलों में जहां इनपुट पर निर्दिष्ट रियायती/छूट अधिसूचनाओं का लाभ लिया गया है, परिषद ने सीजीएसटी नियम, 2017 से नियम 96(10), नियम 89(4) और नियम 89(4बी) को संभावित रूप से हटाने की सिफारिश की है। इससे ऐसे निर्यातों के संबंध में रिफंड की प्रक्रिया सरल और तेज हो जाएगी।

  1. कुछ मुद्दों में अस्पष्टता और कानूनी विवादों को दूर करने के लिए परिपत्रों के माध्यम से स्पष्टीकरण जारी करना:

जीएसटी परिषद ने क्षेत्रीय इकाइयों द्वारा विभिन्न व्याख्याओं के कारण पैदा होने वाले निम्नलिखित मुद्दों पर स्पष्टता लाने और उत्पन्न होने वाले संदेह और अस्पष्टता को दूर करने के लिए परिपत्र जारी करने की सिफारिश की:

  1. भारतीय विज्ञापन कंपनियों द्वारा विदेशी संस्थाओं को प्रदान की जाने वाली विज्ञापन सेवाओं की आपूर्ति के स्थान पर स्पष्टीकरण।

  2. वाहन निर्माताओं के डीलरों द्वारा डेमो वाहनों पर इनपुट टैक्स क्रेडिट की उपलब्धता के बारे में स्पष्टीकरण।

  3. भारत में स्थित सेवा प्रदाताओं द्वारा भारत के बाहर स्थित क्लाउड कंप्यूटिंग सेवा प्रदाताओं को प्रदान की जाने वाली डेटा होस्टिंग सेवाओं की आपूर्ति के स्थान पर स्पष्टीकरण।

 

  1. परिषद ने सीजीएसटी नियम, 2017 के कुछ अन्य प्रावधानों में संशोधन की भी सिफारिश की।

. अन्य उपाय:

  1. बी2सी ई-चालान (-इनवॉयसिंग):

जीएसटी परिषद ने बी2बी क्षेत्र में ई-चालान के सफल कार्यान्वयन के बाद पायलट के तौर पर बी2सी ई-चालान शुरू करने की सिफारिश की। परिषद ने खुदरा क्षेत्र में ई-चालान के बेहतर व्यावसायिक दक्षता, पर्यावरण के अनुकूल, व्यवसाय के लिए लागत दक्षता आदि संभावित लाभों को पहचाना।

इससे खुदरा ग्राहकों को जीएसटी रिटर्न में चालान की रिपोर्टिंग को सत्यापित करने का अवसर भी मिलेगा। पायलट परियोजना को चयनित क्षेत्रों और राज्यों में स्वैच्छिक आधार पर शुरू किया जाएगा।

  1. चालान प्रबंधन प्रणाली और नए लेजर:

परिषद ने मौजूदा जीएसटी रिटर्न के ढांचे में किए जा रहे सुधारों के एजेंडे पर भी ध्यान दिया है। इन सुधारों में रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (आरसीएम) लेजर, इनपुट टैक्स क्रेडिट रिक्लेम लेजर और चालान प्रबंधन प्रणाली (आईएमएस) की शुरुआत शामिल है। करदाताओं को 31 अक्टूबर, 2024 तक इन लेजर के लिए अपना शुरुआती बैलेंस घोषित करने का अवसर दिया जाएगा।

आईएमएस करदाताओं को इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाने के उद्देश्य से चालान स्वीकार करने, अस्वीकार करने या लंबित रखने की अनुमति देगा। यह करदाताओं के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने में त्रुटियों को कम करने और सुलह में सुधार करने के लिए एक वैकल्पिक सुविधा होगी। इससे रिटर्न में आईटीसी मिलान नहीं होने के कारण जारी किए जाने वाले नोटिस में कमी आने की उम्मीद है।

 

नोट: इस विज्ञप्ति में जीएसटी परिषद की सिफारिशें प्रस्तुत की गई हैं, जिनमें हितधारकों की जानकारी के लिए सरल भाषा में फैसलों के प्रमुख बिंदु शामिल हैं। इन्हें प्रासंगिक परिपत्रों/अधिसूचनाओं/कानून संशोधनों के माध्यम से प्रभावी किया जाएगा, जिसके बाद ही ये कानून का रूप ले सकेंगे।

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