इस्‍पात मंत्रालय

भारत के इस्पात क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि, दूसरा सबसे बड़ा वैश्विक उत्पादक देश बना


घरेलू तैयार इस्पात का उत्पादन 89.711 मिलियन टन है, जिसमें 14.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है

उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना इस्पात क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देती है- 29,530 करोड़ रुपये के कुल निवेश के साथ 57 परियोजनाओं को कवर करने वाली 27 कंपनियों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए

नगरनार एकीकृत इस्पात संयंत्र को इस वर्ष चालू किया गया; अंतिम उत्पाद के रूप में हॉट रोल्ड (एचआर) कॉइल का उत्पादन शुरू हुआ

सुरक्षा प्रथम: इस्पात मंत्रालय ने इस्पात गुणवत्ता नियंत्रण आदेश लागू किया और इसके अंतर्गत 145 भारतीय मानकों को अधिसूचित किया

इस्पात मंत्रालय के सीपीएसई ने वित्त वर्ष 2022-23 में रिकॉर्ड पूंजीगत व्यय प्राप्त किया, वित्त वर्ष 2023-24 में इस गति को बरकरार रखा

सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) के माध्यम से मंत्रालय की खरीद पिछले वर्ष के आर्डर से 20.8 प्रतिशत ज्यादा है; एमएसएमई को समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जा रहा है

केंद्रीय इस्पात मंत्री की अध्यक्षता में एकीकृत इस्पात संयंत्रों (आईएसपी) और द्वितीयक इस्पात उद्योग (एसएसआई) के लिए सलाहकार समूह की बैठकों का आयोजन नियमित रूप से किया जा रहा है

Posted On: 29 DEC 2023 4:38PM by PIB Delhi

इस्पात क्षेत्र निर्माण, अवसंरचना, ऑटोमोबाइल, इंजीनियरिंग और रक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पिछले कुछ वर्षों में, देश के इस्पात क्षेत्र में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है और भारत इस्पात उत्पादन में एक वैश्विक शक्ति तथा दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक देश बनकर उभरा है।

उत्पादन और खपत

चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों (अप्रैल-नवंबर 2023) में इस्पात क्षेत्र का उत्पादन प्रदर्शन बहुत सराहनीय रहा है। घरेलू तैयार इस्पात उत्पादन पिछले वर्ष की इसी अवधि की 78.498 मिलियन टन की तुलना में 89.711 मिलियन टन रहा, जो 14.3 प्रतिशत ज्यादा है। घरेलू इस्पात खपत 87.066 मिलियन टन है, जो 75.765 मिलियन टन के सीपीएलवाई की तुलना में 14.9 प्रतिशत ज्यादा है। घरेलू कच्चे इस्पात का उत्पादन 14.7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 94.114 मिलियन टन है, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में 82.072 मिलियन टन उत्पादन हुआ था।

 

आयात और निर्यात

अप्रैल-नवंबर 2023 की अवधि में, तैयार इस्पात का आयात पिछले वर्ष के 3.751 मिलियन टन से बढ़कर चालू वर्ष में 4.253 मिलियन टन हो गया है, जिसमें 13.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

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(ए) इस्पात क्षेत्र के विकास के लिए हाल में की गई पहल:

(I) उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना- सरकार ने पूंजी निवेश को आकर्षित करके और इस्पात क्षेत्र में प्रौद्योगिकी उन्नयन को बढ़ावा देकर देश में 'स्पेशियलिटी स्टील' के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए 6322 करोड़ रुपये के पांच वर्षीय वित्तीय परिव्यय के साथ उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के अंतर्गत 'स्पेशियलिटी स्टील' को शामिल करने को मंजूरी प्रदान की है। 17.03.2023 को, सरकार ने पीएलआई योजना के अंतर्गत 57 परियोजनाओं को कवर करने वाली 27 कंपनियों के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही यानी सितंबर 2023 तक इस्पात क्षेत्र के लिए उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना का प्रदर्शन और परिणाम निम्नलिखित हैं:

प्रतिबद्ध निवेश

(करोड़ रु)

2023-24 की दूसरी तिमाही तक वास्तविक निवेश (करोड़ रु)

प्रतिबद्ध उत्पादन

 

वित्त वर्ष 2023-24 के लिए (000 टन)

2023-24 की दूसरी तिमाही तक वास्तविक उत्पादन

 

(000 टन)

2023-24 की दूसरी तिमाही तक रोजगार सृजन

 

(संख्या)

बजटीय प्रोत्साहन परिव्यय

 

(करोड़ रु)

वास्तविक प्रोत्साहन वितरित

 

(करोड़ रु)

29531

10730

935

शून्य*

3785

6332

शून्य*

*(प्रोत्साहन वित्त वर्ष 2024-25 से वितरित किया जाएगा)

(II) नगरनार एकीकृत इस्पात संयंत्र

एनएमडीसी का 3 एमटीपीए क्षमता का ग्रीनफील्ड एकीकृत इस्पात संयंत्र, छत्तीसगढ़ में जगदलपुर से 16 किलोमीटर दूर स्थित नगरनार में स्थापित किया गया है। नगरनार एकीकृत इस्पात संयंत्र की स्थापना का निर्णय लौह अयस्क भंडार के साथ इसकी सहलग्नता और निवेश योग्य अधिशेष की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। संयंत्र 24 अगस्त, 2023 से चालू हो चुका है और अंतिम उत्पाद के रूप में हॉट रोल्ड (एचआर) कॉइल का उत्पादन शुरू कर दिया है।

(III) हरित इस्पात निर्माण

सीओपी-26 में उल्लिखित नेट-जीरो उत्सर्जन के प्रति भारत की प्रतिबद्धताओं के अनुरूप, इस्पात मंत्रालय ने इस्पात क्षेत्र के डीकार्बोनाइजेशन की दिशा में विभिन्न कदम उठाए हैं।

  1. इस्पात मंत्रालय ने इस्पात क्षेत्र के डीकार्बोनाइजेशन के विभिन्न स्तरों पर चर्चा, विचार-विमर्श और सिफारिश करने के लिए उद्योगों, शिक्षाविदों, थिंक टैंकों, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी निकायों, विभिन्न मंत्रालयों और अन्य हितधारकों की भागीदारी के साथ 13 कार्यबल गठित किए हैं।
  2. नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने हरित हाइड्रोजन उत्पादन और उपयोग के लिए एक राष्ट्रीय हरित मिशन की घोषणा की है। इस्पात क्षेत्र को भी इस मिशन में हितधारक बनाया गया है।
  3. इस्पात क्षेत्र ने आधुनिकीकरण और विस्तार परियोजनाओं में वैश्विक स्तर पर उपलब्ध सर्वश्रेष्ठ उपलब्ध प्रौद्योगिकियों (बीएटी) को अपनाया है।

(IV) इस्पात मंत्रालय का प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के साथ जुड़ाव

इस्पात मंत्रालय ने बीआईएसएजी-एन की क्षमताओं को प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के साथ एकीकृत किया है, इस्पात उत्पादन सुविधाओं में अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिए 2000 से ज्यादा इस्पात इकाइयों के जियो-लोकेशन को अपलोड किए गए हैं। यह जानकारी रेलवे लाइनों का विस्तार, अंतर्देशीय जलमार्गों, राजमार्गों, बंदरगाहों और गैस पाइपलाइन संपर्क योजनाओं को तैयार करने में सहायता प्रदान करेगा।

मंत्रालय ने लौह अयस्क, मैंगनीज अयस्क खानों और लौह अयस्क घोल पाइपलाइनों के आंकड़ों को भी मैप किया है, जिससे महत्वपूर्ण कच्चे माल के स्रोतों की बेहतर दृश्यता और प्रबंधन प्राप्त होता है। मंत्रालय ने 22 प्रमुख अवसंरचनाओं में कमियों की पहचान की है जिन्हें व्यापक और एकीकृत अवसंरचना विकास के लिए अन्य मंत्रालयों के सहयोग से संबोधित करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, इस्पात मंत्रालय ने प्रधानमंत्री गति शक्ति-राष्ट्रीय मास्टर प्लान में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (सीपीएसई) के सदस्यों को भी शामिल किया है।

इस्पात मंत्रालय को 2022 की राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति के अनुरूप कुशल लॉजिस्टिक्स (एसपीईएल) के लिए क्षेत्रीय योजना बनाने का अधिदेश प्राप्त है। कुशल लॉजिस्टिक्स (एसपीईएल) के लिए क्षेत्रीय योजना के लिए प्रारंभिक मसौदा प्रमुख इस्पात उत्पादकों और संघों के बीच परिचालित की गई थी और इसे सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध कराया गया था, जिससे एक सुविज्ञ कार्यनीति सुनिश्चित की जा सके। हितधारकों से प्राप्त सुझावों की जांच की जा रही है और अंतिम रूप दिए गए एसपीईएल को उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के माध्यम से सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह के सामने प्रस्तुत किया जाएगा।

(V) स्टील स्क्रैप रीसाइक्लिंग नीति

स्टील स्क्रैप रीसाइक्लिंग नीति (एसएसआरपी) को 2019 में अधिसूचित किया गया है, जो एंड ऑफ लाइफ व्हीकल (ईएलवी) यानी कबाड़ गाड़ियों सहित विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न लौह स्क्रैप का वैज्ञानिक प्रसंस्करण और रीसाइक्लिंग करने के लिए देश में धातु स्क्रैपिंग केंद्रों की स्थापना को सुविधाजनक बनाने और बढ़ावा देने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है।

इस दिशा में इस्पात मंत्रालय के अधीन सीपीएसई, एमएसटीसी लिमिटेड ने महिंद्रा एक्सेलो के साथ संयुक्त उद्यम (जेवी) में एमएसटीसी महिंद्रा रीसाइक्लिंग प्राइवेट लिमिटेड (एमएमआरपीएल) की स्थापना की है। अब तक, संयुक्त उद्यम ने ग्रेटर नोएडा, चेन्नई, पुणे, इंदौर, अहमदाबाद, हैदराबाद, गुवाहाटी और बेंगलुरु में आठ (8) वाहन स्क्रैपिंग केंद्र स्थापित किए हैं।

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एमएसटीसी को कंपनी द्वारा विकसित पोर्टल पर 15 वर्षों से ज्यादा पुराने सरकारी वाहनों की नीलामी करने का भी कार्य सौंपा गया है।

(VI) राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन परियोजनाओं की सुविधा

इस्पात मंत्रालय इस्पात कंपनियों की राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन परियोजनाओं से संबंधित मुद्दों को संबंधित केंद्र/राज्य सरकारों, मंत्रालयों/विभागों के साथ सक्रिय रूप से उठाता रहता है।

(VII) इस्पात का उपयोग

सरकार ने राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 प्रतिपादित की है, जिसमें 2030-31 तक मांग एवं आपूर्ति दोनों पक्षों पर भारतीय इस्पात उद्योग के लिए दीर्घकालिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए व्यापक रूपरेखा तैयार की गई है।

सरकार द्वारा गति-शक्ति मास्टर प्लान, विनिर्माण क्षेत्र के लिए 'मेक-इन-इंडिया' पहल के माध्यम से अवसंरचना विकास पर बल दिया जा रहा है और सरकार की अन्य प्रमुख योजनाओं से देश में इस्पात की मांग और खपत को बढ़ावा मिलेगा। इस संबंध में उठाए गए कदमों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  1. इस्पात मंत्रालय ने आवास और निर्माण क्षेत्र में इस्पात के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए मकानों और लंबी सीमा के सड़क पुलों के निर्माण के लिए इस्पात इंटेंसिव डिजाइनों के विकास के लिए उद्योग और तकनीकी संस्थानों (आईआईटी/एनआईटी) के विशेषज्ञों की एक समिति गठित की है।
  2. इस्पात मंत्रालय ने लंबी सीमा (30 मीटर, 35 मीटर और 40 मीटर) इस्पात आधारित पुलों के डिजाइन का विकास करने के लिए आईएनएसडीएजी, आईआईटी, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) के विशेषज्ञों और उद्योग विशेषज्ञों की एक समिति का भी गठन किया है। 30 मीटर के डिजाइन को अनुमोदित कर दिया गया है और इसे अपनाने के लिए एमओआरटीएच को भेजा गया है।
  3. इस्पात मंत्रालय ने इस्पात इंटेंसिव निर्माण हेतु कोड के विकास के लिए भारतीय मानक ब्यूरो के साथ काम किया है। भारतीय मानक ब्यूरो ने सूचित किया है कि इस्पात उद्योग के सदस्यों वाली एक समिति का गठन किया गया है और कोड का विकास अग्रिम चरण में है।
  4. घरेलू खपत के लिए विशेष इस्पातों की उपलब्धता को बढ़ावा देने हेतु सरकार ने देश में विशेष इस्पात के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए विशेष इस्पात उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना भी अधिसूचित की है।

(VIII) सरकारी बजट के माध्यम से अनुसंधान एवं विकास

इस्पात मंत्रालय लौह और इस्पात क्षेत्र के सामने आने वाले ज्वलंत मुद्दों का समाधान करने के लिए नई वैकल्पिक प्रक्रियाओं और प्रौद्योगिकियों के विकास हेतु अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्थानों, अनुसंधान प्रयोगशालाओं और इस्पात कंपनियों से संयुक्त सहयोगात्मक रूप में अनुसंधान एवं विकास परियोजना प्रस्ताव आमंत्रित करता है, जैसे कि जलवायु परिवर्तन (हरित इस्पात उत्पादन, एच2 आधारित इस्पात उत्पादन, सीसीयूएस आदि), अपशिष्ट उपयोग, संसाधन दक्षता आदि को संबोधित करने के लिए अनुसंधान एवं विकास योजना के अंतर्गत "लौह एवं इस्पात क्षेत्र में अनुसंधान एवें विकास को बढ़ावा" देने हेतु वित्तीय सहायता।

अनुसंधान एवं विकास योजना के अंतर्गत वित्तपोषण हेतु विचार किए जाने वाले अनुसंधान एवं विकास प्रस्तावों पर सहयोग और वित्तीय योगदान दोनों के लिए औद्योगिक भागीदारी अनिवार्य है।

वित्त वर्ष 2023 के दौरान, सरकारी बजट से 239.63 लाख रुपये की वित्तीय सहायता के साथ 360.48 लाख रुपये की कुल लागत की कुल 4 आर एंड डी परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान की गई है। इसके अतिरिक्त, वर्तमान में इस्पात मंत्रालय की 14 अनुसंधान एवं विकास परियोजनाएं चल रही हैं।

(IX) इस्पात और इस्पात उत्पाद (गुणवत्ता नियंत्रण) आदेश

इस्पात मंत्रालय ने इस्पात गुणवत्ता नियंत्रण आदेश लागू किया है, जिससे उद्योग, प्रयोक्ताओं और जनता को गुणवत्तापूर्ण इस्पात की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए घरेलू और आयात दोनों द्वारा घटिया/दोषपूर्ण इस्पात उत्पादों पर प्रतिबंध लगाया जा सके। आदेश के अनुसार, यह सुनिश्चित किया जाता है कि अंतिम उपयोगकर्ताओं को केवल प्रासंगिक बीआईएस मानकों के अनुरूप गुणवत्ता वाले इस्पात उपलब्ध कराए जाएं।

आज की तारीख में, कार्बन इस्पात, मिश्र धातु इस्पात और स्टेनलेस स्टील को शामिल करते हुए गुणवत्ता नियंत्रण आदेश के अंतर्गत 145 भारतीय मानकों को अधिसूचित किया गया है। इसके अलावा, इस्पात गुणवत्ता नियंत्रण आदेश के उल्लंघन को रोकने के लिए इस्पात से बने सामान और वस्तुएं जैसे स्टेनलेस स्टील पाइप और ट्यूब, ट्रांसफार्मर के लैमिनेशन/कोर, टिन प्लेट और टिन मुक्त इस्पात के उत्पाद आदि भी अधिसूचित किए गए हैं।

(X) लौह एवं इस्पात क्षेत्र में सुरक्षा: लौह एवं इस्पात क्षेत्र के लिए सुरक्षा दिशा-निर्देश तैयार करना

हितधारकों, शिक्षाविदों आदि के साथ व्यापक परामर्श करने के बाद, लौह एवं इस्पात क्षेत्र के लिए 25 सामान्य न्यूनतम सुरक्षा दिशा-निर्देशों का एक सेट तैयार किया गया है। ये सुरक्षा दिशा-निर्देश वैश्विक मानकों के अनुरूप हैं और लौह एवं इस्पात उद्योग में सुरक्षा पर आईएलओ आचार कोड की अपेक्षाओं के अनुरूप हैं। सुरक्षा और स्वास्थ्य सिद्धांतों और परिभाषाओं पर विश्व इस्पात संघ के मार्गदर्शन दस्तावेज़ से भी इनपुट प्राप्त किया गया है।

भारतीय इस्पात उद्योग और इसके संघों के हितधारकों से आग्रह किया गया है कि वे इन दिशा-निर्देशों को पूर्ण रूप से अपनाएं जिससे कार्यबल के लिए सुरक्षित माहौल में काम करना सुनिश्चित किया जा सके। लौह एवं इस्पात उद्योग ने श्रम एवं रोजगार मंत्रालय से सुरक्षा दिशा-निर्देशों को अनिवार्य रूप से अपनाने की सुविधा प्रदान करने का भी अनुरोध किया गया है।

(बी) अन्य विशेषताएं:

(I) नेशनल मेटलर्जिस्ट अवॉर्ड्स 2022

नेशनल मेटलर्जिस्ट अवॉर्ड्स 2022, भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय द्वारा प्रदान किया जाने वाला एक प्रतिष्ठित पुरस्कार है, जो लौह एवं इस्पात क्षेत्र में धातुविज्ञानियों के उत्कृष्ट योगदान को मान्यता प्रदान करने के लिए दिया जाता है। ये पुरस्कार पांच श्रेणियों में दिये जाते हैं, जिसमें लाइफटाइम अचीवमेंट, राष्ट्रीय धातुकर्म, युवा धातुविज्ञानी (पर्यावरण), युवा धातुविज्ञानी (धातु विज्ञान), और लौह एवं इस्पात क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास पुरस्कार शामिल हैं। पुरस्कार समारोह का आयोजन 22 नवंबर, 2023 को किया गया था और विजेता थे:

  • डॉ. कामाची मुदाली उथांडी - लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
  • डॉ. देबाशीष भट्टाचार्य - राष्ट्रीय धातुकर्म पुरस्कार
  • डॉ.रामेश्वर साह - लौह एवं इस्पात क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास
  • डॉ निलॉय कुंडू - युवा धातुविज्ञानी (पर्यावरण) पुरस्कार
  • एगिलन मुथुमनिकम - युवा धातुविज्ञानी (धातु विज्ञान) पुरस्कार

 

(II) इस्पात मंत्रालय के अंतर्गत सीपीएसई द्वारा पूंजीगत व्यय:

वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान, इस्पात सीपीएसई का लक्ष्य 11,590.46 करोड़ रुपये (संशोधित अनुमान) था, जिसके मुकाबले सीपीएसई ने 10,525.84 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय प्राप्त किया। वित्त वर्ष 2022-23 में पूंजीगत व्यय पिछले पांच वर्षों में इस्पात सीपीएसई द्वारा प्राप्त किया गया सबसे ज्यादा पूंजीगत व्यय था।

वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पूंजीगत व्यय का लक्ष्य 10,300.85 करोड़ रुपये (बजट अनुमान) है। इस बजट अनुमानित लक्ष्य की तुलना में इस्पात सीपीएसई ने नवंबर, 2023 तक 5414.51 करोड़ रुपये (52.6 प्रतिशत) का पूंजीगत व्यय प्राप्त किया है। पूंजीगत व्यय की प्रगति की नियमित रूप से निगरानी की जा रही है और सीपीएसई की परियोजनाओं को समय पर पूरा सुनिश्चित करने और वास्तविक और वित्तीय मील के पत्थर प्राप्त करने की सलाह दी गई है।

(iii) सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम): इस्पात सीपीएसई द्वारा जीईएम के माध्यम से वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद में वृद्धि हुई है और अप्रैल-नवंबर, 2023 के दौरान आर्डरों का मूल्य पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 20.8 प्रतिशत ज्यादा है। अप्रैल-नवंबर 2023 के बीच की गई कुल खरीद 10,126.90 करोड़ रुपये है।

(iv) एमएसएमई भुगतान: इस्पात मंत्रालय के केंद्रीय सरकारी उद्यमों द्वारा एमएसएमई को लंबित भुगतानों की स्थिति की साप्ताहिक आधार पर निगरानी की जा रही है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसका भुगतान समय पर किया जा सके। चालू वित्त वर्ष अप्रैल 2023 से नवंबर 2023 के दौरान 98 प्रतिशत एमएसएमई का भुगतान 45 दिनों के अंदर किया गया है। उपर्युक्त अवधि के दौरान इस्पात के केंद्रीय सरकारी उद्यमों ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को 4977.82 करोड़ रुपये का भुगतान किया है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान किए गए 4747.53 करोड़ रुपये के भुगतान की तुलना में लगभग 5 प्रतिशत ज्यादा है।

(v) मिशन भर्ती: रिक्तियों को भरने में प्रगति की रिपोर्ट और निगरानी के लिए डीओपीटी द्वारा एक समर्पित ऑनलाइन पोर्टल अर्थात रिक्ति स्थिति पोर्टल चलाया गया है। इस्पात सीपीएसई ने रिक्तियों को शीघ्रता से भरने के लिए कार्रवाई की है। मिशन के अंतर्गत, 2023 में इस्पात सीपीएसई द्वारा मुख्य रूप से सेल, एनएमडीसी, केआईओसीएल, एमओआईएल और मेकॉन द्वारा 1389 सीधी भर्तियां की गई हैं।

(vi) स्वच्छता अभियान: इस्पात मंत्रालय ने मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले 7 सीपीएसई अर्थात सेल, आरआईएनएल, एनएमडीसी, एमओआईएल, मेकॉन, केआईओसीएल और एमएसटीसी के साथ मिलकर 02 अक्टूबर 2023 से 31 अक्टूबर 2023 तक आयोजित ‘लंबित मामलों के निपटान के लिए विशेष अभियान (एससीडीपीएम 3.0) में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया। अभियान के दौरान इस्पात मंत्रालय और उसके सीपीएसई ने धातु एवं गैर-धातु कबाड़, कागज और ई-कचरे आदि के निपटान से 2,34,915 वर्ग फुट स्थान को खाली किया। अभियान के दौरान, 19,432 भौतिक फाइलों को समाप्त किया गया और 12,207 ई-फाइलों को बंद कर दिया गया। इसके अलावा, कई लंबित पीजी अपील/पीजी शिकायतों, सांसद संदर्भों आदि का निपटारा किया गया। इसके अलावा, मंत्रालय और इसके सीपीएसई द्वारा 261 स्वच्छता अभियान चलाए गए।

(vii) चिंतन शिविर: इस्पात मंत्रालय ने इस वर्ष 17 फरवरी, 2023 और 15 दिसंबर, 2023 को दो चिंतन शिविरों का आयोजन किया। 17.2.2023 को आयोजित पहले चिंतन शिविर में, सॉफ्ट स्किल और टीम बिल्डिंग पर एक सत्र का आयोजन करने के अलावा इस्पात क्षेत्र में कच्चे माल के मुद्दों और इस्पात क्षेत्र में परिपत्र अर्थव्यवस्था पर विचार-विमर्श किया गया। दूसरे चिंतन शिविर का आयोजन 15.12.2023 को किया गया और कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम: इस्पात क्षेत्र पर प्रभाव और इस्पात क्षेत्र में उभरती हुई प्रौद्योगिकी-एआई के उपयोग) के विषयों पर चर्चा की गई।

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(viii) इस्पात मंत्रालय के लिए सलाहकार समिति की बैठक: वर्ष 2023 में, इस्पात मंत्री की अध्यक्षता में इस्पात मंत्रालय के लिए सलाहकार समिति की चार बैठकें आयोजित की गईं। वर्ष 2023 की पहली बैठक का आयोजन दिनांक 06.03.2023 को किया गया जिसमें द्वितीयक इस्पात समूहों पर विचार-विमर्श किया गया। इसके अलावा 28.04.2023 को 'लॉजिस्टिक्स: स्टील सेक्टर', 24.07.2023 को सीपीएसई की भूमि पार्सल पर उत्परिवर्तन, डिजिटलीकरण और अतिक्रमण की स्थिति और 23.11.2023 को 'भारतीय इस्पात की ब्रांडिंग' पर बैठकें आयोजित की गईं।

(IX) इस्पात मंत्री का सलाहकार समूह: केंद्रीय नागर विमानन और इस्पात मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया की अध्यक्षता में एकीकृत इस्पात संयंत्रों (आईएसपी) और द्वितीयक इस्पात उद्योग (एसएसआई) के लिए इस्पात मंत्रालय के सलाहकार समूह नाम से दो सलाहकार समूह का गठन किया गया है। सलाहकार समूहों का उद्देश्य उद्योग द्वारा सामना किए जा रहे सामान्य मुद्दों की पहचान करना और मंत्रालय की सक्रिय भागीदारी के साथ उनके समाधान के लिए एक रास्ता निकालना है। दोनों सलाहकार समूहों की नियमित अंतराल पर बैठकें आयोजित की जा रही हैं। इस वर्ष आईएसपी के लिए सलाहकार समूह की दो बैठकें और एसएसआई के लिए सलाहकार समूह की दो बैटकें आयोजित की गई हैं।

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एमजी/एआर/एके/एसएस  



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