प्रधानमंत्री कार्यालय

प्रधानमंत्री ने केरल के त्रिशूर में आयोजित श्री सीताराम स्वामी मंदिर के कार्यक्रम को संबोधित किया


“यद्यपि भारत प्रतीकों में दिखाई तो देता है, लेकिन यह अपने ज्ञान और विचार में जीता है। भारत शाश्वत की अपनी खोज में जीता है”

“हमारे मंदिर और तीर्थस्थान सदियों से हमारे समाज के मूल्यों और समृद्धि के प्रतीक रहे हैं”

Posted On: 25 APR 2023 9:31PM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो संदेश के माध्यम से त्रिशूर में आयोजित श्री सीताराम स्वामी मंदिर के एक कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने त्रिशूर पूरम महोत्सव के पावन अवसर पर सभी लोगों को बधाई दी।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत केरल की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में त्रिशूर की प्रतिष्ठा को स्वीकार करते हुए की, जहां संस्कृति, परंपराएं एवं कलाएं आध्यात्मिकता, दर्शन और त्योहारों के साथ फलती-फूलती हैं। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि त्रिशूर अपनी विरासत और पहचान को जीवंत बनाए रखे हुए है और श्री सीताराम स्वामी मंदिर इस दिशा में एक जीवंत केंद्र के रूप में काम कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने इस मंदिर के विस्तार पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि एक सोने की परत वाला गर्भ गृह भगवान श्री सीताराम और भगवान अयप्पा और भगवान शिव को समर्पित किया जा रहा है। उन्होंने 55 फीट की भगवान हनुमान प्रतिमा की स्थापना की भी सराहना की और सभी को कुंभाभिषेकम के लिए बधाई दी।

कल्याण परिवार एवं श्री टी एस कल्याणरमन के योगदानों की सराहना करते हुए और मंदिर के बारे में अपनी पिछली मुलाकात तथा चर्चा को याद करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर अपने द्वारा अनुभव किए गए आध्यात्मिक आनंद की भावना को व्यक्त किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि त्रिशूर और श्री सीताराम स्वामी मंदिर न केवल आस्था के शिखर हैं, बल्कि वे भारत की चेतना और आत्मा का प्रतिबिंब भी हैं। श्री मोदी ने मध्यकाल में आक्रमण के दौर को याद किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये आक्रमणकारी मंदिरों को नष्ट तो कर रहे थे,  लेकिन वे इस तथ्य से अनजान थे कि यद्यपि भारत प्रतीकों में दिखाई तो देता है, लेकिन यह अपने ज्ञान और विचार में जीता है। उन्होंने कहा कि भारत शाश्वत की खोज में जीता है। "भारत की आत्मा श्री सीताराम स्वामी और भगवान अय्यप्पा के रूप में अपनी अमरता की घोषणा कर रही है।” उन्होंने कहा, “उस समय के ये मंदिर इस बात की घोषणा करते हैं कि ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ का विचार हजारों वर्षों का एक अमर विचार है। आज आजादी के स्वर्ण युग में हम अपनी विरासत पर गर्व करने का संकल्प लेकर इसी विचार को आगे बढ़ा रहे हैं।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारे मंदिर और तीर्थस्थान सदियों से हमारे समाज के मूल्यों और समृद्धि के प्रतीक रहे हैं।” उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि श्री सीताराम स्वामी मंदिर प्राचीन भारत की भव्यता और वैभव को संरक्षित कर रहा है। इस मंदिर के माध्यम से चलाए जाने वाले कई जन कल्याणकारी कार्यक्रमों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि एक ऐसी व्यवस्था है जहां समाज से प्राप्त संसाधनों को सेवा के रूप में लौटाया जाता है। उन्होंने मंदिर समिति से इन प्रयासों में देश के और संकल्पों को जोड़ने का आग्रह किया, चाहे वह श्री अन्न अभियान का मामला हो, स्वच्छता अभियान या प्राकृतिक खेती के प्रति जन जागरूकता का मामला हो। अपने संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि अब जबकि देश के लक्ष्यों और संकल्पों को साकार करने का काम जारी है, श्री श्री सीताराम स्वामी जी का आशीर्वाद हर किसी पर बना रहेगा। 

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