विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

विज्ञान ने बीते कल की परी कथाओं को आज की वास्तविकता में बदल दिया है और इसलिए आधुनिक शोध के साथ पारंपरिक ज्ञान का इष्टतम सम्मिश्रण कल्पना से परे परिणाम दे सकता है : डॉ. जितेन्द्र सिंह


डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की दृश्यता और वैश्विक प्रोफ़ाइल ने मोदी सरकार के अंतर्गत नई ऊंचाइयों को छू लिया है

मंत्री महोदय उत्तरांचल विश्वविद्यालय परिसर, देहरादून में आकाश तत्त्व- "जीवन के लिए आकाश (आकाश फॉर लाइफ)" पर राष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्य भाषण दे रहे थे

डॉ. जितेंद्र सिंह के अनुसार 2024 में देश का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान भारत की  अंतरिक्ष गाथा में एक प्रमुख कीर्तिमान स्थापित करेगा

Posted On: 05 NOV 2022 6:09PM by PIB Delhi

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्रीडॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि विज्ञान ने बीते कल की परी  कथाओं  को आज की वास्तविकता में बदल दिया है और इसलिए आधुनिक अनुसंधान के साथ पारंपरिक ज्ञान का इष्टतम सम्मिश्रण  अब कल्पना से परे परिणाम दे सकता है।

मंत्री महोदय ने याद किया कि जब वे एक छोटे बच्चे थे तब केवल रेडियो ही था और किसी ने टेलीविजन के बारे में नहीं सुना था, लेकिन उनके शिक्षक यह कल्पना करते थे कि एक दिन हम रेडियो पर समाचार–वाचक का चेहरा देख सकेंगे। इसी तरह जब साराभाई जी ने अंतरिक्ष कार्यक्रम शुरू किया तब भारत में हम सभी उस समय चंद्रमा के बारे में नर्सरी में गाना गा रहे होते थे और किसी ने यह भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन भारतीय मिशन चंद्रमा की सतह पर उतरेंगे।

 

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देहरादून में उत्तरांचल विश्वविद्यालय परिसर में आकाश तत्त्व- " जीवन के लिए आकाश (आकाश फॉर लाइफ)" पर 4 दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्य भाषण देते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने भारत को अपने देश के विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए सार्वभौमिक मान्यता अर्जित करने में सक्षम बनाया है। नवोन्मेष क्षमताएं और हमारे स्टार्ट - अप्स की बहुत मांग है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया भारत को एक प्रेरणादायी स्थान के रूप में देख रही है, क्योंकि यह उभरते हुए देशों को क्षमता निर्माण और नैनो उपग्रहों सहित उपग्रह निर्माण में मदद कर रहा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह सब पिछले आठ वर्षों के दौरान जीवन के सभी पहलुओं में वैज्ञानिक अन्वेषण के लिए प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के निरंतर समर्थन और प्रोत्साहन के कारण संभव हुआ है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि यह विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार ही होंगे जो अगले 25 वर्षों में भारत की भूमिका को दुनिया में अग्रणी वैज्ञानिक शक्ति बनाने के लिए परिभाषित करेंगे।

वयोवृद्ध राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) विचारक भैयाजी जोशी, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी, उत्तरांचल विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री जितेन्द्र जोशी, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार, प्रो. अजय कुमार सूद, अनुसन्धान भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष, एस सोमनाथ, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिवडॉ. एस चंद्रशेखर, जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश एस गोखले और प्रोफेसर, व्याख्याता और छात्र उद्घाटन समारोह में शामिल हुए।

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डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि विश्व समुदाय में भारत का आरोहण शुरू हो गया है और यह अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के माध्यम से होगा। उन्होंने कहा किरेलवे, राजमार्ग, कृषि और स्मार्ट शहरों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों ने आम आदमी के लिए जीवन में सुगमताला दी है। उन्होंने कहा कि जून, 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने के ऐतिहासिक निर्णय के बाद हर कोई स्टार्ट-अप्स को लाकर, उन्हें अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में प्रविष्ट करा कर   रॉकेट एवं उपग्रह विकसित करने के लिए महान अनुप्रयोगों को अपनाते हुएइस क्षेत्र में परिवर्तन देख रहा हैI मंत्री महोदय ने कहा कि अन्तरिक्ष क्षेत्र (स्पेस सेक्टर) में आज 102 से ज्यादा स्टार्ट-अप काम कर रहे हैं। इसके अलावा, भू-स्थानिक दिशानिर्देशों ने स्वामित्व (एसवीएएमआईटीवीए) जैसी योजनाओं को 6 लाख से अधिक सभी भारतीय गांवों का सर्वेक्षण करने में सक्षम बनाया है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि हालांकि भारत की अंतरिक्ष आकांक्षाएं चंद्रमा और मंगल पर इसके मिशनों में परिलक्षित होती हैं, लेकिन देश का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान भारत की  अंतरिक्ष गाथा में एक प्रमुख कीर्तिमान सिद्ध होगा। मंत्री महोदय ने बताया कि मानव रहित गगनयान की उड़ान 2023 के अंत तक निर्धारित है। दूसरी मानव रहित उड़ान 2024 के मध्य तक होगी और मानवयुक्त मिशन 2024 तक योजनाबद्ध है।

आकाश तत्व सम्मेलन की विषयवस्तु पर अपने सम्बोधन में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कियह स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद से भारत में हो रहा अपनी तरह का पहला आयोजन है जिसमें वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए एक इष्टतम संतुलन बनाकर प्राचीन ज्ञान को आधुनिक अनुसंधान के साथ जोड़ा गया है। मंत्री महोदय ने आकाश, वायु जल, पृथ्वी और अग्नि पर पंचमहाभूत सम्मेलन के पीछे सोच के लिए भैयाजी जोशी की सराहना की।

डॉ जितेंद्र सिंह ने भारतीय पारंपरिक ज्ञान के लिए एक नई सुबह के रूप में इस साल अगस्त में पेटेंट कार्यालयों के अलावा उपयोगकर्ताओं के लिए पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (टीकेडीएल) डेटाबेस खोलने का उदाहरण देते हुए कहा कि इसे आधुनिक ज्ञान से जोड़ा जाएगा और आम उपयोगकर्ताओं के लिए मूल्यवर्धन प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कियह इस तथ्य को भी रेखांकित करता है कि अतीत या प्राचीन काल की काल्पनिक कहानियों या रूमानियत से प्रभावित हुए बिना, आधुनिक समय के लिए प्रासंगिक चीजों को उनमें से कैसे सर्वोत्तम तरीके से निकाला जा सकता है और पंचमहाभूत का यही मूल तत्व है – कि प्राचीन ज्ञान को आधुनिक विज्ञान के साथ के साथ जोड़ा जाए।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि वह देहरादून कॉन्क्लेव के दौरान आकाश तत्व के विभिन्न आयामों पर नए विचारों की प्रतीक्षा कर रहे हैं क्योंकि इस  तीन दिवसीय सम्मेलन में लगभग 35 प्रख्यात वक्ता अपने विचारों को  साझा करेंगे। मंत्री महोदय  ने आगे कहा कि इस सम्मेलन  (कॉन्क्लेव) का मुख्य उद्देश्य आधुनिक वैज्ञानिक प्रगति के साथ - साथ भारत के युवाओं को प्राचीन विज्ञान के ज्ञान से परिचित कराना है।

इस राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन के लिए भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो- आईएसआरओ) एवं  सभी प्रमुख वैज्ञानिक मंत्रालय और विभाग विज्ञान भारती के साथ मिल कर कार्य कर रहे हैं। विज्ञान भारती स्वदेशी भावना के साथ एक गतिशील विज्ञान आंदोलन है, जो एक ओर पारंपरिक और आधुनिक विज्ञानों को आपस में जोड़ता है तो दूसरी ओर प्राकृतिक और आध्यात्मिक विज्ञान को।

वैश्विक तापमान में वृद्धि और जलवायु परिवर्तन जैसी पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान भारतीय परिप्रेक्ष्य में खोजने के लिए देश भर में 'सुमंगलम' अभियान चलाया जा रहा है। भारतीय पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों के दृष्टिकोण से समाज की बेहतरी के लिए पर्यावरणीय मुद्दों को हल करने के लिए पांच तत्वों-पंचमहाभूत पर देश भर में पांच राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे और हम सभी जानते हैं कि पंच महाभूतों में आकाश, वायु जल, पृथ्वी और अग्नि शामिल हैं।

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