गृह मंत्रालय
कैबिनेट ने छत्तीसगढ़ राज्य के बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा जिलों के आंतरिक क्षेत्रों से भर्ती रैली के जरिये सीआरपीएफ में कांस्टेबल के रूप में मूल जनजातीय युवाओं की भर्ती के लिए कांस्टेबल-पद की शैक्षणिक योग्यता में छूट देने की मंजूरी दी
Posted On:
01 JUN 2022 4:38PM by PIB Delhi
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दक्षिण छत्तीसगढ़ के 03 जिले अर्थात् बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा से सीआरपीएफ में कांस्टेबल (सामान्य ड्यूटी) के रूप में 400 उम्मीदवारों की भर्ती के लिए आवश्यक न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता को 10वीं पास से कम करके 8वीं कक्षा पास संबंधी गृह मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
स्थानीय समाचार पत्रों में विज्ञापन जारी करने और इन तीन जिलों के आंतरिक क्षेत्रों में इस रैली के व्यापक प्रचार के लिए सभी साधनों को अपनाने के अलावा, सीआरपीएफ बाद में इन नए भर्ती प्रशिक्षुओं को परिवीक्षा अवधि के दौरान औपचारिक शिक्षा प्रदान करेगा।
छत्तीसगढ़ राज्य के तीन जिलों बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा के आंतरिक क्षेत्रों के 400 जनजातीय युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। गृह मंत्रालय द्वारा भर्ती के लिए शारीरिक मानकों में भी उचित छूट दी जाएगी।
सीआरपीएफ केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में से एक है, जो मूल रूप से कानून और व्यवस्था बनाये रखने, विद्रोह से निपटने और आंतरिक सुरक्षा कायम रखने जैसे कार्यों के लिए है। सीआरपीएफ ने छत्तीसगढ़ के अपेक्षाकृत पिछड़े क्षेत्रों से 400 मूल जनजातीय युवाओं को कांस्टेबल (सामान्य ड्यूटी) के रूप में भर्ती करने का प्रस्ताव रखा है। 10वीं पास की निर्धारित न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता प्राप्त करने के बाद ही उन्हें सेवा में स्थायी पद दिया जायेगा, इस प्रकार इन प्रशिक्षुओं को औपचारिक शिक्षा दी जाएगी और सीआरपीएफ उनकी परिवीक्षा अवधि के दौरान अध्ययन सामग्री, किताबें तथा कोचिंग सहायता प्रदान करने जैसी हर संभव मदद करेगा। निर्धारित शैक्षणिक योग्यता हासिल करने में नए प्रशिक्षुओं की सुविधा के लिए, यदि आवश्यक हो, तो अवधि में उपयुक्त विस्तार भी किया जा सकता है। उन्हें 10वीं कक्षा की परीक्षा देने की सुविधा के लिए, इन भर्तियों का पंजीकरण केंद्र/राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय संस्थान में किया जाएगा।
सीआरपीएफ ने 2016-2017 के दौरान छत्तीसगढ़ के चार जिलों बीजापुर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और सुकमा से अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों की भर्ती करके एक बस्तरिया बटालियन का गठन किया था। हालांकि, यह इष्टतम परिणाम नहीं दे सकी, क्योंकि आंतरिक क्षेत्रों के मूल युवा अपेक्षित शैक्षणिक योग्यता यानी 10वीं पास न करने के कारण भर्ती प्रक्रिया में प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाए।
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