उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय

विधिक मापविज्ञान अधिनियम, 2009 के गैर-अपराधीकरण पर चर्चा के लिए राष्ट्रीय कार्यशाला


अनावश्यक हस्तक्षेप को खत्म करने और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करते हुए व्यवसाय करने में सुगमता के लिए एलएम अधिनियम के गैर-अपराधीकरण पर विचार किया जा रहा है

केंद्रीय मंत्री श्री पीयूष गोयल 9 मई को विज्ञान भवन में कार्यशाला की अध्यक्षता करेंगे

Posted On: 08 MAY 2022 12:26PM by PIB Delhi

उपभोक्ता मामले विभाग 9 मई, 2022 को 'विधिक मापविज्ञान अधिनियम, 2009 पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला' का आयोजन करेगा, जिसका उद्देश्य उपभोक्ताओं और उद्योगों में संतुलन बनाते हुए विधिक मापविज्ञान अधिनियम, 2009 के गैर-अपराधीकरण के मुद्दे पर सभी हितधारकों के साथ विचार-विमर्श करना है। अनावश्यक हस्तक्षेप को खत्म करके व्यवसाय करने में सुगमता के लिए विधिक मापविज्ञान अधिनियम, 2009 के गैर-अपराधीकरण पर विचार किया जा रहा है।

इसके अतिरिक्त, कार्यशाला का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि व्यवसाय पर बोझ बढ़ाए बिना और आर्थिक विकास में बाधा डाले बिना गैर-मानक वजन और उपायों के उपयोग व गलत प्रकटीकरण के माध्यम से उपभोक्ता के हितों की उपेक्षा न की जाए। इस कार्यशाला का उद्देश्य व्यवसाय करने में सुगमता को बढ़ाने और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए विधिक मापविज्ञान अधिनियम के गैर-अपराधीकरण के द्वारा सफलता की पहचान करने के लिए हितधारकों का परामर्श प्राप्त करना है।

कार्यशाला की अध्यक्षता केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, वस्त्र और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल करेंगे। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री अश्विनी चौबे और उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री सुश्री साध्वी निरंजन ज्योति भी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगी और प्रतिभागियों को संबोधित करेंगी।

विधिक मापविज्ञान अधिनियम, 2009 के गैर-अपराधीकरण पर विचार करने के लिए प्रमुख मुद्दे हैं: कंपनियों पर बोझ कम करना और निवेशकों के बीच विश्वास को प्रेरित करना; आर्थिक विकास और उपभोक्ता के हितों की सुरक्षा पर ध्यान केन्द्रित करना; मेन्स री (दुर्भावनापूर्ण/आपराधिक इरादा) आपराधिक दायित्व को लागू करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है- इसलिए, लापरवाही या अनजाने में चूक की तुलना में गैर-अनुपालन यानी धोखाधड़ी; और गैर-अनुपालन की पुनरावृत्ति के लिए आदतन अपराधी की प्रकृति का मूल्यांकन करना महत्वपूर्ण है।

इस कार्यशाला में मंत्रियों, सचिवों, राज्य सरकारों के विधिक मापविज्ञान के नियंत्रकों, उद्योग, वीसीओ आदि सहित सभी हितधारक हिस्सा लेंगे।

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