वित्‍त मंत्रालय

कोविड-19 के प्रतिकूल प्रभाव के बावजूद कृषि क्षेत्र में 2021-22 में 3.9 प्रतिशत तथा 2020-21 में 3.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई


2021-22 में कृषि तथा संबद्ध क्षेत्रों के लिए सकल मूल्‍यवर्धन 18.8 प्रतिशत है

फसल विविधीकरण कार्यक्रम में जल संरक्षण तथा आत्‍मनिर्भरता की परिकल्‍पना की गई है

पर्यावरण अनुकूल कृषि उत्‍पादन के लिए भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति कार्यक्रम

2015-16 से 2020-21 तक खाद्य तेल उत्‍पादन लगभग 43 प्रतिशत बढ़ा

सरकार ने 2021-22 में राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत राज्‍यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों को 1052 लाख टन खाद्यान्‍न आवंटित किया

2015-16 से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत 59 लाख से अधिक क्षेत्र सूक्ष्‍म सिंचाई द्वारा कवर किए गए

Posted On: 31 JAN 2022 3:01PM by PIB Delhi

केन्‍द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में आर्थिक समीक्षा 2021-22 पेश करते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र, जिसकी 2021-22 में देश के सकल मूल्‍यवर्धन (जीवीए) में 18.8 प्रतिशत की भागीदारी है, ने पिछले दो वर्षों के दौरान उत्‍साहजनक वृद्धि अर्जित की है। यह  2020-21 में 3.6 प्रतिशत तथा 2021-22 में 3.9 प्रतिशत की दर से बढ़ा जो कोविड-19 के प्रतिकूल प्रभाव के बावजूद अनुकूलता को प्रदर्शित करता है।

आर्थिक समीक्षा में यह अच्‍छे मॉनसून, ऋण उपलब्‍धता में वृद्धि, निवेश में सुधार, बाजार सुविधाओं का निर्माण करने, बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने तथा क्षेत्र में गुणवत्‍ता साधन के प्रावधान को बढ़ाने के लिए विभिन्‍न सरकारी उपायों के कारण संभव हो पाया। समीक्षा में यह भी कहा गया है कि पशुधन तथा मत्‍स्‍य पालन में तेजी से वृद्धि हुई है और इससे इस क्षेत्र को अच्‍छा प्रदर्शन करने में मदद मिली।

सकल मूल्‍यवर्धन तथा सकल पूंजी निर्माण

      समीक्षा में कहा गया है कि अर्थव्‍यवस्‍था के कुल जीवीए में कृषि तथा संबद्ध क्षेत्रों की हिस्‍सेदारी दीर्घकालिक रूप से लगभग 18 प्रतिशत के करीब स्थिर हो गई है। वर्ष 2021-22 में यह 18.8 प्रतिशत थी और वर्ष 2020-21 में यह 20.2 प्रतिशत थी। एक अन्‍य प्रवृत्ति यह देखी गई है कि फसल क्षेत्र की तुलना में संबद्ध क्षेत्रों (पशुधन, वानिकी एवं लॉगिंग, मत्‍स्‍य पालन और जल कृषि) में उच्‍चतर विकास हुआ। संबद्ध क्षेत्रों के बढ़ते महत्‍व को स्‍वीकार करते हुए किसानों की आय दोगुनी करने पर समिति (डीएफआई 2018) ने इन संबद्ध क्षेत्रों को उच्‍च विकास के इंजन के रूप में माना और एक समवर्ती समर्थन प्रणाली के साथ एक केन्द्रित नीति की अनुशंसा भी की थी।

      समीक्षा में उल्‍लेख किया गया है कि कृषि में पूंजी निवेशों तथा इसकी वृद्धि दर में प्रत्‍यक्ष संबंध है। सेक्‍टर में जीवीए की तुलना में कृषि क्षेत्र में सकल पूंजी निर्माण, निजी क्षेत्र निवेशों में विचरण के साथ एक अस्थिर रुझान प्रदर्शित कर रहा है, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र निवेश पिछले कुछ वर्षों से 2-3 प्रतिशत पर स्थिर बना हुआ है। समीक्षा में सुझाव दिया गया है  कि किसानों को संस्‍थागत ऋण तक अधिक पहुंच तथा निजी कॉरपोरेट सेक्‍टर की अधिक भागीदारीकृषि में निजी क्षेत्र निवेश में सुधार ला सकती है। इस लक्ष्‍य की प्राप्ति के लिए समीक्षा में संपूर्ण कृषि मूल्‍य प्रणाली के साथ-साथ एक उपयुक्‍त नीतिगत ढांचे की पेशकश तथा सार्वजनिक निवेश में वृद्धि करके निजी कॉरपोरेट निवेशों को बढ़ाने की अनुशंसा की गई है।

कृषि उत्‍पादन

      समीक्षा में कहा गया है कि 2020-21 के लिए (केवल खरीफ) प्रथम अग्रिम अनुमान के अनुसार कुल खाद्यान्‍न उत्‍पादन के 150.50 मिलियन टन के रिकॉर्ड स्‍तर पर होने का अनुमान है जो वर्ष 2020-21 के खरीफ खाद्यान्‍न उत्‍पादन से 0.94 मिलियन टन अधिक है। समीक्षा में यह भी बताया गया है कि चावल, गेहूं और मोटे अनाजों का उत्‍पादन पिछले छह वर्षों अर्थात् 2015-16  से 2020-21 के दौरान क्रमश: 2.7, 2.9 और 4.8 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ा है। इस अवधि के दौरान दलहन, तिलहन और कपास के लिए सीएजीआर क्रमश: 7.9, 6.1 और 2.8 प्रतिशत रहा है।

      भारत विश्‍व में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्‍पादक रहा है। समीक्षा में कहा गया है कि भारत एक चीनी आधिक्‍य राष्‍ट्र बन गया है। समीक्षा में कहा गया है कि 2010-11 के बाद से उत्‍पादन वर्ष 2016-17 को छोड़कर खपत से अधिक हो गया है। यह उचित एवं लाभकारी मूल्‍य (एफआरपी) के माध्‍यम से मूल्‍य जोखिम के विरुद्ध चीनी किसानों को बीमित करने तथा रक्षा करने, चीनी मिलों को अतिरिक्‍त गन्‍ना/चीनी को इथेनॉल उत्‍पादन में बदलने के लिए प्रोत्‍साहित करने और चीनी के निर्यात को सुविधाजनक बनाने के लिए चीनी मिलों को परिवहन के लिए वित्‍तीय सहायता प्रदान करने के द्वारा संभव हो पाया है।

फसल विविधीकरण

      आर्थिक समीक्षा में सावधान किया गया है कि वर्तमान फसलीकरण प्रणाली गन्‍ना, धान और गेहूं की खेती की ओर झुका हुआ है जिसके कारण हमारे देश के कई हिस्‍सों में ताजे भूजल संसाधनों की व्‍यापक दर से कमी आई है। इसमें दर्शाया गया है कि देश के उतर पश्चिमी क्षेत्र में अत्‍यधिक जल की कमी दर्ज की गई है।

      जल उपयोग दक्षता और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने तथा किसानों को उच्‍चतर आय सुनिश्चित करने के लिए सरकार मूल हरित क्रांति राज्‍यों जैसे पंजाब, हरियाणा तथा पश्चिमी यूपी में वर्ष 2013-14 से धान के स्‍थान पर कम पानी की आवश्‍यकता वाली फसलों जैसे तिलहन, दलहन, मोटे अनाज, कपास आदि की खेती को स्‍थानांतरित करन के लिए राष्‍ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) की उप-योजना के रूप में लागू किया जा रहा है। कार्यक्रम तंबाकू उगाने वाले राज्‍यों, आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्‍ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्‍तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में वैकल्पिक फसलों/फसल प्रणाली में तंबाकू की खेती के तहत क्षेत्रों को स्‍थानांतरित करने पर भी ध्‍यान केंद्रित करता है। समीक्षा में दर्ज किया गया है कि सरकार किसानों को उनकी फसलों को विविधीकृत करने का संकेत देने के लिए मूल्‍य नीति का भी उपयोग कर रही है।

जल एवं सिंचाई    

      समीक्षा में बताया गया है कि देश में शुद्ध सिंचित क्षेत्र का 60 प्रतिशत भूजल के माध्‍यम से सिंचित है। दिल्‍ली, हरियाणा, पंजाब और राजस्‍थान राज्‍यों में भूजल के निष्‍कर्षण की दर (100 प्रतिशत) बहुत अधिक है। यह देखते हुए कि सूक्ष्‍म सिंचाई के तहत बढ़ा हुआ कवरेज जल संरक्षण का सर्वाधिक प्रभावी माध्‍यम हो सकता है, समीक्षा में सुझाव दिया गया है कि इन राज्‍यों को मध्‍यम तथा दीर्घकालिक जल पुनर्भरण और संरक्षण योजनाओं दोनों पर ध्‍यान देने की आवश्‍यकता है।

      सूक्ष्‍म सिंचाई के विस्‍तार के लिए संसाधन जुटाने में राज्‍यों को सुविधा प्रदान करने के उद्देश्‍य से वर्ष 2018-19 के दौरान राष्‍ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक नाबार्ड के तहत  पांच हजार करोड़ रुपए के कोष के साथ एक सूक्ष्‍म सिंचाई कोष (एमआईएफ) गठित किया गया। दिनांक 01.12.2021 की स्थिति के अनुसार, एमआईएफ के तहत ऋण वाली परियोजनाएं 12.81 लाख हेक्‍टेयर सूक्ष्‍म सिंचाई क्षेत्र के लिए 3970.17 करोड़ रुपए स्‍वीकृत किए गए हैं। इसके अतिरिक्‍त समीक्षा में रेखांकित किया गया है कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत 14.12.2021 तक वर्ष 2015-16 से देश में सूक्ष्‍म सिंचाई के तहत कुल 59.37 लाख हेक्‍टेयर क्षेत्र को सूक्ष्‍म सिंचाई के तहत शामिल किया गया है।

प्राकृतिक खेती

      प्रकृति के अनुरूप पर्यावरण के अनुकूल प्रक्रियाओं के साथ कृषि उत्‍पादन को बनाए रखने रसायन मुक्‍त उपज सुनिश्चित करने तथा मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने के लिए सरकार किसानों को प्राकृतिक खेती तकनीकों का अनुसरण करने के लिए प्रोत्‍साहित कर रही है। इस उद्देश्‍य की पूर्ति के लिए सरकार भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति कार्यक्रम (बीपीकेपी) की एक समर्पित योजना को कार्यान्वित कर रही है।

कृषि ऋण एवं विपणन

      आर्थिक समीक्षा के अनुसार, वर्ष 2021-22 के लिए कृषि ऋण प्रवाह 16,50,000 करोड़ रुपए पर निर्धारित किया गया है और 30 सितम्‍बर, 2021 तक इस लक्ष्‍य के मुकाबले 7,36,589.05 करोड़ रुपए की राशि संवितरित की गई है। इसके अतिरिक्‍त आत्‍मनिर्भर भारत कार्यक्रम के तहत, सरकार ने किसान क्रेडिट कार्डों (केसीसी) के माध्‍यम से 2.5 करोड़ किसानों को दो लाख करोड़ रुपए के रियायती ऋण प्रोत्‍साहन की भी घोषणा की है। इसके अनुसरण में बैंकों ने 17.01.2022 तक 2.70 करोड़ योग्‍य किसानों को केसीसी जारी किया है। इसके अतिरिक्‍त सरकार ने 2018-19 में मत्‍स्‍य पालन एवं पशु पालन किसानों को केसीसी की सुविधा प्रदान की है।

 

      किसानों को बाजार से जोड़ने तथा व्‍यापार करने में उनकी सहायता करने और उनकी उपज के लिए प्रतिस्‍पर्धी तथा लाभदायक मूल्‍य प्राप्‍त करने में उनकी मदद करने के लिए सरकार मार्केट लिंकेज तथा विपणन अवसंरचना में सुधार लाने के लिए निरंतर कार्य कर रही है। इस लक्ष्‍य की प्राप्ति के लिए, एपीएमसी को कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) के तहत योग्‍य संस्‍थाओं में से एक के रूप में मान्‍यता दी गई है। इसके अतिरिक्‍त, 01 दिसम्‍बर, 2021 तक 18 राज्‍यों और तीन केन्‍द्र शासित प्रदेशों की एक हजार मंडियों को राष्‍ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) स्‍कीम के तहत ई-नाम प्‍लेटफॉर्म के साथ समेकित किया गया है।

सरकार ने वर्ष 2027-28 तक 10 हजार एफपीओ बनाने तथा बढ़ावा देने के लिए ’10  हजार किसान उत्‍पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन एवं संवर्धनकी एक केंद्रीय क्षेत्र  की योजना शुरू की है। जनवरी, 2022 तक, कुल 1963 एफपीओ पंजीकृत  इस योजना के तहत किए गए। सरकार ने सहकारिता क्षेत्र पर अधिक ध्‍यान देने के उद्देश्‍य से जुलाई, 2021 में एक पूर्ण सहकारिता मंत्रालय की स्‍थापना की है।

राष्‍ट्रीय खाद्य तेल मिशन

भारत वनस्‍पति तेल का विश्‍व का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्‍ता और सबसे बड़ा आयातक देश है। समीक्षा में रेखांकित किया गया है कि भारत में तिलहन उत्‍पादन 2016-17 से निरंतर बढ़ता रहा है। उससे पहले इसमें एक अस्थिर रुझान देखा जा रहा था। 2015-16 से 2020-21 तक इसमें लगभग 43 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। आर्थिक समीक्षा में भी उम्‍मीद जताई गई है कि भारत में खाद्य तेल की मांग जनसंख्‍या वृद्धि, शहरीकरण और आहार संबंधी आदतों तथा पारंपरिक भोजन पद्धतियों में निरंतर बदलाव के कारण ऊंची बनी रहेगी।

खाद्य तेल के निरंतर उच्‍च आयात को देखते हुए, तेल उत्‍पादन बढाने के लिए सरकार 2018-19 से देश के सभी जिलों में राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन: तिलहन (एनएफएसएम-तिलहन की एक केन्‍द्र प्रायोजित योजना का कार्यान्‍यन करती रही है। समीक्षा में रेखांकित किया गया है कि स्‍कीम के तहत सरकार ने उच्‍च उपज देने वाले गुणवत्‍तापूर्ण बीज की उपलब्‍धता को बढ़ाने के लिए 2018-19 और 2019-20 के बीच 36 तिलहन केन्‍द्रों की स्‍थापना की है। खरीफ 2021 के लिए, केन्‍द्र सरकार ने वितरण के लिए राज्‍यों को उच्‍च उपज वाली किस्‍मों की 9.25 लाख तिलहन मिनी किट्स का आवंटन किया था। समीक्षा में कहा गया है कि इसके अतिरिक्‍त, अगस्‍त 2021 में सरकार ने क्षेत्र विस्‍तार का दोहन करने और मूल्‍य प्रोत्‍साहनों के माध्‍यम सेखाद्य तेलों की उपलब्‍धता बढ़ाने के लिए राष्‍ट्रीय खाद्य तेलऑयल पॉम (एनएमईओ-ओपी) आरंभ किया था। स्‍कीम का लक्ष्‍य 2025-26 तक ऑयल-पॉम के लिए 6.5 लाख हेक्‍टेयर के अतिरिक्‍त क्षेत्र को कवर करना तथा अंततोगत्‍वा 10 लाख हेक्‍टेयर के लक्ष्‍य तक पहुंचना है। समीक्षा में बताया गया है कि वर्तमान में 3.70 लाख हेक्‍टेयर ऑयल-पॉम खेती के तहत है। इसके अतिरिक्‍त, स्‍कीम का लक्ष्‍य क्रूड पॉम ऑयल (सीपीओ) उत्‍पादन को बढाकर 2025-26 तक 11.20 लाख टन तथा 2029-30 तक 28 लाख टन तक पहुंचाना है।

खाद्य प्रबंधन

      भारत विश्‍व में सबसे बड़े खाद्य प्रबंधन कार्यक्रमों में से एक का संचालन करता है। समीक्षा में रेखांकित किया गया है कि वर्ष 2021-22 के दौरान, सरकार ने 2020-21 में 948.48 लाख टन की तुलना में राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 एवं अन्‍य कल्‍याणकारी योजनाओं के तहत राज्‍यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों को 1052.77 लाख टन खाद्यान्‍न का आवंटन किया था। सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्‍याण योजना (पीएमजीकेवाई) के जरिए प्रति महीने प्रति व्‍यक्ति पांच किलोग्राम खाद्यान्‍न के अतिरिक्‍त प्रावधान के जरिए खाद्य सुरक्षा के विस्‍तार के कवरेज को और अधिक बढ़ा दिया है। 2021-22 के दौरान इस स्‍कीम के तहत, सरकार ने कोविड-19 महामारी से उत्‍पन्‍न आ‍र्थिक बाधाओं के कारण गरीबों के सामने आने वाली कठिनाइयों को दूर करने के लिए लगभग 80 करोड़ एनएफएसए लाभार्थियों को निशुल्‍क 437.37 एलएमटी  खाद्यान्‍न और 2020-21 में 322 एलएमटी खाद्यान्‍न आवंटित किया था।

 

 

      सरकार ने 14.02.2019 को तीन वर्षों की अवधि के लिए केन्‍द्र प्रायोजित प्रायोगिक स्‍कीम चावल का प्रबलीकरण और पीडीएस के तहत इसका वितरणको भी मंजूरी दी थी। इस स्‍कीम को 15 जिलों (प्रति राज्‍य एक जिला) में कार्यान्वित किया जा रहा है और सरकार ने  प्रायोगिक स्‍कीम के तहत दिसम्‍बर, 2021 तक 3.38 एलएमटी प्रबलित चावल का वितरण किया था।

 

      समीक्षा में कहा गया है कि खरीफ विपणन सीजन (केएमएस) 2020-21 के दौरान 642.58 एलएमटी के अनुमानित लक्ष्‍य के मुकाबले 601.85 मीट्रिक टन (एलएमटी) चावल की खरीद की गई है। केएमएस 2021-22 में, कुल 566.58 एलएमटी धान (379.98 एलएमटी चावल के बराबर) की खरीद की गई थी। आरएमएस 2021-22 के दौरान, 433.44 एलएमटी गेहूं की खरीद की गई थी जबकि आरएमएस 2020-21 के दौरान 389.92 एलएमटी की खरीद की गई थी। इसके अतिरिक्‍त खरीफ एवं रबी विपणन सीजन 2020-21 के दौरान लगभग 11.87 एलएमटी मोटे अनाजों की खरीद की गई है जो पिछले पांच वर्षों में सर्वाधिक है।

कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा

      आर्थिक समीक्षा के अनुसार, अनुसंधान से प्रदर्शित होता है कि कृषि अनुसंधान एवं विकास पर व्‍यय किया गया प्रत्‍येक रुपया और अधिक बेहतर रिटर्न देता है। कृषि पर अनुसंधान एवं विकास व्‍यय को बढ़ाना न केवल खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्‍यक है बल्कि यह सामाजिक आर्थिक दृष्टिकोण से भी महत्‍वपूर्ण है।

      समीक्षा में कहा गया है कि कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा पर्यावरण के अनुकूल टिकाऊ वैश्विक खाद्य प्रणाली के विकास, खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा लागत न्‍यूनीकरण और उपज को अधिकतम करने के द्वारा कृषि आय को बढा़नेके लिए महत्‍वपूर्ण है। समीक्षा में कहा गया है कि भारत की राष्‍ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली ने उल्‍लेखनीय परिणाम दिए हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने 2020 और 2021 के दौरान प्रक्षेत्र फसलों की कुल 731 नई किस्‍में/हाइब्रिड अधिसूचित/जारी किए। कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डीएआरई) ने 2020-21 के दौरान प्रक्षेत्र तथा बागवानी फसलों की बायो फोर्टीफायड तथा तनाव सहिष्‍णु किस्‍मों सहित 35 विशेष ट्रेट किस्‍मों का विकास किया है।                                  

***

आरएम/एमजी/एएम/हिंदी इकाई-



(Release ID: 1793825) Visitor Counter : 5017