प्रधानमंत्री कार्यालय

'ग्लोबल सिटीजन लाइव' में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गए वीडियो संबोधन का मूल पाठ

Posted On: 25 SEP 2021 10:50PM by PIB Delhi

नमस्ते!

इस युवा और ऊर्जावान सभा को संबोधित करना मेरे लिए प्रसन्नता की बात है। मेरे सामने एक वैश्विक परिवार है, जो हमारी पृथ्वी की सभी सुंदर विविधताओं से भरा है।

वैश्विक नागरिक अभियान, दुनिया को एक साथ लाने के लिए संगीत और रचनात्मकता का उपयोग करता है। खेल की तरह संगीत में भी लोगों को एकता के सूत्र में पिरोने की अंतर्निहित क्षमता होती है। महान हेनरी डेविड थोरो ने एक बार कहा था और मैं इसे उद्धृत करता हूं: "जब मैं संगीत सुनता हूं, तो मैं किसी खतरे से नहीं डरता हूँ। मुझमें असुरक्षा की भावना नहीं रहती है। मुझे कोई दुश्मन नहीं दिखता। मैं समय के सबसे पुराने कालखंड तथा समय की नवीनतम अवधि से अपने को जुड़ा महसूस करता हूं।"

संगीत का हमारे जीवन पर शांतिपूर्ण प्रभाव पड़ता है। यह मन और पूरे शरीर को शीतलता प्रदान करता है। भारत में कई संगीत परंपराएं हैं। प्रत्येक राज्य में, प्रत्येक क्षेत्र में, संगीत की विभिन्न शैलियाँ हैं। मैं आप सभी को भारत आने तथा हमारे संगीत की जीवंतता और विविधता की खोज करने के लिए आमंत्रित करता हूं।

मित्रों,

लगभग दो वर्षों से, मानवता पूरे जीवन में एक बार आने वाली वैश्विक महामारी से जूझ रही है। महामारी से लड़ने के हमारे साझे अनुभव ने हमें सिखाया है कि जब हम साथ होते हैं, तो हम अधिक मजबूत और बेहतर होते हैं। हमने इस सामूहिक भावना की झलक तब देखी, जब हमारे कोविड-19 के योद्धाओं, डॉक्टरों, नर्सों, चिकित्साकर्मियों ने महामारी के खिलाफ लड़ने में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दिया। हमने यह भावना अपने वैज्ञानिकों और नवोन्मेषकों में देखी, जब उन्होंने रिकॉर्ड समय में नई वैक्सीन बनायी। पीढ़ियां उस प्रक्रिया को याद रखेंगी, जिसमें मानव की सहनीयता शेष सभी चीजों से ऊपर थी।

मित्रों,

कोविड के अलावा, अन्य चुनौतियां भी मौजूद हैं। गरीबी उन चुनौतियों में एक है, जो लगातार बनी हुई हैं। गरीब समुदाय को सरकारों पर अधिक निर्भर बनाकर गरीबी से नहीं लड़ा जा सकता। गरीबी से तभी लड़ा जा सकता है, जब गरीब समुदाय, सरकारों को एक भरोसेमंद साथी के रूप में देखना शुरू कर देंगे। ऐसे एक भरोसेमंद साथी के रूप में, जो उन्हें गरीबी के दुष्चक्र को हमेशा के लिए तोड़ने हेतु सक्षम बुनियादी ढाँचा प्रदान करेंगे।                

मित्रों,

जब सत्ता का उपयोग गरीबों को सशक्त बनाने के लिए किया जाता है, तो उन्हें गरीबी से लड़ने की ताकत मिलती है। और इसलिए, हमारे प्रयासों में बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठाने से वंचित रह गए लोगों को बैंकिंग सेवा की सुविधा प्रदान करना, लाखों लोगों को सामाजिक सुरक्षा कवरेज प्रदान करना, 50 करोड़ (500 मिलियन) भारतीयों को मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना शामिल है। आपको यह जानकर खुशी होगी कि हमारे शहरों और गांवों में बेघरों के लिए करीब तीन करोड़ (30 मिलियन) घर बनाए गए हैं। एक घर महज एक आश्रय भर नहीं होता है। सिर पर छत लोगों को सम्मान का एहसास दिलाती है। भारत में हर घर में पीने के पानी का कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिए एक और जन-आंदोलन हो रहा है। सरकार अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे के लिए एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक की राशि खर्च कर रही है। पिछले साल कई महीनों से और अब भी हमारे 80 करोड़ (800 मिलियन) नागरिकों को मुफ्त अनाज मुहैया कराया जा रहा है। ये सभी कदम और कई अन्य प्रयास गरीबी के खिलाफ लड़ाई को ताकत प्रदान करेंगे।

मित्रों,

हमारे सामने जलवायु परिवर्तन का खतरा मंडरा रहा है। दुनिया को यह स्वीकार करना होगा कि वैश्विक वातावरण में किसी भी बदलाव की शुरुआत सबसे पहले स्वयं से होती है। जलवायु परिवर्तन को कम करने का सबसे सरल और सबसे सफल तरीका प्रकृति के अनुरूप जीवन शैली को अपनाना है।

महान महात्मा गांधी शांति और अहिंसा के बारे में अपने विचारों के लिए व्यापक रूप से जाने जाते हैं। लेकिन, क्या आपको मालूम है कि वो दुनिया के महानतम पर्यावरणविदों में भी शुमार हैं। उन्होंने शून्य कार्बन उत्सर्जन वाली जीवनशैली को अपनाया था। उन्होंने जो कुछ भी किया, उसमें हमारे ग्रह के कल्याण को हर चीज से ऊपर रखा। उन्होंने ट्रस्टीशिप के सिद्धांत पर प्रकाश डाला था, जिसके अनुसार हम सभी इस ग्रह के ट्रस्टी हैं और इसकी देखभाल करना हमारा कर्तव्य है।

आज भारत जी-20 से जुड़ा एकमात्र ऐसा राष्ट्र है, जो पेरिस समझौते से जुड़ी अपनी वचनबद्धताओं के प्रति पूरी तरह समर्पित है। भारत को अंतरराष्ट्रीय सौर समझौते और आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन के बैनर तले पूरी दुनिया को एक साथ लाने पर भी गर्व है।

मित्रों,

हम समस्त मानव जाति के विकास के लिए भारत के विकास में विश्वास करते हैं। मैं ऋग्वेद को उद्धृत करते हुए अपनी बात समाप्त करना चाहता हूं, जो शायद दुनिया के सबसे पुराने शास्त्रों में से एक है। इसके छंद अभी भी वैश्विक नागरिकों के विकास में स्वर्णिम मानक हैं।

ऋग्वेद में कहा गया है:

संगच्छध्वंसंवदध्वंसंवोमनांसिजानताम्

देवाभागंयथापूर्वेसञ्जानानाउपासते||

समानोमन्त्रःसमितिःसमानीसमानंमनःसहचित्तमेषाम्।

समानंमन्त्रम्अभिमन्त्रयेवःसमानेनवोहविषाजुहोमि।।

समानीवआकूति: समानाहृदयानिव: |

समानमस्तुवोमनोयथाव: सुसहासति||

इसका अर्थ है:

आओ हम सब मिलकर एक स्वर में बोलते हुए, आगे बढ़ें;

हम सब एकमत हों और जो कुछ भी हमारे पास है, उसे हम ठीक उसी प्रकार साझा करें जैसे भगवान एक दूसरे के साथ करते हैं।

आइए हम एक साझा उद्देश्य और साझा विचार रखें। आइए हम ऐसी एकता के लिए प्रार्थना करें।

आइए उन इरादों और आकांक्षाओं को साझा करें, जो हम सभी को एकजुट करे।

मित्रों,

एक वैश्विक नागरिक के लिए इससे बेहतर घोषणा पत्र और क्या हो सकता है? हम सभी एक दयालु, न्यायपूर्ण और समावेशी दुनिया के लिए मिलकर काम करते रहें।

धन्यवाद।

आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद।

नमस्ते।

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एमजी/एएम/जेके/आर/एसके



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