स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
कोविड-19 मृत्यु दर – मिथक बनाम तथ्य
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों के लिए दैनिक आधार पर जिलेवार मामलों और मृत्यु की निगरानी की आवश्यकता पर विशेष बल दिया
स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को औपचारिक सूचना, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग तथा केंद्रीय टीमों की तैनाती के माध्यम से निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार मृत्यु के मामले रिकॉर्ड करने की सलाह दी
कानून आधारित नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) को मजबूत करना देश में जन्म और मृत्यु की सटीक रिकॉर्डिंग सुनिश्चित करता है
Posted On:
04 AUG 2021 1:03PM by PIB Delhi
कुछ मीडिया रिपोर्टों में आठ राज्यों में कोविड-19 के कारण हुई मृत्यु की गिनती कम किए जाने के काल्पनिक अनुमान लगाए गए हैं। वहीं, रिपोर्ट में कहा गया है कि मौतों का केवल अनुमान लगाया जा सकता है और सटीक संख्या का कभी पता नहीं चल सकता। रिपोर्ट में सिविल पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) तथा स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली(एचएमआईएस)के डाटा को उजागर किया गया हैजिसमें सभी कारणोंसे हुई मृत्यु की संख्या शामिल है।इससे गलत निष्कर्ष निकलता हैक्योंकि इसमें अन्य कारणों से हुई मृत्यु को कोविड के कारण हुई मृत्यु में गिन लिया गया है।
यह स्पष्ट किया जाता है कि भारत में मजबूत और कानून आधारित मृत्यु पंजीकरण प्रणाली है। यद्यपि कुछ मामलों का पता नहीं चल पाता है लेकिन संक्रामक बीमारी तथा इसके प्रबंधन के सिद्धातोंके अनुसार मृत्यु के मामलों का छूट जाना पूरी तरह असंभव है। यह मृत्यु दर के मामलों में देखा जा सकता है। मृत्यु दर 31 दिसंबर , 2020 को 1.45 प्रतिशत थी और अप्रैल-मई 2021 में दूसरी लहर में मामलों में अप्रत्याशित वृद्धि देखे जाने के बाद भी आज मृत्यु दर 1.34 प्रतिशत है।
इसके अतिरिक्त भारत में नए दैनिक मामलों और मृत्यु की रिपोर्टिंग के मामले में नीचे से ऊपर के दृष्टिकोण का अनुसरण किया जाता है जहां जिले निरंतर रूप से मामलों और मृत्यु की संख्या की रिपोर्ट राज्य तथा केंद्रीय मंत्रालय को करते हैं। मृत्यु की रिपोर्ट की जा रही संख्या में विसंगति और भ्रम को दूर करने के लिए मई 2020 के प्रारंभ में ही भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद(आईसीएमआर) ने मृत्यु कोडिंग के लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुशंसित आईसीडी-10 कोड के अनुसार राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा भारत में कोविड -19 से सबंधित मृत्यु की उचित रिकार्डिंग के लिए दिशा-निर्देश जारी किए। स्वास्थ्य मंत्रालय निरंतर रूप से औपचारिक सूचनाओं, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और केंद्रीय दलों की तैनाती के माध्यम से निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार मृत्यु के मामलों को दर्ज करने की सलाह देता रहा है। राज्यों को अपने अस्पतालों मेंजिला और तिथि के अनुसार छूटे हुए केस तथा मृत्यु के मामलों का विस्तृत ऑडिट कराने की सलाह दी गई है ताकि डाटा प्रेरित निर्णय को निर्देशित किया जा सके।
स्वास्थ्य मंत्रालय नियमित रूप से दैनिक आधार पर जिलावार केस और मृत्यु की निगरानी के लिए मजबूत रिपोर्टिंग व्यवस्था की आवश्यकता पर बल देता रहा है। जो राज्य दैनिक मृत्यु की संख्या लगातार कम दिखा रहे हैं उन्हें अपने डाटा की जांच करने की सलाह दी गई है। इसका स्पष्ट उदाहरण स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बिहार को स्वीकार की गई मृत्यु की संख्या तिथि तथा जिला के अनुसार प्रदान करने को कहना है।
राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों की रिपोर्टिंग के अतिरिक्त कानून आधारित सिविल पंजीकरण प्रणाली(सीआरएस) की मजबूती देश में सभी जन्म और मृत्यु के मामले का रजिस्टर होना सुनिश्चित करती है। सीआरएस डाटा संग्रह, मंजूरी, मिलान तथा संख्याओं के प्रकाशन की प्रक्रिया का पालन करती है। यद्यपि यह लंबी प्रक्रिया है लेकिन इससे यह सुनिश्चित हो जाता है कि कोई मृत्यु का मामला छूटा नहीं है। विस्तार और गतिविधि की अधिकता के कारण संख्याओं को अगले वर्ष प्रकाशित किया जाता है। निर्दिष्ट मीडिया रिपोर्ट में भी इसे स्वीकार किया गया है।
दूसरी लहर के शिखर के दौरान देश में स्वास्थ्य प्रणाली का फोकस चिकित्सा मदद की आवश्कताओं वाले मामलों के कारगर क्लिनिकल प्रबंधन पर था।इस कारण से कोविड मृत्यु की सही रिपोर्टिंग और रिकार्डिंग में विलंब हुआ होगा लेकिन बाद में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा इसे मान लिया गया। मृत्यु की कम रिपोर्टिंग और कम गिनती के सभी कयासों को दूर करते हुए मृत्यु को स्वीकार करने का काम अभी किया जा रहा है।
यह अच्छी तरह ज्ञात तथ्य है कि कोविड महामारी जैसे गंभीर और लंबे स्वास्थ्य संकट के दौरान मृत्यु रिकार्ड करने में हमेशा कुछ अंतर हो सकता है। मृत्यु पर अच्छे अनुसंधान अध्ययन हमेशा घटना के बाद किए जाते हैं जब मृत्यु पर डाटा विश्वसनीय सूत्रों से उपलब्ध होते हैं। ऐसे अध्ययनों के तौर-तरीके सुस्थापित हैं,डाटा संसाधनों को मृत्यु गणना के लिए वैध अनुमानों के रूप में परिभाषित किया जाता है।
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