रेल मंत्रालय

भारतीय रेल ने डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर स्थित वलसाड रोड ओवर ब्रिज (आरओबी) का काम रिकॉर्ड 20 दिनों में सफलतापूर्वक पूरा किया


इस काम को करने में सबसे बड़ी चुनौती सड़क यातायात को अवरुद्ध रखने की थी, क्योंकि यह आरओबी मुंबई-दिल्ली राजमार्ग से वलसाड शहर में जाने वाले सबसे व्यस्त मार्गों में से एक है

फ्रेट कॉरिडोर पर यह काम कोविड से जुड़ी चुनौतियों के बावजूद आगे बढ़ा

Posted On: 22 JUN 2021 3:34PM by PIB Delhi

भारतीय रेल के सार्वजनिक उपक्रम, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (डीएफसीसीआईएल) ने गुजरात में वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर स्थित वलसाड रोड ओवर ब्रिज (आरओबी) को गिराने और उसके पुनर्निर्माण (डीएफसीट्रैक के लिए रास्ता बनाने के बाद) का काम रिकॉर्ड 20 दिनों में पूरा कर लिया है।

 

विभिन्न सरकारी एजेंसियों और नागरिक प्रशासन के साथ मिलकर काम करते हुए इस आरओबी, जो मुंबई-दिल्ली राजमार्ग से वलसाड शहर में जाने वाले व्यस्त यातायात को संभव बनाता है, के काम की चुनौती से निपटने के लिए 02.06.2021 को यातायात को 20 दिनों के लिए अवरुद्ध रखने की अनुमति हासिल की गई।

 

पृष्ठभूमि

पश्चिमी डीएफसी के वैतरणा-सचिन सेक्शन में चलने वाले इस काम को दक्षिण गुजरात के वलसाड शहर के पास एक आरओबी को पार करने से संबंधित एक अड़चन का सामना करना पड़ा। विभिन्न किस्म की सीमाओं के कारण आरओबी का काम शुरू नहीं किया जा सका और पटरी (ट्रैक) बिछाने की गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावनाथी। इससे अत्याधुनिक न्यू ट्रैक कंस्ट्रक्शन (एनटीसी) मशीन का उपयोग कर पटरी बिछाने की परियोजनाएं प्रभावित होतीं।

 

समाधान:

 

इस परियोजना से जुड़ी टीम ने इस चुनौती को स्वीकार करने के लिए कमर कस ली। कई दौर के विचार-मंथन के बाद, एक अनूठा समाधान निकाला गया। प्रस्तावित समाधान यह था कि एनटीसी को आगे ले जाने के लिए इस आरओबी की ओर जाने वाले संपर्क मार्ग पर 16एम x 10एम आकार का जुड़वां प्रीकास्ट बॉक्स डाला जाए। इस काम को करने में सबसे बड़ी चुनौती सड़क यातायात को अवरुद्ध रखने की थी, क्योंकि यह आरओबी मुंबई-दिल्ली राजमार्ग से वलसाड शहर में जाने वाले सबसे व्यस्त मार्गों में से एक है। इस पूरे काम को सड़क यातायात को अवरुद्ध रखने की 20 दिनों की अवधि के दौरान पूरा करने की योजना बनी।

 

इन विशाल खंडों की प्री-कास्टिंग के लिए व्यापक व्यवस्था की गई। लॉकडाउन और यात्रा संबंधी प्रतिबंधों के बावजूद, वरिष्ठ इंजीनियरों सहित लगभग 150 लोगों की एक टीम ने कास्टिंग कार्य पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत की। वलसाड के जिला प्रशासन द्वारा अनुकूल प्रतिक्रिया देते हुए सड़क यातायात अवरुद्ध रखने की अनुमति दी गई।

 

20 दिनों का सड़क यातायात अवरोध 02-06-2021 को शुरू हुआ और योजना के अनुसार कार्य प्रगति पर रहा। इन खंडों की स्थापना के लिए 300 मीट्रिक टन से लेकर 500 मीट्रिक टन तक की क्षमता वाले चार भारी - भरकम हाइड्रोलिक क्रेन लगाए गए। एक अन्य चुनौती, जिसे संभालना मुश्किल था, को इन खंडों के स्थानीय प्रबंधन में नवीन तरीके के इस्तेमाल से निपटा लिया गया। संभालने की प्रक्रिया के दौरान कोई आंतरिक तनाव पैदा किए बिना संभालने के लिहाज से प्रीकास्ट वाले ये खंड आकार में बहुत बड़े और वजन में बहुत भारी हैं। परियोजना से जुड़ी टीम ने एक स्टील प्लेटफॉर्म के साथ लगे मल्टी-एक्सल ट्रेलर का उपयोग करके भार ढोने वाला एक विशेष वाहक उपकरण तैयार किया। स्टील प्लेटफॉर्म का निर्माण पूरी तरह से साइट पर उस अवधि के दौरान किया गया,  जब देश में औद्योगिक ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रतिबंधित थी। टीम ने लगातार विभिन्न विकल्पों को तलाशने का प्रयास करके और अपने सामूहिक ज्ञान और अनुभव का दोहन करके ऐसी सभी बाधाओं को दूर किया।

 

यहां इस बात पर ध्यान दिया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश के दादरी को मुंबई स्थित जवाहर लाल नेहरू पोर्ट (जेएनपीटी) से जोड़ने वाला पश्चिमी गलियारा डब्ल्यूडीएफसी और ईडीएफसी के यूपी, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से होकर गुजरेगा।

 

डब्ल्यूडीएफसी के 306 किलोमीटर लंबे रेवाड़ी-मदार सेक्शन को 07.01.2021 को राष्ट्र को समर्पित किया गया था। डब्ल्यूडीएफसी के न्यू पालनपुर से न्यू किशनगढ़ के बीच 369 किलोमीटर लंबे मार्ग पर ट्रायल रन किया जा चुका है। ईडीएफसी के 351 किलोमीटर लंबे न्यू भाऊपुर-न्यू खुर्जा सेक्शन और प्रयागराज में ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर को 29.12.2020 को माननीय प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया था। पूरे डब्ल्यूडीएफसी और ईडीएफसी (सोननगर-डानकुनी पीपीपी सेक्शन को छोड़कर) के कुल लगभग 2800 रूट किलोमीटर को जून 2022 तक चालू कर दिया जाएगा।

 

चालू किए जा चुके सेक्शन में कुल 4000 से अधिक ट्रेनें चलाई गई हैं। पूर्वी डीएफसी में जहां 3000 से अधिक ट्रेनें चली हैं और डब्ल्यूडीएफसी में 1000 से अधिक ट्रेनें चली हैं। कुल जीटीकेएम ने 30 लाख (3 मिलियन) टन का आंकड़ा पार कर लिया है। इस सेक्शन की कुछ ट्रेनें ईडीएफसी में 99.38 किमी प्रति घंटे और डब्ल्यूडीएफसी में 92 किमी प्रति घंटे की औसत गति हासिल कर रही हैं। ये गति किसी भी सबसे तेज मेल एक्सप्रेस ट्रेनों की गति से तुलना योग्य हैं।

 

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एमजी/एएम/आर/सीएस



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