वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
भारत ने 2020-21 के दौरान कृषि निर्यात में शानदार वृद्धि दर्ज कराई
2020-21 के दौरान कृषि एवं संबद्ध उत्पादों का निर्यात तेजी से बढ़कर 41.25 बिलियन डॉलर तक पहुंचा जो 17.34 प्रतिशत की बढोतरी इंगित करती है
जैविक निर्यात ने 50.94 प्रतिशत की बढोतरी दर्ज कराई
कोविड-19 महामारी के दौरान किए गए उपायों ने निर्बाधित निर्यात सुनिश्चित किया
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10 JUN 2021 1:09PM by PIB Delhi
भारत सरकार के वाणिज्य विभाग के सचिव डॉ. अनूप वधावन ने आज कहा कि 2020-21 के दौरान कृषि निर्यात ने शानदार प्रदर्शन किया है। मीडिया के साथ बातचीत करते हुए, उन्होंने जानकारी दी कि पिछले तीन वर्षों (2017-18 में 38.43 बिलियन डॉलर, 2018-19 में 38.74 बिलियन डॉलर तथा 2019-20 में 35.16 बिलियन डॉलर) तक स्थिर बने रहने के बाद 2020-21 के दौरान कृषि एवं संबद्ध उत्पादों (समुद्री तथा बागान उत्पादों सहित) का निर्यात तेजी से बढ़कर 41.25 बिलियन डॉलर तक पहुंचा जो 17.34 प्रतिशत की बढोतरी को इंगित करता है। रुपये के लिहाज से यह वृद्धि 22.62 प्रतिशत है जो 2019-20 के 2.49 लाख करोड़ रुपये की तुलना में बढ़कर 2020-21 के दौरान 3.05 लाख करोड़ रुपये तक जा पहुंचा। 2019-20 के इौरान भारत का कृषि और संबद्ध आयात 20.64 बिलियन डॉलर था और 2020-21 के तदनुरुपी आंकड़ें 20.67 बिलियन डॉलर के हैं। कोविड-19 के बावजूद, कृषि में व्यापार संतुलन में 42.16 प्रतिशत का सुधार आया है जो 14.51 बिलियन डॉलर से बढ़कर 20.58 बिलियन डॉलर हो गया।
कृषि उत्पादों (समुद्री तथा बागान उत्पादों को छोड़कर) के लिए वृद्धि 28.36 प्रतिशत है जो 2019-20 के 23.23 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2020-21 के दौरान 29.81 प्रतिशत तक जा पहंचा। भारत कोविड-19 अवधि के दौरान स्टेपल के लिए बढ़ी हुई मांग का लाभ उठाने में सक्षम रहा है।
अनाजों के निर्यात में भारी वृद्धि देखी गई है जिसमें गैर-बासमती चावल का निर्यात 136.04 प्रतिशत बढ़कर 4794.54 मिलियन डॉलर का रहा, गेहूं का निर्यात 774.17 प्रतिशत बढ़कर 549.16 मिलियन डॉलर का रहा, तथा अन्य अनाजों (मिलेट, मक्का तथा अन्य मोटे अनाज) का निर्यात 238.28 प्रतिशत बढ़कर 694.14 मिलियन डॉलर का रहा।
अन्य कृषि संबंधी उत्पादों, जिनके निर्यात में 2019-20 के दौरान उल्लेखनीय बढोतरी दर्ज कराई गई, में आयल मील (1575.34 मिलियन डॉलर-90.28 प्रतिशत की बढोतरी), चीनी (2789.97 मिलियन डॉलर-41.88 प्रतिशत की बढोतरी), कच्चा कपास (1897.20 मिलियन डॉलर-79.43 प्रतिशत की बढोतरी), ताजी सब्जियां (721.47 मिलियन डॉलर-10.71 प्रतिशत की बढोतरी) और वेजीटेबल आयल (602.77 मिलियन डॉलर-254.39 प्रतिशत की बढोतरी) शामिल हैं।
भारत के कृषि उत्पादों के सबसे बड़े बाजारों में अमेरिका, चीन, बांग्लादेश, यूएई, वियतनाम, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, नेपाल, ईरान और मलेशिया शामिल हैं। इनमें से अधिकांश गंतव्यों ने वृद्धि प्रदर्शित की है जिसमें सर्वाधिक वृद्धि इंडोनेशिया (102.42 प्रतिशत), बाग्ला देश (95.93 प्रतिशत) और नेपाल (50.49 प्रतिशत) में दर्ज की गई।
अदरक, काली मिर्च, दाल चीनी, इलायची, हल्दी, केसर आदि जैसे मसालों जो उपचारात्मक गुणों के लिए जाने जाते हैं, के निर्यात में भी भारी बढोतरी दर्ज की गई है। 2020-21 के दौरान, काली मिर्च के निर्यात में 28.72 प्रतिशत की बढोतरी हुई जो बढ़कर 1269.38 मिलियन तक जा पहुंचा, दाल चीनी के निर्यात में 64.47 प्रतिशत की बढोतरी हुई जो बढ़कर 11.25 मिलियन तक जा पहुंचा, जायफल, जावित्री और इलायची के निर्यात में 132.03 प्रतिशत की बढोतरी हुई (जो 81.60 मिलियन डॉलर से बढ़कर 189.34 मिलियन तक जा पहुंचा), अदरक, केसर, हल्दी, अजवायन, तेज पत्ता आदि के निर्यात में 35.44 प्रतिशत की बढोतरी हुई जो बढ़कर 570.63 मिलियन तक जा पहुंचा। मसालों के निर्यात ने 2020-21 के दौरान लगभग 4 बिलियन डॉलर का अब तक का सर्वोच्च स्तर छू लिया।
2020-21 के दौरान जैविक निर्यात 1040 मिलियन डॉलर का रहा जो 2019-20 में 689 मिलियन डॉलर का था, यह 50.94 प्रतिशत की बढोतरी दर्शाता है। जैविक निर्यातों में ऑयल केक/मील, तिलहन, अनाज एवं बाजरा, मसाले एवं कोंडीमंट (छौंक), चाय, औषधीय पादप उत्पाद, सूखे मेवे, चीनी, दलहन, काफी आदि शामिल हैं।
पहली बार कई क्लस्टरों से भी निर्यात हुए हैं। उदाहरण के लिए, वाराणसी से ताजी सब्जियों तथा चंदौली से काले चावल का पहली बार निर्यात हुआ है जिससे उस क्षेत्र के किसानों को सीधा लाभ हासिल हुआ है। अन्य क्लस्टरों अर्थात नागपुर से संतरे, थेनी और अनंतपुर से केले, लखनऊ से आम आदि से भी निर्यात हुए हैं। महामारी के बावजूद, मल्टीमोडल मोड द्वारा ताजी बागवानी ऊपज का निर्यात हुआ और खेपों को इन क्षेत्रों से हवाई जहाज और समुद्र के रास्ते दुबई, लंदन तथा अन्य गंतव्यों पर भेजा गया। मार्केट लिंकेज के लिए विभाग, फसल उपरांत वैल्यू चेन विकास तथा एफपीओ जैसे संस्थागत संरचनाओं की आरंभिक सहायता से पूर्वोत्तर के किसान भारतीय सीमाओं से आगे भी अपने मूल्य वर्द्धित उत्पादों को भेज सकने में सक्षम हुए।
अनाज निर्यात का प्रदर्शन भी 2020-21 के दौरान बहुत अच्छा रहा है। हम पहली बार कई देशों को निर्यात करने में सक्षम रहे हैं। उदाहरण के लिए, चावल का तिमोर-लेस्टे, प्यूर्तो रिको, ब्राजील आदि जैसे देशों में निर्यात किया गया है। इसी प्रकार, गेहूं का निर्यात भी यमन, इंडोनेशिया, भूटान आदि देशों में किया गया है और अन्य अनाजों का निर्यात सूडान, पोलैंड बोलिविया आदि को किया गया है।
कोविड-19 महामारी के दौरान किए गए उपाय
- अपीडा, म्पीडा तथा कमोडिटी बोर्डों ने निर्बाधित निर्यात सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न मान्यताओं/प्रत्यायनों अर्थात पैकहाउस रिकौगनिशन, पीनट यूनिट रजिस्ट्रेशन, रजिस्ट्रेशन-कम-मेंबरशिप सर्टिफिकेट्स, इंटीग्रेटेड मीट प्लांट रिकौगनिशन, चीन एवं अमेरिका को चावल के निर्यात के लिए प्लांट का रजिस्ट्रेशन , राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम के तहत सर्टिफिकेशनों एवं प्रत्यायनों की वैधता को व्यापक विस्तार उपलब्ध कराया है।
- निर्यात के लिए आवश्यक विभिन्न प्रमाणपत्रों को ऑॅनलाइन जारी करने के लिए भी व्यवस्थाएं की गई हैं।
- कोविड-19 लॉकडाउन (2020) के दौरान, निर्यातकों को खेपों/ट्रकों/लेबर की आवाजाही, प्रमाणपत्रों को जारी किए जाने, लैब टेस्टिग रिपोर्ट, सैंपल कलेक्शन आदि से संबंधित मुद्वों के समाधान में मदद करने के लिए अपीडा/कमोडिटी बोर्डां में 24 घ्ंटे काम करने वाले एक इमर्जेंसी रिस्पांस सेल का निर्माण किया गया। लॉकडाउन के पहले सप्ताह में ही, सेल को निर्यातकों के सामने आने वाले विभिन्न मुद्वों के संबंध में लगभग एक हजार काल आए और सेल ने संबंधित प्राधिकारियों अर्थात राज्य प्रशासन, कस्टम्स, पोर्ट, शिपिंग, डीजीएफटी आदि के समक्ष उन्हें उठाने के जरिये उन मुद्वों का समाधान किया तथा निर्यातों को वास्तविक समय मंजूरी सुनिश्चित की।
- 2020 में लॉकडाउन अवधि के दौरान, नए पैक हाउस आवेदकों के लिए वर्चुअल जांच आरंभ की गई। पिछले प्रदर्शन के आधार पर बिना जांच किए विद्यमान पैक हाउसों की वैधता बढ़ा दी गई। लगभग 216 पैक हाउस बिना किसी वास्तविक जांच या अनुपालनों की प्रक्रिया के निर्बाधित रूप से कार्य करते रहे हैं। कोविड-19 की वर्तमान लहर के दौरान भी पैक हाउसों की मान्यता ऑटोमैटिक रूप से बढ़ा दी गई है। इससे लगभग 100 पैक हाउसों, जिनकी मान्यता की अवधि समाप्त हाने वाली थी, को लाभ हुआ और बागवानी उत्पादों के निर्यातकों को राहत मिली।
- महामारी के दौरान, निर्यात जांच परिषद और निर्यात जांच एजेन्सियों ने सुनिश्चित किया कि निर्यात वर्ग को दी जाने वाली सेवाएं जैसेकि निर्यात के लिए प्रमाण पत्र जारी करना, स्वास्थ्य प्रमाण पत्र और उद्भव का प्रमाणपत्र आदि सुगमता से तथा समय पर डेलीवर हो जाएं।
- व्यवसाय करने की सुगमता को बढ़ावा देने के लिए, नियामकीय अनुपालनों को न्यूनतम करने तथा विभिन्न जुर्मों को अपराध से बाहर किए जाने की प्रक्रिया आरंभ की गई है।
- चूंकि, कोविड-19 महामारी के कारण अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों का आयोजन नहीं किया जा रहा है, अपीडा ने भारतीय निर्यातकों एवं आयातकों के बीच संपर्क स्थापित करने के लिए वर्चुअल ट्रेड फेयर (वीटीएफ) के आयोजन के लिए एक इन-हाउस प्लेटफार्म डेवेलप किया है। दो वीटीएफ-भारतीय चावल एवं कृषि कमोडिटी शो‘ तथा भारतीय फल, सब्जियों तथा फ्लोरीकल्चर शो का पहले ही आयोजन किया जा चुका है। अपीडा 2021-22 के दौरान, इंडियन प्रोसेस्ड फूड शो, इंडियन मीट एंड पोल्ट्री शो, इंडियन ऑर्गेनिक प्रोडक्ट शो का भी आयोजन करेगा।
- देश के विभिन्न क्षेत्रों में निर्यातकों को सुविधा प्रदान करने के लिए, अपीडा ने 2020-21 के दौरान निम्नलिखित क्षेत्रीय/विस्तार/प्रोजेक्ट कार्यालय खोले: चेन्नई, चंडीगढ़, अहमदाबाद, कोच्चि, जम्मू एवं कश्मीर, भोपाल में विस्तार कार्यालय तथा वाराणसी में प्रोजेक्ट ऑफिस।
- विभाग ने आपरेशन ग्रीन स्कीम के प्रभावी उपयोग के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के साथ निरंतर समन्वय रखा है जिसे कोविड-19 के कारण अधिकांश बागवानी फसलों तक विस्तारित कर दिया गया है। इसी प्रकार, विभाग ने माल ढुलाई की उच्च दरों के दबाव को कम करने के लिए कृषि उड़ान तथा कृषि रेल के उपयोग के लिए क्रमशः नागरिक उड्डयन मंत्रालय तथा रेल मंत्रालय के साथ सहयोग किया है। इस प्रयास का परिणाम मध्य पूर्व, ईयू तथा दक्षिण पूर्व एशिया के महत्वपूर्ण बाजारों तक शीघ्र नष्ट हो जाने वाली वस्तुओं की सुगम आवाजाही के रूप में आया। कृषि रेल परियोजना ने पूर्वोत्तर राज्यों के ताजे फलों एवं मसालों के निर्यातकों की निर्णायक रूप से सहायता की है।
- कई राज्यों में, लॉकडाउन के दौरान भी, सुनिश्चित किया जा रहा है कि राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम के तहत सभी मान्यता प्राप्त प्रमाणन निकाय इलेक्ट्रोनिक मोड में प्रचालनगत बने रहें। प्रमाणन निकायों के प्रत्यायन को 3 महीने तक विस्तारित कर दिया गया है जिससे कि ऑनलाइन ट्रेसियबिलिटी सिस्टम को ऐक्सेस तथा आपरेट करने तथा प्रमाणपत्र जारी करने में उन्हें सक्षम बनाया जा सके।
कृषि निर्यात नीति और निर्यात संवर्धन उपायों का कार्यान्वयन
सरकार द्वारा अब तक की पहली कृषि निर्यात नीति (एईपी) दिसंबर 2018 में लागू की गई। एईपी के कार्यान्वयन की प्रक्रिया के एक हिस्से के रूप में, 18 राज्यों अर्थात महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, केरल, नगालैंड, तमिलनाडु, असम, पंजाब, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मणिपुर, सिक्किम, मिजोरम एवं उत्तराखंड तथा दो केंद्र शासित प्रदेशों अर्थात लद्वाख और अंडमान निकोबार द्वीपसमूह ने राज्य विशिष्ट कार्य योजना को अंतिम रूप दे दिया है। 25 राज्यों एवं 4 यूटी में राज्य स्तरीय निगरानी समितियां गठित कर दी गई हैं। 28 राज्यों तथा 4 यूटी ने एईपी के कार्यान्वयन के लिए सबंधित नोडल एजेन्सियां नामांकित कर दी हैं।
क्लस्टर विकास
कृषि निर्यात नीति के एक हिस्से के रूप में, निर्यात संवर्धन के लिए 46 अनूठे उत्पाद-जिला क्लस्टरों की पहचान की गई है। 29 क्लस्टर स्तर समितियों का विभिन्न क्लस्टरों में गठन किया गया है।
निर्यात के लिए क्लस्टर एक्टीवेशन: वाणिज्य विभाग ने क्लस्टरों के एक्टीवेशन के लिए एफपीओ तथा निर्यातकों को लिंक करने के लिए अपीडा के जरिये कदम उठाया। कथित लिकिंग के बाद, ट्रांसपोर्टशन/ लॉजिस्टिक मुद्वों का समाधान किया गया तथा लैंड लॉक्ड क्लस्टरों से निर्यात किया गया।
कुछ सफलता गाथाएं निम्नलिखित हैं:
- वाराणसी क्लस्टर (ताजी सब्जियां): आज की तारीख तक एफपीओे के जरिये क्लस्टर से 48 एमटी ताजी सब्जियां (हरी मिर्च, लौंग गार्ड, हरी मटर, ककड़ी), 10 एमटी आम (बनारसी, लंगड़ा, रामखेडा तथा चैसा) और 532 एमटी काले चावल का निर्यात किया जा चुका है।
- अनंतपुर क्लस्टर (केला): हाल के सीजन के दौरान (जनवरी-अप्रैल 2021), आंध्र प्रदेश के अनंतपुर से 9 रीफर रेल मूवमेंट के जरिये 30,291 एमटी केले डिस्पैच किए जा चुके हैं और मिडल ईस्ट को निर्यात किए जा चुके हैं।
- नागपुर क्लस्टर (नारंगी): 115 एमटी नागपुर संतरे और 45 एमटी अंबियाबहार सीजन संतरे समुद्र द्वारा (पहली बार) मिडल ईस्ट देशों को निर्यात किए जा चुके हैं और टाप सुपरमार्केर्टों अर्थात लुलु सुपर मार्ट, सफारी माल, नेस्टों आदि को आपूर्ति की जा चुकी है।
- लखनऊ क्लस्टर (आम): 80.25 एमटी आम (दसहरी, लंगड़ा और बांबे ग्रीन) मिडल ईस्ट देशों को निर्यात किए जा चुके हैं।
- थेनी क्लस्टर (केला): पिछले एक साल से अभी तक, 2400 एमटी कैवेनडीश और 1560 एमटी जी9 तथा नेंद्रन केले क्लस्टर से निर्यात किए जा चुके हैं।
- अनार क्लस्टर, महाराष्ट्र-वर्ष 2020-21 के दौरान सोलापुर क्लस्टर से 32,315 एमटी अनारों का निर्यात किया गया।
- आम क्लस्टर, आंध्र प्रदेश-मौजूदा सीजन में, कृष्णा एवं चित्तूर क्लस्टर जिलों के किसानों से प्राप्त बंगनपल्ली (जीआई प्रमाणित) तथा सुवर्णरेखा आम की एक खेप दक्षिण कोरिया को निर्यात की गई। क्लस्टर से मिडल ईस्ट, ईयू, ब्रिटेन तथा न्यूजीलैंड को कुल 109 एमटी आम निर्यात किए गए। इस आम सीजन के दौरान, आंध्र प्रदेश के कृष्णा क्लस्टर जिले से दिल्ली के लिए रेल से कुल 400 एमटी आम भेजे गए।
- आम क्लस्टर, तेलंगाना-अभी तक 100 एमटी से अधिक ताजे आम ईयू, ब्रिटेन, मिडल ईस्ट को निर्यात किए जा चुके हैं।
- रोज ओनियन क्लस्टर, कर्नाटक-अक्तूबर 2020 से दिसंबर 2020 तक मलेशिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया, बांग्ला देश और श्रीलंका को लगभग 7168 एमटी रोज ओनियन निर्यात किए जा चुके हैं।
- केला क्लस्टर, गुजरात-सूरत, नर्मदा और भरुच से निर्मित्त इस क्लस्टर से अप्रैल, 2020 से आज की तारीख तक, 6198.26 एमटी ताजा केले मिडल ईस्ट के देशों-बहरीन, दुबई, जार्जिया, ईरान, ओमान, सऊदी अरब, टर्की, यूएई, इराक आदि को निर्यात किए जा चुके हैं।
- केला क्लस्टर, महाराष्ट्र-2020-21 के दौरान, सोलापुर, जलगांव तथा कोल्हापुर से क्रमशः 3278, 280 और 90 कंटेनर केलों का निर्यात किया गया है।
- प्याज क्लस्टर, महाराष्ट्र-जनवरी से 15 अप्रैल 2021 तक 10,697 एमटी ताजे प्याज दक्षिण पूर्व एशिया, मिडल ईस्ट, बांग्ला देश के विविध गंतव्यों को निर्यात किया गया है।
- अनार क्लस्टर, महाराष्ट्र- 2020-21 के दौरान अभी तक नासिक क्लस्टर जिले से ईयू को ताजे अंगरू के 91,762 एमटी के 6797 कंटेनर निर्यात किए जा चुके हैं। सांगली के क्लस्टर जिले से ईयू एवं अन्य देशों को 13,884 एमटी के 1013 कंटेनर तथा रायसिन का एक कंटेनर निर्यात किया गया है।
इन क्लस्टरों को बहुत कम या बिना किसी अतिरिक्त निवेशों के, विद्यमान संसाधनों का उपयोग करने के जरिये सक्रिय बनाया गया है। इन क्लस्टरों से निर्यात नियमित आधार पर किए जा रहे हैं।
देश-विशिष्ट कृषि निर्यात कार्यनीति रिपोर्ट: उत्पादों, उनकी क्षमता की पहचान करने तथा भविष्य के लिए देश-विशिष्ट कृषि निर्यात कार्यनीति तैयार करने के लिए 60 भारतीय मिशनों तथा हितधारकों के साथ परस्पर संपर्क किया गया।
उत्पाद-विशिष्ट उपायों पर रिपोर्ट: भारत के निर्यातों को बढ़ावा देने के लिए, व्यापार में विद्यमान एसपीएस/टीबीटी मुद्वों के समाधान के लिए एक विस्तृत विश्लेषण किया गया। इस रिपोर्ट का शीर्षक ‘भारत के कृषि संबंधी निर्यातों का टैरिफ नुकसान‘ है और यह एईपी के तहत निर्यात को बढ़ावा देने के लिए चिन्हित संभावित निर्यात उत्पादों पर आधारित है।
वर्चुअल क्रेता विक्रेता बैठक-यूएई, कुवैत, इंडोनेशिया, स्विट्जरलैंड, बेल्जियम, ईरान, कनाडा (जैविक उत्पाद), यूएई तथा अमेरिका (जीआई उत्पाद), जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, थाईलैंड, ओमान, भूटान, अजरबैजान, कतर, सऊदी अरब, नेपाल, उजबेकिस्तान, वियतनाम, नीदरलैंड, ब्रुनेई तथा कंबोडिया (पशु उत्पाद) के साथ 24 वी-बीएसएम आयोजित किए गए हैं। प्रत्येक बीएसएम के सहभागी निर्यातकों, आयातकों, व्यापार संघों के विवरण के ई-कैटेलाग जारी किए गए।
वर्चुअल ट्रेड फेयर (वीटीएफ)-अपीडा ने अपना खुद का वर्चुअल ट्रेड फेयर (वीटीएफ) ऐप्लीकेशन डेवेलप करने की पहल की। वर्चुअल प्लेटफार्म कई देशों के कृषि आयातक तथा हमारे देश के कृषि निर्यातकों को सहभागिता के जरिये परस्पर संपर्क करने का अवसर प्रदान करेगा। पहला वर्चुअल ट्रेड फेयर 10-12 मार्च 2021 के दौरान अनाज उत्पाद सेक्टर के लिए आयोजित किया गया था। ताजे फलों तथा सब्जियों के लिए वीटीएफ 27-29 मई 2021 को आयोजित किया गया था।
भारत के विभिन्न दूतावासों में कृषि प्रकोष्ठ- अपीडा विभिन्न देशों में हमारे मिशनों में 13 कृषि प्रकोष्ठों से मशविरा कर रहा है और वर्तमान मार्केट इंटेलीजेंस सेल को और सुदृढ़ बनाने के लिए रियल टाइम आधार पर इनपुट मांग रहा है। विशिष्ट देशों से संबधित कार्यनीति तैयार करते समय कृषि प्रकोष्ठों से प्राप्त समेकित रिपोर्टों को रेफर किया जा रहा है।
फार्मर कनेक्ट पोर्टल: निर्यातकां के साथ परस्पर संपर्क करने के लिए एफपीओ/एफपीसी, सहकारी संघों के लिए मंच उपलब्ध कराने हेतु अपीडा की वेबसाइट पर एक फार्मर कनेक्ट पोर्टल का निर्माण किया गया है।
मिडल ईस्ट पर फोकस
मिडल ईस्ट के देशों में कृषि को बढ़ावा देने के लिए, इन देशों में भारतीय मिशनों के परामर्श से देश विशिष्ट कृषि निर्यात कार्यनीति तैयार की गई है। संभावित आयातक के साथ परस्पर संपर्क करने के लिए भारतीय निर्यातकों को एक मंच उपलब्ध कराने के लिए संबंधित देशों के भारतीय मिशनों के सहयोग से संभावित देशों में वर्चुअल क्रेता विक्रेता बैठकों का आयोजन किया गया। ऐसे वीबीएसएम का आयोजन मिडल ईस्ट के सा देशों अर्थात-यूएई, ओमान, बहरीन, कुवैत, कतर, सऊदी अरब तथा ईरान में किया गया। इसने निर्यातकों एवं आयातकों को व्यवसाय करने के लिए भविष्य में और परस्पर संपर्क करने के लिए एक वर्चुअल मंच उपलब्ध कराया है।
खाड़ी क्षेत्र में कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने की कार्यनीति पर एक वर्चुअल बैठक जीसीसी देशों (ओमान, सऊदी अरब, यूएई तथा बहरीन) के भारतीय दूतावासों के साथ 20 मई 2020 को आयोजित की गई। इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन मिडल इ्रस्ट के देशों में भारतीय कृषि उत्पादों के लिए एक मार्केटिंग अभियान की योजना बना रही है।
जीसीसी देशों को भारत के सबसे बड़े कृषि उत्पाद निर्यात चावल, भैंस का मांस, मसाले, समुद्री उत्पाद, ताजे फल एवं सब्जियां और चीनी हैं। जीसीसी देशों को भारत के गैर बासमती चावल के निर्यात में 2020-21 में 26.01प्रतिशत की बढोतरी हुई। कोविड-19 महामारी के कारण पशुधन उत्पादों तथा समुद्री उत्पादों के निर्यात के काफी प्रभावित होने के बावजूद, जीसीसी देशों को निर्यात में 7.15 प्रतिशत की बढोतरी हुई।
बाजार पहुंच
विभाग कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग के सहयोग से विदेशी बाजारों में भारतीय उत्पादों के लिए बाजार पहुंच अर्जित करने के लिए लगातार प्रयास करता रहा है।
भारत ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में अनार के लिए, अर्जेंटीना में आम और बासमती चावल के लिए, ईरान में गाजर के बीज के लिए, उजबेकिस्तान में गेहूं के आटे, बासमती चावल, अनार एरिल, आम, केला तथा सोयाबीन आयलकेक के लिए, भूटान में टमाटर, भिंडी और प्याज के लिए तथा सर्बिया में नारंगी के लिए बाजार पहुंच हासिल की।
नए उत्पादों पर फोकस
कृषि उत्पादो के भारत के निर्यात बास्केट को विस्तारित करने तथा भारत के विशिष्ट उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं-
- जैविक रूप से प्रमाणित मोरिएंगा पत्ति पावडर (2 एमटी) और तमिलनाडु के कंभकोनम के मोरिएंगा वैक्यूम फ्रीज ड्रायड स्थानिक विलेज राइस के सात अनूठे मूल्य वर्द्धित उत्पादों को ऑॅस्ट्रेलिया, वियतनाम तथा घाना के विविध गंतव्यों में।
- कुंभकोनम से प्राप्त पैटेंटकृत ‘विलेज राइस‘ की कामर्शिल खेपों को वायु तथा समुद्री रास्तों से घाना तथा यमन को निर्यात किया गया।
- रेड राइस (40 एमटी) की पहली खेप अमेरिका को भेजी गई। आयरन समृद्ध रेड राइस असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में उगाई जाती है (आओ-धान के रूप् में संदर्भित)।
- फ्लैवर्ड जैगरी पावडर (4 एमटी) अमेरिका को निर्यात किया गया।
- उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में उपजाई जाने वाली बाजरा को डेनमार्क में निर्यात किया गया है।
- वर्तमान सीजन में, आंध्र प्रदेश के कृष्णा तथा चित्तूर जिले के किसानों से प्राप्त बनगनपल्ली (जीआई प्रमाणित) तथा सुवर्णरेखा आम की एक खेप 06 मई, 2021 को दक्षिण कोयिा भेजी गई।
- महाराष्ट्र के पालघर के दहानुघोलवाड तालुका के किसानों से प्राप्त भौगालिक संकेत (जीआई) प्रमाणित दहानुघोलवाडसपोटा (200 किग्रा) ब्रिटेन को निर्यात किया गया।
- बिहार की शाही लीची का 24 मई, 2021 को हवाई जहाज से ब्रिटेन निर्यात किया गया।
- ताजे कटहल (1.2 एमटी) का त्रिपुरा से लंदन निर्यात किया गया।
- जैविक रूप से प्रमाणित ग्लुटेन मुक्त कटहल पावडर तथा रिटार्ट पैक्ड कटहल क्यूब के मूल्य वर्द्धित उत्पादों की एक समुद्री खेप बंगलुरु से जर्मनी निर्यात की गई।
- जम्मू एवं कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश से केसर तथा सूखे मेवों का निर्यात सऊदी अरब की एफएमसीजी लुलु ग्रुप इंटरनेशनल को किया गया।
- जामुन फल (500 किग्रा) पहली बार उप्र के लखनऊ से हवाई जहाज से लंदन निर्यात किया गया।
- पहली बार पश्चिम बंगाल से सड़क मार्ग से मूंगफली की एक खेप (24 एमटी) नेपाल निर्यात की गई। इस खेप को पश्चिम मिदनापुर जिले के किसानों से सोर्स किया गया था।
ईयू को बासमती चावल के निर्यात के लिए ईयू मानदंडों का अनुपालन सुनिश्चित करना
भारत में चावल की खेती में व्यापक रूप से प्रयोग किए जाने वाले ट्राइसाइक्लेजोल तथा बुप्रोफेजिन जैसे रसायनों के लिए ईयू द्वारा लगाये जाने वाले कड़े मानदंडों के कारण कीटनाशक अवशेषों की समस्या ने ईयू को बासमती चावल के निर्यात को प्रभावित किया है। ईयू को बासमती चावल के निर्यातों के लिए ईआईसी टेस्टिंग को अनिवार्य बना दिया गया है जिसके कारण अलर्टों की संख्या में कमी आई है। वाणिज्य विभाग द्वारा निरंतर अनुवर्ती कार्रवाई के परिणामस्वरूप, पंजाब सरकार ने खरीफ सीजन 2020 के दौरान ट्राइसाइक्लेजोल तथा बुप्रोफेजिन सहित 9 रसायनों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया।
अपीडा ने व्यापार निकायों के सहयोग से बासमती उगाने वाले क्षेत्रों में जागरुकता फैलाने के लिए कदम उठाये हैं। यह सुनिश्चित करने के भी प्रयास किए जा रहे हैं कि ईयू द्वारा ट्राइसाइक्लेजोल तथा बुप्रोफेजिन के लिए इंपोर्ट टोलेरेंस लिमिट्स (आईटीएल) निर्धारित करने की प्रक्रिया में देरी न हो।
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