विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

सरकार ने मिशन कोविड सुरक्षा के तहत कोवैक्सीन के उत्पादन के लिए उत्पादन क्षमता बढ़ाने में सहायता दी

Posted On: 15 MAY 2021 2:47PM by PIB Delhi

भारत सरकार द्वारा आत्मनिर्भर भारत 3.0 के तहत कोविड के स्वदेशी टीकों के विकास और उत्पादन में तेजी लाने के लिए मिशन कोविड सुरक्षा की घोषणा की गई थी। इस मिशन को भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी), नई दिल्ली में कार्यान्वित किया जा रहा है।

इस मिशन के तहत कोवैक्सिन के स्वदेशी उत्पादन की क्षमता को बढ़ाने के उद्देश्य सेभारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने अप्रैल, 2021 में उन्नत उत्पादन क्षमता,जिसके सितंबर, 2021 तक प्रति माह 10 करोड़ से अधिक खुराक तक पहुंच जाने की उम्मीद है, के लिए टीके के निर्माताओं को अनुदान के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान की।

उन्नयन की इस योजना के एक हिस्से के रूप में, हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक लिमिटेड के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य निर्माताओं की क्षमताओं को आवश्यक बुनियादी ढांचे और प्रौद्योगिकी के साथ उन्नत किया जा रहा है। भारत सरकार की ओर से भारत बायोटेक की न्यू बैंगलोर स्थित इकाई, जिसे टीके की उत्पादन की क्षमता बढ़ाने के लिए दोबारा से तैयार किया जा रहा है, को अनुदान के रूप में लगभग 65 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है।

सार्वजनिक क्षेत्र की निम्नलिखित तीन कंपनियों को भी टीके की उत्पादन की क्षमता बढ़ाने के लिए सहयोग दिया जा रहा है:

  1. हाफकाइन बायोफार्मास्यूटिकल कारपोरेशन लिमिटेड, मुंबई - महाराष्ट्र सरकार के तहत एक राज्य सार्वजनिक उद्यम (पीएसई)।

इस इकाई को उत्पादन के लिए तैयार करने के लिए भारत सरकार की ओर से 65 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता अनुदान के रूप में प्रदान की जा रही है। एक बार चालू हो जाने के बाद, इस उत्पादन इकाई के पास प्रति माह 20 मिलियन खुराकों के उत्पादन की क्षमता होगी।

  1. इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड (आईआईएल), हैदराबाद - राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के तहत इस उत्पादन इकाई को 60 करोड़ रुपये का अनुदान प्रदान किया जा रहा है। और
  2. भारत इम्यूनोलॉजिकल एंड बायोलॉजिकल लिमिटेड (बीआईबीसीओएल), बुलंदशहर जोकि भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग केतहत एक केन्द्रीय सार्वजनिक उद्यम(सीपीएसई) है, को प्रति माह 10-15 मिलियन खुराकें उपलब्ध कराने के उद्देश्य से अपनी उत्पादन इकाई को तैयार करने के लिए 30 करोड़ रुपये के अनुदान दिया जा रहा है।

इसके अलावा, गुजरात सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत आने वाले गुजरात जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान केन्द्र ने हेस्टर बायोसाइंसेज और ओमनीबीआरएक्स के साथ मिलकर भारत बायोटेक के साथ कोवैक्सिन तकनीक को बढ़ाने और प्रति माह न्यूनतम 20 मिलियन खुराकों का उत्पादन करने के लिए अपनी चर्चा को ठोस रूप दिया है। सभी निर्माताओं के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते को अंतिम रूप दे दिया गया है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के बारे में:विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी)कृषि, स्वास्थ्य संबंधी देखभाल, पशु विज्ञान, पर्यावरण और उद्योग के क्षेत्रों में जैव प्रौद्योगिकी के उपयोग और अनुप्रयोग को बढ़ावा देता है। यह विभाग जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को प्राप्त करने, जैव प्रौद्योगिकी को भविष्य के एक प्रमुख सटीक उपकरण के रूप में आकार देने और सामाजिक न्याय - विशेष रूप से गरीबों का कल्याण - सुनिश्चित करने पर केन्द्रित है। www.dbtindia.gov.in

जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) के बारे में: जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) धारा 8, अनुसूची बी, के तहत सार्वजनिक क्षेत्र का एक गैर-लाभकारीउद्यम है, जिसे भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर प्रासंगिक उत्पादों के विकास संबंधी जरूरतों को पूरा करते हुए रणनीतिक अनुसंधान और नवाचार का काम करने वाले उभरते बायोटेक उद्यमों को मजबूत और सशक्त करने वाली एक इंटरफेस एजेंसी के रूप में स्थापित किया गया है। www.birac.nic.in

अधिक जानकारी के लिए: डीबीटी/बीआईआरएसी के संचार प्रकोष्ठ से संपर्क करें*@DBTIndia @BIRAC_2012 

www.dbtindia.gov.inwww.birac.nic.in

*********

एमजी / एएम / आर/ डीसी



(Release ID: 1718824) Visitor Counter : 442