इस्‍पात मंत्रालय

इस्पात संयंत्रों द्वारा 3131 मीट्रिक टन तरल मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई


इस्पात संयंत्र अधिक एलएमओ उपलब्ध करवाने को लेकर अपनी सुरक्षा भंडार का इस्तेमाल करने के लिए तैयार हैं

ऑक्सीजन ले जाने के लिए नाइट्रोजन और आर्गन टैंकरों को परिवर्तित किया जा रहा है

Posted On: 26 APR 2021 4:41PM by PIB Delhi

सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के इस्पात संयंत्रों ने 25 अप्रैल, 2021 को विभिन्न राज्यों को 3131.84 मीट्रिक टन तरल मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ) की आपूर्ति की।बीते कल यानी 24 अप्रैल, 2021 को 2894मीट्रिक टनएलएमओ की आपूर्ति की गई थी।एक हफ्ते पहले औसतन 1500/1700मीट्रिक टन प्रति दिन भेजाजा रहा था।25 अप्रैल को एलएमओ का उत्पादन 3468.60 मीट्रिक टन रहा।

इस्पात संयंत्र कई तरह की पहल करके एलएमओ की आपूर्ति को बढ़ाने में सक्षम हुए हैं।इनमें नाट्रोजन एवं आर्गन के उत्पादन में कमी और अधिकांश संयंत्रों में केवल एलएमओ का उत्पादन शामिल हैं।

आम तौर पर इस्पात संयंत्रों को अपने भंडारण टैंक में एलएमओ के 3.5 दिनों के लिए सुरक्षा भंडार रखने की जरूरत होती है, जो वाष्पीकृत होता है औरऑक्सीजन संयंत्रों में कुछ समस्याएं उत्पन्न होने परइसका इस्तेमाल किया जाता है।इस्पात उत्पादकों के साथ लगातार जुड़ाव के माध्यम से एमलएमओ आपूर्ति में महत्वपूर्ण वृद्धि के चलते सुरक्षा भंडार को पहले के 3.5 दिनों से घटाकर 0.5 दिन कर दिया गया है।

वहीं एलएमओ के परिवहन को तेज करने के लिए उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा निर्देश दिया गया है। इसमें ऑक्सीजन भेजने के लिए निश्चित संख्या में नाइट्रोजन और आर्गन टैंकरों को परिवर्तित करने के लिए कहा गया है।आज की तिथि में, 8345 मीट्रिक टन की क्षमता के साथ 765 नाइट्रोजन टैंकर हैं और 7642 मीट्रिक टन की क्षमता के साथ 434 आर्गन टैंकर हैं।ऑक्सीजन ले जाने के लिएउनके हिस्से को परिवर्तित करने की अनुमतिपेट्रोलियम तथा विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पीईएसओ) द्वारा दी गई है।यह कदम राज्यों को एलएमओ के परिवहन में एक बड़ी बाधा को दूर करेगा।आज की तिथि में, एलएमओ के लिए15,900 मीट्रिक टन की क्षमता के साथ 1172 टैंकर उपलब्ध हैं।

भिलाई इस्पात संयंत्र अपने तरल ऑक्सीजन उत्पादन में 15 मीट्रिक टन तक कीबढ़ोतरी के लिए काफी कम समय के लिए बंद हो रहा है।यह बंद एलएमओ भेजने के रास्ते में नहीं आएगा।इसी तरह के निर्देश अन्य केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के स्वामित्व वाले इस्पात संयंत्रों को दिए गए हैं, जिससे वे अपनी क्षमता बढ़ाने की संभावनाको तलाश सकें।

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एमजी/एएम/एचकेपी
 


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