उप राष्ट्रपति सचिवालय
उपराष्ट्रपति ने सार्वजनिक भाषण में भाषा की शालीनता बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया
उन्होंने कहा, गांधीजी के अहिंसा के सिद्धांत में शब्दों और विचारों की अहिंसा भी शामिल है
गांधीजी और सरदार पटेल जैसे नायक हमें अपने सपनों का भारत बनाने के लिए मिलकर काम करने की खातिर प्रेरित करते हैं - उपराष्ट्रपति
श्री नायडू ने दांडी नमक यात्रा को एक क्रांतिकारी क्षण बताया जिसने इतिहास की दिशा को बदल दिया
श्री नायडू ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’के तहत आयोजितप्रतीकात्मक‘दांडी यात्रा’ के समापन समारोह को संबोधित किया
श्री नायडू ने कहा, ‘अमृत महोत्सव’ से एक पुनरुत्थानवादी, आत्मनिर्भर भारत के नवनिर्माण की घोषणा होनी चाहिए
भारत 53 से अधिक देशों को कोविड-19 टीकों की आपूर्ति करके मुश्किल के इस समय में भी गांधीजी के दर्शन का अनुसरण कर रहा है - उपराष्ट्रपति
उन्होंने किसानों को ‘अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं’ की संज्ञा दी
Posted On:
06 APR 2021 4:08PM by PIB Delhi
उपराष्ट्रपतिश्री एम वेंकैया नायडू ने आज सार्वजनिक भाषण में शब्दों की शालीनता और भाषा की शालीनता बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि यह एक स्वस्थ और मजबूत लोकतंत्र के लिए आवश्यक है।
गुजरात के ऐतिहासिक दांडी गांव में 'आजादी का अमृत महोत्सव' के तहत आयोजित 25 दिन लंबी प्रतीकात्मक'दांडी यात्रा' के समापन समारोह को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने सभी से महात्मा गांधी से प्रेरणा लेने के लिए कहा, जिन्होंने अपने विरोधियों के लिए भी हमेशा विनम्र और सम्मानजनक भाषा का इस्तेमाल किया।उन्होंने कहा, "गांधी जी का अहिंसा का सिद्धांत केवल शारीरिक हिंसा तक ही सीमित नहीं था, बल्कि इसने अहिंसा को शब्दों और विचारों में भी सीमित कर दिया था।“ उन्होंने साथ ही कहा कि राजनीतिक दलों को एक दूसरे के साथ प्रतिद्वंद्वियों के तौर पर पेश आना चाहिए न कि दुश्मन के तौर पर।
"आज़ादी का अमृत महोत्सव" - भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के मनाया जा रहा 75 हफ्तेका एक उत्सव है जिसका शुभारंभ प्रधानमंत्रीश्री नरेन्द्र मोदी ने12 मार्च, 2021 को साबरमती आश्रम सेकिया था। यह उत्सव पिछले 75 साल में हुई भारत की तेज प्रगति का जश्न मनाता है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह एक उत्सव है जो हमें अपनी छिपी हुई शक्तियों को फिर से तलाशने के लिए प्रोत्साहित करता है और हमें राष्ट्रों की मंडली में अपनी सही जगह हासिल करने के लिए ईमानदार, सहयोगात्मक कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करता है।
श्री नायडू ने महात्मा गांधी की ऐतिहासिक दांडी नमक यात्रा को हमारे स्वतंत्रता संग्राम का एक क्रांतिकारी क्षण बताते हुए कहा कि इसने इतिहास की दिशा को बदल दिया। उन्होंने कहा, "दांडी यात्राजिसे हम आज प्रतीकात्मक रूप में फिर से देख रहे हैं, यह चुनौतियों के बीच एकजुट रहने की हमारे राष्ट्र की क्षमता को दर्शाता है।“उपराष्ट्रपति ने कहा कि विकास के पथ पर एक साथ चलने की इस क्षमता ने कई सकारात्मक नतीजे हासिल किए हैं और भविष्य में भी इस मार्ग का लगातार पालन करने की जरूरत पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि गांधीजी और सरदार पटेल जैसे महान नेताओं का संदेश हमें एक ऐसे भारत के निर्माण के लिए एक साथ काम करने की प्रेरणा प्रदान करता है जिसका हम सभी सपना देख रहे हैं। श्री नायडू ने कहा कि यह एक ऐसा भारत है जो अन्य देशों के साथ अपनी समृद्धि साझा करता है। उन्होंने कहा, "यह एक ऐसा देश है, जो संवैधानिक मूल्यों और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संजोता है और सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, के आदर्श वाक्य के अनुरूप लोगों के कल्याण की गहरी प्रतिबद्धता रखता है।"
उपराष्ट्रपति ने कहा कि कोरोनो विषाणु की महामारी हमारी दृढ़ता, उद्यम की भावना और नवाचार की परीक्षा साबित हुई। उन्होंने शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों और उद्यमियों की सराहना की जो पीपीई किट, सर्जिकल दस्ताने, फेस मास्क से लेकर वेंटिलेटर और टीके जैसी आवश्यक वस्तुओं का निर्माण करके एक आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर रहे हैं।
उन्होंने "वसुधैव कुटुम्बकम '(दुनिया एक परिवार है) की भावना पर जोर देते हुए कहा कि भारत दुनिया में सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान का चला रहा है और साथ हीदुनिया भर के कई देशों को भी टीके की आपूर्ति कर रहा है। उपराष्ट्रपति ने कहा, "यही वह अमृत है, वह अनन्त सार्वभौमिक दृष्टि है जो हमें विरासत में मिली है", और इस बात को लेकर संतुष्टि जतायी की कि इस मुश्किल समय में भी देश गांधीजी के नैतिक दर्शन का अनुसरण कर रहा है।
इस अवसर पर, श्री नायडू ने कोविड-19के कारण हुए लॉकडाउन से उपजी गंभीर चुनौतियों के बावजूद खाद्यान्नों के रिकॉर्ड उत्पादन के लिए कृषक समुदाय की सराहना की। उन्होंने किसानों को 'अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं' की संज्ञा दी जिन्होंने महत्वपूर्ण समय में हमारी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि ‘अमृत महोत्सव’ को एक पुनरुत्थानवादी, आत्मनिर्भर भारत के नवनिर्माण का नारा बुलंद करना चाहिए और अमृत महोत्सव का उद्देश्य स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को श्रद्धांजलि देना और उनके आदर्शों एवं मूल्यों के लिए खुद को समर्पित करना है। उन्होंने 25 दिनों में 385 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली इस स्वैच्छिक दांडी यात्रा में भाग लेने वाले 81 स्वयंसेवकों को बधाई दी। यह देखते हुए कि दांडी यात्रा (1930) में ज्यादातर प्रतिभागी 40 वर्ष से कम उम्र के थे, श्री नायडू ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में युवाओं और महिलाओं को आकर्षित करने के लिए नमक आंदोलन की भूमिका का उल्लेख किया।
उपराष्ट्रपति ने गांधी जी की स्वतंत्रता की अवधारणा पर विस्तार से चर्चा करते हुएकहा कि गांधीजी का मानना था कि राजनीतिक गुलामी से न केवल आर्थिक शोषण होता है बल्कि एक समाज भी सांस्कृतिक रूप से बर्बाद हो जाता है। इसलिएगांधीजी के सत्याग्रह का उद्देश्य केवल राजनैतिक स्वतंत्रता पाना नहीं था बल्कि राष्ट्र का नैतिक और सांस्कृतिक उत्थान करना भी था। श्री नायडू ने कहा कि गांधीजी ने हमेशा अस्पृश्यता उन्मूलन, सांप्रदायिक सद्भाव और 'स्वदेशी' जैसे मुद्दों को उठाया।
उन्होंने1931 में ‘यंग इंडिया’ में महात्मा गांधी द्वारा लिखे गए एक लेख का हवाला देते हुएकहा कि 'पूर्ण स्वराज' तब तक हासिल नहीं किया जा सकता जब तक कि गरीबों को वही सुविधाएं और अधिकार न मिलें जो अमीरों को उपलब्ध हैं। इसीलिए गांधी जी ने'नमक' जैसी रोजमर्रा की जरूरत को अपने सत्याग्रह का विषय बना दिया।
श्री नायडू ने पिछले 75 वर्षों में हुई प्रगति पर चर्चा करते हुए कहा कि इन वर्षों मेंहमने राष्ट्र की एकता और अखंडता को मजबूत किया है, लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सभी वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित की, खुद को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया, स्वास्थ्य सूचकांकों में सुधार किया और देश में भौतिक और इलेक्ट्रॉनिक बुनियादी ढांचे का निर्माण किया। उन्होंने इन उपलब्धियों को सराहनीय और गौरव के योग्य बताया।
इससे पहले दिन में, उपराष्ट्रपति ने प्रार्थना मंदिर में महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की और प्रतीकात्मक दांडी यात्रा में शामिल होने वाले लोगों के साथ बातचीत की। उन्होंने सैफी विला का भी दौरा किया जहां गांधीजी ने चार अप्रैल 1930 की रात बिताई थी। इसके बादश्री नायडू ने राष्ट्रीय नमक सत्याग्रह स्मारक का दौरा किया जो नमक सत्याग्रह के कार्यकर्ताओं और प्रतिभागियों के सम्मान में बनाया गया है।उन्होंने स्मारक की अपनी यात्रा को एक गहरा भावनात्मक अनुभव बताते हुए सभी स्वतंत्रता सेनानियों के लिए ऐसे स्मारक बनाने की जरूरत पर जोर दिया, जो युवा पीढ़ी को उनके आदर्शों पर चलने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने युवाओं से दांडी स्मारक का दौरा करने और राष्ट्रपिता के जीवन और संदेश से प्रेरणा लेने की अपील की।
कार्यक्रम के दौरान उपराष्ट्रपति ने गुजरात राज्य हस्तशिल्प विकास निगम के ज्योग्राफिकल इंडीकेशन (GI TAG) उत्पादोंसे जुड़े विशेष लिफाफे भी जारी किए। उन्होंने सिक्किम, छत्तीसगढ़ और गुजरात के लोक कलाकारों की शानदार सांस्कृतिक प्रस्तुतियों को भी देखा।
कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य लोगों में गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत,गुजरात के मुख्यमंत्रीश्री विजय रूपाणी, सिक्कम के मुख्यमंत्री श्री प्रेम सिंह तमांग, केंद्रीय पर्यटन और संस्कृतिराज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रह्लाद सिंह पटेल, गुजरात के उप मुख्यमंत्रीश्री नितिन पटेल, सांसद श्री सीआर पाटिल,उप राष्ट्रपति के सचिवश्री आई वी सुब्बाराव, साबरमती आश्रम ट्रस्ट के ट्रस्टी श्री सुदर्शन अयंगरऔर अन्य शामिल थे।
एमजी/एएम/पीके
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