जनजातीय कार्य मंत्रालय
ट्राइफेड ने माई जीओवी डॉट इन के सहयोग से "ट्राइब्स इंडिया का ब्रांड एंबेसडर बनें" और “ट्राइब्स इंडिया का दोस्त बनें”के नाम से दो प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं की शुरुआत की
Posted On:
03 APR 2021 11:19AM by PIB Delhi
जनजातीय मामलों के मंत्रालय के प्रशासकीय नियंत्रण वालीनोडल विपणन एजेंसी “भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास महासंघ” (ट्राइफेड) ने “ट्राइब्स इंडिया का एंबेसेडर बनें” और “ट्राइब्स इंडिया का दोस्त बनें” के नाम से दो दिलचस्प प्रतियोगिताओं की शुरुआत की है। सरकार और आम लोगों की सहभागिता को बढ़ावा देने के प्रयासों के तहत मंत्रालय की ओर से माईजीओवीडॉटइन के सहयोग से इसका आयोजन किया जा रहा है।
ये प्रतियोगिताएं जनजातीय पारंपरिक शिल्प, संस्कृति और जीवन शैली को बढ़ावा देने के एकमात्र उद्देश्य के साथ शुरु की गई हैं। इन नवीन प्रतियोगिताओं के माध्यम से जनजातीय विरासत, कला, शिल्प के बारे में आम लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जाएगा। उम्मीद की जाती है कि जनजातीय विरासत के बारे में अधिक जागरुक होने और ज्यादा जानकारी प्राप्त होने पर आम लोग अधिक से अधिक मात्रा में जनजातीय उत्पादों को खरीदेंगे और इसके माध्यम से समस्त जनजातीय समुदाय के सशक्तिकरण में योगदान दे सकेंगे।
“ट्राइब्स इंडिया का ब्रांड एंबेसडर बनें” प्रतियोगिता के तहत जनजातीय समुदाय के लोगों द्वारा बनाए गए किसी भी तरह के उत्पाद से संबधित लेखन सामग्री देशभर से आमंत्रित की गई है। ऐसे लेख प्रेषित करने वालों को इसमें जनजातीय उत्पादों के इस्तेमाल के बारे में अपने निजी अनुभवों के साथ ही ऐसे उत्पादों का समूचा विवरण भी देना होगा। उन्हें ऐसे उत्पाद किस दुकान और किस स्थान से खरीदे गए इसकी जानकारी भी देनी होगी। ये लेख 30 सेंकेंड से पांच मिनट तक की अवधि के लघु वीडियो फिल्म के रूप में होने चाहिएं।
प्रतियोगिता में प्रविष्टि के तौर पर भेजी जाने वाली लेखन सामग्री में जनजातीय उत्पादों जैसे पुरुषों या महिलाओं के परिधान, आभूषण, ऐसी ही अन्य छोटी सामग्रियां, पेंटिंग, धातु शिल्प, टेराकोटा और मिट्टी के बर्तन, सजावटी सामान, खाद्य और जैविक उत्पाद, बेंत और बांस की वस्तुएं, स्टेशनरी, फर्नीचर, घर का सामान और व्यंजनों को शामिल किया जा सकता है। ऐसी लेखन सामग्री को यू-ट्यूब पर अपलोड किए गए वीडियो लिंक के रूप में साझा करना होगा। यह प्रतियोगिता 14 मई,2021 तक चलेगी। प्रतियोगिता के लिए 50 प्रविष्टियों का चयन किया जाएगा और उन्हें पुरस्कार के तौर पर एक उपहार वाउचर दिया जाएगा जो सभी ट्राइब्स इंडिया शोरूम और ट्राइब्सइंडिया डॉट कॉम पर मान्य होगा। अधिक विवरण के लिए https://www.mygov.in/task/be-brand-ambassador-tribes-india/ पर संपर्क किया जा सकता है।
फरवरी में माई जीओवी के सहयोग से भारतीय संस्कृति पर आयोजित अपनी पहली प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता की सफलता से उत्साहित होकर ट्राइफेड ने “ट्राइब्स इंडिया को दोस्त बनें” के नाम से प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का दूसरा संस्करण 2 अप्रैल को जारी किया। यह 14 मई,2021 तक चलेगा। इसे माईजीओवी पोर्टल पर लाइव देखा जा सकता है। प्रतियोगिता में से 50 विजेताओं का चयन किया जाएगा। इन सभी को पुरस्कार स्वरूप उपहार वाउचर दिए जाएंगे जो ट्राइब्स इंडिया के सभी आउटलेट और ट्राइब्स इंडिया डॉट कॉम पर मान्य होंगे। प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए https://quiz.mygov.in/quiz/be-a-friend-of-tribes-india-2021/पर संपर्क किया जा सकता है।
जनजातीय समुदाय के लोगों की संख्या देश की आबादी में आठ प्रतिशत से अधिक है लेकिन इसके बावजूद वह समाज के वंचित वर्गों में से हैं। आम लोगों में यह एक गलत धारणा बनी हुई है कि जनजातीय लोग पिछड़े हुए हैं और उन्हें बहुत कुछ सिखाए जाने और उनकी मदद करने की जरुरत है। जबकि सच्चाई यह है कि जनजातीय लोग शहरों में बसने वालों को बहुत कुछ सिखाते हैं। उनकी नैसर्गिग सादगी और उनकी रचनाएं बेहद प्रभावित करने वाली हैं। उनके द्वारा बनाए जाने वाले नाना प्रकार के हस्तशिल्प और हथकरघा की वस्तुओं में हाथ से बुने हुए सूती, रेशमी कपड़े, ऊन, धातु शिल्प, टेराकोटा और मोतियों का काम शामिल हैं। इन पांरपरिक कलाओं को संरक्षित रखने और बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
जनजातीय मामलों के मंत्रालय के तहत नोडल एजेंसी के रूप में ट्राइफेड जनजातीय समुदाय के लोगों की जीवन शैली और परंपराओं के तौर तरीकों को संरक्षित करने के साथ ही उनकी आय और आजीविका में सुधार करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। ट्राइफेड ने देश भर में जनजातीय समुदाय की समृद्ध और विविध शिल्प, संस्कृति के साथ लोगों को परिचित कराने और उनके बेहतरीन उत्पादों के विपणन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की पहल भी की है। माई जीओवी के सहयोग से शुरू की गई ये पहल, स्थानीय उत्पादों पर जोर देने और स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा देने की प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अभिनव सोच पर आधारित आत्मनिर्भर भारत अभियान के अनुरूप है।
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