जनजातीय कार्य मंत्रालय
दिल्ली हाट के ट्राइब्स इंडिया-आदि महोत्सव में पूर्वोत्तर की झलक
सप्ताह के अंत में पारंपरिक हस्तकला कृतियों को प्रदर्शित करने के लिये एक फैशन शो का आयोजन किया जा रहा है
Posted On:
06 FEB 2021 11:43AM by PIB Delhi
200 से अधिक निराली जनजातियों का घर, पूर्वोत्तर देश के सबसे विविध और जीवंत क्षेत्रों में से एक है। यह आश्चर्य की बात नहीं है कि पूर्वोत्तर राज्यों के स्टॉल, उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला का प्रदर्शन करते हुए, दिल्ली हाट में इस समय जारी ट्राइब्स इंडिया-आदि महोत्सव में गौरव पूर्ण स्थान प्राप्त कर रहे हैं।
पूर्वोत्तर की जनजातियों की अपनी समृद्ध शिल्प परंपरा है, जो उनकी सहज प्राकृतिक सादगी, पार्थिवता और पहचान को प्रदर्शित करती है। इस समृद्ध परंपरा की एक झलक का यहां प्रदर्शन किया जा रहा है। सूती या ज़री से बनी बेहतर बोडो बुनाई हों; प्रसिद्ध रेशम वस्त्र, नगालैंड और मणिपुर से गर्म कपड़े और बुने हुए शॉल; या असम से सुंदर बांस की कारीगरी में, टोकरियाँ, बेंत की कुर्सियाँ, और पेन और लैम्प स्टैंड के रूप में, या समृद्ध जैविक प्राकृतिक उत्पाद में जो शहद, मसाले और जड़ी बूटियों जैसे उत्कृष्ट प्रतिरक्षण क्षमता बढाने के रूप में कार्य करते हैं; इस राष्ट्रीय महोत्सव में सब कुछ मिल सकता है।
बोडो महिला बुनकरों को इस क्षेत्र की सबसे बेहतरीन बुनकरों में से एक माना जाता है। इन बुनकरों को उनकी देसी बुनाई के लिए भी जाना जाता है। इन बुनकरों का कार्य पहले से चल रहे कपड़ों और दोखोना तक सीमित था, लेकिन अब उनकी उत्पाद श्रृंखला का विस्तार हुआ है। आप कुर्ते, कपड़े या ओढ़नी, शॉल, रैप-अराउंड स्किट, टॉप और कुर्ती तथा अन्य सामान प्राप्त कर सकते हैं। असम के मोगा रेशम से बनी साड़ियाँ, मेखला चादर, सुंदर कढ़ाई वाले ब्लाउज; बच्चों के लिए बुनी हुई टोपी, बूटियां और सिक्किम और मणिपुर के पाउच भी बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। पूर्वोत्तर के आदिवासी अभी भी पुराने बैक-स्ट्रैप हथकरघा का उपयोग करते हुए बुनाई करते हैं और आप इस तरह की सुंदर बुनाई का उपयोग करके तैयार किये गये दस्तकारी वाले जीवंत बैग, तकिया कवर और पाउच प्राप्त कर सकते हैं। बुनाई में उपयोग की गई डिजाइन प्रकृति से स्पष्ट रूप से प्रेरित हैं और उत्तम दर्जे का, टिकाऊ और आरामदायक हैं। एक अन्य मुख्य आकर्षण मणिपुर के लोंगपी के असाधारण गाँव में थोंग नागा जनजातियों द्वारा बनाए गए मिट्टी के बर्तन हैं। भूरे-काले बर्तन, कैतली, मग, कटोरे और ट्रे के साथ स्टॉल इस महोत्सव में अपनी अलग पहचान बना रहे हैं। इनके बारे में असाधारण बात यह है कि वे अपने मिट्टी के बर्तन बनाने में कुम्हार के चाक का उपयोग नहीं करते हैं, बल्कि मिट्टी के बर्तन को आकार देने के लिये हाथ से कुछ सांचों का उपयोग करते हैं।
आगंतुकों को चावल की विभिन्न किस्मों जैसे कि असम से जोहा चावल जैसे उच्च गुणवत्ता वाले जैविक खाद्य उत्पाद भी मिल सकते हैं। इनमें मणिपुर के काले चावल; दालों, मसालों जैसे सिक्किम से बड़ी इलायची, मेघालय से दालचीनी, मेघालय से प्रसिद्ध लाकाडांग हल्दी और प्रसिद्ध नागा मिर्च शामिल हैं।
इन सब के अलावा, आप पूर्वोत्तर के कुछ प्रामाणिक व्यंजनों के साथ-साथ आदिवासी व्यंजन का भी स्वाद ले सकते हैं।
पूर्वोत्तर के जन जातीय लोगों की जीवंत और अनोखी संस्कृति का अनुभव करने के लिए आदि महोत्सव की यात्रा एक अच्छा तरीका है।
आदि महोत्सव- आदिवासी शिल्प, संस्कृति और वाणिज्य की आत्मा का उत्सव, दिल्ली हाट, आई एन ए, नई दिल्ली में 15 फरवरी, 2020 तक सुबह 11 बजे से रात 9 बजे तक चल रहा है।
आगामी 6 और 7 फरवरी के सप्ताहांत में कुछ दिलचस्प कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं, जिसमें एक फैशन शो का आयोजन पारंपरिक हस्तकला कारीगर सुश्री रुमा देवी और प्रसिद्ध डिजाइनर सुश्री रीना ढाका की कृतियों के साथ किया गया है।
आदि महोत्सव एक वार्षिक कार्यक्रम है जिसे 2017 में शुरू किया गया था। यह महोत्सव, देश भर में आदिवासी समुदायों की समृद्ध और विविध शिल्प, संस्कृति के साथ लोगों को एक ही स्थान पर परिचित करने का एक प्रयास है। हालांकि, कोविड महामारी के कारण इस महोत्सव का 2020 संस्करण आयोजित नहीं किया जा सका।
पखवाड़े भर चलने वाले इस महोत्सव में 200 से अधिक स्टॉल के माध्यम से आदिवासी हस्तशिल्प, कला, चित्रकारी, कपड़े, आभूषणों की प्रदर्शनी के साथ-साथ बिक्री की भी सुविधा है। महोत्सव में देश भर से लगभग 1000 आदिवासी कारीगर और कलाकार भाग ले रहे हैं।
जन जातीय कार्य मंत्रालय के तहत, भारतीय आदिवासी सहकारी विपणन विकास संघ (टीआरआईएफईडी), जन जातीय सशक्तीकरण के लिए काम करने वाली प्रमुख संस्था के रूप में, कई पहलें कर रहा है जो आदिवासी लोगों की आय और आजीविका में सुधार करने में मदद करती हैं। इसके अलावा जन जातीय लोगों की जीवन संरक्षण और परंपरा को बचाने के लिये भी यह संस्था कार्य कर रही है। आदि महोत्सव एक ऐसी पहल है जो इन समुदायों के आर्थिक कल्याण को सक्षम करने और उन्हें विकास की मुख्यधारा के करीब लाने में मदद करती है।
आदि महोत्सव में जाएँ और आगे "वोकल फॉर लोकल यानी, स्थानीय उत्पाद के लिए मुखर" आंदोलन से जुड़ें और जन जातीय उत्पाद खरीदने के लिये आगे आएँ।
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