पंचायती राज मंत्रालय

वर्षांत समीक्षा 2020 – पंचायती राज मंत्रालय

Posted On: 08 JAN 2021 11:47AM by PIB Delhi

वर्ष 2020 के दौरान पंचायती राज मंत्रालय की प्रमुख बातें निम्नलिखित हैं :

  1. स्वामित्व (गांवों का सर्वेक्षण और ग्रामीण क्षेत्रों में उन्नत प्रौद्योगिकी के साथ मानचित्रण)

ग्रामीणों के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए केंद्र प्रायोजित योजना ‘स्वामित्व’ (गांवों का सर्वेक्षण और ग्रामीण क्षेत्रों में उन्नत प्रौद्योगिकी के साथ मानचित्रण) की शुरूआत प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 24 अप्रैल, 2020 को की। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीणक्षेत्रों में स्थित घरों मेंरहने वाले लोगों को ‘रिकॉर्ड ऑफ राइट्स’ उपलब्ध करवाना और संपत्तिधारकों को संपत्ति कार्ड प्रदान करना है।

इस योजना का प्रारंभिक चरण का कार्यान्वयन वित्तीय वर्ष 2020-21 में महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश के लगभग एक लाख गांवों में किया गया। इनके अलावा पंजाब और राजस्थान में 101 नियमित प्रचालन प्रणाली स्टेशन(सीओआरएस)स्टेशनों की स्थापना के साथ पंजाब और राजस्थान के कुछ सीमावर्ती गांवों को भी शामिल किया गया।इस प्रारंभिक चरण में चयनित सभी छह राज्यों में संपत्ति कार्ड/स्वामित्व विलेखका वितरण शुरू हो चुका है। साल 2023-24 तक बाकी सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में इस योजना को संचालित किया जाएगा।

  • नवंबर, 2020 तक 8,837 गांवों में ड्रोन से उड़ान पूरी हो चुकी है। इनमें 6,438 गांवों के लिए सर्वे डेटा की डेटा प्रोसेसिंग और 5,342 गांवों के लिए सुविधा निकासी का काम पूरा हो चुका है।छह चयनित राज्यों के 763 गांवों में स्थित लगभग एक लाख घरों के स्वामियों को संपत्ति कार्डों का भौतिक वितरण किया जा चुका है। इनका विवरण नीचे है :

क्रम संख्या

राज्य

संपत्ति कार्ड/स्वामित्व विलेख

गांव

संपत्ति कार्ड धारक

1।

हरियाणा

स्वामित्व विलेख

221

40,000

2।

कर्नाटक

ग्रामीण संपत्ति स्वामित्व रिकॉर्ड (आरपीओआर)

2

121

3।

मध्य प्रदेश

अधिकार अभिलेख

44

3,132

4।

महाराष्ट्र

सन्नद

100

14,000

5।

उत्तराखंड

स्वामित्व अभिलेख

50

6,587

6।

उत्तर प्रदेश

घरौनी

346

36,880

 

कुल

 

763

1,00,720

 

  1. -ग्राम स्वराज और ई-वित्तीय प्रबंधन प्रणाली

पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) में ई-शासन को मजबूत करने के लिए 24 अप्रैल, 2020 को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर पंचायती राज के लिए सरलीकृत कार्य आधारित अकाउंटिंग एप्लीकेशन ई-ग्राम स्वराज की शुरूआत की गई। इसे ई-पंचायत मिशन मोड प्रोजेक्ट (एमएमपी) के तहत सभी एप्लीकेशनों की कार्यक्षमताओं को मिलाकर विकसित किया गया है।

  • ई-ग्राम स्वराज पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) को अधिक से अधिक निधि प्रदान करने को लेकर पंचायतों की विश्वसनीयता बढ़ाने में सहायता करती है। यह विकेंद्रीकृत योजना, प्रगति संबंधित रिपोर्ट और कार्य-आधारित लेखांकन के माध्यम से बेहतर पारदर्शिता लाता है।इसके अलावा यह एप्लीकेशन उच्च प्राधिकरणों द्वारा प्रभावी निगरानी के लिए एक मंच उपलब्ध करवाता है।इस प्रयास में पंचायती राज मंत्रालय ने ई-वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (ई-एफएमएस) को शुरू किया है। इसमें स्थानीय सरकार निदेशिका (एलजीडी) के साथ पंचायत योजना, भौतिक प्रगति, वित्तीय प्रगति और संपत्ति प्रबंधन शामिल हैं। इसका काम सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस), विशेष योजना और जियोटैगिंग के साथ इस तरह की मजबूत प्रणाली के लिए आधार बनाना है।

ई-ग्राम स्वराज-पीएफएमएस इंटरफेस के साथ ई-ग्राम स्वराज को अपनाने संबंधी वर्तमान प्रगति के बारे में अधिक जानने के लिए यहां क्लिक करें

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  1. प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण
  • पंचायती राज मंत्रालय पक्ष समर्थन, निगरानी और संविधान के 73वें संशोधन के शासनादेश के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार है। मंत्रालय केंद्रीय प्रायोजित राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (आरजीएसए) के माध्यम से पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण की दिशा में राज्य सरकार के प्रयासों को आगे बढ़ाता है।
  • मंत्रालय ने आठ दिसंबर, 2020 तक 34 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के वार्षिक कार्य योजनाओं को मंजूरी दे दी है और 17 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों एवं कार्यान्वयन एजेंसियों को 324.42 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं।

साल 2020-21 के दौरान राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लिए कुछ बड़े गतिविधियों की मंजूरी की विस्तृत जानकारी के लिए यहां क्लिक करें

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  1. नागरिक योजना अभियान (पीपीसी) : सबकी योजना सबका विकास
  • 2018-19 और 2019-20 के दौरान पीपीसी में शामिल ग्राम पंचायतों, ग्राम सभाओं और अन्य हितधारकों के काफी संतोषजनक प्रदर्शन से प्रेरित होकर और ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) की निर्माण प्रक्रिया में भागीदारी एवं पारदर्शी कार्यों में स्थिरता प्रदान करने के लिए वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए जीपीडीपी तैयारी की प्रक्रिया पीपीसी 2020-21 के रूप में फिर से दो अक्टूबर, 2020 को शुरू हो चुकी है। आठ दिसंबर, 2020 को पीपीसी की स्थिति निम्नलिखित है :
  1. 1,62,155 (59.7 फीसदी) ग्राम सभा आयोजित
  2. 1,95,168 (78 फीसदी) ग्राम सभा अनुसूचित 
  • iii. 53,901 (19.9 फीसदी) सुविधा प्रदाताओं की प्रतिक्रिया प्राप्त
  • iv. सुविधा प्रदाताओं की प्रतिक्रिया के अनुसार 49,114 (18.1 फीसदी) जीपीडीपी को मंजूरी
  1. ई-ग्रामस्वराज पोर्टल पर 39 जीपीडीपी को अपलोड किया गया।
  • vi. 98 जीपीडीपी प्रक्रिया में हैं

 

5.ऑडिट ऑनलाइन : पंचायत खातों की ऑनलाइन लेखा परीक्षा

  • एक महत्वपूर्ण संस्थागत सुधार के रूप में मंत्रालय ने पंचायत खातों की ऑनलाइन लेखा परीक्षाओं के लिए 15 अप्रैल, 2020 को ऑडिट ऑनलाइन एप्लीकेशन को शुरू किया। ऑडिट ऑनलाइन न केवल लेखापरीक्षा करने बल्कि लेखापरीक्षा रिकॉर्ड को बनाए रखने की भी सुविधा देता है। इसके अलावा यह एप्लीकेशन लेखापरीक्षा पूछताछ, स्थानीय लेखापरीक्षा रिपोर्टों की मसौदा और लेखापरीक्षा पैरा की मसौदा आदि की प्रक्रिया को बेहतर बनाने की कोशिश भी करता है। ऑडिटऑनलाइन का एकमुख्य अनोखा पहलू यह है कि ये एक संपूर्ण विन्यास योग्य एप्लीकेशन है। इस एप्लीकेशन को राज्यों की लेखांकन प्रक्रिया प्रवाह के अनुरूप संशोधित/विन्यास किया जा सकता है, जिससे राज्य के लेखापरीक्षकों को ऑडिट ऑनलाइन के उपयोग से लेखापरीक्षाओं को आसानी से पूरा कर सकें।
  • इसकी शुरूआत के रूप में साल 2019-20 के लिए 14वें वित्त आयोग से संबंधित पंचायत खातों की लेखापरीक्षा करने का निर्णय लिया गया। इसके अनुसार राज्यों को सूचित किया गया कि कम से कम 20 फीसदी ग्राम पंचायतों की लेखापरीक्षा करना अनिवार्य है। पंचायतों के खाते का रखरखाव ई-ग्रामस्वराज (पहले की पीआरआईएसॉफ्ट-लेखा एमआईएस) पर किया जा रहा है। यह ई-पंचायत मिशन मोड प्रोजेक्ट के तहत विकसित एक कार्य आधारित लेखांकन सॉफ्टवेयर है। अधिकांश राज्यों ने ई-ग्रामस्वराज को अपनाया है और 14वें वित्त आयोग के तहत किए गए खर्चों का हिसाब-किताब रखते हैं। लगभग सभी राज्य 20 फीसदी ग्राम पंचायतों की लेखापरीक्षा के लिए ऑडिट ऑनलाइन का उपयोग कर रहे हैं। वहीं कुछ राज्यों जैसें; तेलंगाना (40 फीसदी) और उत्तर प्रदेश (100 फीसदी) ने 20 फीसदी से अधिक ग्राम पंचायतों की लेखापरीक्षा करने का निर्णय लिया है। सभी राज्यों को 31 दिसंबर, 2020 तक लेखापरीक्षा प्रक्रिया पूरी करने की जरूरत है। हालांकि अगले वर्ष (2021-22) से ऑडिट ऑनलाइन के उपयोग से 100 फीसदी ग्राम पंचायतों की लेखापरीक्षा होनी है।
  • ऑडिट ऑनलाइन के बारे में संबंधित प्राधिकरणों को शिक्षित करने के लिए राज्यों को कई ऑनलाइन प्रशिक्षण सत्र उपलब्ध करवाए गए हैं। इसके अलावा वीडियो ट्यूटोरियल्स (अंग्रेजी और हिंदी में) को भी विकसित कर राज्यों के साथ साझा किया गया।

ऑडिटऑनलाइन की वर्तमान स्थिति के बारे में और अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें

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  1. संपत्तियों की जियोटैगिंग
  • प्रभावी निगरानी के एक हिस्से के रूप में कार्यों की भौतिक प्रगति की क्षेत्र-स्तरीय निगरानी महत्वपूर्ण है। इसके अलावा तंत्र को मजबूत करने के लिए सहयोग के रूप में संपत्तियों की जियोटैगिंग (कार्य पूरा होने पर) भी महत्वपूर्ण है। इसके लिए मंत्रालय ने एक मोबाइल आधारित समाधान एमएक्शनसॉफ्ट विकसित किया है। यह उनकार्यों जो एक सपंत्ति के रूप सामने आते हैं, की जियोटैग्स (जीपीएस कॉर्डिनेट्स) के साथ तस्वीरें खींचने में मदद करती है। संपत्तियों की जियो-टैगिंग कम से कम तीन चरणों में पूरी की जाती है-  (i) कार्य शुरू होने से पहले (ii) कार्य के दौरान और (iii) कार्य पूरा होने पर।यह प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, जल संचयन, सूखे से बचाव, स्वच्छता, कृषि, चेकडैम्स और सिंचाई चैनलों आदि से संबंधित सभी कार्यों और संपत्तियों की बृहद् जानकारी उपलब्ध कराती है।नवंबर, 2020 तक14वें वित्त आयोग के अनुदान के माध्यम से संपत्तियों की लगभग 13,49,396 तस्वीरें (संचयी गिनती) खींची गईं। राज्यों ने 15वें वित्त आयोग के लिए भी जियोटैगिंग का काम शुरू कर दिया है। चालू वर्ष के दौरान 12 राज्यों में 13,624 तस्वीरें अपलोड की गई हैं।
  1. ग्राम पंचायत स्थानिक विकास योजना के लिए पहल
  • पंचायती राज मंत्रालय ने प्रारंभिक आधार पर ग्राम पंचायत स्थानिक विकास योजना के लिए पहल की है।यह पहल राष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठित आईआईटी एवं एनआईटी सहित 17 वास्तु-शास्त्र और इंजीनियरिंग संस्थानों की सहभागिता से 14 राज्यों की दो-दो ग्राम पंचायतों में शुरू की गई है। इन राज्यों मेंआंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल हैं।इस पहल को एक जुलाई, 2020 को पंचायती राज्य मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में आयोजित एक बैठक में शुरू की गई थी। इस बैठक में इन संस्थानों और राज्य सरकारों ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हिस्सा लिया था।
  • इस प्रारंभिक अध्ययन के लिए संबंधित संस्थान और राज्य सरकार के पंचायती राज विभाग के साथ परामर्श प्रक्रिया के माध्यम से कुल 34 ग्राम पंचायतों का चयन किया गया है। इस पहल में राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) और नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी) मंत्रालय के प्रौद्योगिकी साझेदार हैं।
  1. कोविड-19 महामारी से निपटने में पंचायतों की भूमिका
  • पंचायती राज मंत्रालय की सक्रिय सहायता के साथ देश की पंचायतों ने कोविड-19 महामारी के खिलाफ कई शमन/निवारक उपाय किए। देश में कोविड-19 महामारी की शुरूआती समय से ही पंचायतें विभिन्न निवारक और सुरक्षात्मक उपायों को करने में आगे रही हैं। इसका उल्लेख 24 अप्रैल, 2020 को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर ग्राम पंचायतों के चयनित सरपंचों के साथ प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की बातचीत के दौरान की गई।
  • पंचायतों ने कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए कई कदम उठाएं। इनमें ग्रामीण क्षेत्रों में आइसोलेशन केंद्रों की स्थापना, जागरूकता पैदा करने के लिए आईईसी सामाग्रियों को विकसित करना, गहन सफाई/विसंक्रमण उपाय, कोविड-19 प्रबंधन के लिए ग्रामीण स्वयंसेवकों को नियुक्त करना, सामाजिक दूरी को लागू करना, चिकित्सा शिविरों को आयोजित करना, गांव आने वाले नए लोगों का पता लगाना और उन्हें अलग रखना, जागरूकता पैदा करने के लिए डोर टू डोर अभियान, हाथ धोने के लिए अभियान, एसएचजी की भागीदारी से बड़े पैमाने पर मास्क निर्माण, वापस लौटने वाले प्रवासी मजदूरों के लिए वित्त आयोग और मनरेगा के कामों में लाभकारी रोजगार के प्रावधान आदि शामिल हैं।
  • चूंकि पंचायती राज संस्थानों स्थानीय जनता से बहुत नजदीकी से जुड़े हुए हैं और संदर्भ-विशिष्ठ स्थानीय परिस्थितियों को चलाने में बेहतर तरीके से समक्ष हैं, इसलिए पंचायती राज मंत्रालय ने पीआरआई की देशव्यापी नेटवर्क के माध्यम से स्वास्थ्य प्राधिकरणों के दिशानिर्देशों के पालन और अग्रिम मोर्चे पर तैनात स्वास्थ्यकर्मियों/कोरोना योद्धाओं के साथ सहयोग करने के लिए स्थानीय निवासियों से अपील की।
  1. ग्राम पंचायतों में अंतिम के प्राप्तकर्ताओं तक अन्य मंत्रालयों/विभागों की महत्वपूर्ण जानकारियों का प्रचार-प्रसार और पंचायती राज मंत्रालय की भूमिका  

पंचायती राज मंत्रालय राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए पंचायती राज संस्थानों विशेषकर ग्राम पंचायतों के लिए सूचना की जरूरतों का समर्थन, प्रोत्साहन और प्रबंध करता है। बड़ी संख्या में ग्राम पंचायतों को डिजिटल छाते के नीचे रखा गया है। डिजिटल बुनियादी ढांचे/डिजिटल बैकबोन के साथ-साथ मजबूत और उन्नत आईटी एवं ई-शासन बुनियादी ढांचे की उपलब्धता ग्राम पंचायतों के लिए अंतिम स्थान तक सुविधाओं की पहुंच प्रदान करने और सूचना के प्रसार के लिए वरदान साबित हुई है।

  1. ग्रामीण स्थानीय निकायों को वित्त आयोग के अनुदान
  • वित्तीय वर्ष 2020-21 की अवधि के लिए अपनी अंतरिम रिपोर्ट में 15वें वित्त आयोग ने ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) के लिए 60,750 करोड़ रुपये के अनुदानों की सिफारिश की है। वित्त आयोग अनुदानों के तहत आरएलबी के लिए यह अब तक की सबसे अधिक वार्षिक आवंटन है। इससे पहले 14वें वित्त आयोग ने संविधान के भाग नौ में आने वाले 26 राज्यों की ग्राम पंचायतों के लिए 2015-20 की अवधि के दौरान 2,00,292.20 करोड़ रुपये प्रदान करने की सिफारिश की थी।भाग नौ से बाहर वे क्षेत्र जहां पंचायतों का अस्तित्व नहीं है, उनके लिए 14वें वित्त आयोग के अनुदानों की सिफारिश नहीं की गई थी। अब 15वें वित्त आयोग ग्रांट-इन-एड को 28 राज्यों के गैर-भाग नौ राज्यों एवं पांचवीं और छठीं अनुसूचित क्षेत्रों के पारंपरिक निकायों सहित सभी स्तरीय पंचायतों में विकसित किया जाएगा।
  • अनुदान दो हिस्सों में प्रदान किए जाते हैं। ये हैं- बुनियादी (खुला) अनुदान (50 फीसदी) और बंद अनुदान (50 फीसदी)। बुनियादी अनुदान खुले होते हैं और आरएलबी द्वारा इसका उपयोग वेतन एवं अन्य स्थापना संबंधी खर्चों के अलावा स्थान विशेष पर अनुभव किए गए जरूरतों के लिए किए जा सकते हैं। वहीं, बंद अनुदानों को पेयजल आपूर्ति एवं स्वच्छता को लेकर राष्ट्रीय प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिए चिह्नित किए गए हैं।पंचायती राज मंत्रालय की सिफारिश के आधार पर आरएलबी के लिए बुनियादी (खुला) और बंद अनुदानों की पहली किस्त के रूप में 30,375 करोड़ रुपये राज्यों को जारी किए जा चुके हैं, जिससे बुनियादी सेवाओं के लिए ढांचे के निर्माण और ग्रामीण नागरिकों तक सेवाओं की पहुंच में वृद्धि में मदद मिलेगी।
  1. गरीब कल्याण रोजगार अभियान (जीकेआरए)
  • भारत सरकार ने कोविड-19 महामारी के प्रकोप की वजह से अपने पैतृक गांव में वापस लौटने वाले प्रवासी मजदूरों को लाभकारी रोजगार देने के लिए भारत सरकार ने छह राज्यों में जीकेआरए को शुरू किया था। ये राज्य हैं- बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश। इस अभियान के एक हिस्से के रूप में पंचायती राज मंत्रालय ने दो गतिविधियों की सुविधा प्रदान की। ये हैं- ग्राम पंचायत भवनों का निर्माण और केंद्रीय वित्तीय आयोग के अनुदानों के तहत कार्य।
  • गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत आने वाले 116 जिलों को ग्रामीण क्षेत्रों में ‘वित्त आयोग अनुदानोंके तहत कार्यों’ के लिए 9554.97 करोड़ रुपये(14वें वित्त आयोग के अनुदानों और 15वें वित्त आयोग के खुले एवं बंद अनुदानों में से शेष राशि) जारी किए गए। इसमें 5810.95 करोड़ रुपये (60.82 फीसदी)खर्च किए गए। इसके अलावा 22 अक्टूबर, 2020 को समाप्त हुई अभियान की अवधि के दौरान रोजगार के 2,82,45,660 व्यक्ति दिवस पैदा हुए।
  • इस अभियान के दौरान छह जीकेआरए राज्यों में कुल 1,347 नए ग्राम पंचायत(जीपी) भवनों को बनाने का काम पूरा हुआ।12,854ग्राम पंचायत भवनों के निर्माण कार्य अलग-अलग स्तरों पर हैं और रोजगार के 35,56,809व्यक्ति दिवस पैदा हुए।जीकेआरए के तहत ग्राम पंचायत भवनों के निर्माण के अलावा 2020-21 के दौरान राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (आरजीएसए) योजना के तहत नौ जीपी भवनों का निर्माण और 4480 जीपी भवनों की मरम्मत को मंजूरी मिली है।
  1. राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार 2020
  • बाधाओं और सीमाओं के बावजूद पूरे देश की पंचायतों में कई उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले हैं। इसे देखते हुए पंचायती राज मंत्रालय ने पंचायतों की योजनाओं के प्रोत्साहन तहत सेवाओं और सार्वजनिक वस्तुओं को उपलब्ध करवाने में  उनके अच्छे कामों को मान्यता देने के लिए साल 2011 से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले पंचायतों/राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को पुरस्कारों एवं वित्तीय प्रोत्साहनों के माध्यम से प्रोत्साहित कर रहा है। इन पुरस्कारों को प्रत्येक वर्ष 24 अप्रैल, को मनाए जाने वाले राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर दिया जाता है।
  • राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार 2020 विभिन्न श्रेणियों में दिए गए। इनमें दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार (28 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 213 पंचायतों को), नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार (27 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 27 ग्राम पंचायतों को), ग्राम पंचायत विकास योजना पुरस्कार (28 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 28 ग्राम पंचायतों को) बाल सुलभ ग्राम पंचायत पुरस्कार (30 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 30 ग्राम पंचायतों को) और ई-पंचायत पुरस्कार (आठ राज्यों को) हैं।
  • राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार 2021 (मूल्यांकन वर्ष 2019-20) के लिए राज्य सरकारों/केंद्रशासित प्रदेशों की प्रशासनों के द्वारा पंचायती राज संस्थानों की सभी तीन स्तरों के लिए चार श्रेणियों में ऑनलाइन नामांकन आमंत्रित किए गए हैं। ये चार श्रेणियां हैं- दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार, नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार, ग्राम पंचायत विकास योजना पुरस्कार और बाल सुलभ ग्राम पंचायत पुरस्कार।

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