विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

डीबीटी–बीआईआरएसी के सहयोग से जीडस कैडिला द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित डीएनए टीके के चरण III के नैदानिक ​​परीक्षणों की मंजूरी दी गई

Posted On: 03 JAN 2021 5:51PM by PIB Delhi

भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) द्वारा कोविड-19, जेडवाईकोव-डी के खिलाफ मैसर्स जीडस कैडिला द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित देश के पहले डीएनए टीके के चरण III के नैदानिक परीक्षणों की मंजूरी दी गई है। इस टीके को बीआईआरएसी और भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तत्वावधान में राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन (एनबीएम) द्वारा सहयोग प्रदान किया गया है।

 

जीडस कैडिला ने भारत में 1,000 से अधिक प्रतिभागियों में इस डीएनए टीके के चरण - I/II के नैदानिक परीक्षणों को पूरा किया है और इन परीक्षणों के अंतरिम आंकड़ों का संकेत यह है कि थोड़े अंतराल पर तीन खुराक लेने पर यह टीका सुरक्षित और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला है। इन अंतरिम आंकड़ों की समीक्षा करने वाली विषय विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर, डीसीजीआई ने 26,000 भारतीय प्रतिभागियों में इस टीके के चरण- III के नैदानिक परीक्षण करने की अनुमति दी है।

 

डीबीटी की सचिव एवं बीआईआरएसी की अध्यक्ष डॉ. रेणु स्वरूप ने इस अनुमति पर खुशी व्यक्त की और उम्मीद जताई कि यह टीका आगे भी सकारात्मक परिणाम देना जारी रखेगा। इस अवसर पर बोलते हुए, उन्होंने कहा, “भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने कोविड-19 के एक स्वदेशी टीके के त्वरित विकास की जरूरत को पूरा करने के लिए जीडस कैडिला के साथ भागीदारी की है। यह साझेदारी इस बात की मिसाल है कि सरकार का ध्यान इस तरह के शोध के प्रयासों का एक ऐसा इकोसिस्टम बनाने पर केंद्रित है, जो सामाजिक रूप से प्रासंगिक होने के साथ – साथ नए उत्पाद संबंधी नवाचार को पोषित और प्रोत्साहित भी करे। उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि “देश के पहले डीएनए टीका प्लेटफॉर्म की स्थापना आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और भारतीय वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में एक बड़ी छलांग है।”

 

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