जल शक्ति मंत्रालय
जल जीवन मिशन के अंतर्गत 278 लाख परिवारों को नल जल कनेक्शन उपलब्ध कराया गया
6 करोड़ से अधिक ग्रामीण घरों तक नल जल कनेक्शन पहुंचा
31 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण घरों को कवर किया
Posted On:
16 DEC 2020 3:43PM by PIB Delhi
जल जीवन मिशन के तहत 278 लाख घरों को नल जल कनेक्शन प्रदान किया गया है। 15 अगस्त, 2019 को इसकी घोषणा की गई थी। फिलहाल देश के 6.01 करोड़ ग्रामीण घरों में नल के माध्यम से अपने घरों में पीने योग्य पानी मिल रहा है। देश भर में 18 जिलों ने सभी घरों में नल जल कनेक्शन प्रदान किए हैं और हर घर में नल का जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राज्य एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। मंत्रालय की वेबसाइट (Https://ejalshakti.gov.in/jjmreport/JJMIndia.aspx) पर अभियान की प्रगति के बारे में जानकारी उपलब्ध है।
जल शक्ति मंत्रालय देश के प्रत्येक ग्रामीण घर में नल जल कनेक्शन के माध्यम से नियमित और दीर्घकालिक आधार पर निर्धारित गुणवत्ता के लिए पर्याप्त मात्रा में पीने योग्य पानी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राज्यों के साथ साझेदारी में जल जीवन मिशन को 2024 तक लागू करने में जुटा है।
मिशन के अस्तित्व में आने के बाद, राज्यों से आधारभूत डेटा के पुनर्मूल्यांकन कार्य का अनुरोध किया गया था, उसके अनुसार देश में 19.05 करोड़ ग्रामीण परिवार हैं, जिनमें से 3.23 करोड़ परिवारों को पहले ही नल जल कनेक्शन प्रदान किए गए थे। शेष 15.81 करोड़ घरों में नल जल कनेक्शन दिए जाने हैं। इस प्रकार, पहले से ही दिए गए कनेक्शनों की कार्यक्षमता सुनिश्चित करते हुए समयबद्ध तरीके से लगभग 16 करोड़ परिवारों को कवर करने का लक्ष्य है। इसका मतलब है कि हर साल लगभग 3.2 करोड़ परिवारों को कवर किया जाना है, यानी दैनिक आधार पर 88,000 नल जल कनेक्शन प्रदान किए जाने हैं। इस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, राज्य / केन्द्र शासित प्रदेश ग्रामीण क्षेत्रों में नल जल कनेक्शन प्रदान करने के लिए सभी प्रयास कर रहे हैं।
2020-21 में, जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के लिए 23,500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसके अलावा, 2020-21 में, ग्रामीण स्थानीय निकायों को 15वें वित्त आयोग का 50 प्रतिशत अनुदान, यानी 30,375 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जा रहा है, जिसका उपयोग जलापूर्ति और स्वच्छता के लिए किया जाएगा। इससे गांवों में पेयजल आपूर्ति प्रणालियों के बेहतर नियोजन, कार्यान्वयन, प्रबंधन, संचालन और रखरखाव में मदद मिलेगी, ताकि लोगों को नियमित और दीर्घकालिक आधार पर पीने योग्य पानी मिलता रहे।
यह मिशन संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, गैर-सरकारी संगठनों / सीबीओ, सीएसआर संगठनों, ट्रस्टों, प्रतिष्ठानों आदि सहित प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों से साझेदारी कायम कर रहा है। सरकार को उम्मीद है कि जल एक जन आंदोलन में बदल जाएगा और सभी के लिए एक सुविधा के साथ ही एक बदलाव साबित होगा, जिसे केवल सार्वजनिक क्षेत्र की जिम्मेदारी के रूप में देखा गया है।
विभिन्न राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों ने 2024 से पहले मिशन के लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रतिबद्धता दर्शायी है। गोवा ने पहले ही सभी घरों में नल जल आपूर्ति सुनिश्चित कर ली है। 2021 में, बिहार, पुद्दुचेरी और तेलंगाना ने सभी घरों में नल का जल कनेक्शन प्रदान करने की योजना बनाई है। इसी प्रकार, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, मेघालय, पंजाब, सिक्किम राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों ने 2022 के लिए योजना बनाई है। कर्नाटक, अरुणाचल प्रदेश, केरल, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़ ने 2023 में 100 प्रतिशत कवरेज की योजना बनाई है। असम, आंध्र प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने 2024 के लिए योजना बनाई है।
मिशन का उद्देश्य व्यापक कवरेज है और 'इक्विटी और समावेश' के सिद्धांत पर जोर दिया गया है, यानी गांव के प्रत्येक परिवार को अपने घर में नल जल कनेक्शन मिले और 'कोई भी पीछे नहीं रहे। इसके अनुसार, राज्य अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के बहुसंख्यक आबादी वाले गांवों, महत्वकांक्षी जिलों, सूखे की आशंका वाले इलाकों और रेगिस्तानी इलाकों और गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्रों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
जल गुणवत्ता प्रभावित बस्तियों में पीने योग्य पानी की आपूर्ति जल जीवन मिशन के तहत एक सर्वोच्च प्राथमिकता है। राज्यों को दिसंबर, 2020 से पहले आर्सेनिक और फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों के सभी घरों में पाइप द्वारा जलापूर्ति सुनिश्चित करनी है।
विकेंद्रीकृत कार्यक्रम होने के नाते, ग्राम पंचायत की उप-समिति के रूप में ग्राम जल और स्वच्छता समितियों (वीडब्ल्यूएससी)/ पानी समिति, ग्रामीण स्तर पर न्यूनतम 50 प्रतिशत महिला सदस्यों के साथ बनाई जा रही है, जो जल-स्रोतों के विकास, आपूर्ति, ग्रे-वाटर प्रबंधन और संचालन और रखरखाव पर विचार करते हुए 5 वर्षीय ग्राम कार्य योजना (वीएपी) तैयार करने के लिए जिम्मेदार है। जल जीवन मिशन का उद्देश्य ग्राम पंचायत और / या इसके उप-समितियों के सदस्यों की क्षमता निर्माण है, जो ग्राम स्तर पर उत्तरदायी' और 'जिम्मेदार' नेतृत्व का विकास करते हैं, जो गाँव की जल आपूर्ति अवसंरचना का प्रबंधन, योजना, संचालन और रख-रखाव कर सकते हैं।
जल जीवन मिशन के तहत, निम्नतम स्तर अर्थात् ग्राम / ग्राम पंचायत में स्रोत के सुदृढ़ीकरण, अभिसरण योजना, महात्मा गांधी नरेगा, जल संचयन, जलभराव पुनर्भरण, जल उपचार और धूसर जल प्रबंधन इत्यादि पर बल दिया जाता है। पंचायती राज संस्थाओं के लिए 15वें वित्त आयोग से प्राप्त अनुदान, एसबीएम (जी), जिला खनिज विकास कोष, सीएसआर निधि, स्थानीय क्षेत्र विकास निधि इत्यादि के लिए अनुदान से संसाधनों के विकास के लिए व्यय की जाती है।
ग्रामीणों को चिनाई, प्लंबिंग, बिजली के पहलुओं, मोटर-मरम्मत, आदि के बारे में जानकारी देकर भी मिशन के तहत प्रोत्साहन दिया जाता है, ताकि ग्रामीण स्तर पर मानव संसाधन को प्रशिक्षित किया जा सके।
पेयजल परीक्षण प्रयोगशालाओं के माध्यम से आपूर्ति किए गए पानी की गुणवत्ता की निगरानी एक महत्वपूर्ण पहलू है और इन प्रयोगशालाओं को सशक्त करने और उन्हें एनएबीएल द्वारा मान्यता दिलाने पर बहुत जोर दिया जाता है। राज्यों की ओर से आम जनता के लिए पानी की गुणवत्ता प्रयोगशाला सुविधाएं स्थापित की जाएंगी, ताकि किसी गांव की एक महिला भी अपने घर में आपूर्ति किए जाने वाले पानी की गुणवत्ता का परीक्षण कर सकें।
पानी की आपूर्ति की गुणवत्ता के लिए समुदायों को निगरानी करने में सक्षम बनाया जा रहा है, जिसके लिए गांवों में पांच ग्रामीणों को प्रशिक्षित करके, विशेषकर महिलाओं को प्रोत्साहित किया जाता है, ताकि गांवों में आपूर्ति किए जाने वाले पानी का स्थानीय स्तर पर परीक्षण किया जा सके। विचार यह है कि इसे पीने योग्य आपूर्ति की एक विश्वसनीय और भरोसेमंद व्यवस्था बनाया जाए।
वित्तीय समावेशन, मकान, सड़क, स्वच्छ ईंधन, बिजली, शौचालय जैसी सुविधाएं प्रदान करके, प्रधानमंत्री द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन-यापन में सुगमता सुनिश्चित करने की अपील के साथ-साथ, जल जीवन मिशन प्रत्येक ग्रामीण घरों में पीने का पानी उपलब्ध करा रहा है, जिससे ग्रामीण आबादी के जीवन में सुधार के लिए एक लंबा रास्ता तय हो सकेगा। यह मिशन उन महिलाओं और लड़कियों के कठिन परिश्रम को भी कम करेगा, जिन पर पानी लाने की प्राथमिक जिम्मेदारी निहित है।
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