Posted On:
02 DEC 2020 6:59PM by PIB Delhi
उपराष्ट्रपति, श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज कोविड-19 महामारी के कारण अपनी जनसंख्या की देखभाल करने में व्यापक चुनौतियों के बावजूद भारत द्वारा अन्य जरूरतमंद देशों की मदद करने पर प्रसन्नता जताई। उन्होंने कहा कि इस मुश्किल वक्त में भी भारत उन देशों की सहायता करना नहीं भूला, जिन्हें हमारे देश में बनने वाले दवा जैसे उत्पादों से मदद की जरूरत थी।
उपराष्ट्रपति ने वर्चुअल माध्यम से विश्व मामलों की भारतीय परिषद (आईसीडब्लूए) की गवर्निंग काउंसिल की 18वीं बैठक को संबोधित किया। आईसीडब्लूए के अध्यक्ष के रूप में अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में, श्री नायडू ने कहा कि महामारी से संघर्ष के वैश्विक प्रयास में भारत सामने से नेतृत्व कर रहा है। उन्होंने कहा, “हम वैक्सीन विकसित करने के शोध प्रयासों में अग्रिम पंक्ति में खड़े हैं और बहुत जल्द अच्छी खबर आने की उम्मीद है।”
उपराष्ट्रपति का मानना था कि महामारी के दौरान आम भारतीयों के जीवन के लिए अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और विदेश नीति की भूमिका और प्रासंगिकता पर जबरदस्त ढंग से दोबारा जोर दिया गया है। श्री नायडू ने वंदे भारत मिशन का विशेष रूप से उल्लेख किया, जिसने विदेश में रहने और काम करने वाले भारतीय नागरिकों को अपने देश वापस लौटने में सक्षम बनाया। उन्होंने इस वृहद काम को पूरी कुशलता के साथ करने के लिए संबंधित विभागों और एजेंसियों की भी सराहना की। वह चाहते थे कि आईसीडब्लूए ऐसी और भी जनकेंद्रित गतिविधियां करे और देश भर में अब तक के अनछुए दर्शकों तक पहुंचे।
यह देखते हुए कि कोविड-19 महामारी ने शायद ही किसी देश को प्रभावित न किया हो, उपराष्ट्रपति ने कहा कि इसने समाजों और अर्थव्यवस्थाओं पर अलग-अलग ढंग से असर डाला है। यह कहते हुए कि महामारी ने देशों में सबसे अच्छे और सबसे खराब हालात पैदा किए हैं, श्री वेंकैया नायडू ने आगे कहा, “जबकि ज्यादातर (देशों) ने सहयोगपूर्ण संबंध की भावना दिखाई है, कुछ ने अपने संकीर्ण हितों की पूर्ति के लिए खुद को अलग-थलग कर रखा है।”
परिषद की ओर से महामारी के क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभावों, वैश्विक संबंध जैसे मामलों में इसके असर अध्ययन और विश्लेषण पर ध्यान दिए जाने का उल्लेख करते हुए श्री नायडू ने कहा कि “बीते आठ महीनों में आए इन व्यापक परिवर्तनों और विस्थापनों ने परिषद के शोध कार्य में नए पक्षों को जोड़ा है।”
उपराष्ट्रपति ने प्रसन्नता जताई कि आईसीडब्लूए ने महामारी के दौरान डिजिटल प्लेटफॉर्म का भरपूर उपयोग किया है और इस दौरान 50 से अधिक ऑनलाइन कार्यक्रमों और समारोहों का आयोजन किया है, जिसमें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार व सम्मेलन, विदेशी समकक्षों के साथ अनौपचारिक वार्ता बैठकें, क्षेत्रीय और वैश्विक बैठकों में भागीदारी, और वर्चुअल माध्यम से भारतीय व वैश्विक साझेदारों के साथ समझौता पत्रों पर हस्ताक्षर करना शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इसने परिषद को भारत में विदेशी मामलों के एक प्रमुख थिंक टैंक के रूप में अपनी प्रतिष्ठा को बनाए रखने और उसे मजबूत करने में मदद की है।
उन्होंने अफ्रीकी देशों पर बीते साल आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में दिए गए अपने सुझावों के अनुरूप अफ्रीकी देशों के नीति निर्माताओं और विद्वानों के साथ वर्चुअल माध्यम से दो दिवसीय परामर्श आयोजित करने पर संतोष जताया।
उन्होंने विभिन्न गतिविधियों के जरिए विशेषज्ञों और आम जनता दोनों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए आईसीडब्लूए की सराहना की और परिषद का मार्गदर्शन करने के लिए विदेश मंत्रालय की भी प्रशंसा की।
बैठक में मौजूद रहे विदेश मंत्री और आईसीडब्लूए के उपाध्यक्ष डॉ. एस जयशंकर ने भारतीय विश्वविद्यालयों में क्षेत्र विशेष के अध्ययन के विकास पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने की अपील की। उन्होंने जोर देकर कहा कि विभिन्न देशों और भौगोलिक क्षेत्रों के सामाजिक-राजनीतिक, आर्थिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भों के बारे में भारतीय विद्वानों की मजबूत समझ न केवल अंतरराष्ट्रीय मामलों और विदेश नीति में ज्ञान पैदा करने, बल्कि मजबूत नीति निर्माण के लिए भी जरूरी है। डॉ. राजीव कुमार, उपाध्यक्ष, नीति अयोग और उपाध्यक्ष, आईसीडब्लूए ने विदेश मंत्री की बातों से सहमति जताई और सुझाव दिया कि आईसीडब्लूए सभी संबंधित संस्थाओं यानी नीति आयोग, विदेश मंत्रालय, एचआरडी, यूजीसी के साथ एक बैठक बुला सकता है और गवर्निंग बॉडी (जीबी)/गवर्निंग काउंसिल (जीसी) की एक विशेष बैठक के लिए एक रिपोर्ट पेश कर सकता है। माननीय उपराष्ट्रपति ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी और आईसीडब्लूए से आगे बढ़ने के लिए कहा।
आईसीडब्लूए के अध्यक्ष के रूप में श्री नायडू की परिषद की यह तीसरी बैठक थी। इसके पहले दिन उन्होंने आईसीडब्लूए की गवर्निंग बॉडी की 19वीं बैठक की भी अध्यक्षता की थी।
वर्चुअल माध्यम से हुई इस बैठक में परिषद के तीनों उपाध्यक्ष - डॉ. एस जयशंकर, विदेश मंत्री, श्री पी. पी. चौधरी, अध्यक्ष, विदेश मामलों की स्थायी समिति, और डॉ. राजीव कुमार, उपाध्यक्ष, नीति आयोग शामिल हुए। उपराष्ट्रपति के सचिव श्री आई. वी. सुब्बाराव, आईसीडब्ल्यूए के महानिदेशक डॉ. टी. सी. ए. राघवन भी गवर्निंग काउंसिल के सदस्यों के साथ बैठक में शामिल हुए, जिसमें संसद के कई सदस्य भी शामिल थे।
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