विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं IITR, NBRI एवं CSIO और भारतीय मौसम विभाग में आयोजित हुआ भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव का करतें रेजर (Curtain Raiser) समारोह

Posted On: 29 NOV 2020 3:13PM by PIB Delhi

इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल (आईआईएसएफ़) एक अनूठा संयोजन है। इसमें संगोष्ठियाँ, कार्यशालाएं, प्रदर्शनी, चर्चाएं एवं वाद-विवाद के साथ – साथ व्यावहारिक व क्रियाशील ज्ञान प्रदर्शन, विशेषज्ञों से संवाद तथा  वैज्ञानिक थिएटर, संगीत तथा कविता सहित ऐसे कार्यों के  विभिन्न संवादात्मक रूप सम्मिलित हैं। इस वर्ष यह महोत्सव विश्व प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की जयंती  22 दिसंबर, 2020 से प्रारंभ हो रहा है एवं देश के पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन 25 दिसंबर, 2020 को संपन्न होगा। इन  दोनों महान व्यक्तित्व का दृढ़ विश्वास था कि विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी सदैव राष्ट्र की प्रगति के मूल विषय होंगे।

सीएसआईआर–भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-आईआईटीआर) में आयोजित आईआईएसएफ़ - 2020 के प्रथम समारोह में डॉ. शेखर सी. मांडे, महानिदेशक, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद एवं सचिव, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर), तथा अध्यक्ष, आईआईएसएफ 2020 संचालन समिति, ने आधार व्याख्यान देते हुए कहा कि यह एक बहुप्रतीक्षित वार्षिक आयोजन है तथा  कोविड -19 वैश्विक महामारी के कारण लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद, यह आयोजन स्वयं ही सभी हितधारकों में वैज्ञानिक स्वभाव के पोषण एवं  जश्न की अदम्य भावना को दर्शाता है। उन्होंने आगे कहा कि आईआईएसएफ़ - 2020 के थीम - "आत्मनिर्भर भारत एवं विश्व कल्याण हेतु विज्ञान" से विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवप्रवर्तन की भूमिका पर विचार-विमर्श करने की आशा की जाती है ताकि एक आत्मनिर्भर  भारत का निर्माण किया जा सके और वैश्विक समस्याओं का समाधान भी हो सके।

    

श्रीमती नीलिमा कटियार, माननीय राज्य मंत्री, उच्च शिक्षा,  विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी, उत्तर प्रदेश सरकार इस समारोह की मुख्य अतिथि तथा  श्रीमती संयुक्ता भाटिया, माननीय महापौर, लखनऊ इस समारोह में विशिष्ट अतिथि थीं ।

     इससे पहले, प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए, सीएसआईआर-आईआईटीआर के निदेशक डॉ. सरोज के. बारिक ने कहा कि यह समारोह युवा वैज्ञानिकों हेतु  बातचीत करने, विचारों को साझा करने और अधिक से अधिक वैश्विक लाभों के लिए सहयोग करने हेतु अवसर है।

 

 

     श्री जयंत सहस्रबुद्धे,  राष्ट्रीय आयोजन मंत्री , विज्ञान भारती एवं श्रेयांश मंडलोई, आयोजन मंत्री, अवध प्रांत विज्ञान भारती ने भी ऑनलाइन माध्यम से प्रतिभागियों के साथ बातचीत की और स्कूलों और कॉलेजों से बड़ी संख्या में इसमें प्रतिभागिता करने तथा हमारे दैनिक जीवन में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की आंतरिक भूमिका को समझने हेतु आईआईएसएफ़ मंच का उपयोग करने का आग्रह किया।

सीएसआईआर की लखनऊ स्थित प्रयोगशाला राष्ट्रीय वानस्पतिक अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई) में एमएसटीम्स प्लेटफार्म के जरिये आनलाइन करतें रेजर का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में, एनबीआरआई के निदेशक डॉ. एस.के. बारीक ने आरंभिक संबोधन किया और विज्ञान भारती अवध प्रान्त के आयोजक सचिव श्री श्रेयांश मंडलोई ने आईआईएसएफ के महत्व को लेकर व्याख्यान दिया। इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. शेखर सी. मांडे, सचिव, डीएसआईआर, भारत सरकार और महानिदेशक, सीएसआईआर ने आईआईएसएफ 2020 के विषय तथा इसके प्रमुख इवेंट्स पर अपना व्याख्यान दिया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे उत्तर प्रदेश सरकार के माननीय मंत्री श्री ब्रिजेश पाठक।

सीएसआईआर-केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संतान, चंडीगढ़ में भी 28 नवंबर 2020 को आईआईएसएफ का कर्टेन रेजर आयोजित किया गया। आईसीएआर, नई दिल्ली के डॉ. सुरेश कुमार चौधरी इस वर्चुअल कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। डॉ. नागेन्द्र प्रभु, एसोसिएट प्रोफेसर, एस.डी. कालेज, एलेप्पी (केरल) और डॉ. ब्रजेन्द्र परमार, प्रधान वैज्ञानिक, आईसीएआर-इंडियन इंस्टीट्यूट आफ राइस रिसर्च, हैदराबाद ने मुख्य व्याख्यान दिए। यह कार्यक्रम “सतत् कृषि और पर्यावरण” केंद्रीय विषयवस्तु पर आयोजित किया गया था।

 

 

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, आईआईएसएफ का एक प्रमुख भागीदार है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने 28 नवंबर 2020 को यूट्यूब चैनल के माध्यम से आईआईएसएफ का कर्टेन रेजर आयोजित किया। इस कार्यक्रम में आईएमडी के प्रमुख डॉ. एम. महोपात्र ने आरंभिक व्याख्यान प्रस्तुत किया। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव डॉ. शैलेश नायक इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे। कार्यक्रम का विषय “आत्मनिर्भर भारत और विश्व कल्याण के लिए मौसम और जलवायु सेवाएं” था। इस कार्यक्रम के अन्य वक्ताओं में प्रमुख थे डॉ. साथी देवी, डॉ. डीएस पाई, डॉ. आर.के. जेनामनी, श्री के.एन. मोहन, डॉ. ए.के. मित्रा, डॉ. एस.डी. अत्री, डॉ. अशोक कुमार दास और डॉ. आर.के. गिरी।

 

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