स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय

कोविड महामारी और भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन का 14 सितम्बर 2020 को लोकसभा और राज्यसभा में स्वतः संज्ञान वक्तव्य

Posted On: 14 SEP 2020 12:20PM by PIB Delhi

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन द्वारा लोकसभा और राज्यसभा में कोविड महामारी के आलोक में भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में आज दिए गए बयान का पूरा व्याख्यान इस प्रकार है:

1. मैंने संसद को पहले भी 2 अवसरों पर एक बार फरवरी में और दोबारा इस साल मार्च में कोविड महामारी के बारे में बताया था। मैं फिर से माननीय सदस्यों को कोविड-19 महामारी की वर्तमान स्थिति और भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी देना चाहूंगा।

2. मेरे अंतिम संबोधन के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोविड-19 को महामारी घोषित किया और सभी देशों से इस सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के खिलाफ तत्काल और त्वरित कार्रवाई करने को कहा।

3. 11 सितम्बर 2020 तक दुनिया भर में 215 देश और प्रान्त इस महामारी से प्रभावित हुए हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, दुनिया भर में 9 लाख 5 हज़ार से अधिक मौतों के साथ 2 करोड़ 79 लाख से अधिक पुष्ट मामले हैं। कोरोना के मामलों में मृत्यु दर 3.2 प्रतिशत है।

4. भारत में 11 सितम्बर 2020 तक कुल 45 लाख 62 हज़ार 414 मामलों की पुष्टि की गई और 76,271 लोगों की मौत हुई तथा मृत्यु दर 1.67 प्रतिशत है। अब तक 35 लाख 42 हज़ार 663 (77.65 प्रतिशत) मरीज़ स्वस्थ हो चुके हैं। संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले और मौतें मुख्य रूप से महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, बिहार, तेलंगाना, ओडिशा, असम, केरल और गुजरात में हुई हैं। इन सभी राज्यों में एक लाख से अधिक मामले सामने आए हैं। कोविड-19 के प्रबंधन में सरकार और पूरे सामाजिक सहयोग के हमारे मिले-जुले प्रयासों से, भारत संक्रमण के मामलों और इससे होने वाली मौतों की संख्या सीमित करने में सक्षम रहा है। भारत में प्रति 10 लाख की आबादी पर 3 हज़ार 328 मामले सामने आये, वहीं प्रति 10 लाख की आबादी पर 55 मौते हुई हैं, जो कि दुनिया में समान रूप से प्रभावित देशों की तुलना में सबसे न्यूनतम में से एक है।

5. महामारी विज्ञान के कई मापदंडों जैसे कि संचरण की विधि, उपनैदानिक संक्रमण, वायरस की अवधि और रोग प्रतिरोधक क्षमता की भूमिका आदि पर अभी भी शोध किए जा रहे हैं। एक बार जब कोई व्यक्ति किसी संक्रमण के संपर्क में आता है, तो बीमारी 1 से 14 दिनों के बीच कभी भी विकसित हो सकती है। कोविड के मुख्य लक्षण बुखार, खांसी और सांस लेने में कठिनाई हैं। हमारे देश में लगभग 92 प्रतिशत मामलों में हल्के संक्रमण होने की सूचना है। वहीं मात्र केवल 5.8 प्रतिशत रोगियों को ऑक्सीजन थैरेपी की ज़रूरत होती है, जबकि 1.7 प्रतिशत मामलों में यह बीमारी काफी गंभीर हो सकती है जिन्हें गहन देखभाल की आवश्यकता पड़ती है।

 

6. भारत में इस प्रकोप की बढ़ती हुई तीव्रता ने समय रहते बचाव, सक्रियता, श्रेणीबद्ध, पूर्ण सरकार, समाज आधारित दृष्टिकोण के लिए आह्वान किया और संक्रमण को रोकने, जीवन को बचाने एवं महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए एक व्यापक रणनीति बनायी।

7. भारत सरकार ने उच्चतम स्तर की राजनीतिक प्रतिबद्धता के साथ कोविड-19 को चुनौती दी है। राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन, सरकार द्वारा लिया गया एक साहसिक निर्णय था, जिसकी शुरुआत माननीय प्रधानमंत्री के आह्वान पर विशाल जनसमूह द्वारा स्वयं लगाए गए जनता कर्फ्यू के माध्यम से हुई थी। इससे यह साबित होता है कि भारत, कोविड-19 का प्रबंधन करने के लिए सामूहिक रूप से खड़ा हुआ है और देश ने कोविड की तीव्रता को सफलतापूर्वक सीमित किया है। यह अनुमान लगाया गया है कि इस फैसले से लगभग 14-29 लाख संक्रमण के मामले और 37- 78 हजार मौतें कम करने में सफलता मिली है। इसके अलावा, इन चार महीनों का उपयोग अतिरिक्त स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को बनाने, मानव संसाधन बढ़ाने और भारत के लिए आवश्यक व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण- पीपीई, एन-95 मास्क और वेंटिलेटर बनाने के लिए किया गया। मार्च 2020 की तुलना में अब समर्पित आइसोलेशन बिस्तरों की संख्या में 36.3 गुना वृद्धि और समर्पित आईसीयू बिस्तरों की संख्या 24.6 गुना से अधिक हो चुकी है। उस समय अपेक्षित मानकों के पीपीई का कोई स्वदेशी विनिर्माता नहीं था, अब हम इसका बड़े पैमाने पर निर्माण करने और साथ ही निर्यात करने में भी सक्षम हैं। मैं इस अवसर पर हमारे देशवासियों की ओर से माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को बधाई देता हूं। जो व्यक्तिगत रूप से लगातार स्थिति पर निगरानी रखते हैं और हमें अपना नेतृत्व प्रदान करते हैं।

8. भारत सरकार ने इस संक्रमण को रोकने और इसे सीमित करने के लिए अनेक प्रक्रियाएं शुरू की हैं। मैं रोजाना स्थिति की समीक्षा कर रहा हूं। माननीय प्रधानमंत्री ने स्वयं सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों तथा सभी हितधारकों के साथ नियमित रूप से मुद्दों को समझने और प्रभावी कोविड प्रबंधन में राज्यों के साथ सहयोग करने के लिए बातचीत की है। मेरी अध्यक्षता में मंत्रियों के समूह में विदेश मंत्री, नागरिक उड्डयन मंत्री और गृह राज्य मंत्री, जहाजरानी राज्य मंत्री तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री ने 3 फरवरी, 2020 से लेकर अब तक 20 बार बैठकें की हैं। कैबिनेट सचिव के अधीन सचिवों की समिति ने स्वास्थ्य, रक्षा, विदेश मंत्रालय, नागरिक उड्डयन, गृह, कपड़ा, फार्मा, वाणिज्य और राज्य के मुख्य सचिव सहित अन्य अधिकारियों के सभी संबंधित मंत्रालयों के साथ नियमित रूप से समीक्षा की है।

माननीय प्रधानमंत्री के समग्र मार्गदर्शन में गृह मंत्रालय ने भारत में कोविड-19 प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर 29 मार्च 2020 को 11 अधिकार प्राप्त समूहों का गठन किया है। (i) चिकित्सा आपातकालीन योजना, (ii) अस्पतालों की उपलब्धता, आइसोलेशन (अलगाव) और क्वारंटीन (संगरोध सुविधा), बीमारी से संबंधित मुद्दों की निगरानी और परीक्षण, (iii) आवश्यक चिकित्सा उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करना, (iv) मानव संसाधन और क्षमता निर्माण में वृद्धि, (v) आपूर्ति श्रृंखला और रसद प्रबंधन, (vi) निजी क्षेत्र के साथ समन्वय, (vii) आर्थिक और कल्याणकारी उपाय, ( viii) सूचना, संचार और सार्वजनिक जागरूकता, (ix) प्रौद्योगिकी और डेटा प्रबंधन, (x) लोक शिकायत और (xi) लॉकडाउन से संबंधित रणनीतिक मुद्दे। हाल ही में 10 सितंबर को इन समूहों को जरूरत और उभरते परिदृश्य के आधार पर पुनर्गठित किया गया है।

मेरा अपना मंत्रालय लगातार बदलते परिदृश्य की समीक्षा कर रहा है। राज्यों के साथ नियमित रूप से वीडियो कॉन्फ्रेंस की जा रही हैं। हमने राज्य के स्वास्थ्य मंत्रियों, स्वास्थ्य अधिकारियों और जिला स्तर के अधिकारियों के साथ अब तक 63 वीडियो सम्मेलन किए हैं। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय की अध्यक्षता में संयुक्त निगरानी समूह जो स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को तकनीकी मामलों में सलाह देता है, वह जोखिम का आकलन करने, तैयारियों और प्रतिक्रिया तंत्र की समीक्षा करने तथा तकनीकी दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप देने के लिए अब तक 40 बैठकें कर चुका है।

9. भारत सरकार ने अतीत में हुई महामारियों और इनके सफलतापूर्वक प्रबंधन के अनुभव के आधार पर, राज्य सरकारों और केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रशासन के साथ अपेक्षित रणनीतियां, योजनाएं और प्रक्रियाएं साझा की हैं। इसमें यात्रा, व्यवहार और मनो-सामाजिक स्वास्थ्य, निगरानी, प्रयोगशाला सहायता, अस्पताल के बुनियादी ढांचे, नैदानिक प्रबंधन, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) के तर्कसंगत उपयोग आदि से संबंधित विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला मौजूद है, जिसमें स्वास्थ्य कर्मियों के लिए प्रेरणादायक मार्गदर्शन भी शामिल है।

10. भारत सरकार ने कोविड संक्रमण के प्रसार को रोकने तथा कम करने के लिए कई अन्य उपाय भी किए हैं। 17 जनवरी 2020 को पहला यात्रा परामर्श जारी किया गया था और जैसे ही स्थिति कुछ बदली, यात्रा सलाह को एक क्रमबद्ध तरीके से संशोधित किया गया। सभी देशों के यात्रियों की व्यापक स्क्रीनिंग की गई और 23 मार्च, 2020 तक (सभी वाणिज्यिक उड़ानों के निलंबन तक) 14,154 उड़ानों से आने वाले 15 लाख 24 हज़ार 266 यात्रियों की हवाई अड्डों पर स्क्रीनिंग की गई। इसके अलावा क़रीब 16 लाख 31 हज़ार लोगों की देश की सीमाओं पर तथा लगभग 86 हज़ार 379 लोगों की 12 प्रमुख और 65 छोटे समुद्री बंदरगाहों पर स्क्रीनिंग हुई।

11. वर्तमान में भारत सरकार ने सलाह दी है कि 22 मार्च, 2020 के बाद से किसी भी अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक यात्री विमान को भारत के किसी भी हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरने की अनुमति नहीं दी जाएगी। हालांकि 7 मई 2020 को शुरू हुए वन्दे भारत मिशन के तहत आने वाली उड़ानों को इससे अलग रखा गया है, जिसका उद्देश्य कोविड-19 महामारी के कारण कई देशों में फंसे हुए भारतीय नागरिकों को वापस लाना है। भारत और पारस्परिक रूप से सहमति वाले 9 अन्य देशों के बीच वाणिज्यिक यात्री सेवाओं को फिर से शुरू करने के उद्देश्य से अस्थायी हवाई यात्रा की व्यवस्था (ट्रांसपोर्ट बबल्स) शुरू हुई है। वे पारस्परिक रूप से आपस में जुड़े हैं, जिसका अर्थ है कि दोनों देशों की एयरलाइंस समान लाभ उठाती हैं। मंत्रालय द्वारा 24 मई, 2020 को 'अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के आगमन के लिए दिशानिर्देश' भी जारी किए गए थे, जिन्हें 2 अगस्त, 2020 को संशोधित किया गया।

लॉकडाउन से पहले भारत सरकार ने चीन के वुहान से और डायमंड प्रिंसेस क्रूज़ शिप द्वारा जापान, ईरान, इटली और मलेशिया से भारतीय नागरिकों को निकाला था। 11 सितंबर, 2020 तक वंदे भारत मिशन के तहत, कुल 12 लाख 69 हज़ार 172 यात्रियों को भारत वापस लाया गया है।

12. यात्रा संबंधी संक्रमण मामलों के लिए सबसे पहले सामुदायिक निगरानी शुरू की गई और फिर बाद में सामुदायिक मामलों की रिपोर्ट के लिए एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) चलाया गया। 11 सितम्बर 2020 तक कुल लगभग 40 लाख लोगों को निगरानी में और उनके संपर्क का पता लगाने के लिए रखा गया है। सभी सकारात्मक मामलों को नियमित रूप से रोग निगरानी नेटवर्क के माध्यम से जांचा जा रहा है ताकि संक्रमण के प्रसार की श्रृंखला को तोड़ा जा सके।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने क्रमशः 2 मार्च और 4 अप्रैल को सामूहिक और बड़े प्रकोपों को रोकने के लिए रोकथाम योजना जारी की, साथ ही इन योजनाओं को समय-समय पर अद्यतन भी किया गया। संक्रमण के प्रसार की श्रृंखला को तोड़ने की रणनीति की परिकल्पना में इन बिंदुओं को शामिल किया गया है (i) कंटेनमेंट और बफ़र ज़ोन को परिभाषित करके (ii) सख्त परिणिति नियंत्रण लागू करना, (iii) मामलों और संपर्कों का पता लगाने के लिए गहन सक्रिय घर-घर जांच, (iv) अलगाव (आइसोलेशन) और संदिग्ध मामलों और उच्च जोखिम वाले संपर्कों का परीक्षण, (v) उच्च जोखिम संपर्कों को क्वारंटीन (vi) सरल निवारक उपायों पर सामुदायिक जागरूकता बढ़ाने और शीघ्र उपचार की आवश्यकता के लिए गहन जोखिम संबंधी संचार तथा (vii) कंटेनमेंट और बफ़र ज़ोन में निष्क्रिय इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी में मजबूती (आईएलआई)/गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी (एसएआरआई) की निगरानी।

13. बदलते वैश्विक परिदृश्य के चलते प्रयोगशाला नेटवर्क को लगातार मजबूत किया जा रहा है। जनवरी में देश में कोविड संक्रमण की जांच करने के लिए केवल एक सुसज्जित प्रयोगशाला थी, वहीं वर्तमान में 1705 प्रयोगशालाएं कोविड-19 नमूनों का परीक्षण कर रही हैं। लद्दाख, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड के साथ-साथ अन्य पूर्वोत्तर राज्यों, लक्षद्वीप तथा अंडमान और निकोबार द्वीप जैसे कठिन इलाकों में भी प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं। वर्तमान में हमारी परीक्षण क्षमता रोज़ाना लगभग 10 लाख जांच करने की है (प्रतिदिन 10 लाख की आबादी पर 720 परीक्षण की क्षमता है)। यह संख्या डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित एक दिन में 10 लाख की आबादी पर 140 परीक्षण की तुलना में बहुत अधिक है। 11 सितम्बर 2020 तक कुल 5 करोड़ 51 लाख 89 हज़ार 226 नमूनों की जांच की जा चुकी है। हालांकि, उस समय कोविड के लिए प्रयोगशाला निदान या परीक्षण मशीनों के स्वदेशी निर्माता नहीं थे, लेकिन आज हमारे पास 10 लाख से अधिक परीक्षण किट प्रतिदिन निर्माण की स्वदेशी क्षमता है।

14. कोविड-19 मामलों के उचित प्रबंधन के लिए, स्वास्थ्य सुविधाओं की तीन स्तरीय व्यवस्था को लागू किया गया है। ये हैं :- i) हल्के या पूर्व-लक्षण वाले मामलों के लिए आइसोलेशन बेड के साथ कोविड देखभाल केंद्र; (ii) मध्यम मामलों के लिए ऑक्सीजन सुविधा युक्त आइसोलेशन बेड के साथ समर्पित कोविड हेल्थ सेंटर (डीसीएचसी) और (iii) गंभीर मामलों के लिए आईसीयू बेड के साथ समर्पित कोविड हॉस्पिटल (डीसीएच)। कर्मचारी राज्य बीमा निगम-ईएसआईसी, रक्षा, रेलवे, अर्धसैनिक बल और इस्पात मंत्रालय आदि के तहत तृतीयक देखभाल अस्पतालों को केस प्रबंधन के लिए लगाया गया है।

12 सितंबर 2020 तक ऑक्सीजन सुविधा के बिना 13 लाख 14 हज़ार 646 कोविड समर्पित आइसोलेशन बेड के साथ कुल 15 हज़ार 284 कोविड उपचार सुविधाएं को स्थापित किया गया। इसके अलावा कुल 2 लाख 31 हज़ार 093 ऑक्सीजन सुविधा युक्त आइसोलेशन बेड और 62 हज़ार 717 आईसीयू बेड (जिसमें 32 हज़ार 575 वेंटिलेटर बिस्तर भी शामिल हैं) बनाए गए हैं। रोग की प्रवृत्ति की निरंतर निगरानी, उपलब्ध बुनियादी ढांचे के विश्लेषण और भविष्य के लिए योजना बनाने से कई बड़े देशों के सामना आया एक बड़ा संकट हमारे देश से टल चुका है। इसके अलावा 5 लाख 98 हज़ार 811 बेड वाले कुल 12 हज़ार 826 क्वारंटीन केंद्र भी बनाए गए हैं।

15. कोविड-19 के नैदानिक प्रबंधन पर दिशा-निर्देश भी जारी किए गए और नियमित रूप से इनका अद्यतन करके ये व्यापक रूप से परिचालित किए गए। इनमें केस की परिभाषा, संक्रमण नियंत्रण की रोकथाम, प्रयोगशाला निदान, प्रारंभिक सहायक चिकित्सा, गंभीर मामलों का प्रबंधन और जटिलताएं शामिल हैं। अब तक कोई विशेष एंटीवायरल प्रभावी साबित नहीं हुआ है। बुखार और खांसी के लिए लक्षणात्मक इलाज़, उचित पुनर्जलीकरण, पूरक ऑक्सीजन थैरेपी ही उपचार का मुख्य आधार बना हुआ है। हमने हल्के (लेकिन उच्च जोखिम वाले मामलों) और मध्यम मामलों के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा को प्रयोग के लिए पुनर्विचार किया है। हालांकि ऐसा सीमित वैज्ञानिक साक्ष्यों के साथ ही किया गया, लेकिन यह स्वीकार करते हुए कि इस दवा का इस्तेमाल भारत में अन्य बीमारियों के लिए व्यापक रूप से किया गया है, जहां लंबे समय तक इसका प्रयोग अच्छे सुरक्षात्मक नतीजों के साथ किया जाता रहा है।

इसके अलावा, गहन चिकित्सा पर्यवेक्षण के तहत गंभीर मामलों के प्रबंधन के लिए रेमेडीसविर, कॉन्सवेसेंट प्लाज्मा और टोसीलिज़ुमाब का उपयोग भी चिकित्सीय जांच के लिए किया जा रहा है।

इन मानक उपचार प्रोटोकॉलों के प्रसार को सुनिश्चित करने तथा मृत्यु दर को न्यूनतम करने के इरादे से कई पहलें की गई हैं। चिकित्सा प्रबंधन पर डॉक्टरों का मार्गदर्शन करने के लिए एम्स में कोरोना हेल्पलाइन 9971876591 शुरू की गई है। एम्स नई दिल्ली में कोविड-19 राष्ट्रीय टेली-परामर्श केंद्र (कॉन्टेक) चल रहा है। इस केंद्र से +91-9115444155 पर कॉल करके संपर्क किया जा सकता है। यह देश भर में कहीं से भी उन डॉक्टरों के लिए एक ख़ास केंद्र है, जो कोविड-19 रोगियों के प्रबंधन के लिए एम्स संकाय से परामर्श करना चाहते हैं, साथ ही साथ आम तौर पर जनता के लिए भी है। टेलीमेडिसिन दिशा-निर्देश 25 मार्च 2020 को जारी किए गए, ताकि रोगियों को उनकी बीमारी के निवारण और क्लीनिकों में भीड़ को रोकने के लिए टेली-परामर्श प्रदान किया जा सके। यह सीमित पहुंच वाले क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं द्वारा बीमार रोगियों की देखभाल में गम्भीर रोगियों को पहले चिकित्सा देने की विधि, उपचार और परामर्श में भी मदद कर सकता है।

क्लीनिकल प्रबंधन प्रोटोकॉल पर मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए एम्स नई दिल्ली के साथ मिलकर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा एक नैदानिक उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) पहल भी की गई है। एम्स द्वारा महत्वपूर्ण नैदानिक मुद्दों पर इन राज्य स्तरीय नैदानिक उत्कृष्टता केंद्र का मार्गदर्शन करने के लिए साप्ताहिक वेबिनार भी आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें डॉक्टरों को कोविड मामलों के प्रबंधन पर मार्गदर्शन प्रदान किया जा सकता है। इन राज्य स्तर के सीओई को अपने जिलों में इनका और प्रसार होने की उम्मीद है।

कोविड और गैर-कोविड दोनों स्वास्थ्य मुद्दों के लिए गुणवत्ता उपचार की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए, दूर दराज के क्षेत्रों में, टेलीमेडिसिन के उपयोग को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया गया है। ई-संजीवनी जैसे वेब-आधारित व्यापक टेलीमेडिसिन समाधान का उपयोग 23 राज्यों में किया जा रहा है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों और पृथक (आइसोलेटेड) समुदायों में भी विशेष स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को जन-जन तक पहुंचाया जा सके।

आईसीएमआर कोविड पर एक राष्ट्रीय क्लीनिकल रजिस्ट्री स्थापित कर रहा है जो कोविड-19 रोग, इसके विस्तार और रोगियों पर चिकित्सीय परिणाम के बारे में पूरी जानकारी विस्तार से प्रदान करेगा।

16. दवाओं को फिर से तैयार करने के तेरह नैदानिक परीक्षण और आधुनिक चिकित्सा दृष्टिकोण का उपयोग करके पारंपरिक ज्ञान का दोहन, कोविड-19 रोगियों के लिए चिकित्सीय विकल्पों के एक पोर्टफोलियो का निर्माण कर रहे हैं। इम्युनोमोड्यूलेटर सेप्सिवैक के दूसरे चरण का नैदानिक परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। पहली बार फाइटोफार्मास्युटिकल एसीक्यूएच के दूसरे चरण का नैदानिक परीक्षण चल रहा है। अश्वगंधा का एक रोग निरोधी परीक्षण और गुडुची, पिप्पली और यष्टिमधु के तीन परीक्षण जारी हैं और जड़ी बूटी आधारित आयुष दवा (आयुष -64) मध्यम बीमार कोविड-19 रोगियों को देने की योजना बनाई गई है।

एक प्रभावी टीका निश्चित ही इस बीमारी के निदान में राम बाण साबित होगा। वर्तमान में इस मोर्चे पर, वैश्विक स्तर पर लगभग 145 वैक्सीन निर्माता टीके के चिकित्सीय पूर्व-मूल्यांकन की स्थिति में हैं और 35 वैक्सीनों का नैदानिक परीक्षण चल रहा हैं। भारत में, कोविड-19 वैक्सीन के विकास की सुविधा पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित किया गया है। 30 से अधिक वैक्सीन उम्मीदवारों का समर्थन किया गया है जो टीके के विकास के विभिन्न चरणों में हैं। 3 उम्मीदवार पहले, दूसरे और तीसरे दौर के परीक्षणों के उन्नत चरण में हैं जबकि 4 से अधिक उन्नत पूर्व-नैदानिक विकास चरण में हैं।

कोविड-19 बायोरिपोज़िटरीज़ की स्थापना भी की गई है, जिन्होंने 40,000 से अधिक नमूने एकत्र किए हैं, जो शोधकर्ताओं और चिकित्सा उद्योग को निदान, चिकित्सा और टीका विकसित करने के लिए उपलब्ध कराये गए हैं।

कोविड वैक्सीन की खरीद और वितरण का समन्वय करने के लिए, भारत सरकार ने 7 अगस्त, 2020 को नीति आयोग के अध्यक्ष (स्वास्थ्य) की अध्यक्षता में कोविड-19 के लिए वैक्सीन प्रशासन पर एक राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह का गठन किया है।

17. कोविड-19 के प्रबंधन और इसके प्रभाव के कम करने के लिए आयुष मंत्रालय ने विभिन्न उपायों के माध्यम से योगदान दिया है। मंत्रालय ने निवारक स्वास्थ्य उपायों और रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने के लिए स्व-देखभाल के दिशा-निर्देशों की सिफारिश की है। आयुष मंत्रालय ने रोगनिरोध और रोग प्रतिरोधक क्षमता पर चिकित्सा की विभिन्न प्रणालियों से स्वास्थ्य सलाह भी जारी की है जिसे आठ विदेशी भाषाओं में अनुवादित किया गया और भारतीय दूतावासों को प्रसारित किया गया। विभिन्न आयुष अस्पतालों को क्वारंटीन सेंटर, आइसोलेशन सेंटर, कोविड देखभाल केंद्र और कोविड स्वास्थ्य केंद्र के रूप में प्राधिकृत किया गया। लगभग साढ़े 8 लाख आयुष स्वास्थ्य पेशेवरों को covidwarriors.gov.in पर पंजीकृत किया गया है। आयुष मंत्रालय ने “अंतर-अनुशासनात्मक आयुष अनुसंधान एवं विकास कार्य बल” का गठन किया है। कार्य बल ने आयुष रोगनिरोधी अध्ययनों के लिए नैदानिक अनुसंधान प्रोटोकॉल तैयार किए हैं और कोविड-19 के सकारात्मक मामलों पर भी अपना ध्यान केंद्रित किया है। रोगनिरोधी उपचार के लिए आयुष दवाओं के उपयोग पर आयुष-सीएसआईआर सहयोगात्मक अध्ययन शुरू किया गया है। मंत्रालय के अधीन आयुष अनुसंधान परिषदों और राष्ट्रीय संस्थानों के माध्यम से कंटेनमेंट ज़ोन में रोग के उपचार के लिए आयुष दवाओं के प्रयोग का बड़े पैमाने पर जनसंख्या-आधारित अध्ययन किया जा रहा है। आयुष मंत्रालय ने आयुष-संजीवनी मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से कोविड-19 की रोकथाम में प्रभावशीलता, स्वीकृति और आयुष सलाह और उपायों के इस्तेमाल के प्रभाव का आकलन भी शुरू किया है।

18. राज्यों से अनुरोध किया गया है कि वे अपनी तैयारियों, विशेष रूप से व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण- पीपीई के स्टॉक का आकलन करें और उसकी खरीद करें। केंद्र सरकार ने अब तक 1 करोड़ 92 लाख पीपीई के लिए कुल आर्डर पूरे किये हैं। मंत्रालय पहले ही 11 सितम्बर 2020 तक राज्यों को 1 करोड़ 39 लाख पीपीई किट और 3 करोड़ 43 लाख एन-95 मास्क की आपूर्ति कर चुका है।

फार्मास्यूटिकल्स विभाग ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का उत्पादन कई गुना बढ़ा दिया है। 11 सितम्बर 2020 तक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 10 करोड़ 84 लाख हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन टैबलेट उपलब्ध कराएं हैं। भारत ने इसे 140 से अधिक देशों को निर्यात भी किया है।

केंद्र सरकार पहले ही किसी भी आकस्मिक स्थिति का सामना करने के लिए 60,948 वेंटिलेटर खरीदने के आदेश जारी कर चुकी है। 11 सितंबर 2020 तक राज्यों को 32 हज़ार 109 वेंटिलेटर आवंटित किए गए, जिनमें से 30 हज़ार 170 वितरित किए जा चुके हैं। देश ऑक्सीजन की मांग और ऑक्सीजन सिलेंडर में आत्मनिर्भर है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने अब तक विभिन्न राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को 1 लाख 2 हज़ार 400 ऑक्सीजन सिलेंडर की खरीद और आपूर्ति की है। इसके अलावा, ऑक्सीजन सांद्रक की भी राज्यों को आपूर्ति की जा रही है।

19. एक बड़ी चुनौती संस्थांनों और विभागों में बड़ी संख्या में कोविड योद्धाओं की पहचान करना और उन्हें प्रशिक्षित करना था, जो न केवल कोविड संबंधित कार्य में शामिल हो सकें बल्कि अन्य आवश्यक चिकित्सा सेवाओं को सुनिश्चित करने के लिए भी अपनी हिस्सेदारी दे सकें। रक्षा, आयुष, एनसीसी, एनएसएस, एनवाईके, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों और निजी क्षेत्र से ऐसे लोग जुटाए गए हैं।

विभिन्न बाधाओं और चुनौतियों के बावजूद, कोविड योद्धा मानवता की सेवा करने के लिए हर मौके पर पहुंचते हैं। देश डॉक्टरों, नर्सों, चिकित्सा-सहायक, अग्रिम मोर्चे के कार्यकर्ता, सुरक्षा और पुलिस कर्मियों, सैनिटरी वर्कर्स, स्वयंसेवकों और पत्रकारों का ऋणी है, जिन्होंने हमारे देशवासियों की कोविड से रक्षा के लिए अथक परिश्रम किया है। मैं संसद से अनुरोध करूंगा कि उन सभी के द्वारा दी जाने वाली विभिन्न छोटी-बड़ी सेवाओं की सराहना की जाये।

ऐसे कई उदाहरण हैं, जब स्वास्थ्य सेवाकर्मियों को अपने कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान उत्पीड़न, हिंसा, धमकी और जीवन के लिए खतरे का सामना करना पड़ा। इसे दूर करने और उनके प्रयासों का समर्थन करने के लिए, भारत सरकार ने 22 अप्रैल 2020 को महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को लागू किया।

अस्पतालों में रोगियों का प्रबंधन करने में मदद करने वाले चिकित्साकर्मियों सहित मानव संसाधनों की अधिक व्यवस्था करने तथा निगरानी और लॉजिस्टिक्स जैसी सेवाओं में शामिल गैर-चिकित्सा कर्मियों और क्षेत्र के श्रमिकों के लिए एक मॉड्यूल डीओपीटी (https://igot.gov.in/igot/) द्वारा बनाया गया है, जो कि आईजीओटी-दीक्षा (ऑनलाइन प्लेटफॉर्म) पर उपलब्ध कराया गया है। प्रशिक्षण मॉड्यूल का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है। करीब 29 लाख 15 हज़ार लोगों ने विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए पंजीकरण कराया है। इसमें 5 हज़ार 699 डॉक्टर, 86 हज़ार 18 आयुष प्रोफेशनल, 4 हज़ार 102 नर्स, 9 सौ 63 एलाइड हेल्थ प्रोफेशनल, 5 हज़ार 881 अग्रिम मोर्च के कार्यकर्ता, 2 लाख 70 हज़ार 736 स्वयंसेवक और 25 लाख 42 हज़ार 892 अन्य प्रतिभागी शामिल हैं। आईजीओटी- दीक्षा मंच पर लगभग 18 लाख 96 हज़ार पाठ्यक्रम पूर्ण किए गए हैं। चिकित्सा और गैर-चिकित्सा कर्मियों के लिए प्रशिक्षण संसाधन भी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध कराए गए हैं।

शहरी, अर्द्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण के व्यापक प्रसार के कारण अब हम यात्रा संबंधी मामलों की देख-रेख से आगे बढ़कर समूहों और बड़ी संख्या में हुए संक्रमण की निगरानी की ओर बढ़ रहे हैं। इसके लिए बड़े पैमाने पर रुग्णता और मृत्यु दर को रोकने के लिए लोगों की भागीदारी के साथ-साथ सरकार के ठोस प्रयास की आवश्यकता होगी। हमें पूर्ववर्ती रूप से महत्वपूर्ण प्रजनन मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, टीके से बचाव योग्य रोगों, गैर-संचारी रोगों, तपेदिक, वेक्टर जनित रोगों जैसे काला अजार और मलेरिया के प्रबंधन में प्राप्त सफलता को भी बनाए रखना है। इसलिए गैर-कोविड आवश्यक सेवाओं के प्रबंधन पर भी काफ़ी ज़ोर है।

20. भारत में कोविड-19 की वर्तमान स्थिति की जानकारी आम जनता को मुहैया कराने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट को प्रतिदिन अपडेट किया जा रहा है। नियमित प्रेस विज्ञप्ति जारी की जा रही हैं और प्रेस वार्ता भी आयोजित की जा रही है।

इसके अलावा कोविड-19 रोग पर संचार सामग्री और टूलकिट जैसे पैम्फलेट, पोस्टर, ऑडियो और फिल्में भी बनाई गई हैं और ये सब राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को उपलब्ध कराये गए हैं। यह सुनिश्चित किया गया है कि समुदायों द्वारा उठाए जाने वाले आवश्यक निवारक कदम, मिथकों से बचाव और रोग से संबंधित जानकारी तथा उपलब्ध कराये गए हेल्पलाइन नंबरों को व्यापक रूप से प्रचारित किया जाये। संचार सामग्री को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट और सोशल मीडिया के माध्यम से भी होस्ट किया जा रहा है। क्या करना है और क्या नहीं करना है इस बारे में भी मोबाइल एसएमएस के माध्यम से व्यापक रूप से जानकारी प्रसारित की जा रही है। अब तक (550 करोड़ संदेश) भेजे जा चुके हैं। टेलीकॉम कंपनियों को 13 भाषाओं में कॉलर-ट्यून संदेश भेजे जा रहे हैं और ये कॉलर ट्यून 117 करोड़ ग्राहकों तक पहुंच रही हैं।

लोगों के मार्गदर्शन के लिए प्रारंभिक दिनों में एक समर्पित कॉल सेंटर और हेल्पलाइन 1075 शुरू किया गया था, जिसका उपयोग नागरिकों द्वारा बहुत प्रभावी ढंग से और नियमित रूप से किया जा रहा है। इस हेल्पलाइन पर अब तक कुल 41.4 लाख कॉल प्राप्त किए जा चुके हैं।

21. जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, सीएसआईआर और स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग ने शैक्षणिक, अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं, उद्योग, स्टार्टअप और गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से कोविड-19 के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी समाधानों की पूरी श्रृंखला का प्रभावी प्रबंधन किया है। इन समाधानों में वायरस के व्यवहार, संचरण और प्रभाव, महामारी का गणितीय प्रतिरूपण और वैश्विक स्तर के वेंटिलेटर, डायग्नोस्टिक किट, वैक्सीन, चिकित्सा, वायरस रोधी कोटिंग्स, कीटाणुनाशक, पीपीई, मास्क, मोबाइल परीक्षण बूथ जैसे बुनियादी वैज्ञानिक अध्ययन और अस्पतालों, कृत्रिम बुद्धि आधारित उपकरण, और सूचना का जन-जन तक प्रसार शामिल हैं।

इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए वाणिज्यिक उत्पादन के वास्ते 110 से अधिक प्रौद्योगिकी स्टार्टअप और 20 से अधिक उद्योगों की पहचान की गई तथा समर्थन के लिए पूरे स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र की व्यापक मैपिंग भी की गई। वायरस के अध्ययन के सभी क्षेत्रों में 150 से अधिक परियोजनाएं शुरू की गई हैं।

22. भारत सरकार नियमित रूप से डब्ल्यूएचओ मुख्यालय, क्षेत्रीय कार्यालय और राष्ट्रीय कार्यालय के साथ लगातार समन्वय कर रही है ताकि वायरस के नवीनतम परिदृश्य पर ताज़ा जानकारी मिल सके। भारत सरकार ने कोविड संक्रमण की चुनौती से निपटने में अन्य देशों को भी सहायता प्रदान की है। भारत ने कोविड-19 पर जी 20 और ब्रिक्स देशों को मदद उपलब्ध कराने में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। भारत अपने पड़ोसी सार्क देशों के लिए भी हरसंभव सहायता प्रदान कर रहा है।

23. सरकार लगातार अंतरालों की पहचान कर रही है और एक आत्मनिर्भर भारत का निर्माण कर रही है जो भविष्य में इसी तरह की महामारियों और आपदाओं की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होगा। प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना के तहत 65,560.98 करोड़ रुपए के वित्त निवेश पर भी विचार किया जा रहा है। इसमें महामारी प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने के साथ अनुसंधान, स्वास्थ्य सेवा और सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में निवेश शामिल है।

24. मैं संसद के सभी माननीय सदस्यों से कहना चाहूंगा कि कोविड से लड़ाई अभी भी जारी है। एक तरफ, जब हम अर्थव्यवस्था को पुनर्स्थापित करने और संतुलित दृष्टिकोण बनाये रखने के लिए अनलॉक के चरण में हैं, तो यह महत्वपूर्ण है कि कोविड संक्रमण के प्रसार को नियंत्रित करने और संचरण की इसकी श्रृंखला को तोड़ने के लिए निरंतर सामुदायिक समर्थन सुनिश्चित किया जाए।

कोविड से बचने के लिए अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों में जागरूकता पैदा करने के लिए आप सभी का समर्थन महत्वपूर्ण है। मास्क लगाना और चेहरा ढंकना, बार-बार हाथ धोना, श्वसन शिष्टाचार, और सामाजिक टीके के रूप में 2 गज़ की दूरी जैसे सामान्य सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों का जिम्मेदार तरीके से अभ्यास करने से कोरोना वायरस को नियंत्रित करने और ख़त्म करने में मदद मिलेगी।

25. मैं इस सदन को सूचित करना चाहता हूं कि सरकार भारत में कोविड के प्रसार को रोकने के लिए सभी आवश्यक उपाय कर रही है।

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एमजी/एएम/एनकेएस/एसके



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