Posted On:
08 SEP 2020 6:39PM by PIB Delhi
उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज कहा कि अंगदान एक बहुत बड़ा और अच्छा कार्य है और सभी से नेत्रदान करने में भाग लेने और दूसरों को प्रेरित करने की अपील की।
धर्मार्थ संगठन सक्षम (समदृष्टि, सक्षमता विकास एवं अनुसंधान मंडल), द्वारा आयोजित 'राष्ट्रीय नेत्र दान पखवाड़े' समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि विकलांग व्यक्तियों के सशक्तीकरण के लिए हमें कार्य करना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने नेत्र-दान को श्रेष्ठ-दान के रूप में वर्णित किया।
दृष्टि दोष (देखने की क्षमता में कमी) को प्रमुख स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक बताते हुए, उपराष्ट्रपति ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि भारत में लगभग 46 लाख से अधिक की आबादी अंधेपन से ग्रसित है और उनमें से अधिकांश 50 वर्ष से अधिक के आयु वर्ग के हैं।
प्रत्येक वर्ष लगभग 20,000 से अधिक मोतियाबिंद मामलों के बाद कॉर्नियल अंधापन को अंधेपन का दूसरा प्रमुख कारण बताते हुए, श्री नायडू ने चिंता व्यक्त की क्योंकि इस श्रेणी में प्रभावित अधिकांश लोग युवा और बच्चे हैं। उन्होंने दृष्टि दोष (नेत्र में रोशनी की कमी) की चुनौती से निपटने के लिए निवारक उपायों, प्रारंभिक उपचार और कॉर्निया प्रत्यारोपण सर्जरी को अपनाने के लिए कहा।
कॉर्निया प्रत्यारोपण सर्जरी के लिए कॉर्निया दाताओं की आवश्यकता होती है, श्री नायडू ने देश में कॉर्निया अंधापन के पूर्ण उन्मूलन को सक्षम बनाने के लिए नेत्र दान को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया।
देश में अंग दान करने वालों की कम संख्या पर ध्यान आकर्षित करते हुए, उन्होंने कहा कि इसके लिए जागरूकता फैलाने के साथ-साथ जिला स्तर पर अंगों को रखने और प्रत्यारोपण के लिए पर्याप्त चिकित्सा बुनियादी ढांचे का निर्माण करके ही इस मानसिकता में बदलाव लाने पर जोर दिया।
उन्होंने राजा शिबी और ऋषि दधीचि, जिन्होंने दूसरों के कल्याण के लिए अपना अंगदान किया था, का उदाहरण दिया और लोगों को प्रेरित करने तथा अंग-दान को बढ़ावा देने के लिए आधुनिक संदर्भ में मूल्यों एवं इन कथाओं को फिर से परिभाषित करने को कहा। अंग दान द्वारा प्रत्येक व्यक्ति दूसरों के सामने समाज की भलाई के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करता है, ऐसे में उन्होंने प्रत्येक नागरिक विशेष रूप से य़ुवाओं से यह आह्वान करते हुए कहा कि सभी तरह की आशंकाओं, भ्रांतियों से दूर रहें और अंग-दान करने का संकल्प लें।
अंग-दाता के शरीर से अंग को निकालने और फिर से इसे प्रत्यारोपित करने में समय सबसे महत्वपूर्ण कारक है, उपराष्ट्रपति ने स्थानीय स्तर पर प्रत्यारोपण सर्जरी करने के लिए भंडारण के बुनियादी ढांचे और विशेषज्ञता हासिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया जिससे छोटे शहरों के लोगों को अंग प्रत्यारोपण के लिए महानगरों की ओर न जाने के लिए मजबूर न होना पड़े।
उन्होंने कहा, "दान किए गए अंगों की बढ़ती उपलब्धता के कारण अनैतिक चिकित्सा पद्धतियों पर अंकुश लगाने में भी मदद मिलेगी।"
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सरकारी अस्पतालों में काम करने वाले चिकित्सकों को कुछ समय दूरदराज के इलाकों में जाकर ग्रामीण लोगों के नेत्रों (आंखों) की देखभाल करने में भी देना चाहिए। उन्होंने इन विशेषज्ञों का आह्वान करते हुए कहा, "आइए हम देश के दृष्टिहीनता को खत्म करने में मिलकर योगदान दें।"
राष्ट्रीय दृष्टिहीनता सर्वेक्षण (2015-19) का हवाला देते हुए, श्री नायडू ने इस तथ्य को स्वीकार किया कि 2006-07 के राष्ट्रीय सर्वेक्षण के 1% की तुलना में दृष्टिहीनता की व्यापकता 0.36% तक कम हो गई है। इसके अलावा, भारत ने ‘सार्वभौमिक नेत्र स्वास्थ्य 2014-19 के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैश्विक कार्य योजना’ के लक्ष्यों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है, जो 2010 के आधारभूत स्तर से 2019 तक दृष्टि क्षीणता में 25% की कमी को लक्षित करता है।
‘अंधेपन और दृष्टि क्षीणता के नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीसीबी एंड वीआई)” का उल्लेख करते हुए, उपराष्ट्रपति ने दृष्टि क्षीणता की व्यापकता में कमी के लिए सभी हितधारकों की प्रशंसा की।
आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2019-20 में एनपीसीबी एंड वीआई के तहत 64 लाख से अधिक मोतियाबिंद के ऑपरेशन किए गए थे, कुल 65,000 दान किया गया नेत्र कॉर्निया प्रत्यारोपण से एकत्र किया गया था और स्कूली बच्चों को 8.57 लाख चश्मे मुफ्त में प्रदान किए गए थे।
यह देखते हुए कि एनपीसीबी एंड वीआई स्वैच्छिक संगठनों और निजी चिकित्सकों की भागीदारी को प्रोत्साहित करके नेत्रों की देखभाल पर सामुदायिक जागरूकता बढ़ाने का प्रयास करता है, उपराष्ट्रपति ने गैर सरकारी संगठनों और व्यक्तियों से इसे एक मिशन के रूप में अपनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि कई निजी अस्पताल हैं जो देश भर में नेत्रों की देखभाल के क्षेत्र में अच्छा काम कर रहे हैं।
उपराष्ट्रपति ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के प्रतिकूल प्रभाव के बावजूद कई गैर-कोविड अस्पतालों में नेत्र बैंकिंग गतिविधियां फिर से शुरू हो गई हैं।
उन्होंने विभिन्न परियोजनाओं कैम्बा, प्राणदा, प्रणव और सक्षम सेवा संकुल के माध्यम से विकलांग व्यक्तियों को समाज की मुख्यधारा में लाने की दिशा में काम करने के लिए ‘सक्षम’ की सराहना की।
इस अवसर पर डॉ. दयाल सिंह पंवार, अध्यक्ष, सक्षम, डॉ. पवन स्थापक, उपाध्यक्ष, सक्षम, डॉ. सुकुमार, आयोजक सचिव, सक्षम और डॉ. संतोष कुमार करालेती, महासचिव, सक्षम जैसे गणमान्य व्यक्तियों ने वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम में भाग लिया।
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