रक्षा मंत्रालय
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने नौसेना कमांडरों से अहम क्षेत्रों पर चर्चा करने के लिए कहा;
राष्ट्र के सामुद्रिक हितों की रक्षा करने के लिये नौसेना की भूमिका की सराहना की
नौसेना कमांडर सम्मेलन 2020 को संबोधित किया
Posted On:
19 AUG 2020 5:35PM by PIB Delhi
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने नौसेना कमांडर सम्मेलन के पहले दिन दिनांक 19 अगस्त, 2020 को नौसेना कमांडरों को संबोधित किया। उन्होंने भारतीय नौसेना में काम करने वाले पुरुषों एवं महिलाओं को देश के सामुद्रिक हितों की रक्षा करने में निभाई जा रही भूमिका के लिये बधाई दी और अपने युद्धपोतों एवं लड़ाकू विमानों की तैनाती के जरिये किसी भी चुनौती से निपटने में भारतीय नौसेना की तैयारी में विश्वास व्यक्त किया।
श्री राजनाथ सिंह ने कोविड-19 महामारी द्वारा पेश अभूतपूर्व चुनौती के बारे में बताते हुए अब तक के सबसे बड़े देश वापसी ऑपेरशन "ऑपेरशन समुद्र सेतु" के संचालन के लिये भारतीय नौसेना को बधाई दी जिसने बड़े पैमाने पर देशहित में योगदान दिया। समुद्र की कठिन परिस्थितियों एवं कोरोना वायरस के रूप में एक अदृश्य शत्रु से निपटने की चुनौती के बीच नौसेना ने हिन्द महासागर क्षेत्र स्थित पड़ौसी देशों से लगभग 4000 लोगों को घर लाने में महती भूमिका निभाई। साथ ही 'मिशन सागर' के अंतर्गत दक्षिण पश्चिम हिन्द महासागर क्षेत्र के देशों (मालदीव, मॉरीशस, कॉमोरोव, सेशेल्स एवं मेडागास्कर) को चिकित्सकीय सहायता पहुंचाई गई। उन्होंने कोविड-19 के प्रबंधन में नागरिक प्रशासन की सहायता हेतु क्वारंटाइन सुविधाओं का निर्माण करने के लिये नौसेना की सभी कमानों के प्रयासों की प्रशंसा भी की।
श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 'सागर' (सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फ़ॉर ऑल इन द रीजन) नज़रिए से प्रेरित होकर भारतीय नौसेना ने सामुद्रिक हितों की रक्षा के लिये नौसैनिक युद्धपोतों और लड़ाकू विमानों को महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील स्थानों पर तैनात कर प्रभावी रूप से मिशन आधारित तैनाती की है। जून 2017 में मिशन आधारित तैनाती की शुरुआत से इन तैनातियों ने मेरीटाइम डोमेन अवेयरनेस (एमडीए) में वृद्धि की है तथा हिन्द महासागर क्षेत्र के तटीय इलाकों में तेज़ी मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (एचएडीआर) और अंतरराष्ट्रीय समुद्रवर्ती समुदाय को सुरक्षा पहुंचाई है।
सशस्त्र बलों में तेज़ गति से हो रहे परिवर्तनों के बारे में बताते हुए रक्षा मंत्री ने सीडीएस पद तथा रक्षा मामलों के विभाग/एमओडी (डीएमए) की रचना को विशेषकर प्रशिक्षण, अधिग्रहण एवं नियुक्तियों और सैन्य कार्रवाइयों के दौरान संयुक्तता के मामले में सेना के तीनों अंगों के बीच सामंजस्य लाने में बड़े मील के पत्थर के तौर पर चिह्नांकित किया।
रक्षा मंत्री ने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में कोविड-19 से पैदा हुई चुनौतियों को स्वीकार करते हुए भारतीय नौसेना ने सैन्य अभियानों, प्रशासनिक गतिविधियों और आधुनिकीकरण के लिये किए जा रहे प्रयासों के मामले में प्रगति की है। उन्होंने आगे कहा कि इन आर्थिक चुनौतियों के बावजूद सरकार ने सेना के तीनों अंगों की आकस्मिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिये उनको विशिष्ट अधिकार प्रदान किये हैं।
सरकार की 'मेक इन इंडिया' पहल के अनुरूप 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान के प्रति भारतीय नौसेना की स्वतःसिद्ध प्रतिबद्धता के बारे में बताते हुए रक्षा मंत्री ने प्रशंसा की कि नौसेना स्वदेशीकरण की प्रक्रिया की अगुआ रही है। उन्होंने यह भी कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि हम अभी तक प्राप्त सफलताओं की गति को बनाए रखें। हाल ही में उद्घाटित एनआईआईओ (नेवल इनोवेशन एंड इंडिजेनाइज़ेशन) एक ऐसा ही कदम है।
सम्मेलन की सफलता की शुभकामनाएं देते हुए रक्षा मंत्री ने विश्वास जताया कि बैठक में महत्ता के तमाम विषयों और रणनीतियों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।
बैठक में आगमन के समय नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने रक्षा मंत्री की अगवानी की एवं उनको भारतीय नौसेना द्वारा कोविड-19 महामारी से निपटने के लिये उठाए जा रहे अभिनव कदमों के बारे में जानकारी दी। इनमें नौसेना द्वारा डिज़ाइन/ विकसित किये गए उपकरण शामिल थे जिनका विभिन्न एजेंसियां प्रभावी रूप से उपयोग कर रही हैं।
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एमजी/एम/एबी/एसएस
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