जनजातीय कार्य मंत्रालय
इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस समारोह में ट्राइफेड विशिष्ट अतिथियों को जनजातियों द्वारा हस्तनिर्मित पंखा एक बार फिर उपलब्ध कराएगा
Posted On:
14 AUG 2020 2:44PM by PIB Delhi
जनजातीय समुदाय के लिए आय और आजीविका के साधन बनाए रखने के अपने निरंतर प्रयासों के तहत, जनजातीय मामलों के मंत्रालय के प्रशासकीय नियंत्रण के अधीन “भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ” (ट्राइफेड) एक बार फिर रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने वाले प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों और मेहमानों को हस्तनिर्मित पंखे उपलब्ध कराएगा। ट्राइफेड का रक्षा मंत्रालय के साथ सहयोग का यह लगातार तीसरा वर्ष है।
राजस्थान, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात और झारखंड जैसे राज्यों के जनजातीय समुदाय के दस्तकारों द्वारा हाथ से बनाए गए ये पंखे प्राकृतिक जैविक सामग्रियों से बनाए गए हैं और पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल हैं। ये पंखे उन अतीत की यादों को फिर से ताजा करते हैं जब जब ये भारतीय घरों का एक अभिन्न हिस्सा थे और चिलचिलाती गर्मी में आराम देते थे।


ये पंखे ट्राइब्स इंडिया के खुदरा आउटलेट्स और इसके ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म (www.tribesindia.com) पर भी बिक्री के लिए उपलब्ध हैं।
देश भर में गरीब जनजातीय समुदायों के आर्थिक कल्याण को (विपणन के विकास और कौशल के निरंतर उन्नयन के माध्यम से) बढ़ावा देकर उन्हें सशक्त बनाने के अपने अभियान में ट्राइफेड ने राष्ट्रीय नोडल एजेंसी के रूप में ऐसे समुदाय के लोगों द्वारा बनाए गए उत्पादों की खरीद और उनका विपणन करने का काम शुरू किया है।
ट्राइफेड ट्राइब्स इंडिया के नाम से जाने जाने वाले अपने खुदरा बिक्री स्टोरों के नेटवर्क के माध्यम से जनजातीय समुदाय द्वारा निर्मित कलात्मक और शिल्पकारी की वस्तुओं की खरीद और बिक्री का काम करता है। इसका पहला स्टोर नई दिल्ली के 9 महादेव रोड पर 1999 में खोला गया था। पूरे भारत में अब इसके 121 खुदरा आउटलेट हैं।
पिछले कुछ महीनों में ट्राइफेड ने कोविड महामारी की वजह से अपनी आजीविका और नौकरियों को खो चुके जनजातीय समुदाय के लोगों (कारीगरों और वनवासियों) को पुनर्वास करने के अपने प्रयासों को और तेज किया है। आदिवासी दस्तकारों की ओर से तैयार किए गए हस्तनिर्मित पंखों को उपहार में देने की नेक पहल इन प्रयासों का ही एक उदाहरण है।
अचानक आई महामारी के कारण और उसके चलते तत्काल लॉकडाउन की वजह से आदिवासी कारीगरों द्वारा बनाए गए करीब 100 करोड़ रुपये के उत्पाद बिना बिके रह गए थे। ट्राइफेड ने अपनी ट्राइब्स इंडिया वेबसाइट (www.tribesindia.com) और अन्य खुदरा प्लेटफार्मों जैसे कि अमेज़ॅन, फ्लिपकार्ट और जीईएम के माध्यम से इन सामानों को ऑनलाइन बेचने के का एक प्रभावी अभियान शुरू किया है।


जनजातीय समुदाय के उत्पादकों - वनवासियों और कारीगरों के बनाए उत्पादों की ऑनलाइन खरीद की सुविधा के लिए ट्राइफेड जल्दी ही ई-मार्केटप्लेस शुरू करने जा रहा है। इससे ऐसे उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित करने और बेचने की सुविधा मिलेगी। ट्राइफेड इस पोर्टल पर देश भर के जनजातीय समुदाय के लगभग 5 लाख उत्पादकों को जोड़ने जा रहा है। इसके लिए वह उनके प्राकृतिक उपज और दस्तकारी के सामानों को जुटाने की प्रक्रिया में है। रक्षा मंत्रालय को आपूर्ति किया जाने वाला पंखा भी इस ई-मार्केटप्लेस पर उपलब्ध होगा।
रक्षा मंत्रालय के साथ इसके लिए हाथ मिलाया जाना जनजातीय समुदाय के उत्थान की दिशा में ट्राइफेड का एक और अहम प्रयास है। सभी को इन पंखो पर एक नजर डालने के लिए आमंत्रित किया जाता है। इसे देखने पर निश्चित रूप से बचपन के वो दिन याद आएंगे जब ऐसे पंखे हर घर में मौजूद होते थे।
ट्राइफेड और जनजातीय मामलों के मंत्रालय की ओर से सभी को 74 वें स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं !
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