रेल मंत्रालय

रेल और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल और कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने आज हुबली में रेलवे संग्रहालय को राष्ट्र को समर्पित किया।


'रेलवे ने हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और विभिन्न चरणों में जीवन की व्यक्तिगत यात्रा की गवाह रही है। भाप युग से आधुनिक बुलेट ट्रेनों के युग तक रेलवे के विकास की कहानी उल्लेखनीय है। रेल संग्रहालय उस असाधारण परिवर्तन की कहानी कहने वाला स्मारक है।' - श्री पीयूष गोयल

'संग्रहालय सबसे अधिक प्रासंगिक है क्योंकि हुबली ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण रेलवे जंक्शन है, यह इस क्षेत्र का एक और प्रमुख पर्यटन स्थल बनेगा।' - श्री प्रल्हाद जोशी

इस समय को याद करने की खातिर संग्रहालय में एक कोच को मास्क पहने लोगों और एक कोच को श्रमिक कोच के तौर पर चित्रित करना चाहिए- श्री सुरेश सी. अंगड़ी, रेल राज्य मंत्री

यह संग्रहालय रेलवे के विकास के सभी क्षेत्रों में उन्नत प्रणालियों के क्रमिक विकास को प्रदर्शित करता है।

Posted On: 09 AUG 2020 7:10PM by PIB Delhi

रेल और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, श्री पीयूष गोयल और कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने आज यानी 9 अगस्त 2020 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुबली में एक रेलवे संग्रहालय को देश को समर्पित किया। इस आयोजन की अध्यक्षता रेल राज्य मंत्री श्री सुरेश सी. अंगड़ी ने की और इसमें कई गणमान्य व्यक्तियों और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

उत्तर कर्नाटक में अपनी तरह का पहला, मैसूर के ऐतिहासिक मैसूर रेल संग्रहालय के बाद यह रेल संग्रहालय दक्षिण पश्चिम रेलवे में दूसरा है। यह केंद्रीय रेलवे अस्पताल के सामने गदग रोड पर हुबली रेलवे स्टेशन के दूसरे प्रवेश के पास स्थित है। यह संग्रहालय अपने सुंदर परिवेश के साथ आगंतुकों को लुभाने के लिए तैयार है। पूरे देश और विदेश से आने वाले सैलानी रेल संग्रहालय हुबली में बीते वर्षों की रेलवे की विरासत को करीब से देख सकते हैं।

 इस अवसर पर बोलते हुए श्री पीयूष गोयल ने कहा कि रेलवे का हम सभी के साथ एक भावनात्मक जुड़ाव रहा है। रेलवे ने हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और विभिन्न चरणों में हमारे जीवन की निजी यात्रा की गवाह रही है। उन्होंने महात्मा गांधी का जिक्र किया और कहा कि गांधी जी भी ट्रेनों से भारत को समझने को तरजीह देते थे। रेलवे खुद महान परिवर्तनों से गुजरी है। भाप युग से लेकर आधुनिक बुलेट ट्रेनों के युग तक रेलवे के विकास की कहानी वास्तव में उल्लेखनीय है। संग्रहालय उस असाधारण परिवर्तन को व्यक्त करता स्मारक है। कोविड के बाद के युग में भी कई बदलाव दिखाई देंगे। संग्रहालय हमारे साझा इतिहास और संस्कृति को लेकर समाज को संवेदनशील बनाने में मदद करेगा। यह हमें हमारी जड़ों और हमारी नींव के बारे में बताता है। हमें यादों और विरासत को संरक्षित करना चाहिए। अब हम रेलवे को पूरी तरह से विद्युतीकृत और 100 फीसदी हराभरा बना रहे हैं। यह विश्वस्तरीय यात्री और माल ढुलाई सेवा संगठन होगा। रेलवे परिवर्तन और रूपांतरण जारी रखेगी। महान विरासत जारी रहेगी और इसे लगातार संरक्षित करने की आवश्यकता होगी।

उन्होंने लॉकडाउन के दौरान असाधारण काम के लिए रेलवे के सभी कर्मचारियों को बधाई दी। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि रेलवे ने 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था और आत्मनिर्भर भारत पहल में योगदान का संकल्प लिया है।

इस मौके पर बोलते हुए श्री प्रल्हाद जोशी ने कहा, 'यह संग्रहालय सबसे अधिक प्रासंगिक है क्योंकि हुबली ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण रेल जंक्शन है। यह इस क्षेत्र का एक और प्रमुख पर्यटन स्थल बन जाएगा।'

उन्होंने नए संग्रहालय के लिए श्री गोयल को धन्यवाद दिया। उन्होंने क्षेत्र से 229 विशेष श्रमिक ट्रेनें चलाने के लिए भी रेलवे को धन्यवाद दिया। श्री जोशी ने हुबली रेलवे स्टेशन के नवीकरण के लिए भी भारतीय रेलवे को धन्यवाद दिया।

 समारोह को संबोधित करते हुए श्री सुरेश सी. अंगड़ी ने कहा कि हुबली के लोगों के लिए आज एक बड़ा अवसर है। उन्होंने एक कोच को मॉस्क के साथ बैठे लोगों और दूसरे कोच को श्रमिक कोच के तौर पर दिखाने का सुझाव दिया जिससे इस मुश्किल समय को याद रखा जा सके।

संग्रहालय का उद्देश्य रेलवे की विभिन्न शाखाओं की गौरवशाली विरासत को संरक्षित और चित्रित करना है। यह रेलवे के सभी क्षेत्रों में उन्नत प्रणालियों के क्रमिक विकास को भी दिखाता है। हुबली संग्रहालय में शिल्पकृतियां मौटे तौर पर तीन खंडों- मालप्रभा और घाटप्रभा नाम के दो कॉटेज और बाहरी हिस्से में बंटी हैं।

संग्रहालय की मुख्य विशेषताएं:

  • रोलिंग स्टॉक की गैलेक्सी
  • मालप्रभा और घाटप्रभा कॉटेज
  • थिएटर कोच
  • सुरुचि कैफेटेरिया
  • टॉय ट्रेन
  • मेमोरेबिलिया शॉप
  • टिकट प्रिंटिंग मशीन
  • मॉडल ट्रेन रन
  • बच्चों की गतिविधि का कक्ष

      प्रवेश द्वार पर एक भव्य मेहराब गुजरे युग का स्वागत करता दिखता है। दक्षिण-पश्चिम रेलवे के अग्रदूतों के प्रतीक के रूप में सुशोभित, जिसने इस क्षेत्र की सेवा की- जो दक्षिणी महरत्ता रेलवे, मैसूर और दक्षिणी महरत्ता रेलवे आदि हैं, स्वागत मेहराब रेलवे की जानकारी देने के लिए आगंतुकों का स्वागत करते हैं।

      बाहरी परिदृश्य : दो संकीर्ण गेज लोकोमोटिव (ट्रेन इंजन) संग्रहालय में प्रमुख आकर्षण हैं। ट्रैक पर चलने वाली चीजें और ट्रैक से संबंधित सभी चीजों जैसे रोलिंग स्टॉक (इंजन), कोच, वैगन, टैंकर, स्थायी मार्ग सामग्री जैसे रेल, स्लीपर्स, लेवल क्रॉसिंग गेट, सिग्नल आदि को संग्रहालय में आकर्षक हरियाली के बीच दीर्घाओं में दिखाया गया है।

      एक संकीर्ण गेज कोच जो देश के विभिन्न हिस्सों से यात्रियों के आकार की मूर्तियों के साथ 'विविधता में एकता'को दर्शाता है, यह आगंतुकों के लिए अतिरिक्त आकर्षण है।

      1907 में निर्मित दो सुंदर कॉटेज को क्षेत्र की दो नदियों के नाम पर संग्रहालय को दो हिस्सों- मालप्रभा और घाटप्रभा में तब्दील किया गया है।

      घाटप्रभा कॉटेज- यह कॉटेज पुराने समय का सर्वोत्कृष्ट आकर्षण है। इनडोर कलाकृतियों का हाउस कलेक्शन इसकी शोभा बढ़ाता है। घाटप्रभा कॉटेज में रनिंग ट्रेन के साथ एक मॉडल रूम, सिग्नल उपकरण आदि हैं। लोकोमोटिव, वैगनों, कोचों का इतिहास प्राचीन पुस्तकों और पौधों के साथ प्रस्तुत किया गया है। मेडिकल और सुरक्षा मोर्चों पर रेलवे के कामकाज की झलक भी दिखाई गई है। तथ्यों के साथ बच्चों की गतिविधि का रंगीन कक्ष भी घाटप्रभा का हिस्सा है। एक मेमोरेबिलिया काउंटर, जहां से स्मृति चिन्ह खरीदे जा सकते हैं और इतिहास का कोना जहां रेलवे कंपनियों का इतिहास कॉटेज में समाहित है।

      मालप्रभा कॉटेज- प्रवेश द्वार पर खूबसूरत चारकोल स्केच की एक श्रृंखला आर्ट गैलरी का निर्माण करती है। टिकट काउंटर के साथ बुकिंग ऑफिस, मुद्रित टिकट, लोह की कैश चेस्ट आदि कुछ दशकों पहले के दौर की याद दिलाते हैं। स्टेशन मास्टर का रूम पैनल के साथ सिम्युलेटेड है, सभी उपकरण, रजिस्टर, फर्नीचर यहां तक कि स्टेशन मास्टर और पॉइंट्स मैन की आदमकद मूर्तियां भी लगी हैं। बगल के कमरे को एंटिक फर्नीचर के साथ प्रतीक्षालय की थीम पर तैयार किया गया है। एक पार्सल ऑफिस का सेटअप भी 150 साल पुरानी पार्सल तौल मशीन के साथ बनाया गया है।

      संग्रहालय में स्थायी रास्ता, रेल, स्लीपर, ट्रैक फिटिंग, टेलिकम्युनिकेशन, इलेक्ट्रिकल आइटम्स को समय के साथ तकनीक के विकास के क्रम को दिखाया गया है।

      थियेटर्स और रेस्तरां कोच के साथ प्लेटफॉर्म- अलंकृत स्तंभों के साथ शानदार प्लेटफॉर्म रेस्तरां कार और थिएटर कार तक पहुंच प्रदान करता है। कोच थिएटर में निश्चित समय पर मनोरंजक और शिक्षाप्रद लघु फिल्में और वीडियो दिखाए जाने की योजना है।

      टॉय ट्रेन में सवारी- स्टीम इंजन वाली रंगीन गाड़ियां बच्चों और बड़ों को समान रूप से लुभाती हैं। टॉय ट्रेन को हुबली वर्कशॉप में तैयार किया गया है। साउंड और स्टीम इफेक्ट से लैस इस टॉय ट्रेन से एक छोटी सी यात्रा आगंतुकों को पुराने युग में ले जाएगी और बच्चों के लिए रोमांचक अनुभव होगा।

      सुरुचि कैफेटेरिया- आगंतुकों को स्वाद देने के लिए सुरुचि कैफेटेरिया संग्रहालय में प्राचीन स्तंभों के साथ खूबसूरत तरीके से डिजाइन किए गए बाहरी क्षेत्रों में क्षेत्रीय व्यंजनों का मेनू प्रदान करता है।

      इस संग्रहालय की अनूठी विशेषता यह है कि सामग्री और मैन पावर जुटाकर उपलब्ध संसाधनों के साथ ही सब कुछ किया जा रहा है।

      कोविड महामारी के मद्देनजर बरती जाने वाली सावधानियों के मद्देनजर संग्रहालय में आगंतुकों के लिए प्रवेश एक समय में केवल 30 सदस्यों तक सीमित है। आगंतुकों से अनुरोध किया जाएगा कि वे अपने हाथों को बार-बार सैनिटाइजर डिस्पेंसर से सैनिटाइज करते रहें। फेस मास्क पहनना अनिवार्य होगा और संग्रहालय आते समय सामाजिक दूरी बनाए रखनी होगी। थियेटर कोच पूरी तरह से बंद रहेगा जबतक कि लॉकडाउन न खुल जाए और सामान्य स्थिति न हो।

11 अगस्त 2020 से संग्रहालय के लिए नियमित रूप से काम के घंटे इस प्रकार हैं-

  • सामान्य दिन (मंगलवार से शुक्रवार) दोपहर 12 से शाम 7 बजे तक
  • सप्ताहांत और सार्वजनिक अवकाश दोपहर 12 बजे से रात 8 बजे तक
  • हर सोमवार छुट्टी है

प्रवेश टिकट शुल्क

  • वयस्क (12 साल से अधिक) 20 रुपये
  • बच्चे (5-12 साल) 10 रुपये
  • 5 साल से कम निशुल्क

थिएटर कोच

  • शो टाइमिंग (12 बजे दोपहर से हर घंटे 1 बजे, 2 बजे, 3 बजे, 4 बजे, 5 बजे)
  • 10 सदस्यों के समूह में प्रत्येक टिकट 10 रुपये
  • शो टाइम 15 मिनट

टॉय ट्रेन टिकट (एक ट्रिप)

  • प्रत्येक टिकट 10 रुपये

* तीन बार आना-जाना एक ट्रिप होता है।

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