विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

बेंगलुरु स्थित एक स्टार्टअप ने कोविड-19 संक्रमित लोगों का पता लगाने और जोखिम का मूल्यांकन करने वाला मोबाइल ऐप तैयार किया


इसका इस्तेमाल स्मार्टफोन के जरिये किया जाएगा और स्मार्टफोन सेंसर सिग्नल्स को कैप्चर करेंगे

Posted On: 28 JUL 2020 1:10PM by PIB Delhi

कोविड-19 महामारी में सामूहिक जांच के जरिये बीमारी का पता लगाना चुनौती है। इसका सबसे अच्छा तरीका ये है कि शुरुआत में ही बीमारी का पता लगा लिया जाए और संक्रमित आबादी को लेकर जोखिम का मूल्यांकन कर लिया जाए। इस संकट से निपटने के लिए तकनीकी समाधान की खोज जरूरी है ताकि त्वरित तरीके से स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े पेशेवर लोगों के लिए जोखिम को कम किया जा सके।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की एक पहल कोविड-19 हेल्थ क्राइसिस (सीएडब्ल्यूएसीएच) के साथ द सेंटर फॉर आगमेंटिंग डब्ल्यूएआर ने बेंगलुरु के स्टार्टअप एक्युली लैब्स को चुना है जिसने एक कोविड रिस्क मैनजमेंट ऐप विकसित किया है जिसे लाइफास (Lyfas) कोविड स्कोर कहा जा रहा है। एक्युली लैब्स का ऐप्प स्क्रीनिंग, क्लिनिकल-ग्रेड, नॉन-इनवेसिव, डिजिटल फंक्शनल बायोमार्कर स्मार्टफोन टूल से लैस है। इससे बीमारी के बारे में पहले पता लगाया जा सकता है, बीमारी की जड़ों का विश्लेषण, बीमारी के जोखिम का तेजी पता लगाने और उसका समाधान बताने में यह सक्षम है। सीएडब्ल्यूएसीएच राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी उद्यमिता विकास बोर्ड (एनएसटीईडीबी), डीएसटी, भारत सरकार की एक पहल है जो कोविड-19 की रोकथाम में सहायक बाजार में तैयार नवाचारों और स्टार्टअप को बढ़ावा देता है।

डीएसटी के सहयोग से तैयार नई तकनीकी बिना लक्षणों वाले लोगों के बारे में प्राथमिकता के साथ पता लगाने में मदद करेगी। इससे बिना लक्षणों वाले लोगों का टेस्ट और बीमारी से जुड़े जोखिम का मूल्यांकन किया जा सकेगा। इससे बिना लक्षणों वाले मरीजों से निपटने में मदद मिलेगी।

कोविड-19 की समस्या से निपटने के लिए भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने मार्च 2020 में तकनीकी को सहयोग देने का फैसला किया था। कई राउंड की स्क्रीनिंग के बाद एक्युली लैब्स को बड़े पैमाने पर जांच के लिए चुना गया था। एक्युली लैब्स के लाइफास को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने 30 लाख रुपये का अनुदान दिया है और इसे वर्चुअली आईआईटी मद्रास, हेल्थकेयर टेक्नोलॉजी इनोवेशन सेंटर (एचटीआईसी), मेडटेक इनक्यूबेटर से समर्थन हासिल है।

लाइफास एक एंड्रायड अधारित एप्लिकेशन है। इसमें जब कोई 5 मिनट के लिए मोबाइल फोन के रियर फोन कैमरे पर तर्जनी उंगली रखता है, तो नाड़ी और रक्त की मात्रा में परिवर्तन होता है और 95 बायोमार्कर एल्गोरिदम और सिग्नल प्रोसेसिंग तकनीकों के साथ इसका विश्लेषण प्राप्त होता है। इसका इस्तेमाल स्मार्टफोन के जरिये किया जाएगा और स्मार्टफोन सेंसर सिग्नल्स को कैप्चर करेंगे। बाद में सिग्नल्स को फोटोप्लेथ्समोग्राफी (पीपीजी), फोटो क्रोमैटोग्राफी (पीसीजी), धमनी फोटोप्लेथीस्मोग्राफी (एपीपीजी), मोबाइल स्पिरोमेट्री और पल्स वैरिएबिलिटी (पीआरवी) के सिद्धांत पर संसाधित किया जाता है। लाइफास इसके बाद कार्डियो-श्वसन, कार्डियो-संवहनी, हेमटोलॉजी, हेमोरोलॉजी, न्यूरोलॉजी आधारित पैरामीटर विश्लेषण के बारे में बताता है जिससे शरीर में पैथोफिज़ियोलॉजिकल परिवर्तनों की जांच करने में मदद मिलती है। शरीर के इन परिवर्तनों को आगे और विश्लेषित किया जाता है।

यह प्रौद्योगिकी आबादी की स्क्रीनिंग, क्वारनटीन लोगों की निगरानी और सामुदायिक प्रसार को लेकर निगरानी पर फोकस है। इससे कोरोना के बिना लक्षणों वाले लोगों के बारे में पता लगाया जा सकता है। मेदांता मेडिसिटी अस्पताल के साथ किए गए एक अध्ययन में 92% की सटीकता, 90% की विशिष्टता और 92% की संवेदनशीलता के साथ स्पर्शोन्मुख व्यक्तियों का पता लगाने में यह कारगर साबित हुआ है।

अध्ययन की सफलता को देखते हुए मेदांता एथिक्स कमेटी ने इसे बड़ी आबादी का अध्ययन करने के लिए अनुमोदित किया है। इस अध्ययन को क्लीनिकल ट्रायल्स रजिस्ट्री-इंडिया (सीटीआरआई) के लिए पंजीकृत किया गया है और साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी इसे स्वीकार किया है। आरोग्य सेतु को आपके स्मार्टफोन में इंस्टाल करने के बाद जैसे वह आपके कॉन्ट्रैक ट्रेसिंग का पता लगता है वैसे ही यह लाइफास आपके सटीक मेडिकल जांच में मददगार होगा।

डीएसटी के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा, किफायती, सुलभ, पॉइंट-ऑफ-केयर स्मार्ट फोन आधारित डायग्नॉस्टिक्स एक शक्तिशाली उपकरण है जो उच्च जोखिम वाले मामलों की स्क्रीनिंग में मदद करेगा। इससे मामलों में सामान्य निगरानी सुनिश्चित होगी। लाइफास गति और प्रभावकारिता के साथ उभरती चुनौतियों के लिए प्रासंगिक और रचनात्मक समाधानों का नवाचार करने में प्रौद्योगिकी स्टार्टअप की बढ़ती शक्ति का एक दिलचस्प उदाहरण है.

क्लीनिकल ट्रायल और नियामक कार्यवाही सितंबर के अंत तक पूरी होने की उम्मीद है, जिसके बाद परीक्षण की सुविधा आम जनता के लिए उपलब्ध कराई जाएगी।

विश्व स्तर पर और भारत में कोविड-19 के प्रभाव को देखते हुए संकट से निपटने और अर्थव्यवस्था को किसी भी अन्य नुकसान से बचने के लिए अनुसंधान एवं विकास प्रयासों का समर्थन करना समय की मांग है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार स्टार्टअप-इकोसिस्टम के माध्यम से व्यापक समाधान प्रदान करने वाले नवाचारों का समर्थन कर रहा है, और ऐसे समाधानों में से एक लाइफास कोविड स्कोर है।

*****

एसजी/एएम/वीएस/एसएस



(Release ID: 1642021) Visitor Counter : 274