विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
भारतीय और यूरोपीय संघ 5 वर्षों के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग को नवीकृत करने पर सहमत
Posted On:
16 JUL 2020 7:21PM by PIB Delhi
भारत और यूरोपीय संघ 15वें भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन में आगामी पांच वर्षों 2020-2025 के लिए वैज्ञानिक सहयोग पर समझौते को नवीकृत करने पर सहमत हो गए हैं।
भारत-यूरोपीय संघ की वर्चुअल बैठक का नेतृत्व भारत की ओर से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीने किया जबकि यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के द्वारा किया गया।
इस नवीन स्वीकृत समझौते के अनुसार, भारत और यूरोपीय संघ दोनों ने, 2001 में हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकीसमझौते के अनुरूपआपसी लाभ और पारस्परिक सिद्धांतों के आधार पर अनुसंधान और नवाचार में भविष्य में सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की है। 2001 में हुआ यह समझौता मई 2017 में समाप्त हो गया था।
संयुक्त बयान में कहा गया है किदोनों पक्ष समयबद्ध तरीके से नवीकृत प्रक्रिया शुरू करने और अनुसंधान एवं नवाचार में 20वर्षों के मजबूत सहयोग को अंगीकृत करने के लिए वचनबद्ध हैं।
इससे जल, ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा, एग्रीटेक और जैव स्वायत्ता, एकीकृत साइबर-भौतिक प्रणाली, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी, नैनो प्रौद्योगिकीऔर स्वच्छ प्रौद्योगिकी आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान और नवाचार सहयोग को बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा अनुसंधान, शोधकर्ताओं के आदान-प्रदान, छात्रों, स्टार्टअप और ज्ञान के सह-सृजन के लिए संसाधनों के सह-निवेश में संस्थागत संबंधों को और मजबूती मिलेगी।
इससे पूर्व, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सभी भारतीय हितधारकों विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) और सीएसआईआर के साथ भारत-यूरोपीय संघ के एसएंडटी समझौते की समीक्षा के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक की अध्यक्षता की।
समीक्षा बैठक, जिसके दौरान राष्ट्रों के मध्य एसएंडटी सहयोग पर समझौते के नवीनीकरण का सुझाव भी प्राप्त हुआ था, में पिछले 5 वर्षों के संबंधों का स्मरण करते हुए कहा गया कि इस दौरानकार्यान्वित की गई 73 संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं के परिणामस्वरूप लगभग 200 संयुक्त शोध प्रकाशन और कुछ पेटेंट दाखिल किए गए। इस अवधि में शोधकर्ताओं और छात्रों के 500आदान-प्रदान दौरे भी हुए हैं। 5 वर्षों में ज्ञान निर्माण, मानव क्षमता विकास, प्रौद्योगिकी विकास, जल, स्वास्थ्य, सामग्री (नैनो विज्ञान सहित) और जैव-स्वायत्तता में संयुक्त गतिविधियों पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया है।
समीक्षा बैठक में डीएसटी के सचिव, प्रोफेसर आशुतोष शर्मा,डीबीटी की सचिव डॉ. रेणु स्वरूप, सीएसआईआर के महानिदेशक प्रोफेसर शेखर मंडे, एमओईएस के वैज्ञानिक परविंदर मैनी, बर्लिन में भारतीय दूतावास के वैज्ञानिक काउंसलर एन मधुसूदन रेड्डी,डॉ. एस.के. वार्ष्णेय और अन्य संबंधित अधिकारी भी शामिल हुए।
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